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Friday, February 25, 2022

ससुर ने निभाया पिता का फर्ज, बेटे की मौत के बाद करवाई विधवा बहू की दूसरी शादी

ससुर ने निभाया पिता का फर्ज, बेटे की मौत के बाद करवाई विधवा बहू की दूसरी शादी


 हांसी ( हिसार ) ; रूढीवादी समाज की धारणा अब धीरे-धीरे बदल रही है। हरियाणा के हिसार  जिले के हांसी शहर में एक ससुर  ने अपने बेटे की मौत के बाद विधवा बहू को बेटी बनाकर  उसकी दूसरी शादी  करवाकर समाज के सामने मिसाल पेश की है। बहू भी बेटी ही होती है। 
*ऐसी मिसाल पेश की है हांसी के जयकुमार चौहान ने।*

 दरअसल हांसी के चारकुतुबगेट स्थित जिनियस पब्लिक स्कूल समीप रहने वाले समविचारक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयकुमार चौहान के बेटे सन्नी कुमार का पिछले वर्ष बिमारी के कारण निधन हो गया था। सन्नी अपने पीछे दो बच्चों साढ़े चार वर्ष का बेटा और एक बेटी व पत्नी को छोड़ गए। जिसके बाद जयकुमार चौहान से पुत्रवधु पूजा रानी का जवान अवस्था में विधवा का जीवन जीना रास नहीं आया और पूजा से सलाह करके उसका विवाह टोहाना निवासी सन्नी के साथ समाज और बिरादरी के लोगों की मौजूदगी में करवा दिया। इसके साथ ही उन्होंने बहू के नए जीवन जीने की शुरुआत करके समाज में अच्छी परम्परा की मिशाल पेश की है। जयकुमार ने ससुर की जगह बाप का फर्ज निभाया और खुद अपने हाथों से पूजा रानी का कन्यादान  कर उसकी डोली बेटी की तरह घर से विदा की। 

 *बेटी की तरह किया विदा* 

हांसी के चार कुतुब गेट निवासी ससुर जयकुमार ने विधवा बहू पूजा को बेटी की तरह विदा किया और कहा कि अब तुम यहां मायके की तरह आती जाती रहना। दोनों बच्चों में से बेटा दादा और बेटी बहू पूजा के साथ रहेगी। वहीं नवयुगल को बेटे का ध्यान रखना होगा। बहू से सलाह मशवरा करके ही करवाई शादी जय कुमार ने बताया कि उनकी बहू पूजा दोबारा शादी के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन उन्होंने उसे काफी समझाया। उन्होंने कहा कि उनकी ढलती उम्र है और उनके बाद पूजा अकेली रह जाएगी। ऐसे में उसके जीवन में साथ चलने एक साथी की जरूरत है। उनका बेटा तो कुछ दिनों का साथ देकर चला गया, लेकिन अब वह बहू को विधवा बनकर नहीं देख सकते थे, इसलिए उन्होंने पूजा के लिए दोबारा रिश्ता ढूंढा। उनके मायके से भी सहमति ली। बारात का भव्य स्वागत पूजा की शादी टोहाना के सन्नी के साथ हुई है। सन्नी जब बारात लेकर घर आया तो पूजा के ससुर ने पिता बनकर बारात का भव्य स्वागत किया और सामाजिक रीति-रिवाज के बीच कन्यादान भी किया। विदाई के वक्त न सिर्फ जय कुमार, डा. दलबीर सिंह, धर्मबीर की आंखें नम थी, बल्कि इसे देख वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए।

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