वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे:आपका किसी के साथ बिताया एक मिनट सुसाइड के विचार को रोक सकता है
हिसार : सिविल अस्पताल में वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे पर लगाए शिविर में डॉ. पूनम दहिया और डॉ. शालू ढांडा लोगों की काउंसलिंग करते हुए।
आर यू ओके से करें बातचीत की शुरुआत, मन की बात कहने व जानने से दिमाग का बोझ होता है कम
आपका किसी के साथ बिताया सिर्फ एक मिनट उसकी मनोस्थिति पर हावी सुसाइड के विचार को रोक सकता है। बस जरूरी है सिर्फ उससे आर यू ओके से बातचीत की शुरुआत करने की। तब आप बातों-बातों में उसके मन की बात जानकर समस्या के समाधान में मदद करके सुसाइड की राह से भटकाकर जीवन बचा सकते हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार जब समस्याओं से घिरा व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है तब उसके जहन में सुसाइड के विचार आने लगते हैं।
इसलिए किसी को समस्याओं के भंवर में अकेला छोड़ने की बजाय उसके साथ खड़े होकर हौसला दें। यही वजह है कि इस बार 10 सितंबर को मनाए विश्व सुसाइड प्रीवेंशन डे की थीम को वॉकिंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड एंड टेक ए मिनट रखा है। विश्व में हर 40 सेकेंड में 1 व्यक्ति सुसाइड करता है। यह कदम किसी समस्या का समाधान नहीं है।
सिविल अस्पताल के मनोरोग विभाग द्वारा विश्व सुसाइड प्रीवेंशन डे पर विशेष शिविर लगाया। इसमें 100 के करीब लोग पहुंचे। इनमें से 2 मामले ऐसे भी थे, जोकि अपनी भिन्न समस्याओं के चलते सुसाइड की सोच रहे थे। काउंसलिंग के जरिए उनके सुसाइड के विचार को परिवर्तित करके नई दिशा दिखाई है।
क्या है आर यू ओक व थीम का मतलब
आर यू ओके: अंग्रेजी में शॉर्ट फार्म में शब्द लिखने पर यह पढ़ा जाएगा रोक। रोक यानी रोकना लेकिन आरयूओके का मतलब आप ठीक हैं। दोनों का एक ही मतलब है कि किसी से बातचीत करके सुसाइड करने से रोकना।
वॉकिंग टुगेदर टू प्रिवेंट सुसाइड: कोई खुद को अकेला महसूस कर रहा है। बार-बार मरने की बात कह रहा है या एकांत में ज्यादा रहता है। खुशियों में भी उदास है और घर या कार्य स्थल पर भागीदारी नहीं है तो ऐसा व्यवहार सचेत करता है। उनका साथ दें और अपनी बातों में शामिल करें। जितना समय उनके साथ बिताएंगे उनके मस्तिष्क में सुसाइड का विचार नहीं आएगा। सोच बदलेगी तो जीवन को नये अंदाज में जी सकेंगे।
टेक ए मिनट: एक मिनट बातचीत को शुरू करने, एक मिनट मन की बात जानने, एक मिनट मन की बात बताने, एक मिनट समस्या का समाधान करने या फिर सुझाव देने, एक मिनट सुसाइड के विचार को परिवर्तित करने। यह एक मिनट जरूरी नहीं कि अपनों के साथ बल्कि जाने-अनजाने किसी पार्क, कार्य स्थल, पड़ोस फिर सबसे अलग एकांत में बैठे लोगों से बातचीत कर सकते हैं।
काउंसिलिंग से इनके हुए विचार परिवर्तित
एक व्यक्ति को 60-65 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था। तीन साल से भरपाई नहीं कर पाया। उसके जहन में सुसाइड का ख्याल आने लगा। किसी ने उससे बात कर मन की बात जानी। सिविल अस्पताल ले आया। मनोरोग विशेषज्ञों ने काउंसिलिंग की तो सुसाइड का विचार नहीं है।
लॉकडाउन में पति संग तकरार बढ़ गई। मामला तलाक तब पहुंच गया लेकिन उनके बीच घरेलू हिंसा जारी है। काउंसिलिंग के लिए दंपति मनोरोग विशेषज्ञ के पास पहुंचे। महिला ने कहा मैं तो सुसाइड करूंगी। काउंसलर ले समझाया तो उनके विचार परिवर्तित हुए।
क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ
मनाेरोग ओपीडी में प्रत्येक माह में 4 से 5 लोग ऐसे आते हैं जोकि सुसाइड की बात करते हैं। वहीं 50 से 60 केस डिप्रेशन संबंधित होते हैं जिनमें सुसाइड के विचार आ सकते हैं। इसके मुख्य कारण गरीब, नशा, आर्थिक नुकसान, बेरोजगारी, लंबी बीमारी, घरेलू हिंसा इत्यादि हैं। ऐसे मनोरोगियों का दवा के साथ काउंसिलिंग से इलाज करते हैं। काफी मामलों में सुसाइड प्रीवेंशन संभव है जिसमें हमारे अलावा परिवार व समाज की भूमिका अहम होती है। सर्पोटिंग या सहयोग कई समस्याओं का समाधान है उनमें से एक है सुसाइड। मन का हाल जानना व बताना जरूरी है। इससे काफी राहत मिलती है। आशावादी बनें।- डॉ. पूनम दहिया, मनोरोग विशेषज्ञ।
No comments:
Post a Comment