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Sunday, September 27, 2020

नड्डा की फाइनल टीम में हरियाणा से किसी भी भाजपाई को इसलिए नहीं मिली जगह पढ़िए

नड्डा की फाइनल टीम में हरियाणा से किसी भी भाजपाई को इसलिए नहीं मिली जगह पढ़िए


रोहतक : भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी  की अपनी टीम  फाइनल  कर दी है। नड्डा की नई टीम में हरियाणा से किसी भी बड़े नेता को शामिल नहीं किया गया है। हरियाणा से कई नेता उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें जेपी नड्डा अपनी टीम में ले सकते हैं, लेकिन सब के सब ख्वाब धरे रह गए हैं। हरियाणा से सांकेतिक रूप से केवल दिल्ली में रहने वाले राज्यसभा सांसद दुष्यंत को जगह दी गई है, जिनका प्रदेश से केवल इतना ही संबंध है कि वो जोड़-जुगाड़ से यहां से राज्यसभा सांसद बने हैं। राजस्थान से राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव जो की गुरुग्राम निवासी हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी जेपी नड्डा से हाल में मुलाकात की थी और इसको देखकर कयास लगाए जा रहे थे कि मनोहर लाल के ही किसी नजदीकी को नड्डा अपनी टीम में लेंगे लेकिन फिलहाल तो हरियाणा की तरफ उन्होंने झांककर भी नहीं देखा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पूरे कैंप को नड्डा से निराशा से मिली है।

*हरियाणा प्राथमिकता पर क्यों नहीं*
भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा अब प्राथमिकता पर नहीं है क्योंकि ना तो यहां अब कोई बडा चुनाव नजदीक हैं और ना ही यहां के किसी नेता का पडोस के चुनावों में उपयोग किया जा सकता है। धनखड़ पहले किसान मोर्चा में काम कर चुके हैं अब वो प्रदेश प्रभारी हैं इसलिए उनको जगह देने का मतलब बनता ही नहीं था। मुख्यमंत्री खेमे की तरफ से जरूर करनाल के सांसद संजय भाटिया को जगह दिलाने की कोशिश रही लेकिन ये कोशिश सफल नहीं हो सकी है। राजस्थान के सियासी संकट में कांग्रेस के बागी विधायक हरियाणा में ही ठहरे थे लेकिन इसका भी फायदा कांग्रेस ही उठा ले गई तो ऐसे में हरियाणा से भी कोई नेता नड्डा की नजर में हीरो नहीं बनकर उभरा। हरियाणा से आधा दर्जन नेताओं को फिलहाल भाजपा की नई सूची से निराशा ही मिली है।

*अभी देनी है अग्नि परीक्षा*
मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने पिछले कार्यकाल के मुकाबले इस बार गठबंधन की बैसाखियों पर खड़ी अपनी सरकार तो बना गए हैं लेकिन बरौदा में उनकी अग्नि परीक्षा होनी ही है। वहां उपचुनाव की डेट भी जल्द मिलने वाली है। इनेलो से भाजपा में आए कई नेताओं के सुर बदले हुए हैं और गाहे बगाहे सरकार के पसीने निकाल रहे हैं। निर्दलीय बलराज कुंडू और जजपा के विधायक भी मौके पर चौका लगाते नजर आ रहे हैं और मुख्यमंत्री का पूरा खेमा बैचेनी में है। बरौदा में जेपी दलाल के मैनेजमेंट से फिलहाल तो बात बनती दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि पहले पीटीआई का मसला और किसानों का मसला भाजपा के सारे मंसूबों पर पानी फेरता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा के नेता ही नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी जहां जा रहे हैं वहां बर्खास्त पीटीआई टीचर्स उनका खेल खराब करते दिखाई देते हैं। ऐसे में भाजपा और जजपा के नेताओं का बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। अब पीटीआई टीचर्स पर दर्ज मुकदमों ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। राजनीति और कोर्ट के चक्कर में बर्बाद हो चुके पीटीआई टीचर्स पर मुकदमे आने वाले समय में भाजपा की परेशानी ही। इसके अलावा बरौदा में पूरा मुकाबला भूपेंद्र सिंह हुड्डा वर्सिज मनोहर लाल होने वाला है। कंडीडेट तो सिर्फ नाम के होंगे। वहीं अभय चौटाला ने वहां पूरा जोर लगा रखा है और दोनों का खेल खराब करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। बरौदा में अगर भाजपा हारती है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को खुद का बचाव करना मुश्किल हो जाएगा। 
यमंत्री मनोहर लाल अपने पिछले कार्यकाल के मुकाबले इस बार गठबंधन की बैसाखियों पर खड़ी अपनी सरकार तो बना गए हैं लेकिन बरौदा में उनकी अग्नि परीक्षा होनी ही है। वहां उपचुनाव की डेट भी जल्द मिलने वाली है। इनेलो से भाजपा में आए कई नेताओं के सुर बदले हुए हैं और गाहे बगाहे सरकार के पसीने निकाल रहे हैं। निर्दलीय बलराज कुंडू और जजपा के विधायक भी मौके पर चौका लगाते नजर आ रहे हैं और मुख्यमंत्री का पूरा खेमा बैचेनी में है। बरौदा में जेपी दलाल के मैनेजमेंट से फिलहाल तो बात बनती दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि पहले पीटीआई का मसला और किसानों का मसला भाजपा के सारे मंसूबों पर पानी फेरता हुआ दिखाई दे रहा है। भाजपा के नेता ही नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी जहां जा रहे हैं वहां बर्खास्त पीटीआई टीचर्स उनका खेल खराब करते दिखाई देते हैं। ऐसे में भाजपा और जजपा के नेताओं का बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। अब पीटीआई टीचर्स पर दर्ज मुकदमों ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। राजनीति और कोर्ट के चक्कर में बर्बाद हो चुके पीटीआई टीचर्स पर मुकदमे आने वाले समय में भाजपा की परेशानी ही। इसके अलावा बरौदा में पूरा मुकाबला भूपेंद्र सिंह हुड्डा वर्सिज मनोहर लाल होने वाला है। कंडीडेट तो सिर्फ नाम के होंगे। वहीं अभय चौटाला ने वहां पूरा जोर लगा रखा है और दोनों का खेल खराब करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। बरौदा में अगर भाजपा हारती है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को खुद का बचाव करना मुश्किल हो जाएगा। 

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