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Friday, June 26, 2020

June 26, 2020

उत्तर भारत के कई राज्यों में मानसून ने दी दस्तक, दिल्ली एनसीआर में बारिश

उत्तर भारत के कई राज्यों में मानसून ने दी दस्तक, दिल्ली एनसीआर में बारिश

कृषि मौसम विज्ञान विभाग, चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय  हिसार द्वारा जारी आज @26.06.2020 को जारी आकड़ो के अनुसार दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की प्रगति:---

दक्षिण पश्चिमी मॉनसून अनुकूल परिस्थितियों के कारण आगे बढ़ता हुआ आज 26 जून को मॉनसून की उत्तरी सीमा राजस्थान पंजाब हरियाणा होते हुए पूरे भारतवर्ष को पूरी तरह कवर कर लियस है। इस वर्ष मॉनसून सामान्य तिथि 8 जुलाई से 12 दिन पहले आज 26 जून को परे देश को कवर कर लिया है इससे पहले 2013 में 16 जून को  ही पूरे देश में मॉनसून पहुंच गया था। उत्तरपूर्व राजस्थान  में बने  साइक्लोनिक सर्कुलेशन तथा मॉनसूनी टर्फ रेखा मध्य पाकिस्तान से उत्तर पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा , उत्तरप्रदेश से बिहार तक बनी हुई है जिससे आज हरियाणा में काफी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारीश दर्ज हुई है।

मौसम पूर्वानुमान:-

 कल 27 जून से मॉनसूनी टर्फ रेखा  हिमालय की तलहटीयों व उत्तर पूर्व भारत की तरफ बढ़ने की संभावना को देखते हुए  हरियाणा राज्य में मॉनसूनी हवाये कुछ कमजोर हो जाने की संभावना है जिससे राज्य में 27 जून से  29 जून के बीच मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील व  बीच बीच में आंशिक बादल तथा राज्य  में कुछेक स्थानों पर हल्की बारिश संभावित परन्तु 30 जून से फिर से मॉनसून सक्रिय होने की संभावना है। इस दौरान राज्य में तापमान सामान्य के आसपास  रहने की संभावना है। 

मौसम आधारित कृषि सलाह:-

1. अगले दो -तीन मौसम परिवर्तनशील रहने की संभावना को देखते हुए  धान की रोपाई पानी की उपलब्धता  अनुसार करे। 
2. जिन क्षेत्रों में अच्छी बारिश हुई है वहां खेत तैयार करे तथा बाजरा ग्वार आदि फसलों के उत्तम किस्मों के  बीजों  का प्रबंध करे तथा  बिजाई मौसम साफ होने पर ही करे।
3. नरमा कपास में बारिश का पानी  ज्यादा देर तक खड़ा न रहने दे । 
4.  प्रमाणित नर्सरी से उत्तम किस्मों के फलदार पौधों को लेकर खेतों में लगाना शुरू करे  ।
4. जिन क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई है वहां फसलों , सब्जियों व फलदार पौधों में आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करे।

अन्य कृषि सलाह

1. अगले दो तीन दिनों में हवा में बदलाव पूर्वी से पश्चिमी होने  की संभावना को देखते हुए राजस्थान के आसपास के जिलों के किसान भाई  टिड्डी दल के प्रति सजग रहे तथा खेतों में लगातार निगरानी रखे। यदि खेत में कहीं भी टिड्डी दिखाई दे तो तुरंत नजदीक के कृषि अधिकारी व कृषि विज्ञान केंद्र/ विश्विद्यालय के कीटविज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों को तुरन्त सूचित करें। 
2. कोरेना से बचाव हेतु किसान भाई मुहँ पर मास्क या गमोछा रखे, मंडी/ गांव व खेत में काम करते  समय  एक दूसरे के बीच व्यक्तिगत दूरी बना कर अवश्य  रखे तथा हाथों को समय समय पर साबुन या सेनेटाइजर से अवश्य साफ करे । स्वछता का ध्यान अवश्य रखे। 

Saturday, June 20, 2020

June 20, 2020

मौसम विभाग: हरियाणा में जून से सितंबर तक 450 एमएम या अधिक बरसात हो सकती है

मौसम विभाग: हरियाणा में जून से सितंबर तक 450 एमएम या अधिक बरसात हो सकती है

हिसार : माॅनसून की रफ्तार ने फिर से तेजी पकड़ ली है। यूपी के रास्ते यह हरियाणा की ओर बढ़ रहा है। अगले 72 घंटे में इसके समूचे हरियाणा में पहुंचने की संभावना बन गई है। हरियाणा के अलावा चंडीगढ़, दिल्ली व पंजाब के अधिकांश इलाकों में यह इसी अवधि में पहुंच सकता है।
मौसम विभाग की मानें तो माॅनसून अबकी बार सामान्य है और हरियाणा में इस बार माॅनसून सीजन जून से सितंबर तक की अवधि में 450 एमएम या अधिक बरसात हो सकती है। पिछले 20 साल में यह तीसरी बार होगा कि जब माॅनसून जल्दी आएगा। इससे पहले वर्ष 2000 में 23 जून को दस्तक दी थी, तब प्रदेश में 436 एमएम, 2008 में 13 जून को माॅनसून आया था, तब 536 एमएम, 2013 में 16 जून को माॅनसून ने हरियाणा में दस्तक दी थी, तब माॅनसून सीजन में 356 एमएम बरसात हुई थी।
इधर किसानों ने धान की रोपाई तेज कर दी है। कृषि अधिकारियों के अनुसार मजदूरों की कमी के बावजूद करीब एक लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी है, जबकि खरीफ सीजन में करीब 12 लाख हेक्टेयर में फसलें बोई जा चुकी हैं।

*दिन-रात की गर्मी उफान पर, हिसार में पारा 43 डिग्री पार*

प्रदेश में गर्मी का प्रकोप लगातार जारी है। दक्षिणी-पश्चिमी हरियाणा के जिलों में लगातार तीसरे दिन पारा 40 डिग्री के पार रहा। हिसार में यह 43.5 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री अधिक रहा। जबकि सिरसा में रात का तापमान 32.5 डिग्री तक पहुंच गया। करनाल में यह 38.8 व अम्बाला में 39.0 डिग्री रहा। एनसीआर के फरीदाबाद व गुड़गांव में तापमान 40 डिग्री के पार ही रहा।

*आठ बार जून के आखिरी सप्ताह में आया*

माॅनसून ने 19 साल में जून के आखिरी सप्ताह में दस्तक दी है। 2000 में 23, 2001 में 26, 2003 में 27, 2006 में 30, 2007 में 26, 2009 में 30, 2011 में 25, 2015 में 25 व 2018 में माॅनसून ने 28 जून को दस्तक दी थी।

*460 एमएम होती है बरसात*

हरियाणा में सालभर में 5.20 एमएम बरसात होती है, जबकि माॅनसून सीजन में 460 एमएम बरसात होती है। अमूमन पिछले 10 सालों में माॅनसून सीजन में बरसात का आंकड़ा 400 एमएम भी पार नहीं कर पा रहा। खरीफ सीजन में 30.95 लाख हेक्टेयर में फसलें बोई जाती हैं।

*आगे क्या* : 21 जून को प्रदेश के कुछ इलाकों में प्री-माॅनसून की बौछार पड़ सकती हैं। इससे पारा कुछ कम हो सकता है। जबकि 23 या 23 के बाद किसी भी समय माॅनसून आ सकता है। ऐसे में लोगों को गर्मी से काफी हद तक निजात मिलेगी।

हरियाणा राज्य में 23 जून  तक मौसम परिवर्तनशील, बीच- बीच  में आंशिक बादल, हवाएं चलने तथा कहीं-कहीं गरजचमक के साथ बूंदाबांदी या  हल्की बारिश परन्तु 24 जून से 26 जून के मध्य राज्य में ज्यादातर क्षेत्रों में गरज चमक के साथ  व्यापक/अच्छी वर्षा होने की संभावना। 

मौसम आधारित कृषि सलाह:

1. नरमा की फसल में निराई गुड़ाई करे ताकि फसल में खरपतवार न रहे तथा नमी संचित रह सके ।
2.  धान की नर्सरी में यदि आवश्यक हो तो हल्की सिंचाई  करे तथा नर्सरी में समय-समय पर खरपतवार  निकालते रहे।
3. संभावित बारिश होने पर धान की रोपाई खेतों में शुरू करे।
4. नरमा-कपास व सब्जियों के खेतों में  जलनिकासी का प्रबंध करे ताकि संभावित बारिश का पानी सब्जियों व फसलों में ज्यादा समय  तक खड़ा न रह सके।
4.अरहर व अन्य खरीफ फसलों की बिजाई करते समय मौसम के  संभावित बदलाव का ध्यान अवश्य रखे।
5. संभावित बारिश  तथा तापमान अनुकूल होने पर फलदार पौधे लगाना शुरू करे । फलदार पौधे  प्रमाणित नर्सरी से ही खरीदे तथा खरीद का बिल अवश्य करे।
6. बाजरा ग्वार की बिजाई के लिए खेत तैयार करे तथा प्रमाणित किस्मों के बीजों का प्रबंध कर अच्छी बारिश व नमी होने पर बिजाई शुरू की जा सके।

किसान भाइयों के लिए अन्य सलाह:-

1. कोरेना से रक्षात्मक बचाव  के लिए खेत में काम करते समय व  गांव/मंडी जाते समय   मुहं पर साफा  या मास्क अवश्य लगाए ।
2. गांव , खेत व मंडी में आपस में एक दूसरे से आवश्यक व्यक्तिगत दूरी अवश्य बनाकर रखे । 
3. साबुन व सेनेटाइजर से बार -बार हाथ धोए तथा स्वछता का ध्यान अवश्य  रखे। 
4. फल अवशेषों  को न जलाए ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे तथा उर्वरा शक्ति का  नुकसान न हो सके। अवशेषों को भूमि में दबाए तथा उर्वरा शक्ति को बढ़ाये जिससे आगामी फसल से ज्यादा उत्पादन लिया जा सके।