सम्मानजनक आंकड़ा जरूर छुआ मगर पिछले सालों से कमजोर रही रैली
-सवाल-क्या नया राजनीतिक ठौर-ठिकाना ढूंढ रहे हैं वीरेंद्र सिंह
जींद ÷ ( संजय कुमार ) ÷ सम्मान दिवस रैली लोगों की हाजिरी की लिहाज से सम्मानजनक रही, मगर ताऊ देवी लाल की जयंती के मौके पर चौटाला परिवार द्वारा आयोजित आज तक हुई सभी रैलियों से फीकी रही। रैली में शामिल लोगों में पहले की रैलियों की भांति उत्साह कम था। नारों के अभाव रहा। हालांकि भाजपा नेता वीरेंद्र सिंह की उपस्थिति ने एकबारगी तो भीड़ में एक बार तो उत्साह भरने का काम किया। भाजपा में हाशिये पर चल रहे वीरेंद्र सिंह के संबंध में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या वे नया ठोर ठिकाना ढूंढ रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह के आगमन की सूचना को आयोजकों ने पूरी तरह अंतिम समय तक गुप्त रखा, मगर उनके आगमन पर स्वागत की तैयारियां पूरी रखी। सबसे पहले मंच पर पहुंचने वालों में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल जेडीयू नेता केसी त्यागी के साथ पहुंचे। उसके करीब आधा घंटा बाद रैली के मुख्य वक्ता व हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के साथ करीब अढ़ाई बजे मंच पर पहुंचे। तब तक यह भी स्पष्ट हो चुका था कि पूर्व प्रधानमंत्री एसके देवगौड़ा व यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह, फ़िल्म अभिनेता राजबब्बर व किसान नेता शिरकत नहीं करेंगे। सभी प्रमुख नेता मंच पर अग्रिम पंक्ति में बैठे। आयोजकों ने अग्रिम पंक्ति की एक कुर्सी खाली रखी। इसके बाद से जानकारों ने यह अंदाजा लगा लिया कि कोई बड़ा नेता चौंकाने वाले स्टाइल में शिरकत जरूर करेगा। ठीक सवा 3 बजे मंच पर पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह का आगमन हो गया। ऐलनाबाद से पूर्व विधायक अभयसिंह चौटाला जींद जिले के इनलो नेता व पूर्व विधायक रामफल कुंडू के साथ हाथ में फूलों का बुक्का लेकर अगुआई करने दौड़े। सम्मान से इन्हें मंच पर लाया गया। रैली के मंच पर अचानक वीरेंद्र सिंह को देखकर सुस्त पड़े इनेलो कार्यकर्ताओं में जोश भर गया। वे रह रहकर नारेबाजी करने लगे। रैली में उपस्थित लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाकर भाजपा नेता का अभिनंदन किया। वीरेंद्र सिंह की अचानक उपस्थिति ने लोगों में जोश भरने का काम किया।
*-जींद व आसपास की हाजिरी रही नाममात्र-*
रैली में अधिकांश लोग सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, अम्बाला, कुरुक्षेत्र, भिवानी आदि जिलों से पहुंचे थे। जींद, सोनीपत, रोहतक, झज्जर, मेवात व महेंद्र गढ़ आदि जिलों से रैली में हाजिरी काम ही दिखाई दी। फिर भी हाजिरी के लिहाज से रैली संख्या का सम्मानजनक आंकड़ा छू गई। लेकिन पहले के सालों में ताऊ देवीलाल की जयंती पर आयोजित हुई रैलियों से कमजोर रही।
*-नया राजनीतिक ठिकाना ढूंढ रहे हैं वीरेंद्र सिंह?*
पिछले काफी समय से भाजपा में वीरेंद्र सिंह एक तरह से हाशिये पर चल रहे हैं। यदाकदा उनकी टीस भी अप्रत्यक्ष तौर पर अपनी ही पार्टी व सरकारों के खिलाफ की गई बयानबाजी से झलकती रहती है। पिछले दिनों जींद दौरे पर आए आप नेता व राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता के साथ उनकी मुलाकतभी सुर्खियां बनी थी। किसान आंदोलन को लेकर वे कई मर्तबा खुलकर अपनी ही पार्टी की केंद्र व राज्य सरकार को निशाने पर ले चुके हैं। यह भी सर्वविदित है कि वे अपने सांसद बेटे को केंद्र में मंत्री बनाना चाहते है। उस प्रयास में वे असफल भी हुए हैं।
आप नेता सुशील गुप्ता से पिछले महीने मुलाकात के बाद आज सम्मान दिवस रैली में अचानक शामिल होकर भाजपा नेता वीरेंद्र सिंह ने राजनीतिक सवाल को जन्म दे दिया है कि क्या वे नया राजनीतिक ठोर ढूंढ रहे हैं, ताकि भविष्य में उनकी व परिवार की राजनीति सुरक्षित रह सकें। यह भाजपा में प्रेशर पोलटिक्स की ओर भी माना जा सकता है और भविष्य में उन द्वारा किये गए किसी राजनीतिक बदलाव की ओर भी संकेत कर रहा है।
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