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Saturday, February 27, 2021

28 वर्ष पहले 501 कन्याओं से चला पूजन का सिलसिला पहुंचा 8100 पर-मां के जयकारों के बीच

28 वर्ष पहले 501 कन्याओं से चला पूजन का सिलसिला पहुंचा 8100 पर

-मां के जयकारों के बीच कन्याओं का हुआ पूजन
-बेटियों की महत्ता का संतों और नेताओंं ने जमकर किया गुणगान

जींद : ( संजय तिरँगाधारी ) 
28 वर्ष पहले जींद के महाभारत कालीन जयंती देवी मंदिर में गुप्त नवरात्रों के दौरान बेटियों को शिद्दत और समर्पण के साथ मान-सम्मान देने का जो सिलसिला चला था, वह 501 से इस कद्र बढ़ा कि आज 8100 कन्याओं के पूजन का रूप धारण कर गया। शुक्रवार को बेटियों की बड़ी संख्या और श्रद्धालुओं के सेवा जूनुन के कारण मंदिर में नजर आ रही व्यवस्था को देखने वाले दंग होकर रह गये। जयंता देवी मंदिर में चला आ रहा शतचंडी महायज्ञ शुक्रवार को पूर्णाहुति और बेटियों के हित में अलख जगाने तथा राष्ट्रहित में एकजुट रहने के आह्वान के साथ संपन्न हुआ। महायज्ञ में साधू-संतों, भाजपा के जिला प्रधान राजू मोर, समाज सेवी विकास जैन, जींद विकास संगठन के प्रधान डॉ. राजकुमार गोयल, वरदान अस्पताल की चेयरपर्सन मीना शर्मा, समाज सेवी वीरभान आर्य सहित हजारों श्रद्धालुओं ने पहुंचकर आहुति डाली। 

मंदिर के पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने कहा कि 28 वर्ष पूर्व 501 कन्याओं से शुरू हुआ पूजन का यह सिलसिला इस बार 8100 कन्याओं से संपन्न हुआ। इस मौके पर 56 स्कूलों से पहुंची कन्याओं का भव्य पूजन किया गया। जयंता देवी मंदिर के दरबार में बेटियों के हित में आवाज उठनेे के साथ-साथ राष्ट्रहित को सर्वोपरि बताते हुए संगठित रहने की अलख जगाई गई। मां के गूंजायमान जयकारों के बीच कन्याओं का पूजन करते हुए उनकी महत्ता का अतिथियों ने जमकर बखान किया। मां के दरबार में हुए इस भव्य धार्मिक समागम में कुरूक्षेत्र से पहुंचे वेदपाठी आचार्य नरेश कुमार और 51 पंडितों के साथ मिलकर मंत्रोच्चारण करते हुए नगर शांति की पूजा-अर्चना करवाई। इस मौके पर सुनील शांडिल्य, एसबीडी प्रिंसीपल राकेश वत्स, डॉ. आदित्य, मास्टर सोमवीर मलिक, विजय सचदेवा, अजय भोला, राम सुनेजा, सुरेश छातरिया, फूल कुमार, राजकुमार वर्मा, विशाल कामरा, डॉ. दिनेश, सागर कौशिक, राजेंद्र बतरा, सिद्धार्थ गोयल आदि श्रद्धालु मौजूद थे।
 इस भव्य कन्या पूजन में कार्यक्रम की शिक्षाविद सुभाष श्योराण, शिक्षाविद वजीर ढांडा, रामनिवास गुप्ता, सुरेंद्र राणा, रामनिवास शर्मा ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इस दौरान पुजारी नवीन शास्त्री ने अतिथियों को मां की लाल चुनरी भी प्रदान की। इस मौके पर जींद विकास संगठन प्रधान डॉ. राजकुमार गोयल ने कहा कि माता का दरबार सर्वोपरि है। जो व्यक्ति धर्म में आस्था रखेगा, वह निश्चित तौर पर किसी का बुरा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मां जयंती देवी के दरबार से बेटियों के हित में जो आवाज बुलंद होती आई है, वह अपना असर छोड़ रही है। जींद जिले का लिंगानुपात आज संतुलन की पटरी पर दौड़ रहा हैं। ऐसे आयोजन समाज को मजबूती देने का काम कर रहे हैं।

-200 श्रद्धालुओं ने 11 हजार लोगों को प्रसाद ग्रहण करवाया-

मंदिर श्रद्धालु एवं वरदान अस्पताल की चेयरपर्सन मीना शर्मा ने कहा कि आज देश की रक्षा में बेटियां, बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने कदम आगे बढ़ा रही है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, जहां बेटियां पूरी सक्रियता के साथ भागीदारी ना कर रही हो। उन्होंने कहा कि बेटियों की महत्ता को देखते हुए आज भव्य पूजन 200 श्रद्धालुओं के सहयोग से संपन्न हुआ। इन श्रद्धालुओं ने 8100 बेटियों सहित 11 हजार लोगों को प्रसाद ग्रहण कराया। स्वयंसेवकों ने जिस तरीके से भूमिका अदा की, उसके नतीजन व्यवस्था लाजवाब थी। कन्याओं को हलवा, पूरी, छोले, कड़ी-चावल के साथ-साथ केले का प्रसाद भी वितरित किया गया।

*-मां के दरबार से उठी आवाज असर दिखायेगी : मोर*

भाजपा के जिला प्रधान राजू मोर ने कहा कि कन्याओं की महत्ता को समझा जाने लगा है। मां जयंती देवी मंदिर में पिछले 28 वर्षों से कन्या पूजन का कार्यक्रम होना सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में बेटियों के प्रति लोगों की सोच बदल रही है। मां के दरबार में गुप्त नवरात्रों के दिनों जो आवाज उठी है, वह निश्चित तौर पर अपना असर दिखाएगी। उन्होंने कहा कि जींद जिले के लोग इस बात के लिए सराहनीय है कि उन्होंने दक्कियानुसी बातों को छोड़कर बेटियों के गुणों की पहचान करनी शुरू कर दी है।

*-कन्याओं के पूजन से फैलती है सुख-शांति-*

सिद्धपीठ मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने कहा कि गुप्त नवरात्रों में शक्ति स्वरूपा कन्याओं के पूजन से वातावरण में जो सुख और शांति का माहौल बनता है, उसके कारण नाकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। उन्होंने कहा कि मां के दरबार में गुप्त नवरात्रों में जो प्रतिदिन सवा लाख नवार्ण मंत्रों का जाप हुआ, उससे निश्चित तौर पर शहर में शांति आएगी।
फोटो कैप्शन : जयंता देवी मंदिर में प्रसाद ग्रहण करती कन्याएं व अन्य श्रद्धालु

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