Breaking

Thursday, May 11, 2023

*कौन है वो ISI ऑफिसर, जिसका नाम लेकर फंसे इमरान:आर्मी के चहेते रहे पूर्व पीएम को घसीटते क्यों ले गए रेंजर्स*

*कौन है वो ISI ऑफिसर, जिसका नाम लेकर फंसे इमरान*. आर्मी के चहेते रहे पूर्व पीएम को घसीटते क्यों ले गए रेंजर्स
‘पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के मेजर जनरल फैसल नसीर ने दो बार मेरा कत्ल करने की कोशिश की। वह टीवी एंकर अरशद शरीफ की हत्या में भी शामिल हैं। उन्होंने ही मेरी पार्टी की सीनेटर आजम स्वाति के कपड़े तक उतरवा दिए थे।’
यह बयान पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को लाहौर में एक रैली के दौरान दिया। पाकिस्तान आर्मी ने इमरान के आरोपों को झूठा बताया और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी। इसके दो दिन बाद ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट से पाकिस्तानी रेंजर्स इमरान को घसीटते हुए ले जाते दिखे।
कौन हैं ISI ऑफिसर फैसल नसीर, जिनका बार-बार जिक्र कर रहे इमरान खान? कभी पाक आर्मी के चहेते रहे इमरान की आर्मी से कैसे ठन गई?
सबसे पहले जानते हैं कि इमरान खान ने लाहौर रैली में क्या कहा- 'यह आदमी (जनरल फैसल नसीर) पिछले 20 महीनों से मेरी पार्टी के लोगों के खिलाफ अत्याचार में शामिल है, लेकिन उसकी संस्था में किसी को भी इसकी परवाह नहीं है। पाकिस्तान से प्यार करने वाला कोई भी व्यक्ति वह नहीं कर सकता जो यह आदमी कर रहा है। इमरान ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से पूछा कि वह इस ISI अफसर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?
इमरान के इस बयान पर पाकिस्तान आर्मी ने ऐतराज जताया। गिरफ्तारी से पहले इमरान ने एक और बयान दिया, जिसमें कहा...
पाकिस्तान आर्मी की मीडिया विंग ISPR ने बयान दिया है कि मैंने फौज की तौहीन कर दी है। एक इंटेलिजेंस ऑफिसर का नाम ले लिया जिसने दो बार मेरा कत्ल करने की कोशिश की।
ISPR साहब मेरी बात को गौर से सुनिए। इज्जत सिर्फ फौज की नहीं, कौम के सभी नागरिकों की होनी चाहिए। डर्टी हैरी ने जो प्लान बनाया है। इसके साथ पूरा टोला है।
फौज कान खोलकर सुन ले। मैं डरने वाला नहीं हूं और न पाकिस्तान छोड़कर जाऊंगा।
*इमरान खान ने ISI के जिस ‘डर्टी हैरी’ पर आरोप लगाए, वो कौन है?*

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के DG (C) फैसल नसीर।
फैसल नसीर साल 1992 में पाकिस्तान की फौज में भर्ती हुए। पिछले साल अक्टूबर में उनका प्रमोशन हुआ और वे ब्रिगेडियर से मेजर जनरल बन गए। बलूचिस्तान और सिंध में अहम भूमिका की वजह से नसीर को 'सुपर स्पाई' के रूप में भी जाना जाता है।

पिछले साल मेजर जनरल फैसल को ISI का DG (C) नियुक्त किया गया। ISI का प्रमुख DG होता है वहीं दूसरे नंबर पर DG (C)) होता है। ISI में वह इंटरनल सिक्योरिटी और काउंटर इंटेलिजेंस से जुड़े मामलों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी यानी PTI के प्रमुख इमरान ने अगस्त 2022 में अपनी करीबी सहयोगी शाहबाज गिल की गिरफ्तारी के बाद पहली बार फैसल नसीर का नाम लिया था। उन्होंने कहा था कि 'फासीवादी सरकार' के पीछे यही 'डर्टी हैरी' है।

*फैसल नसीर पर पाकिस्तान के पत्रकार की हत्या का क्या आरोप है?*

अरशद शरीफ को पाकिस्तानी सेना का करीबी माना जाता था। हालांकि इमरान खान के सत्ता से हटने बाद वो सेना की काफी आलोचना करने लगे थे
अरशद शरीफ को पाकिस्तानी सेना का करीबी माना जाता था। हालांकि इमरान खान के सत्ता से हटने बाद वो सेना की काफी आलोचना करने लगे थे।
इमरान खान के एक करीबी पत्रकार और टीवी एंकर थे अरशद शरीफ। उन्होंने पिछले साल अप्रैल में इमरान खान को हटाने के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में पाकिस्तानी आर्मी की भूमिका की आलोचना की थी।
जान से मारने की धमकी मिलने के बाद वे देश छोड़कर चले गए थे। वह कहां पर थे यह पब्लिकली किसी को भी नहीं पता था। 23 अक्टूबर 2022 को अरशद शरीफ की केन्या में पुलिस की गोली से मौत हो जाती है। आरोप लगते हैं कि अरशद शरीफ की हत्या कराई गई।
शरीफ की मां रिफत आरा अल्वी ने पिछले साल पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने बेटे अरशद की हत्या की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाने की मांग की।
अरशद की मां ने जो पत्र लिखा था उसमें पावरफुल मिलिट्री सर्किल का जिक्र है। इसमें प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ उस वक्त पाक आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और ISI प्रमुख नदीम अंजुम का नाम शामिल था।
इसके बाद उन्हें ब्रिगेडियर मोहम्मद शफीक मलिक उर्फ गंजा शैतान, ब्रिगेडियर फहीन रजा और ISI के DG (C) मेजर जनरल फैसल नसीर से जान से मारने की धमकियां मिलनी शुरू हो गईं। पिछले साल नवंबर में पंजाब में एक रैली के दौरान इमरान खान पर हमला हुआ था।
इस दौरान उनके पैर में तीन गोली मारी गई थी। उस वक्त इमरान खान ने फैसल नसीर के साथ ही प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह पर हमले का आरोप लगाया था।
आखिर इमरान और पाकिस्तान की फौज में क्यों ठन गई?

पाकिस्तान में जुलाई 2018 से पहले पीएमएल-एन की सरकार थी। नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री रहते हुए विदेश और घरेलू नीति पर सैन्य वर्चस्व को चुनौती दी थी। इसके बाद पाकिस्तान की सेना ने वहां की न्यायपालिका के जरिए शरीफ को अयोग्य करार देकर प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था।
ऐसे में पाकिस्तान की सेना ने क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के लिए पूरी तरह तैयार किया। जुलाई 2018 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए।
इस दौरान नवाज शरीफ समेत विपक्षी पार्टियों ने रिजल्ट में धांधली के आरोप लगाए। खासकर फाइनल रिजल्ट की घोषणा में देरी पर। कहा गया कि सेना ने इमरान को जिताने के लिए ऐसा किया।
इसके बाद चुनावों में इमरान खान की जीत हुई और छोटी पार्टियाें के साथ गठबंधन कर वह प्रधानमंत्री बने। इमरान खान ने जोर देकर कहा कि उनका ध्यान शासन में सुधार पर है। उन्होंने देश के बड़े हिस्से में स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत भी की।

*18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते इमरान खाान।*

इसी बीच पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब में एक अनुभवहीन और नए राजनेता को मुख्यमंत्री बनाने पर काफी आलोचना हुई। काफी आलोचना के बाद भी इमरान ने उस्मान बुजदार को मुख्यमंत्री पद से हटाने से इनकार कर दिया।
अफवाह फैली कि प्रधानमंत्री इमरान की पत्नी और उनकी आध्यात्मिक मार्गदर्शक बुशरा बीबी ने उन्हें चेतावनी दी थी बुजदार एक अच्छा शगुन है और अगर उन्हें हटा दिया गया तो इमरान की पूरी सरकार गिर जाएगी।
इमरान के सामने कई और चुनौतियों भी मुंह बाए खड़ी थीं। पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब हो रहे थे। खाने कीमतों में काफी वृद्धि हो रही थी। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया लगातार गिर रहा था।

इमरान खान के समर्थकों ने इसके लिए ग्लोबल कंडीशन को दोषी ठहराया, लेकिन जनता में इमरान के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही थी। इसके बावजूद इमरान फौज के चहेते बने रहे। इस बीच सेना प्रमुख जनरल बाजवा और ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद पर भी विपक्ष ने हमला करना शुरू कर दिया।
साल 2021 आते-आते काफी कुछ बदलने लगा। कई ऑब्जर्वरों ने बताया कि इमरान खान सरकार के खराब प्रदर्शन से खासकर पंजाब में सेना की निराशा बढ़ रही थी। यही वजह है कि विपक्ष भी इस दौरान इमरान को सत्ता में लाने वाली फौज को भी इस संकट के लिए बराबर का दोषी ठहरा रहा था।

इसी बीच आर्मी चीफ जनरल बाजवा और ISI प्रमुख फैज हमीद के बीच भी दरार दिखाई देने लगी। उस समय माना जा रहा था कि अगले सेना प्रमुख हमीद बनेंगे। बताया जाता है कि लेफ्टिनेंट जनरल हमीद सेना प्रमुख बनने को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने पड़ोसी अफगानिस्तान में अधिकारियों से पहले ही कह दिया था कि वह सेना के अगले प्रमुख होंगे।
साल 2021 की गर्मियों में बड़े पत्रकारों के साथ एक निजी बातचीत के दौरान दोनों पावरफुल शख्सियतों के बीच तनाव देखा गया। एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि ISI प्रमुख ने सिर्फ इतना बताया है कि समय समाप्त हो गया। इसके बाद जनरल बाजवा ने काफी तल्ख लहजे में कहा, 'मैं प्रमुख हूं। जब हम काम कर लेंगे तो मैं तय करूंगा।'
अक्टूबर में विवाद और बढ़ गया और इमरान खान की मुश्किलें भी। जनरल बाजवा को ISI चीफ के लिए एक नया शख्स चाहिए था। ऐसे में उन्होंने सेना की भूमिकाओं में बदलाव की घोषणा की।

हालांकि इमरान खान के लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के साथ काफी अच्छे संबंध थे। ऐसे में इमरान ने इसका विरोध किया। इमरान चाहते थे कि फैज हमीद अगले चुनावों तक बने रहें ताकि एक बार फिर से चुनाव जीतने में उनकी मदद करें।
प्रधानमंत्री ने लगभग तीन हफ्ते के लिए पोस्टिंग में बदलाव को मंजूरी देने वाले फॉर्मल नोटिफिकेशन जारी करने से रोक दिया। यानी एक प्रकार से इमरान ने खुफिया एजेंसी ISI के नए चीफ की नियुक्ति पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
सेना और इमरान खान की सरकार के बीच अब दरार साफतौर पर दिखाई देने लगी थी। इसने विपक्ष का हौसला बढ़ा दिया।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख फैज हमीद और पूर्व आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा।
                       पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के पूर्व प्रमुख फैज हमीद और पूर्व आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा।
मार्च 2022 में विपक्ष फिर से इमरान खान के खिलाफ इकट्‌ठा होता है। शाहबाज शरीफ ने देश के आर्थिक संकट को लेकर इमरान के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव पेश किया।
इसी समय पाकिस्तानी सेना का बयान आता है। इसमें स्पष्ट किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया के दौरान सेना तटस्थ रुख अपनाएगी। इस दौरान सत्तारूढ़ PTI के लगभग दो दर्जन सांसदों ने सार्वजनिक रूप से इमरान के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया।
तब इमरान खान की पार्टी छोड़ने वाले एक सांसद ने बताया था कि उस वक्त उन्हें और दूसरे सांसदों को खुफिया सेवाओं से फोन आते थे। इसमें बताया जाता था कि उन्हें क्या करना है। उन्होंने गुस्से में कहा कि हमारे साथ मारपीट की जाती थी। हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के ऑफिस छोड़ने के बाद कॉल आने बंद हो गए। उसके बाद सेना ने हस्तक्षेप करना बंद कर दिया।
पत्रकार कामरान यूसुफ बताते हैं कि 2018 में इमरान को सरकार बनाने के लिए छोटे दलों का समर्थन चाहिए था। उस दौरान इन दलों को इमरान के साथ लाने में सेना ने मदद की थी, लेकिन इस बार हाथ हटाने से इमरान का पतन साफ दिख रहा था।
इमरान और सेना के बीच और भी मतभेद सामने आए। इसमें विदेश नीति प्रमुख थी। हालांकि इमरान ने फरवरी 2022 में उस दिन मॉस्को जाने का बचाव किया था जिस दिन रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में हमला किया था। वहीं एक हफ्ते पहले ही जनरल बाजवा ने अप्रैल में कहा कि हमले को तुरंत रोका जाना चाहिए।
इमरान सरकार ने पहले संसद को भंग करके और समय से पहले चुनाव कराकर अविश्वास प्रस्ताव को दरकिनार करने की कोशिश की।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया कराने का आदेश दे दिया। इसके बाद 10 अप्रैल 2022 को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव सफल रहने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता से बाहर हो गए।

No comments:

Post a Comment