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Tuesday, April 26, 2022

खिलाडी ने डूबो दिया गांव का नाम:हिसार बैंक डकैती में जूडो गोल्ड मेडलिस्ट सोनी का नाम आने पर ग्रामीण स्तब्ध

खिलाडी ने डूबो दिया गांव का नाम:हिसार बैंक डकैती में जूडो गोल्ड मेडलिस्ट सोनी का नाम आने पर ग्रामीण स्तब्ध

हिसार : हरियाणा के हिसार का सोनी छाबा, वो नाम है, जिसे सुनकर जिलावासी पांच साल में दूसरी बार चौंके हैं। पहला मौका जुलाई-2017 में आया था, जबकि नंगथला के सोनी ने इंग्लैंड के भामास में यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने सभी मुकाबले जीत कर देश को गोल्ड दिलाया था। ग्रामीणों के साथ सरकार ने भी उसे उपहारों से लाद दिया था।
अब इस नाम से दूसरी बार लोग तब चौंके, जब हिसार के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 18 अप्रैल को हुई 16.19 लाख की डकैती का मास्टर माइंड उसे करार दिया गया। पांचवें साल ही वह अर्स से फर्स पर आ गया है। पकड़े जाने पर उसने यही कहा कि - मेरी किस्मत खराब थी, जो गलत आदमी की बातों में आकर भविष्य खराब कर बैठा।
जूडो के एक मुकाबले में विरोधी पर भारी पड़ते सोनी छाबा।

*कांस्टेबल की नौकरी से नहीं चला खर्चा*

सामने आया है कि इंग्लैंड के भामास में 17 से 20 जुलाई 2017 तक यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में मिली शोहरत और इनाम में आई राशि से उसे ऐशो आराम मिला, वह उससे पथभ्रष्ट हो गया। 12वीं पास सोनी को ITBP में कांस्टेबल की नौकरी उसे हल्की लगने लगी। वह अय्याशी और शान ओ शौकत में इतना डूब गया कि खर्च चलाने के लिए डकैती तक का सफर तय कर लिया। इससे पहले वह कांस्टेबल की नौकरी छोड़ने का प्रयास भी कर चुका है, लेकिन कंपनी की ओर से परमिशन नहीं मिली।
गाड़ी के साथ दिखता था हमेशा।

*पहले दो और फिर हुए पांच*

बताते हैं कि कार में घुमने वाले सोनी के खर्चे बढ़ते जा रहे थे। खेल पीछे छूट गया था और वह हमेशा इसकी फिराक में रहता कि करोड़ों रुपया कहां से जुटाए। इस बीच महावीर स्टेडियम में उसकी मुलाकात गांव भाठला के प्रदीप से हुई। वह पहले ही सदर हांसी थाना में शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज केस में जेल जा चुका था। दोनों मिलते तो मोटा हाथ मारने की प्लानिंग करने लगते। इस बीच सोनीपत के गांव सेहरी का नवीन भी उनके संपर्क में आया। नवीन के दो और दोस्त विकास और सोनू थे। पांचों की तिकड़ी बनने के बाद ही बैंक लूट की प्लानिंग की गई।
यूथ कॉमनवेल्थ में मेडल के साथ सोनी।

*जूडो फेडरेशन ने वहन किया था खर्च*

सोनी छाबा ने जुलाई-2017 के यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में ऑस्ट्रेलिया के निकोलिक उरोस को मात देकर भारत की झोली में स्वर्ण पदक डाला था। उसके कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने का पूरा खर्च जूडो फैडरेशन ने वहन किया था। 12वीं में पढ़ाई के दौरान सोनी हिसार में अपनी बुआ नीलम आर्य के पास रह कर जूडो की कोचिंग लेता था। बाद में नेशनल टीम में चयन होने के बाद पटियाला स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में प्रैक्टिस की थी।
*हिसार बैंक डकैती में इस्तेमाल गाड़ी ने पकड़वाया:*

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*कोई मैच नहीं हारा*

सोनी छाबा का भाई अश्वनी छाबा भी जूडो खिलाड़ी था। उसने अपने भाई से प्रेरणा लेकर नेशनल कैडेट एंड जूडो जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड, जूनियर वर्ल्ड स्कूल जूडो चैंपियनशिप व स्कूल नेशनल जूडो चैंपियनशिप सहित अन्य राष्ट्रीय-अंतर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीते थे। यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में उसने जितने भी मैच खेले वह सभी में जीता था। सरकार की ओर से भारी कैश अवार्ड उसे मिला था।
जूडो के मुकाबले में मेडल जितने के बाद सोनी।

*युवा मानते रहे हैं आदर्श*

कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल विजेता सोनी छाबा को गांव नंगथला के युवा अपने आदर्श मानते रहे हैं। ग्रामीणों ने भी गोल्ड जीतने पर उसे सिर आंखों पर बैठाया था। जुलाई-2017 में इंग्लैंड से गोल्ड लेकर लौटने पर उसका जोरदार स्वागत हुआ था। अब सोमवार को ग्रामीणों ने उसका नाम बैंक डकैती में आने की सूचना मिली तो स्तब्ध रह गए। ग्रामीणों ने बस इतना ही कहा कि छोरे ने डूबो दिया नाम। सोनी का परिवार 2013 में मां की मृत्यु होने के बाद बड़ा भाई अश्वनी व पिता बलवंत भी हिसार के जवाहर नगर में रहने लगे थे।

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