सहकारिता मंत्री ने किया राष्ट्र की अखंडता के प्रतीक डॉ प्रसाद मुखर्जी की 119 वीं जयंती पर नमन
(पंकज कुमार) रेवाड़ी, 6 जुलाई।* भारतीय जनसंघ के संस्थापक, शिक्षाविद्घ ,देश की एकता व अखंडता के प्रतीक, महान राष्ट्रवादी और मां भारती के सच्चे सपूत थे डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी । प्रदेश के सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल ने प्रखर राष्ट्रवादी डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 119 वीं जंयती पर उन्हें नमन करते हुए यह बात कही।
एकता व अंखडता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान
डॉ बनवारी लाल ने डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने देश की एकता व अंखडता के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया । इसलिए उन्हें एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता के रूप में याद किया जाता है। सहकारिता मंत्री ने बताया कि 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी का जन्म हुआ। डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डॉ मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक, देशभक्त और सिद्धान्तवादी नेता थे।
डॉ बनवारी लाल ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर को लेकर नारा दिया था 'एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे'। धारा 370 के मुखर विरोधी रहे मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया। बावजूद इसके, लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया।
डॉ बनवारी लाल ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद का भी त्याग किया । कश्मीर से धारा 370 हटवाने और अखंड भारत का सपना लेकर कश्मीर यात्रा पर रवाना हुए।
डॉ मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आजम) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। इसी दौरान पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई। डॉ बनवारी ने कहा कि पी एम मोदी ने कश्मीर से धारा 370 हटाकर मां भारती के सच्चे सपूत डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार किया। आज हमे यह कहते हुए गौरव की अनुभूति होती है कि हरियाणा सरकार और भारत सरकार डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बताए देशहित के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रही है।
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