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Thursday, May 11, 2023

*कम उम्र के बच्चों को हो रहा आंखों का कैंसर:धुंधलापन न करें इग्नोर; यह दिमाग तक फैल सकता है*

*कम उम्र के बच्चों को हो रहा आंखों का कैंसर:धुंधलापन न करें इग्नोर; यह दिमाग तक फैल सकता है*
लोग नॉर्मल बीमारी होने पर इतना नहीं घबराते। जितना कैंसर का नाम सुनते ही डर जाते हैं। वहीं अगर ये शरीर के नाजुक पार्ट आंख में हो, तो ये बहुत ही डेंजरस सिचुएशन है।

*सही सुना आपने, आंखों में भी कैंसर हो सकता है।* इसे रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं। आंखों के कैंसर के खतरे से लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 8 से 14 मई तक विश्व रेटिनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह भी मनाया जाता रेटिनोब्लास्टोमा के बारे में करते हैं। ये भी जानते हैं कि इसके लक्षण क्या हैं, किन लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है।
एक्सपर्ट: डॉ. सीमा दास, डायरेक्टर, ऑकुलोप्लास्टी और ओकुलर ऑन्कोलॉजी, डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल, दिल्ली
सवाल: क्या होता है रेटिनोब्लास्टोमा?
जवाब: रेटिनोब्लास्टोमा एक तरह का कैंसर है जो आंख के रेटिना में बनता है। रेटिना आंख के पीछे नर्वस टिश्यू यानी तंत्रिका ऊतक की एक पतली परत होती है। इससे एक या दोनों आंखों पर असर पड़ सकता है।
ये एक ऐसी बीमारी है, जो जन्म के कुछ समय बाद ही डेवलप होने लगती है। ये इतना डेंजरस होता है कि आंख के साथ जिंदगी भी छीन सकता है।

सवाल: ये आंखों में कैसे होना शुरू होता है?
जवाब: यह आंखों के रेटिना से एक छोटे ट्यूमर के रूप में शुरू होता है। ये साइज में काफी तेजी से बढ़ता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो आंख और रोशनी दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है।
शुरुआती दिनों में, ट्यूमर आंख तक ही सीमित रहता है। लेकिन अगर इसका ट्रीटमेंट नहीं कराया, तो ट्यूमर आंख से बाहर फैल सकता है। शरीर के कई हिस्सों जैसे दिमाग, हड्डियों तक।

सवाल: किस उम्र में रेटिनोब्लास्टोमा होने का रिस्क ज्यादा रहता है?
जवाब: आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इस कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि कभी-कभी बड़े बच्चे भी इससे इफेक्ट हो सकते हैं।
*हर 15,000-18,000 जन्मे बच्चों में से लगभग 1 बच्चा इस कैंसर से प्रभावित होता है।*

सवाल: तो क्या ये वयस्क और बुजुर्गों में नहीं होता है?
जवाब: वयस्क और बुजुर्गों में कैंसर का ये टाइप रेटिनोब्लास्टोमा होने का रिस्क न के बराबर होता है।
50 से 60 साल के लोगों को दूसरे टाइप के आंखों का कैंसर होने का रिस्क रहता है।

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा किस वजह से होता है?
जवाब: अगर माता-पिता, भाई-बहन में किसी को आंखों का कैंसर है या हो चुका है, तो जन्म लेने वाले बच्चे में रेटिनोब्लास्टोमा का रिस्क 50% तक बढ़ जाता है। या फिर गर्भ में पल रहे बच्चे में कुछ न्यूट्रीएंट्स की कमी की वजह से यह होता है।
सवाल: इस बीमारी के होने पर कैसे लक्षण दिखाई देते हैं?
जवाब: बच्चों में होने वाले इस कैंसर के लक्षण को नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा से बचाने के लिए बच्चे का चेकअप कब कराना चाहिए और इसके लिए किस डॉक्टर के पास जाना चाहिए?
जवाब: इस कैंसर का सबसे पहला लक्षण आंख में सफेद चमक है। आंख के बीच में अगर वाइट रिफ्लेक्स दिखता है या फिर ऊपर बताए गए लक्षण दिखते हैं तो बच्चे को इस कैंसर से बचाने के लिए कुछ टेस्ट कराएं।
रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज आई कैंसर स्पेशलिस्ट करते हैं।

सवाल: इसका पता किस टेस्ट से चलता है?
जवाब: आई स्पेशलिस्ट एनेस्थीसिया देकर आई कैंसर का टेस्ट करते हैं। एमआरआई स्कैन और अल्ट्रासाउंड से आंखों का टेस्ट किया जाता है।
जिन पेशेंट को कीमोथेरेपी की जरूरत होती है, उनकी हेल्थ की टेस्टिंग पहले एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट से करवाई जाती है। उसके बाद आगे का प्रोसेस होता है।
हालांकि कैंसर की एडवांस स्टेज के लिए कभी-कभी सर्जरी कराने की एडवाइस डॉक्टर देते हैं। इसके लिए इंट्रावेनस कीमोथेरेपी और ब्रैकीथेरेपी जैसे एडवांस ट्रीटमेंट भी मौजूद है।
सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा होने पर इसका इलाज संभव है?
जवाब: इलाज संभव है। लेकिन जरूरी यह है कि इसे समय रहते ही डिटेक्ट यानी पता कर लिया जाए।
शुरुआती स्टेज में इस कैंसर का इलाज आमतौर पर लेजर और कीमोथेरेपी के साथ किया जाता है। जो अधिकतर पेशेंट की जिंदगी, आंख और रोशनी को बचा लेता है।
वहीं अगर ट्रीटमेंट करने में देरी की गई, तो सिचुएशन खतरनाक हो सकता है। यहां तक कि सर्जरी में आंख भी निकालनी पड़ सकती है या दिखना भी बंद हो सकता है।

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा के अलावा आंख का कैंसर कितने तरह का होता है?
जवाब: इसके अलावा आंख का कैंसर 3 तरह का होता है।
ऑक्यूलर मेलानोमा: एडल्ट में होने वाला यह सबसे कॉमन आई कैंसर है। मेलानोमा यानी ट्यूमर उन सेल्स में होता है जो आंखों समेत शरीर के कई पार्ट्स में पिगमेंट के बनने में शामिल होते हैं।
प्राइमरी इंट्राऑक्यूलर लिम्फोमा: इस कैंसर में लिम्फोसाइट्स नाम की वाइट ब्लड सेल्स शामिल होती हैं। यह आमतौर पर HIV एड्स पेशेंट में देखने को मिलता है।
शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम की सेल्स को लिम्‍फोकेट्स और जो सेल्स कैंसर से ग्रसित होती है उन्‍हें लिम्‍फोमा या लिम्‍फ कैंसर कहते हैं।
ऑक्यूलर मेटास्टेसिस: कई बार ऐसा होता है कि शरीर के कई पार्ट्स में जो ट्यूमर होता है जैसे लंग्स कैंसर। वह भी आंखों को प्रभावित कर सकता है। कैंसर के लिए जिम्मेदार ये सेल्स ब्लड वेसेल्स के माध्यम से आंखों तक पहुंच सकती हैं।

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