एक बार में सामाजिक दूरी बनाते हुए केवल पचास सत्संगियों के सत्संग सुनने की व्यवस्था के लिए एप्प बनाया किया।
भिवानी : भले ही हर किसी को लॉकडाउन अखर रहा हो, लेकिन दिनोद स्थित राधा-स्वामी आश्रम के श्रद्धालु लॉकडाउन के नियमों का सही ढंग से पालन कर रहे है। भक्तों की संख्या सुनिश्चित करने के लिए आश्रम प्रशासन ने एप बनाया है, जिसके माध्यम से केवल 50 भक्तों को सत्संग सुनने की अनुमति होगी। एप पर इससे ज्यादा लोगों का पंजीकरण नहीं हो सकता, जो व्यक्ति पंजीकरण कराने से रह गया, उसके अगले दिन सत्संग सुनने का मौका मिलेगा। वह भी एप पर पंजीकरण करने के बाद ही आश्रम में दाखिल हो सकते है। मंदिर में सत्संग सुनने वाले भक्तों को मंदिर कमेटी द्वारा बनाए गए एप पर अपना पंजीकरण कराना होगा। इस एप पर पहले आओ पहले पाओ के आधार पर पंजीकरण किया जा रहा है। जब अगले दिन सत्संग शुरू होता है। उस वक्त सत्संग भवन के द्वार पर एप में पंजीकृत ही लोगों को सत्संग भवन में पहुंचने दिया जाता है। इस दौरान अन्य किसी को अंदर नहीं जाने दिया जाता। सत्संग भवन में पहले से ही 50 लोगों के लिए बैठने की सोशल डिस्टेंस के हिसाब से बैठने की व्यवस्था होती है। सत्संग में आने वाले हर व्यक्ति को संत हुजूर कंवर साहेब कहते है कि वे खुद तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों का पालन करंे और पांच-पांच लोगों को इस बारे में मोटिवेट करें। उन लोगों को हर वक्त मास्क पहने व सोशल डिस्टेंस अपनाने का आह्वान करें। लोगों में कोरोना संक्रमण को फैलने से बचाने के लिए जागरूक करें। हर श्रद्धालु इन नियमों का खुद भी पालन करें और दूसरों को भी पालन करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि राधा स्वामी दिनोद पूरी तरह डब्ल्यूएचओ के नियमों प्रत्येक श्रद्धालु कड़ाई से पालन करें। राधा स्वामी दिनोद जो हमेशा साामजिक गतिविधियों में भाग लेता रहा है। मसलन पेड़ लगाना, भ्रूणहत्या के खिलाफ, पॉलिथिन पर प्रतिबंध, जल संरक्षण पर मुहिम शुरू की हुई है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान भी आश्रम की तरफ से प्रवासी मजदूरों को खाना, चिकित्सकों को सुरक्षा उपकरण व लोगों में मास्क वितरण का कार्य चलाया।जो कोई व्यक्ति उस दिन एप पर अपना पंजीकरण करने से चूक जाता है तो वह अगले दिन एप पर सत्संग के लिए फिर से पंजीकरण कर सकता है। सेनिटाइज से साफ करवाए जाते हैं हाथ मंदिर में एप पर पंजीकृत हर व्यक्ति के सत्संग भवन के मुख्य द्वार पर पहुंचते ही सेवादार उनके हाथों को सेनिटाइज से धुलवाते है। साथ ही यह श्रद्धालु के चेहरे पर मास्क लगाना सुनिश्चित करवाया जाता है। अधिकतर श्रद्धालु चेहरे पर मास्क लगाए हुए ही पहुंच रहे है, लेकिन कई बार एक-दो श्रद्धालु बिना मास्क पहुंचते है तो उनको मास्क उपलब्ध करवाया जाता है। इस मामले में किसी तरह की कोई ढ़िलाई नहीं बरती जा रही है।
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