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Friday, September 3, 2021

September 03, 2021

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश:ऑनर किलिंग के मामले जल्द निपटाएं

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश:ऑनर किलिंग के मामले जल्द निपटाएं, DGP ध्यान रखेंगे 3 माह में जांच पूरी हो जाए; सेशन जजों को 6 महीने से ज्यादा ट्रायल न चलाने के निर्देश
चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ऑनर किलिंग में किसी भी केस की जांच 3 महीने में पूरी करने और ट्रायल 6 महीने में पूरा करने के लिए कहा गया है। हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों की जांच के लिए एक माह में कमेटी बनाने का भी आदेश दिया है।
आन के लिए हत्या (ऑनर किलिंग) के मामलों का निपटारा जल्द करने के लिए कड़ा आदेश दिया है। इस आदेश के मुताबिक हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशकों को सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी केस की जांच 3 महीने से ज्यादा लंबी न खिंचे। इसी तरह सभी सेशन जज को ट्रायल का निपटारा 6 माह में करने के लिए कहा गया है।
*लंबित मामलों पर भी आदेश लागू*
ऑनर किलिंग मामलों पर संज्ञान ले हाईकोर्ट ने अपने अधीनस्थ सभी सेशन जजों को आदेश दिया है कि इन मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए विशेष अदालतों में सुनवाई होनी चाहिए। जिन अदालतों को यह केस सौंपे जाएं, उन्हें हिदायत दी जाए कि इनका ट्रायल 6 माह के भीतर निपटाना है। आदेश केवल नए मामलों पर नहीं बल्कि पहले से लंबित मामलों पर भी लागू होंगे। इस आदेश में हाईकोर्ट ने साफ किया है कि चाहे मामले की सुनवाई रोज करनी पड़े। गवाहों को बुलाने के लिए चाहे जितनी मर्जी सख्ती बरतनी पड़े, लेकिन किसी भी सूरत में 6 महीने से ज्यादा ट्रायल नहीं चलना चाहिए।
*राज्य सरकार को नीतिगत कार्रवाई की जिम्मेदारी*
इसी के साथ हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के गृह सचिव, वित्त सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों को ऐसे मामलों की जांच के लिए एक माह के भीतर कमेटी गठित करने का आदेश दिया है। संबंधित कमेटी को तीन माह में अपनी सिफारिशें देनी होंगी। कमेटी रिपोर्ट देते हुए इस बात का ध्यान रखेगी कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए इन्हें तैयार किया जाएगा। रिपोर्ट को आधार बनाकर नीतिगत कार्रवाई की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी।

Monday, June 22, 2020

June 22, 2020

तीन महीने की फीस नहीं मिल पाने से अगर वाकई में स्कूल चला पाने में दिक्कत हो रही है तो ऐसे स्कूलों को बंद कर देना चाहिए

चंडीगढ़ :  हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों की फीस वसूलने से संबंधित एक याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि तीन महीने की फीस नहीं मिल पाने से अगर वाकई में स्कूल चला पाने में दिक्कत हो रही है तो ऐसे स्कूलों को बंद कर देना चाहिए।

स्कूलों की तरफ से अभिभावकों का पक्ष न सुने जाने की मांग पर भी कोर्ट ने कहा कि जो इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे उनको क्यों न सुना जाए। कोर्ट ने मामले पर 7 सितंबर के लिए अगली सुनवाई तय की है। वहीं स्कूलों की तरफ से कहा गया कि पंजाब के प्राइवेट स्कूलों के मामले में हाईकोर्ट ने 70 % फीस वसूले जाने के अंतरिम आदेश दिए थे। हरियाणा के स्कूलों के लिए भी ऐसे ही आदेश दिए जाएं। हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि अभिभावक प्रभावित पक्ष हैं।

उन्हें सुने बिना कोई अंतरिम निर्देश नहीं दिए जा सकते। इस पर स्कूलों की तरफ से कहा गया कि यह अर्जेंट लिटिगेशन है। ऐसे में जल्दी और तत्काल सुनवाई की जाए। कोर्ट ने इस पर कहा कि यह अर्जेंट नहीं लग्जरी लिटिगेशन है।

*स्कूल नहीं दे रहे बैलेंस शीट*

स्वयं सेवी संस्था स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार की तरफ से कहा गया कि बच्चों की तरफ से उन्हें पक्ष रखने का मौका दिया जाए। प्रत्येक प्राइवेट स्कूल को हर साल ऑडिट बैलेंस शीट शिक्षा निदेशालय में जमा करानी होती है। इस बारे में संगठन की तरफ से शिकायत पर शिक्षा विभाग ने स्कूलों को 31 दिसंबर तक रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन स्कूलों ने यह जानकारी नहीं दी।

*87 प्राइवेट स्कूलों की संस्था ने दायर की है याचिका*

हरियाणा के लगभग 87 प्राइवेट स्कूलों की संस्था सर्व विद्यालय संघ की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि 12 अप्रैल से आठ मई तक शिक्षा विभाग के जारी अलग अलग निर्देशों को खारिज किया जाए। इनके आधार पर उन्हें हिसार के डीसी ने 14 मई को पत्र लिख कहा कि हरियाणा एजुकेशन रूल्स, 2003 के मुताबिक बढ़ी हुई फीस और दूसरे फंड स्टूडेंट्स से न वसूले जाएं।

याचिका में कहा गया कि प्राइवेट स्कूलों को फीस को लेकर दिशा निर्देश जारी नहीं किए जा सकते। स्कूल यदि फीस नहीं वसूलेंगे तो वे आर्थिक संकट में फंस जाएंगे। अप्रैल माह से स्टूडेंट्स फीस का भुगतान नहीं कर रहे हैं। ऐसे में स्कूल के खर्चे निकालना मुश्किल होता जा रहा है।

Monday, June 8, 2020

June 08, 2020

ट्रांसफर IAS Ashok Khemka के ही नहीं हुए, अब दिव्यांग IAS Ravi Parkash Gupta को खटखटाना पड़ा हाईकोर्ट का दरवाजा

तबादलों पर तबादले होते आपने आईएएस अशोक खेमका के तो सुनें होंगे लेकिन अब एक दिव्यांग आईएएस रवि प्रकाश गुप्ता भी तबादलों से खासे परेशान हैं और हाईकोर्ट की शरण ली है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के दिव्यांग आईएस आरके गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है हाईकोर्ट ने सरकार से यह पूछा है कि उन्हें कैट के उस आदेश पर रोक लगा दे जिसके तहत कैट ने उसकी ट्रांसफर रोक की मांग को खारिज कर दिया था। रवि प्रकाश गुप्ता ने सरकार द्वारा उन्हें डिप्टी कमीश्नर, फतेहाबाद से ट्रांसफर कर स्वर्ण जयंती हरियाणा इंस्टिट्यूट ऑफ फिस्कल मैनेजमेंट का डायरेक्टर जनरल बनाए जाने के आदेश को कैट में चुनौती दी थी।इसके लिए रवि प्रकाश ने यूनियन ऑफ इंडिया, हरियाणा सिविल सेक्रेटेरिएट और आइएएस नरहरि सिंह बांगड़ के खिलाफ केस किया था। लेकिन कैट डीबी बैंच के प्रशासनिक सदस्य अजंता दयालन और ज्यूडिश्यिल संजीव कौशिक ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद रवि प्रकाश की याचिका को खारिज कर दिया है। मूल रूप से हरियाणा के जिला सोनीपत के समालखां के निवासी रवि प्रकाश गुप्ता 2007 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। रवि ने याचिका में कहा कि सरकार ने आइएएस (कैडर)अमेंडमेंट नियम, 2014 की वॉयलेशन की है। उन्हें 28 दिसंबर 2019 को फतेहाबाद का डीसी बनाया गया था। लेकिन यहां से छह महीने में ही उनकी ट्रांसफर की जा रही है। कैडर रूल्स के मुताबिक, उनके यहां पर दो साल का टेन्योर पूरा नहीं हुआ हैट