माउंट ब्लांक की सबसे ऊंची चोटी ऐल्प्स पर फतह करने जाएंगे रेवाड़ी के नरेंद्र
रेवाड़ी : मूल रूप से रेवाड़ी के गांव नेहरूगढ़ व हाल मानेसर निवासी सैनिक कृष्ण चंद के पुत्र एवं स्टार एक्स यूनिवर्सिटी गुरुग्राम एमए योगा प्रथम वर्ष के छात्र नरेंद्र यादव का चयन माउंट ब्लांक ऐल्प्स की सबसे ऊँची चोटी के लिए हुआ है। पहले ही पांच द्वीपों की सबसे ऊंची चोटी फतह कर चुके नरेंद्र यादव का लक्ष्य इस चोटी को सबसे कम समय में फतेह कर विश्व रिकार्ड अपने नाम दर्ज करवाने के साथ सात महाद्वीपों की चोटी को फतेह करना भी है। पर्वतारोहण में अब तक 18 विश्व रिकार्ड बना चुके नरेंद्र का यह सफर 8 जुलाई को दिल्ली से शुरू होगा तथा 17 जुलाई को मिशन पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यूरोप की सबसे बड़ी पर्वतमाला ऐल्प्स या आल्प्स मिशन के लिए चुने गए अन्तर्राष्ट्रीय दल में नरेंद्र भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। आल्पस पर्वत की सबसे ऊंची चोटी माउंट ब्लेंक फ्रांस में स्थित है। पश्चिम से पूर्वात्तर की तरफ आठ यूरोपिय देशों से निकलने वाले पर्वत श्रृखंला की लंबाई करीब 1200 किलोमीटर है
ऐसे रहा है सफर 2012 में पर्वतारोहण में कदम रखने वाले नरेंद्र यादव ने 2015 में ऐमओआई के साथ कोर्स पास किया तथा 20 मई 2016 को नेपाल के रास्ते माउंट एवरेस्ट फतेह किया। अब तक 5 महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट, किलिमंजारो को दोबार, एलब्रुस को ट्रैवल्स में, कोजास्को व ऑस्ट्रेलिया की 10 सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया। जिनमें दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकंकागुआ भी शामिल है। पर्वतारोहण में 18 विश्व रिकॉर्ड बना चुके नरेंद्र का अगला लक्ष्य उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी देनाली, अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विंसन को फतह करना है। राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार तथा विश्व संस्थाओं द्वारा वर्ल्ड किंग के सम्मानि से सम्मानित नरेंद्र को पिछले वर्ष लॉस एंजिलिसडेवलपमेंटइंस्टिट्यूट,लॉस एंजिलिस( यूनाइटेड स्टेट्स) की तरफ से डॉक्टर ऑफ मोटिवेशन की उपाधि दी गई थी। देश भक्ति का जज्बा पर्वतारोही नरेन्द्र ने 15 अगस्त को यूरोप की एलब्रूश, साउथ अफ्रीका की किलिमांजारो पर वर्ल्ड रिकार्ड के साथ राष्ट्रीय गीत गाते हुए तिरंगा लहराया था। गुरूग्राम से जयपुर से गुरुग्राम वगुरुग्राम से देहरादून से गुरुग्राम तक साइकिल यात्रा कर स्वच्छता का संदेश दे चुके नरेंद्र ने दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकंकागुआ को फतह कर अपनी सफलता पुलवामा के शहीदों को समर्पित की थी।
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