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Friday, July 10, 2020

पशुओं की तरह अब मछलियाें का भी कराया जा रहा कृत्रिम गर्भाधान, 72 घंटे में देंगी जन्म

पशुओं की तरह अब मछलियाें का भी कराया जा रहा कृत्रिम गर्भाधान, 72 घंटे में देंगी जन्म

लंबी रिसर्च के बाद लखनऊ के वैज्ञानिकाें ने पद्धति और किट की तैयार, देशभर के किसानों काे भी मछलियाें की नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान के प्रति किया जा रहा जागरूक

हिसार :  पशुओं की तरह अब मछलियाें की नस्ल सुधार और किसानाें की आय दाेगुना करने के उद्देश्य से यूपी के राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे लखनऊ ने लंबी रिसर्च के बाद विशेष प्रकार किट और पद्धति तैयार की है। इसके माध्यम से मछलियों का भी कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकेगा।

राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे के निदेशक डाॅ. कुलदीप के लाल के नेतृत्व में वैज्ञानिकाें का दल हिसार के डाबड़ा गांव के फिश फार्म हाउस संचालक अजय वीर सिंह और अर्जुन सिंह के यहां पर पहुंचा। यहां पर हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ ने राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे के निदेशक कुलदीप के लाल और प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. सुलिप कुमार माझी से विशेष बातचीत की।

निदेशक कुलदीप के लाल ने बताया कि संस्थान द्वारा मछलियाें में हाेने वाली डिजीज काे लेकर कई रिसर्च चल रही है। हाल ही में मछलियाें के कृत्रिम गर्भाधान के लिए पद्धति तैयार की है। जिसके माध्यम से मछलियाें का भी कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकेगा। किट के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान कराने पर 72 घंटे के अंदर ही मछली बच्चे काे जन्म दे सकेंगी। मुख्य उद्देश्य मछलियाें की नस्ल में सुधार करना है। यानि अच्छी नस्ल की मेल मछली से फीमेल मछली काे गर्भाधान कराकर अच्छी नस्ल का बच्चा पैदा कराया जा सकेगा।

इससे जहां किसानों के उत्पादन में बढ़ाेतरी हाेगी। वहीं उनकी आमदनी भी बढ़ सकेगी। निदेशक ने बताया कि किसानाें काे कृत्रिम गर्भाधान के प्रति जागरूक करने के लिए हरियाणा के अलावा मध्य प्रदेश और बिहार में भी एक टीम जागरूक करने के लिए भेजी है। जल्द ही देश के सभी प्रदेशाें में जाकर मछली के अत्याधुनिक पालन के प्रति किसानाें काे जागरूक किया जाएगा।

*स्पर्म काे एक्टीवेट करने के लिए सिर्फ एक मिनट का हाेता है समय*

राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. सुलिप कुमार माझी ने बताया कि जिस तरह से पशुओं में फीमेल काे गर्भवती कराने के लिए 16 से 18 घंटे का समय हाेता है, उस तरह मछलियाें में नहीं हाेता। फीमेल मछलियाें काे गर्भवती कराने के लिए स्पर्म एक्टीवेट करने काे सिर्फ एक मिनट का समय मिलता है। यदि एक मिनट में स्पर्म काे यूज नहीं किया जाता है ताे वह व्यर्थ हाे जाता है।

*कृत्रिम गर्भाधान के लिए यूं किया जाता है प्रयाेग*

मेल मछली का स्पर्म निकालकर उसकाे मिश्रण में मिलाकर -196 डिग्री तापमान के अंदर रखते हैं। इसके बाद स्पर्म काे -196 डिग्री से गर्म करके 40 डिग्री सेल्सियस तक लाया जाता है। इसके बाद फीमेल मछली के अंडे में मिक्स किया जाता है। इसके बाद फर्टिलाइजेंशन कर करीब 72 घंटे में बच्चे काे लिया जा सकता है।

कार्यक्रम में किसानों से मांगे सुझाव

राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे और स्थानीय मत्स्य पालन विभाग ने डाबड़ा गांव में अजय वीर के फिश फार्म हाउस पर प्रजनकाें के अनुवांशिक उन्नयन के लिए मत्स्य मिल्ट हिमपरिरक्षण कार्यक्रम आयाेजित किया गया। इसमें राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे के निदेशक कुलदीप के लाल प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. सुलिप कुमार माझी ने किसानों काे मछलियाें के कृत्रिम गर्भाधान के बारे में जानकारी दी।
यही नहीं किट के माध्यम से प्रेक्टिकल रूप से भी कृत्रिम गर्भाधान कराया दिखाया। इसके अलावा फिश फार्म के संचालक अजय वीर सिंह और उनके बेटे अर्जुन सिंह ने भी किसानों काे मछली पालन कर आमदनी बढ़ाने के बारे में बताया।

एचएयू में फिशरीज काॅलेज के अधिकारियाें से भी मिले निदेशक

राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे के निदेशक कुलदीप के लाल एचएयू के फिशरीज काॅलेज की डीन डाॅ. रचना गुलाटी से भी मिले। एचएयू में जाकर फिशरीज के क्षेत्र में किए जा रहे कार्याें के बारे में भी जानकारी हासिल की।

*कई रिसर्च चल रही: डा. कुलदीप*

मुख्य उद्देश्य मछलियाें की नस्ल सुधार व किसानों की आय दाेगुना करना है। मछलियाें काे लेकर संस्थान में और भी कई रिसर्च चल रही हैं। जिन्हें जल्द ही सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा।'' - डाॅ. कुलदीप के लाल, निदेशक, राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिक संसाधन ब्यूराे।

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