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Sunday, May 29, 2022

शरीर की तरह हमारा मन भी हो सकता है बीमार : डा. मंजू कादियान

शरीर की तरह हमारा मन भी हो सकता है बीमार : डा. मंजू कादियान

नैशनल मैंटल हैल्थ कार्यक्रम के तहत एनएनएम, स्टाफ नर्स को किया जागरूक
स्वास्थ्यकर्मियों को मानसिक तनाव से बचाव को लेकर करवाया अवगत

जींद : ( संजय कुमार ) ÷ जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल के टे्रनिंग सेंटर में वीरवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नैशनल मैंटल हैल्थ कार्यक्रम के तहत मैंटल हैल्थ पर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमओ डा. मंजू कादियान, पीएमओ डा. लोकवीर सिंह ने की जबकि              
एमएस डा. गोपाल गोयल, डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, डा. ब्रिजेंद्र, डा. संकल्प ने कार्यशाला में मौजूद रही लगभग 40 एएनएम, स्टाफ नर्स व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को मानसिक तनाव के बारे में तथा इससे बचने के तरीकों से अवगत करवाया। 
सीएमओ डा. मंजू कादियान ने कहा कि किसी भी शारीरिक बीमारी के लक्षण दिखते ही हम तुरंत डॉक्टर से सलाह लेते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि शरीर की तरह कभी हमारा मन भी बीमार हो सकता है और उसे भी पूरी देखभाल की जरूरत होती है। शरीर की भांति हमारा मन भी अलग-अलग लक्षणों के जरिये इस बात का संकेत दे रहा होता है कि उसे कोई तकलीफ  है। जिसे सही समय पर दूर करना आवश्यक है लेकिन जागरूकता के अभाव में हम इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं। मेंटल हेल्थ को लेकर आज भी कई लोग इसके लक्षणों को जानबूझ कर नजरअंदाज करने की कौशिश करते हैं जो आगे चल कर किसी गंभीर मनोरोग का रूप धारण कर लेते हैं। ऐसे में हमें इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
पीएमओ डा. लोकवीर सिंह ने कहा कि मानसिक परेशानियों के संदर्भ में सबसे अहम बात यह है कि इनसे पीडि़त व्यक्ति को स्वयं इसके लक्षणों का आभास नहीं होता है। ऐसी स्थिति में परिवार वालों और दोस्तों की यह जिम्मेदारी बनती है कि अगर उन्हें अपने आसपास किसी व्यक्ति में यहां बताए गए लक्षण दिखाई दें तो वे बिना देर किए उसे क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं। 
एमएस डा. गोपाल गोयल व डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने कहा कि 
कोरोना संक्रमण के कारण अधिकतर लोग मानसिक तौर पर कमजोर हुए हैं। इस स्थिति में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा फिल्ड में कार्यरत एएनएम, स्टाफ नर्सों को ऐसे लोगों के लक्ष्ण व उपचार के बारे में बताया गया है कि जैसे ही कोई ऐसा मरीज उनके संपर्क में आए तो तुरंत प्रभाव से उसे साइकोलॉजिस्ट चिकित्सक से उपचार के लिए प्रेरित करें। 
साइकोलॉजिस्ट डा. संकल्प ने बताया कि देखने में आ रहा है कि कई लोग डिप्रेशन का शिकार हैं और इसे लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी पाले  हुए हैं। सबसे पहले तो ऐसे लोग यह समझ लें कि डिप्रेशन पागलपन नहीं होता है और डिप्रेशन के मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। बस डिप्रेशन के इलाज के लिए सही जानकारी बहुत जरूरी है। इस समस्या से निजात पाने में चिकित्सक और मरीज के साथ-साथ उसके परिवार और दोस्तों का सहयोग बहुत जरूरी होता है। सबसे पहले डिप्रेशन दूर करने के लिए आठ घंटे की नींद लें। नींद पूरी होगी तो दिमाग तरोताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में कम आएंगे। प्रतिदिन सूरज की रोशनी में कुछ देर जरूर रहें। इससे अवसाद जल्दी हटेगा। बाहर टहलने जाएं। अपने काम का पूरा हिसाब रखें। ध्यान व योग को दिनचर्या में शामिल करें। आपको मेडिटेशन करना चाहिए। प्रकृति और पेड़, पौधों से प्यार करना दिमागी शांति के लिए काफी फायदेमंद है। एक्सरसाइज करने से हमारे दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ता है। म्यूजिक सुनना भी एक मददगार टिप है, जो आपके तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। डा. ब्रिजेंद्र ने स्वास्थ्यकर्मियों को जागरूक करते हुए कहा कि कुछ नया पाने और कुछ खो जाने का डर हमें अपने जीवन में तनाव और डिप्रेशन की तरफ  ले जाता है, इसीलिए इसे बचने की कौशिश करनी चाहिए और अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल करना चाहिए। इसके अलावा छात्रों को  परीक्षा या किसी दूसरे काम को कभी भी मानसिक बोझ नहीं बनने देना चाहिए। छात्र जीवन में बच्चों को हर तरह के मानसिक तनाव से दूर रहना चाहिए। तनाव दूर करने के लिए खेलों और मनोरंजक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। कोई भी परेशानी हो, उसे अपने परिजनों से अवगत करवाना चाहिए। इस मौके पर दिनेश कटारिया, अश्विन, रीना, मैनेजर रवि मलिक, प्रदीप सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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