लॉकडाउन में रोडवेज को 850 करोड़ का घाटा, पड़ोसी राज्य नहीं दे रहे संचालन की अनुमति
चंडीगढ़। कोरोना की वजह से हरियाणा में पिछले कई माह से बंद पड़ी अंतरराज्यीय बस सेवा अभी शुरू होने के आसार नहीं हैैं। पड़ोसी राज्यों की तरफ से इसकी स्वीकृति नहीं दी जा रही है। नतीजतन,रोडवेज का घाटा लगातार बढ़ रहा, वहीं लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। परिवहन विभाग के अधिकारी पड़ोसी राज्यों के साथ लगातार तालमेल कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं से भी बसों के संचालन की अनुमति नहीं मिली है। अब तक रोडवेज का घाटा 850 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि बसों का आवागमन पहले की तरह हो जाए, लेकिन इसके लिए दूसरे राज्यों की सहमति जरूरी है। हरियाणा रोडवेज का बेड़ा करीब 4200 बसों का है। इनमें से फिलहाल 1187 बसें ही चल पा रही हैं। वोल्वो बसों का संचालन अभी नहीं हो पा रहा है। दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच बसों का संचालन नहीं है।
हरियाणा रोडवेज की बसें विभिन्न जिलों से अब केवल पंचकूला तक आ रही हैं। चंडीगढ़ में उनकी इंट्री बंद है और दिल्ली में भी बसों को जाने की अनुमति नहीं है। फरवरी 2020 में कोरोना के असर से ठीक पहले रोडवेज की बसों में 292.40 लाख यात्रियों ने सफर किया था। मई में यह घटकर 2.87 लाख रह गए। फरवरी में जहां 285.11 लाख किलोमीटर रोडवेज बसें चली थी, मई में यह घटकर केवल 24.93 लाख रह गई।
हरियाणा सरकार 15 जुलाई से बसों का संचालन सामान्य करना चाहती थी लेकिन पड़ोसी राज्यों का सहयोग नहीं मिला है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व दिल्ली में अभी भी रोडवेज की बसें नहीं जा रही हैं। यूपी व राजस्थान में नाममात्र बसें जा रही हैं। परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के अनुसार दूसरे प्रदेशों के परिवहन अधिकारियों के साथ हम बातचीत कर रहे हैं। यदि पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड एनओसी देंगे तो हम रोडवेज बसों का संचालन शुरू कर देंगे।
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