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Monday, August 31, 2020

August 31, 2020

वाहन चालकों को बड़ी राहत, ड्राइविंग लाइसेंस, RC की बढ़ी वैधता, जानिये कब तक वैलिड होंगे डॉक्यूमेंट्स ?

वाहन चालकों को बड़ी राहत, ड्राइविंग लाइसेंस, RC की बढ़ी वैधता, जानिये कब तक वैलिड होंगे डॉक्यूमेंट्स ?

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने वाहन चालकों को बड़ी राहत दी है। केंद्र सरकार ने एक फरवरी से खत्म ड्राइविंग लाइसेंस, लर्निंग लाइसेंस, गाड़ियों के परमिट और रजिस्ट्रेशन डॉक्यूमेंट्स की वैधता 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दी है। अब वाहन चालकों को इन डॉक्यूमेट्स को रिन्यू करवाने की टेंशन नहीं है।

कोरोना संक्रमण काल के चलते केंद्र सरकार ने आम लोगों को बड़ी राहत दी है। वाहन चालकों को यह तीसरी बार छूट दी गई है। इससे पहले केंद्र ने 30 जून तक वैलिडिटी को बढ़ाया था। उसके बाद 30 सितंबर तक और अब 31 दिसंबर तक ये सभी डॉक्यूमेंट्स वैध रहेंगे।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से यह घोषणा की गई है। आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए ड्राइविंग लाइसेंस और मोटर वाहन दस्तावेजों की वैधता अवधि इस साल 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता और मोटर वाहनों के तमाम जरूरी दस्तावेजों को 31 दिसंबर, 2020 तक बढ़ाने का फैसला किया है। पहले दस्तावेजों की वैधता 30 सितंबर तक बढ़ाई गई थी, जिसे अब इस साल के अंत तक बढ़ा दिया गया है।

मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के तहत फिटनेस, परमिट, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन या अन्य दस्तावेजों की वैधता को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाने का फैसला किया है।

मंत्रालय ने कहा है कि गाड़ी से संबंधित सभी दस्तावेज जिनकी वैधता का रिन्यू लॉकडाउन के कारण नहीं हो सका या होने की संभावना नहीं है और जिन दस्तावेज की वैधता एक फरवरी, 2020 से समाप्त हो गई है या 31 दिसंबर, 2020 तक यह समाप्त हो जाएगी, इन्हें 31 दिसंबर 2020 तक वैध माना जाएगा।
August 31, 2020

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रॉजेक्ट में देरी, रेल मंत्री ने नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख कहा- प्रधानमंत्री मोदी सब देख रहे हैं

पीयूष गोयल ने 9 राज्यों से आग्रह किया है कि वह डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर के रास्ते में आने वाली अड़चनें दूर करें

पीयूष गोयल ने 9 राज्यों को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने सबसे गुजारिश की है कि वह डेडिकेड फ्रेट कोरिडोर के रास्ते में आने वाली सभी अड़चनों को दूर करें, क्योंकि खुद पीएम मोदी इस प्रोजेक्ट पर करीब से नजर रख रहे हैं।

इस प्रोजेक्ट पर खुद पीएम मोदी करीब से नजर रख रहे हैं, यह योजना करीब 81 हजार करोड़ रुपये की है

कई जगह विरोध के चलते कोरिडोर के रास्ते में अड़चनें आ रही हैं

नई दिल्ली : रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे 'डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC)' परियोजना में अड़चनों को दूर करने का आग्रह किया और कहा कि प्रधानमंत्री 'परियोजना पर करीबी नजर रख रहे हैं।' गोयल ने नौ मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में भूमि संबंधी मुद्दों, ग्रामीणों की मांगों और राज्य के अधिकारियों द्वारा धीमी गति से काम करने का मामला उठाया, जिनसे 81,000 करोड़ रुपये की डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना का काम प्रभावित हुआ है।

इन राज्यों को गोयल की चिट्ठी

रेल मंत्री ने मुख्यमंत्रियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से उठाई गई चिंताओं के बाद गोयल ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्रों में कहा कि कैसे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर 'लंबे समय से लंबित मुद्दा' बना हुआ है जिसका अभी तक समाधान नहीं हुआ है।

कोरोना वायरस की वजह से काम में हो रही देरी

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव के अनुसार वर्तमान में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर निर्माणाधीन है- पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) जो उत्तर प्रदेश से मुंबई तक और पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) जो पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक है और इन कॉरिडोर का काम दिसम्बर 2021 तक पूरा किया जाना था लेकिन अब इस तिथि को छह महीने आगे यानी जून 2022 तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण काम में व्यवधान के कारण देरी हुई।

मंत्री ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर उनके राज्य में आ रही अड़चनों का समाधान करने का आग्रह किया है। उत्तर प्रदेश में डीएफसी का दायरा एक हजार किलोमीटर से अधिक है। गोयल ने अपने पत्र में कहा, 'प्रधानमंत्री ने परियोजना की प्रगति की बारीकी से निगरानी की है। डीएफसी 1,000 किलोमीटर से अधिक उत्तर प्रदेश राज्य से होकर गुजरती है। हालांकि, भूमि अधिग्रहण और आरओबी निर्माण से संबंधित कुछ मुद्दे अभी भी कायम हैं, जिन्हें तत्काल हल करने की आवश्यकता है ताकि लक्षित समय के भीतर परियोजना का काम पूरा हो सके।'

रास्ते में आ रही हैं तमाम अड़चनें

उन्होंने रेलवे के सामने आ रही कुछ समस्याओं के बारे में बताया जिनमें पुलों पर लंबित सड़क (आरओबी), आंदोलन के कारण मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर जैसे क्षेत्रों में भूमि को कब्जे में लेने में बाधा, ग्रामीणों द्वारा मुआवजे और नौकरियों की मांग, उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा पट्टा किराए की अनुचित मांग और मिर्जापुर जिले में आरओबी के निर्माण को लेकर ग्रामीणों द्वारा विरोध आदि शामिल हैं। गोयल ने पत्रों में उन सभी मुद्दों को उठाया है जिनका राज्यों में विशिष्ट क्षेत्रों में रेलवे द्वारा सामना किया जा रहा हैं।

गोयल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा, 'हालांकि विभिन्न जिलों में लंबित मध्यस्थता और भूमि के कब्जे में बाधाएं आदि में देरी से परियोजना के काम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आप इस बात को समझेगी कि परियोजना के काम को शुरू करने के लिए इन बाधाओं को दूर करना आवश्यक है।'

बिहार पर है खास फोकस

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे अपने पत्र में, गोयल ने कहा कि राज्य परियोजना का एक प्रमुख लाभार्थी है, क्योंकि पूर्वी डीएफसी का 236 किलोमीटर दायरा गया, औरंगाबाद, कैमूर और रोहतास जिलों से होकर गुजर रहा है और आपके राज्य में निवेश को आकर्षित करने की संभावना है। इसी तरह हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में, राज्य सरकारों द्वारा आरओबी के लिए भूमि अधिग्रहण में देरी से परियोजना में विलंब हुआ है। रेलवे एक सितंबर को उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र के राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक भी करेगा।

Sunday, August 16, 2020

August 16, 2020

अब सड़कों पर दौड़ेगी पानी से चलने वाली कार , 12 वीं पास मैकेनिक ने कर दिखाया अद्धभुत कमाल

अब सड़कों पर दौड़ेगी पानी से चलने वाली कार , 12 वीं पास मैकेनिक ने कर दिखाया अद्धभुत कमाल

नई दिल्ली : बढ़ती पेट्रोल डीजल की कीमतों के चलते इतनी आम आदमी गाड़ी चलाने से पहले कई बार सोचता है। ईंधन की बढ़ती कीमत और प्रदुषण के चलते इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर इस महंगाई के जमाने में कोई ऐसी कार आ जाए जो पानी से चलती हो तो यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल होगा। लेकिन मध्यप्रदेश के एक मैकेनिक ने ये कारनाम कर दिखाया है। मध्यप्रदेश के रहने वाले 44 वर्षीय मोहम्मद रईस महमूद मकरानी ने एक ऐसी कार बनाई है जो पेट्रोल, डीजल या गैस से नहीं बल्कि पानी से चलती है। पानी से चलने वाली इस कार का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

मोहम्मद रईस महज 12वीं पास हैं
पानी से चलने वाली इस कार को मध्यप्रदेश के रहने वाले 44 वर्षीय रईस मोहम्मद मकरानी ने बनाया है। जो पेशे से मैकेनिक हैं और महज 12वीं पास हैं। बिना किसी मैकेनिकल पढ़ाई किए रईस मकरानी ने जो कारनामा कर दिखाया है। मोहम्मद मकरानी द्वारा बनाई गई पानी से चलने वाली इस कार के लिए उन्होंने पेटेंट भी कराया हुआ है। खबर है कि मकराने के इस पेटेंट के आधार पर इस कार का निर्माण एक चाइनीज कंपनी करेगी। हालांकि सोशल मीडिया पर बारे में कहा जा रहा है कि भारतीय कंपनियां कहां पर है और उन्होंने रईस से क्यों संपर्क नहीं किया।

मकरानी ने बताया कि, उन्होंने 2007 में एक प्रयोग शुरू किया। उसके बाद सन 2012 में मारुती 800 को बदल कर एक ऐसी कार बना दी जो पानी से चलती है। इंजन को बनाने और स्टार्ट करने में मकरानी करीब डेढ़ साल का समय लगा। इस कार में 796cc इंजन लगा हुआ है। इसके साथ ही ये कार 50 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार दौड़ती है। इस इनवेंशन के लिए मकरानी को दुबई और चाइना की कंपनी से भी कॉन्ट्रेक्ट मिला है। लेकिन उन्होंने मेक इन इंडिया से इंस्पायर हो इन सभी ऑफर को रिजेक्ट कर दिया।

पानी चलने वाली यह कार कोई छोटी मोटी नहीं बल्कि इसमें पूरी चार सीटें लगी है यानी ड्राइवर समेत चार सवारियां यात्रा कर सकती हैं। इस कार में एक टैंक दिया गया है जिसमें पानी भरा जाता है। पानी के साथ जरा कैमिकल और चूना जैसा कुछ पदार्थ डाले जाते हैं। इसके इसमें एसेटिलेन गैस बनती है जिस पर यह कार चलती है। इस गैस से कोई प्रदूषण भी नहीं होता और कार भी अच्छी गति से दौड़ती है।