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Thursday, May 21, 2020

जींद के गांव मोरखी में लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से राज्य का पहला बायोगैस आधारित पावर प्लांट हुआ चालू


चंडीगढ़, 21 मई- हरियाणा में जिला जींद के गांव मोरखी में लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से राज्य का पहला ग्रिड से जुड़ा 1.2 मेगावाट क्षमता का बायोगैस आधारित पावर प्लांट चालू किया गया है। इस प्लांट में 85 लाख यूनिट वार्षिक बिजली उत्पादन होगा।
हरियाणा के बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री रणजीत सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि प्लांट की स्थापना मैसर्ज मोर बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई है और इसमें उत्पन्न होने वाली समस्त बिजली की खरीद हरियाणा बिजली नियामक आयोग द्वारा तय की जाने वाली दर पर हरियाणा बिजली खरीद केंद्र द्वारा की जाएगी।
मंत्री ने कहा कि बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग की संयुक्त टीम द्वारा गांव मोरखी में स्थापित इस बायोगैस आधारित पावर प्लांट का 80 प्रतिशत क्षमता के साथ 11 से 15 मार्च,2020 तक तीन दिवसीय ट्रायल किया गया। इस प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए मुख्य रूप ïसे पोल्ट्री के कचरे और गोबर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें लगभग 180 टन प्रतिदिन जैविक कचरे की खपत होगी और बिजली के अलावा लगभग 15 टन प्रतिदिन जैविक उर्वरक का उत्पादन होगा।
उन्होंने कहा कि इस प्लांट के अपशिष्ट घोल में नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होगी, जिसका उपयोग फसलों के लिए जैविक उर्वरक के रूप में किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से पर्यावरण में मीथेन गैस का रिसाव नहीं होगा और राज्य में पोल्ट्री फार्मों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।
मैसर्ज मोर बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के श्री राजकुमार ने बताया कि क्षेत्र में स्थापित अपने पोल्ट्री फार्मों के कचरे से उत्पन्न प्रदूषण एवं स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने और पोल्ट्री कचरे का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने इस परियोजना की स्थापना के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग से संपर्क किया था। उन्होंने बताया कि इस प्लांट के लिए उन्होंने सीएसटीआर तकनीक को अपनाया है और बायोगैस उत्पन्न करने के लिए 14500 क्यूबिक  क्षमता के डाइजेस्टरों का निर्माण किया गया है। लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित इस प्लांट के लिए लगभग 50 प्रतिशत फीड सामग्री इन-हाउस उत्पन्न हो रही है और बाकी सामग्री की खरीद आसपास के पोल्ट्री और डेयरी फार्मों से की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्लांट में उत्पन्न जैविक उर्वरक की आपूर्ति आस-पास के किसानों और मशरूम उत्पादकों को की जा रही है। इस परियोजना ने आसपास के क्षेत्रों में पोल्ट्री फार्मों के कारण उत्पन्न प्रदूषण की समस्या को काफी हद तक कम कर दिया है।
श्री रणजीत सिंह ने कहा कि पोल्ट्री कूड़े के निपटान का यह सबसे अच्छा वैज्ञानिक तरीका है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी प्रदेश में बायोगैस आधारित परियोजनाओं की स्थापना को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि क्षेत्र के अन्य पोल्ट्री उद्योग भी इस परियोजना से प्रेरित होकर कम्प्रेस्ड बायोगैस या बायोगैस आधारित बिजली परियोजनाएं स्थापित करने के लिए आगे आएंगे और अपनी लाभप्रदता बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा भी ऐसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बिजली परियोजना से बिजली की खरीद करके वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) अपने नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) को पूरा करेंगी।

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