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Monday, May 22, 2023

May 22, 2023

आमजन की समस्याओं का प्राथमिकता व पारदर्शिता के साथ समाधान करना हमारा नैतिक कर्तव्य : दलाल

आमजन की समस्याओं का प्राथमिकता व पारदर्शिता के साथ समाधान करना हमारा नैतिक कर्तव्य : दलाल
चंडीगढ़ , 22 मई - हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जयप्रकाश दलाल की अध्यक्षता में गुरूग्राम में जिला लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति की मासिक बैठक आयोजित हुई। इसमें 18 परिवादों की सुनवाई करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने 11 मामलों का निपटारा किया जबकि 7 मामलों में अगली बैठक तक अधिकारियों को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने बैठक में पहुंचे अन्य लोगों की शिकायतों की सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बैठक में कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आमजन की समस्याओं का प्राथमिकता और पूरी पारदर्शिता के साथ समाधान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदेश में इस प्रकार की व्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत है जिसमें आमजन के अधिकार व सरकार से जुड़ी सेवाएं उसे बिना किसी हस्तक्षेप के घर बैठे ही प्राप्त हो। कृषि मंत्री ने पिछली बैठक से आए एक परिवाद जिसमें  सोहना रोड स्थित सेक्टर 48 के बेलवुए सेंट्रल पार्क टू में संबंधित बिल्डर द्वारा प्रोजेक्ट को दो भागों में विभाजित कर वहां के निवासियों की आवाजाही को बंद करने के शिकायत पर कहा कि कोई भी बिल्डर लाइसेंस के नियमों व शर्तों के अनुसार सोसाइटी को अलग-अलग भागों में विभाजित नहीं कर सकता। ऐसे में सोसाइटी के निवासी संबंधित लाइसेंस प्रोजेक्ट में कहीं भी आवागमन कर सकते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि बैठक के उपरांत यदि बिल्डर संबंधित प्रोजेक्ट में लोगों को आवागमन को बाधित करता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
पिछली बैठक से आए एक अन्य परिवाद जिसमे शिकायतकर्ता ने बताया कि सेक्टर 14 में सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य पिछले कई साल से पेंडिंग है। इसके साथ ही भवन के निर्माण से पूर्व जो एस्टीमेट तैयार किया गया था वो राशि खर्च होने के बाद भी भवन का निर्माण अभी पूरा नही हुआ है। कृषि मंत्री ने इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए कहा कि जिला प्रशासन इस पूरे निर्माण कार्य की डिस्ट्रिक्ट विजिलेंस कमेटी से जांच कराने के साथ ही एक रिपोर्ट तैयार करे जिसमे जिला के ऐसे सभी प्रोजेक्ट को शामिल किया जाए जिनकी ओरिजिनल एस्टीमेट की राशि खर्च होने के बावजूद अभी निर्माण कार्य अधूरा है। कृषि मंत्री ने सेक्टर चार में विकास कार्यों से जुड़ी एक अन्य शिकायत में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सेक्टर में रोड, सीवरेज व स्ट्रीट लाइट सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तय समय मे कंसल्टेंट को अपॉइंट कर उससे डीपीआर तैयार करवाए। उन्होंने अगले एक सप्ताह में सेक्टर के रोड़ से मलबा हटाने व एक महीने में सेक्टर की सीवरेज की सफाई के भी निर्देश दिए। गुरुग्राम की अनाज मंडी से जुड़ी एक अन्य शिकायत में कृषि मंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि गुरुग्राम एक मिलेनियम सिटी है ऐसे में यहां की अनाजमंडी व सब्जीमंडी का सौन्दर्यीकरण आवश्यक है।
वहीँ ईसीएचएस पैनल के तहत बड़े निजी अस्पतालों में पूर्व सैनिकों को आपात स्थिति में बेड ना देने की एक शिकायत पर कृषि मंत्री ने सिविल सर्जन डॉ वीरेन्द्र यादव को निर्देश दिए कि वे ईसीएचएस पैनल अस्पतालों, पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक बुलाकर इस समस्या का निवारण करवाएं।
May 22, 2023

सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाएं होंगी पुरस्कृत

सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाएं होंगी पुरस्कृत
चंडीगढ़ , 22 मई -  भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कॉर्पोरेट हाउस, ऑटो इण्डस्ट्रीज एवं उनकी एसोसिएशन , विश्वविद्यालय की संस्थाएं, गैर सरकारी संगठनों की विभिन्न एजैन्सियां और ट्रस्ट सोसाईटी आदि को पुरस्कृत किया जाएगा।
इस बारे में जानकारी देते हुए 'यातायात एवं हाईवे करनाल' के पुलिस महानिरीक्षक श्री हरदीप सिंह दून  (आईपीएस) ने बताया कि बताया कि सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए जो संस्थाएं अच्छा कार्य कर रही हैं , उनको भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत किया जएगा। 
इसके लिए इच्छुक संस्था मंत्रालय की वैबसाइट https://morth.nic.in पर पंजीकरण के लिए 30 मई 2023 आवेदन कर सकते हैं। इस संबंध में इच्छुक संस्थाएं अपने-अपने प्रस्ताव ऑनलाईन पोर्टल पर भेज सकते हैं। हार्ड कॉपी पर विचार नहीं किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए कार्यालय पुलिस महानिरीक्षक यातायात एवं हाईवे हरियाणा करनाल के दूरभाष नम्बर 0184-2255900 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
May 22, 2023

हरियाणा में कल व परसों छुट्‌टी:5वें गुरु अर्जुन देव की शहादत पर लिया फैसला; कर्मचारी ले सकेंगे स्वैच्छिक अवकाश

हरियाणा में कल व परसों छुट्‌टी:5वें गुरु अर्जुन देव की शहादत पर लिया फैसला; कर्मचारी ले सकेंगे स्वैच्छिक अवकाश
चण्डीगढ़: हरियाणा सरकार ने सिख धर्म के 5वें गुरु अर्जुन देव जी के शहादत दिवस और महर्षि कश्यप जयंती के अवसर पर 23-24 मई को छुट्‌टी का ऐलान किया है। 2 दिन राज्य के सभी सरकारी ऑफिस और स्कूल में कार्यरत इस सरकारी ऐलान के तहत स्वैच्छिक अवकाश ले सकते हैं।। सरकार ने विभागों, बोर्डों, निगमों और शैक्षणिक संस्थानों में वैकल्पिक अवकाश के तौर पर इसे मनाने की घोषणा की है।
इससे पहले हरियाणा सरकार के कैलेंडर के अनुसार इसे वैकल्पिक अवकाश घोषित किया गया था, लेकिन अब हरियाणा सरकार ने छुट्‌टी का ऐलान किया है।

मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेशों में बताया गया है कि राज्य में अनुसूची-II प्रतिबंधित छुट्टियों की सूची के अनुसार गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी दिवस और महर्षि कश्यप जयंती के कारण दोनों दिवसों को प्रतिबंधित अवकाश (RH) रहेगा।

*यहां देखें ऑर्डर...*
May 22, 2023

*जमीन भी ली और जनमोत्स्व भी मनाया, अब 121 फ़ीट ऊंची भगवान परशुराम की मूर्ति बनेगी पहरावर में - जयहिन्द*

*जमीन भी ली और जनमोत्स्व भी मनाया, अब 121 फ़ीट ऊंची भगवान परशुराम की मूर्ति बनेगी पहरावर में - जयहिन्द*
चंडीगढ़ : बीते रविवार 21 मई को पहरावर में नवीन जयहिन्द ने सभी 36 बिरादरी के भाईचारे के साथ मिलकर भगवान परशुराम जनमोत्स्व मनाया गया। इससे पूर्व जनमोत्स्व स्थल पर हवन -यज्ञ करवाया गया। जनमोत्स्व में 45℃ तापमान होने के बावजूद भी लोगो मे उत्साह देखने को मिला और हरियाणा के सभी जिलों और अलग-अलग राज्यों जैसे उत्तरप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से 36 बिरादरी के हजारो लोग पहुंचे। जनमोत्स्व में महामुख्यतिथि 102 वर्षीय दादा दुलीचंद व मुख्यतिथि मुंडनधारी रहे। जनमोत्स्व में देश के कोने-कोने से आए परशुराम भक्तों के प्रसाद के लिए भंडारे की व्यवथा की गई। साथ ही जनमोत्स्व में एक शिकायत पेटी का ढोल रखवाया गया, जिसमें लोगो ने अपनी-अपनी समस्याएं डाली। जयहिन्द ने जनमोत्स्व से ऐलान किया कि पहरावर की जमीन पर 121 फ़ीट ऊंची भगवान परशराम की मूर्ति बनवाकर मन्दिर की स्थापना की जाएगी।

जयहिन्द ने बताया कि भगवान परशुराम जनमोत्स्व में पहुंचे वाला एक-एक आदमी एक हजार के बराबर है ना कि मुख़्यमंत्री की रैलीयो में शराब लेकर पहुंचने वालों के! साथ ही जयहिन्द ने मुख़्यमंत्री को बकरी की तरह बताया क्योंकि जिस प्रकार बकरी दूध तो देती है लेकिन मिंगन करके, इसी प्रकार मुख़्यमंत्री ने जमीन के कागज तो दे दिए लेकिन रो-रो कर।
जयहिन्द ने बताया कि जिस पहरावर की जमीन पर भगवान परशुराम जनमोत्स्व मनाया गया है उस जमीन का मालिक मुख़्यमंत्री खट्टर के गांव में ब्याहा हुआ है इसका मतलब जिसकी यह जमीन है वह रिश्ते में मुख़्यमंत्री खट्टर के बटेऊ लगते है।

जयहिन्द ने कहा कि सरकार द्वारा बार-बार समाज की बेज्जती होती थी, कभी कला ब्राह्मण व ब्राह्मण की लड़की को अपशगुन बताया जाता था और 23 अप्रैल को पहरावर में मनाए जाने वाले भगवान परशुराम जनमोत्स्व को रोक दिया, लेकिन कोई भी नेता नही बोला। जिसके बाद नवीन जयहिन्द ने सभी नेताओं के लिए जनमोत्स्व में आने को लेकर जयहिन्द ने कहा कि सभी नेताओं की जनमोत्स्व में बिना मुंडन के नो एंट्री होगी। कोई भी नेता नही आया।
जयहिन्द ने बताया कि पहरावर की जमीन फरसाधारियों के दम पर मिली है न कि दरबारियों के दम पर। हमने हाथ जोड़कर नही बल्कि सरकार के हाथ तोड़ कर ली है। यह हमारे मान-सम्मान, ईज्जत और स्वाभिमान की लड़ाई थी। जो मुख़्यमंत्री कंस मामा ब्राह्मणों को कमजोर समझ रहे थे वो आज देख ले कि ब्राह्मण बोद्दा है या योद्धा है।जयहिन्द ने बताया कि जब 23 अप्रैल रविवार को पहरावर की जमीन पर भगवान परशुराम जन्मोत्सव मनाया जाने था तो सरकार व मुख़्यमंत्री कंस मामा  ने कोर्ट का सहारा लेकर उसे रूकवा दिया था। उस समय जो आज समाज के ठेकेदार बने बैठे है कोई कुछ नही बोला और बाद में जमीन के कागज मिलने पर मुख़्यमंत्री की वाहवाही कर रहे थे।
तो हमने मुंडन करवाया और पूरे हरियाणा में युवाओ ने मुंडन करवाकर सरकार व मुख़्यमंत्री के खिलाफ विरोध जताया। जिसके बाद हम हरिद्वार भगवान भोलेनाथ गंगा माँ के पास और भगवान परशुराम मन्दिर, माँ रेणुका धाम सिरमौर (हिमाचल) गए। साथ ही जयहिन्द ने कहा मुख़्यमंत्री को अपने इस पाप के लिए 21 बार माफी मांगनी पड़ेगी।
काफी लोग पहरावर की जमीन वापिस देने को लेकर मुख़्यमंत्री को बधाईयां दे रहे है इस पर जयहिन्द ने बताया कि यह जमीन हमे दी नही गयी बल्कि हमने ली है। जैसा कि आप सभी जाने है कि पहरावर की जमीन पिछले 14 सालों से 2 सरकारो ने बंधक बनाकर रखी हुई थी और पिछले साल इस जमीन के लिए जो लड़ाई लड़ी गयी थी ओर तभी हजारो फरसाधारियों ने 36 बिरादरी के भाईचारे के साथ मिलकर फरसे के दम पर उसे लिया था, ओर सरकार का कब्जा छुड़वाया था। जिसके बाद उसी जमीन पर एक बोर्ड लगाया गया जिस पर साफ-साफ लिखा गया कि सरकार या किसी सरकार के व्यक्ति द्वारा इस जमीन की तरफ देखा गया तो इसी जमीन में गाड़ देंगे। साथ ही जयहिन्द ने कहा कि मैं जमीन वापिस देने को लेकर मुख़्यमंत्री का कोई धन्यवाद नही करता, हाँ अगर मुख़्यमंत्री वहां संस्था के लिए 100 करोड़ रुपये दान देकर जाएं तो वे धन्यवाद के पात्र हैं।
May 22, 2023

पहलवानों ने बृजभूषण की नार्को टेस्ट की चुनौती स्वीकारी:बजरंग पूनिया बोले- हम तैयार पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में LIVE टेस्ट हो

पहलवानों ने बृजभूषण की नार्को टेस्ट की चुनौती स्वीकारी:बजरंग पूनिया बोले- हम तैयार पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में LIVE टेस्ट हो
नई दिल्ली: भाजपा सांसद और रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की नार्को टेस्ट की चुनौती को रेसलर्स ने सोमवार को स्वीकार कर लिया। बजरंग पूनिया ने कहा कि हम सभी किसी भी टेस्ट के लिए तैयार हैं, लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराया जाए। नार्को टेस्ट लाइव हो ताकि सवाल और जवाबों को पूरा देश सुने।
बृजभूषण ने रविवार को कहा था कि मैं अपना नार्को टेस्ट, पॉलीग्राफी टेस्ट और लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने के लिए तैयार हूं, मगर मेरी शर्त है कि मेरे साथ ही विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का भी यही टेस्ट होना चाहिए। वह मीडिया बुलाकर इसका ऐलान करें।

रेसलर्स पिछले 30 दिनों से जंतर-मंतर पर बृजभूषण सिंह के खिलाफ जांच और गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। कल यानी 23 मई को इंडिया गेट पर पहलवान कैंडल मार्च निकालेंगे।
*बृजभूषण की पोस्ट...*


*बजरंग, साक्षी और विनेश ने क्या कहा...*
बजरंग पूनिया ने कहा सुप्रीम कोर्ट इसमें संज्ञान लेते हुए अपनी निगरानी में नार्को टेस्ट करवाए। साथ भी नार्को टेस्ट लाइव होना चाहिए, ताकि पूरे देशवासियों को पता लग सके कि बृजभूषण से किस तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं और उस पर उसका क्या जवाब मिल रहा है। बृजभूषण के ₹15 के मेडल वाले बयान पर कहा कि यह सिर्फ मेडल का ही नहीं बल्कि तिरंगे का भी अपमान है। क्योंकि जब हम मेडल जीतते हैं तो तिरंगे को सिर पर उठाकर चक्कर लगाते हैं। बजरंग ने कोच विनोद तोमर, जितेंद्र और धीरेंद्र का भी नार्को टेस्ट कराने की मांग की है।
विनेश फोगाट ने भी कहा कि न केवल विनेश और बजरंग का नार्को टेस्ट होना चाहिए, बल्कि सभी सातों शिकायतकर्ता पीड़ित पहलवानों की भी टेस्ट होने चाहिए। जिसके लिए वे भी तैयार भी हैं। दोनों पक्षों के सवाल-जवाब की प्रक्रिया को देश के सामने लाइव दिखाया जाना चाहिए। बृजभूषण को मीडिया कर्मी इस तरह से न दिखाए कि वह कोई भी अच्छा इंसान हैं। उसकी नार्को टेस्ट के बयान को भी बहुत बड़ा चढ़ाकर दिखाया जा रहा है। ऐसा प्रतीत करवाया जा रहा है कि उसने सामने से नार्को टेस्ट के लिए कहा हो, जबकि यह मांग हम 1 महीने से कर रहे हैं।
*साक्षी मलिक ने कहा कि इंडिया गेट पर कैंडल मार्च और नए संसद भवन में महिला*

 महापंचायत में आने वाले लोगों को सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा परेशान न किया जाए। हम पहले दिन से ही शांतिपूर्वक तरीके से धरना कर रहे हैं। यह आगे भी शांतिपूर्वक ही जारी रहेगा। जब पत्रकारों ने साक्षी मलिक से पूछ कि नार्को टेस्ट के लिए बृजभूषण ने सिर्फ विनेश और बजरंग का ही नाम लिया है, आपका नहीं ? इसके जबाब में बजरंग पूनिया ने धन्यवाद कहते हुए पत्रकार वार्ता खत्म कर दी, साथ ही विनेश फोगाट ने कहा कि यह बृजभूषण से ही पूछ लेना।
*बृजभूषण बोले- मामला जितनी जल्दी खत्म हो उतना अच्छा*

भाजपा सांसद और रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने एक बार फिर नार्को टेस्ट को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं तो नार्को टेस्ट के लिए तैयार हूं लेकिन मेरे ऊपर आरोप लगाने वाले सभी खिलाड़ियों को नार्को टेस्ट हो। ये मामला जितनी जल्दी खत्म हो उतना अच्छा है। देश भी यही चाहता है।
बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि इस आंदोलन से खेल का नुकसान हो रहा है। जल्द से जल्द ट्रायल होना चाहिए। आज बच्चियां अखाड़े पर आई थीं जिन्होंने कास्टयूम खरीद लिया था। जूता खरीद लिया था लेकिन सब निराश हैं। खिलाड़ियों की संख्या घट रही है। अभिभावक अपने बच्चों को वापस ले जा रहे हैं। इधर 4-5 महीने से कुश्ती के खिलाड़ी बहुत ज्यादा परेशान हैं।
May 22, 2023

23 तथा 24 मई, 2023 को राज्य में रहेगा प्रतिबंधित अवकाश (आरएच)

23 तथा 24 मई, 2023 को राज्य में रहेगा प्रतिबंधित अवकाश (आरएच)
चंडीगढ़, हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि 23 मई, 2023 (मंगलवार) और 24 मई, 2023 (बुधवार) को राज्य के सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिबंधित अवकाश (आरएच) रहेगा।

मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेशों में बताया गया है कि राज्य में अनुसूची-II प्रतिबंधित छुट्टियों की सूची के अनुसार गुरु अर्जन देव जी के शहीदी दिवस और महर्षि कश्यप जयंती के कारण उपरोक्त दोनों दिवसों को प्रतिबंधित अवकाश रहेगा।
May 22, 2023

*NSS कैंप में मोबाइल फोन हुआ बैन:हरियाणा शिक्षा विभाग का फैसला; प्लास्टिक के बर्तनों पर प्रतिबंध, फिल्मी गानों पर भी रोक*

*NSS कैंप में मोबाइल फोन हुआ बैन:हरियाणा शिक्षा विभाग का फैसला; प्लास्टिक के बर्तनों पर प्रतिबंध, फिल्मी गानों पर भी रोक*
हरियाणा में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवक अब राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरीय शिविरों के दौरान अपने मोबाइल फोन का उपयोग नहीं कर पाएंगे। हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग (DHE) ने इसे पर बैन लगा दिया है। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि स्वयंसेवक शिविर गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें। हालांकि, वे कैंप के रिहायशी इलाके में अपने फोन का इस्तेमाल कर सकेंगे।
उधर, राज्य स्तरीय 3 कैंपों की डेट घोषित कर दी गई हैं। पहला कैंप फतेहाबाद में 28 मई से, दूसरा जींद में 1 जून से और तीसरा शिविर बल्लभगढ़ में 2 जून से लगाया जाएगा।
कैंपों में प्लास्टिक पर रोक
डीएचई ने शिविरों में भोजन परोसते समय प्लास्टिक के बर्तनों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए मेहमानों के लिए प्लास्टिक की पानी की बोतलों को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके अलावा, शिविर की अवधि के दौरान शाम को आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान केवल देशभक्ति और लोक गीतों को प्राथमिकता दी जाएगी।

इसलिए लिया गया फैसला
यह देखने में आया है कि NSS स्वयंसेवक शिविरों में आयोजित होने वाली गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपने सेल फोन पर और तस्वीरें क्लिक करने में व्यस्त रहते हैं। यह शिविरों के वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है, इसलिए गतिविधियों के दौरान फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

15 राज्यों के आएंगे स्वयंसेवक
हरियाणा के कैथल, कुरुक्षेत्र, हिसार और रेवाड़ी में पांच राष्ट्रीय एकता शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिसमें 15 अन्य राज्यों के एनएसएस स्वयंसेवक भी भाग लेंगे। हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार बल्लभगढ़, फतेहाबाद, अंबाला, जींद और महेंद्रगढ़ जिलों में पांच राज्य स्तरीय एनएसएस शिविर आयोजित किए जाएंगे।

एक कैंप में 200 स्वयंसेवक
राज्य में होने वाले प्रत्येक शिविर में 200 स्वयंसेवक होंगे। राष्ट्रीय शिविर में 100 स्वयंसेवक अन्य राज्यों से होंगे। 14-20 जून तक कैथल और कुरुक्षेत्र में एक साथ दो राष्ट्रीय एकता शिविर आयोजित किए जाएंगे, जबकि तीसरा शिविर 18-24 जुलाई तक एचएयू, हिसार में आयोजित किया जाएगा। इसी तरह, शेष दो राष्ट्रीय शिविर 25-31 जुलाई से रेवाड़ी में इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आईजीयू) और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एक साथ आयोजित किए जाएंगे।
May 22, 2023

*रेवाड़ी में साढ़े 31 लाख कैश पकड़ा:नारनौल लेकर जा रहे थे; नाकाबंदी के दौरान गाड़ी में 500-500 की गडि्डयां मिली*

*रेवाड़ी में साढ़े 31 लाख कैश पकड़ा:नारनौल लेकर जा रहे थे; नाकाबंदी के दौरान गाड़ी में 500-500 की गडि्डयां मिली*
नारनौल लेकर जा रहे थे; नाकाबंदी के दौरान गाड़ी में 500-500 की गडि्डयां मिली|
हरियाणा के रेवाड़ी शहर में पुलिस ने नाकाबंदी के दौरान एक वेन्यू गाड़ी से 31 लाख 50 हजार रुपए कैश बरामद किया है। कार में 500-500 के नोट की गड्‌डी रखी हुई थी। कैश गुरुग्राम से नारनौल लेकर जा रहे थे।

कोई संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पुलिस ने कार में सवार दोनों लोगों को हिरासत में लिया। कैश और दोनों लोगों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सौंपा जाएगा।

नाकाबंदी के दौरान पकड़ी कार
मिली जानकारी के अनुसार, रात को पुलिस सदर थाना पुलिस की एक टीम ने पटौदी चौक पर नाकाबंदी की हुई थी। तभी पटौदी की तरफ से एक सफेद रंग की वेन्यू कार आती हुई दिखाई दी।

इस कार को पुलिस ने चेकिंग के लिए रूकवा लिया। कार में 2 लोग सवार थे। पुलिस को देख दोनों घबरा गए, जिसकी वजह से पुलिस को शक हुआ।

*500-500 की गडि्डयां मिली*
  पुलिस टीम ने दोनों युवकों को कार से नीचे उतारकर तलाशी ली तो कार में 500-500 के नोट की गडि्डयां रखी मिली। पुलिस ने इनकी गिनती की तो 31 लाख 50 हजार रुपए मिले। पुलिस ने पैसों से संबंधित दोनों युवकों से पूछताछ की तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

दोनों युवक नारनौल के रहने वाले है। साथ ही ये पैसे गुरुग्राम से वाया पटौदी होते हुए रेवाड़ी के रास्ते नारनौल लेकर जा रहे थे। पुलिस ने तुरंत उच्च अधिकारियों को सूचित किया। पुलिस ने दोनों युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की।
साथ ही पैसे व कार अपने कब्जे में ले ली है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि पैसे किसके थे और इन्हें किसके पास पहुंचाना था। सदर पुलिस का कहना है कि पैसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सौंपे जाएंगे। दोनों लोगों से आगे की पूछताछ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ही करेगा।
May 22, 2023

*आज ही के दिन प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह:राहुल नहीं चाहते थे सोनिया PM बनें, 5 दिन चली उठापटक की कहानी*

*आज ही के दिन प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह:राहुल नहीं चाहते थे सोनिया PM बनें, 5 दिन चल रही है।*
मई 2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। 8 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिला। हर किसी को लग रहा था कि अब सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बनेंगी। लेकिन, 22 मई को देश हैरान रह गया जब मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 10 जनपथ में जब मनमोहन सिंह का नाम तय हो रहा था तो हालात किसी फिल्म की कहानी की तरह थे। आज इस स्टोरी में स्टेप-बाय-स्टेप उनके प्रधानमंत्री बनने की कहानी जानते हैं...
2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने समय से 5 महीने पहले ही चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। वजह थी चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का बेहतर प्रदर्शन। कांग्रेस की हालत खराब थी और इधर अटल बिहारी वाजपेयी की छवि साफ सुथरी बनी हुई थी। ऐसे में भाजपा को लग रहा था कि आसानी से सरकार बना लेगी। भाजपा ने ‘इंडिया शाइनिंग’ और ‘फील गुड’ का नारा दिया।

2004 में गुजरात की एक चुनावी रैली में NDA का चुनाव प्रचार करते अटल बिहारी वाजपेयी।
इसके बाद 20 अप्रैल से 10 मई 2004 के बीच चार चरणों में चुनाव हुए। 13 मई को जब परिणाम आया तो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA के पास बहुमत नहीं रहा। यहां से मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने की कहानी की शुरुआत होती है…
*चुनाव से पहले: पहली बार बना यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (UPA)*

लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने तय किया कि वो गठबंधन बनाकर चुनाव में उतरेगी। दरअसल, तीसरे मोर्चे की राजनीति की वजह से 8 साल तक सत्ता से दूर रहने के बाद कांग्रेस इस बार कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती थी। चुनाव में लड़ाई आमने-सामने की हो गई।

कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते सोनिया गांधी के कंधे पर सबको एकजुट करने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने पार्टी के फैसलों के उलट जाकर भी काम किया। 1998 में मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में कांग्रेस की सालाना वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई। इसमें तय हुआ कि पार्टी अब क्षेत्रीय दलों से गठबंधन नहीं करेगी।

अमेठी में चुनाव प्रचार के दौरान सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी। 
2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने इस बात को किनारे रख दिया। इसके बाद सोनिया ने छोटे दलों से गठबंधन करने के लिए कई अहम भूमिका निभाई। जैसे- सोनिया खुद रामविलास पासवान के घर जाकर मिलीं। राजीव गांधी की हत्या की जांच वाली जैन कमीशन की रिपोर्ट में तमिलनाडु के CM करुणानिधि का नाम था।
इसके बावजूद सोनिया गांधी ने DMK से गठबंधन किया। बिहार में लालू यादव ने कहा कि हम कांग्रेस को राज्य की 40 में से बस चार सीट देंगे। कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता इसके खिलाफ थे। राजद से गठबंधन बनाने के लिए सोनिया गांधी ने इसे भी मान लिया।
इसी तरह सोनिया ने महाराष्ट्र में NCP से गठबंधन किया और जम्मू में PDP को भी साथ ले लिया। कोशिश UP में बसपा और सपा को साथ लाने की हुई मगर यहां बात नहीं बनी। इसके बाद पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व में UPA यानी यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस बना। इसकी चेयरपर्सन बनीं सोनिया गांधी।
कांग्रेस कैंपेन का नारा था “कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ”। यह नारा "इंडिया शाइनिंग" से आगे निकल गया। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भाजपा का नारा अंग्रेजी में था और शहरी वर्ग तक ही पहुंच सका।

*चुनाव के दौरान: कांग्रेस के खिलाफ BJP ने भी नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाया*

जब कांग्रेस पार्टी UPA के जरिए गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया तो BJP ने भी छोटे दलों से गठबंधन करने के लिए NDA बनाया। तमाम सर्वे और आकलन NDA को चुनाव जिता रहे थे। दरअसल, अटल बिहारी की सरकार में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था। सरकारी सेक्टर में काफी सारे लोगों को नौकरियां मिली थीं। भाजपा सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने को भी मुद्दा बनाई।
इन सब के बीच भाजपा ने अपने आप को हिंदुत्व वाली नीतियों से थोड़ा दूर किया और फील गुड फैक्टर पर सवार हो कर आगे बढ़ी। चुनाव आयोग ने 20 अप्रैल 2004 से चार चरण में चुनाव कराने का ऐलान किया। इस चुनाव परिणाम में NDA चारों खाने चित्त हुई और कांग्रेस 145 सीट पाकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई। भाजपा को मिलीं 138 सीटें।

*चुनाव के बाद: विदेशी मूल का मुद्दा और राहुल गांधी की मनाही*

सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की अटकलें तेज होने लगीं। हालांकि, सोनिया गांधी ने खुद को चुनाव के दौरान PM उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया था। मगर गठबंधन में स्थिति मजबूत और साफ रहे इसके लिए कांग्रेस ने पहले ही कहा था कि अगर UPA की सरकार बनती है तो उसका नेतृत्व कांग्रेस करेगी।
सोनिया गांधी कांग्रेस संसदीय दल यानी CPP की नेता थीं, इसके बावजूद वो सरकार बनाने के दावे के साथ राष्ट्रपति कलाम से नहीं मिलीं।
सुषमा स्वराज के लगातार राजनीतिक बयानबाजी के इतर दोनों नेताओं की जब भी मुलाकात हुई, संवाद हमेशा ही रहा। सुषमा स्वराज को सोनिया गांधी ने असाधारण प्रतिभा की महिला कहा था।
इधर कांग्रेस को बहुमत मिलते ही चौराहों तक पर चर्चा होने लगी कि सोनिया गांधी अब देश की प्रधानमंत्री बनेंगी। इसी में भाजपा सोनिया के विदेशी मूल के होने का जिन्न फिर से बाहर ले आई। सुषमा स्वराज ने कहा, ‘अगर मैं संसद में जाकर बैठती हूं तो हर हालत में मुझे सोनिया गांधी को माननीय प्रधानमंत्री जी कहकर संबोधित करना होगा, जो मुझे गंवारा नहीं है। मेरा राष्ट्रीय स्वाभिमान मुझे झकझोरता है। मुझे इस राष्ट्रीय शर्म में भागीदार नहीं बनना।’ अब देश भर में सवाल था कि आगे क्या होगा?

*अब अगले प्रधानमंत्री के लिए 5 दिनों तक हुई बैठक में क्या हुआ स्टेप-बाय-स्टेप जानिए…*
13 मई को चुनाव का रिजल्ट घोषित हुआ और कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। यहां सोनिया गांधी के लीडरशिप और भूमिका के लिए तालियां बजीं, खुशी जाहिर की गई, मगर नेतृत्व के मुद्दे पर चुप्पी रही।

थोड़ी देर बाद बैठक आगे बढ़ी तो सोनिया गांधी ने खुद ही यह कहकर सबको चुप करा दिया कि PM पद का मुद्दा पार्टी के सांसद और सहयोगी दल के नेताओं के साथ मिलकर सुलझाया जाना ठीक होगा।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस बैठक के बाद सोनिया गांधी ने अपने बच्चों के साथ चर्चा की और राहुल गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने से मना किया। नटवर सिंह ने इस बात का जिक्र अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ में भी किया है।

अपनी किताब में नटवर लाल ने यह भी लिखा है कि सोनिया गांधी ने उन्हें ही बाकी के कई नेताओं को यह समझाने की जिम्मेदारी दी कि वो प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती हैं।
इसके बाद सोनिया ने तय कि वह 14 मई को होने वाली CPP की बैठक में प्रधानमंत्री न बनने के अपने फैसले को सार्वजनिक करेंगी। मगर बैठक की तारीख 15 मई तय हुई।
गठबंधन के नेताओं से घर-घर कर मिलती रहीं सोनिया, मगर भनक नहीं लगने दी
14 मई का दिन सोनिया गांधी ने नेताओं से मिलने के लिए रखा। मगर उन्होंने इस दिन एक संकेत दे दिया। सोनिया गांधी सुबह उठीं, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को साथ लिया और बिना SPG सुरक्षा लिए राजीव गांधी की समाधि पर चली गईं।

इसके बाद वो सबसे पहले शरद पवार से मिलीं और उनका समर्थन तय किया। उन्होंने पवार के सामने नेतृत्व का मुद्दा नहीं उठाया और ना ही अगली सरकार के स्ट्रक्चर पर ही कोई चर्चा की। कहा जाता है कि पवार पहले नेता थे, जिन्हें उनकी मंशा पर शक हुआ, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं दिखाया।

इसके बाद वो लालू यादव, राम विलास पासवान, फॉरवर्ड ब्लॉक के नेता देवव्रत विश्वास और सीताराम येचुरी से मिलीं। सभी ने सोनिया को समर्थन देने का वादा किया और माना कि वो देश की भावी PM से बात कर रहे हैं। सोनिया गांधी ने इन लोगों से भी PM पद का कोई जिक्र नहीं किया।

*सबको डिनर पर बुला कर समर्थन पक्का किया मगर PM पद पर कोई चर्चा नहीं*
15 मई को कांग्रेस ने सोनिया गांधी को CPP यानी कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुन लिया। सोनिया ने यहां भी अपने भाषण में नई भूमिका को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने औपचारिक रूप से सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राष्ट्रपति के पास जाने से भी इनकार कर दिया।
15 मई 2004 को नई दिल्ली में संसद भवन में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक के दौरान नवनिर्वाचित कांग्रेस सांसदों को संबोधित करती UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी।
आधिकारिक कारण यह बताया कि कम्युनिस्ट पार्टी ने अभी तक अपने समर्थन का पत्र नहीं दिया है। कांग्रेस नेताओं को लगता रहा कि वो इमोशनल दबाव बना कर सोनिया गांधी को राजी कर लेंगे।

खैर, सोनिया गांधी ने नवनिर्वाचित सांसदो को डिनर पर बुलाया। यहां समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह, CPI (M) नेता हरकिशन सिंह सुरजीत के साथ बिन बुलाए आए और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का वादा किया।

*सात कांग्रेसियों के सामने क्लोज मीटिंग में तय हुआ मनमोहन सिंह का नाम*
16 मई सोनिया गांधी ने सीनियर और अपने विश्वस्त कांग्रेसियों की एक क्लोज मीटिंग बुलाई। उसमें नटवर सिंह भी थे। अपनी किताब में इस मीटिंग का जिक्र करते हुए नटवर सिंह लिखते हैं, ‘इस मीटिंग में मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी, अर्जुन सिंह, शिवराज पाटिल, गुलाम नबी आजाद, एम.एल. फोतेदार मौजूद थे। मनमोहन सिंह को छोड़कर और किसी को नहीं मालूम था कि यह मीटिंग क्यों बुलाई गई है। यहां सोनिया गांधी ने कहा कि उन्होंने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनने को कहा है। मनमोहन सिंह ने तुरंत कहा, “मैडम, मेरे पास बहुमत नहीं है।’’

नटवर सिंह आगे लिखते हैं, ‘जब थोड़ी देर तक कोई नहीं बोला तो मैंने मनमोहन सिंह से कहा कि जिसके पास बहुमत है वो उसे आपको सौंप रहा है।

यह बात कांग्रेसियों को ही नागवार गुजरने वाली थी। आखिरकार मनमोहन सिंह सिर्फ 14 साल से पार्टी में थे, जबकि अर्जुन सिंह जैसे नेता 50 सालों से पार्टी में थे। इसके इतर, सामान्य कांग्रेसी को एक गांधी से मतलब था।
इधर 10 जनपथ पर सोनिया गांधी को PM बनाने के लिए खुद को चोटिल किए हुए एक कांग्रेसी।
नटवर सिंह अपनी किताब में लिखते हैं कि सोनिया गांधी ने उनसे कहा कि वो जाकर सहयोगी दलों को इस फैसले के बारे में बताएं। नटवर सिंह ने लिखा, ‘मुझसे वीपी सिंह, लालू प्रसाद यादव और राम विलास पासवान से मिलने को कहा गया। लालू ने मुझे बिहार के अंदाज में फटकारा और कहा कि हमारी राय क्यों नहीं ली गई? हमें यह सूचना टीवी से क्यों मिल रही है? राम विलास ने यही बात थोड़ा कम तल्ख लहजे में कही। ’

इधर कुछ कांग्रेस नेता CPMमहासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत के घर बातचीत के लिए पहुंचे। यहां अमर सिंह, लालू और रामविलास पहले से मौजूद थे। लालू ने कहा, ''जो हमारा निर्णय हुआ है हम उस पर कायम हैं। उसका आदर करके सोनिया जी को शपथ लेना चाहिए।'' दूसरी ओर रामविलास पासवान ने कहा, ''हमारा प्रयास रहेगा कि सोनिया गांधी ही PM बनें। अगर वो ये बात नहीं मानती हैं फिर सब लोग मिलकर सोचेंगे.''

*सोनिया का फैसला सुनते ही 'नो-नो' चिल्लाने लगे कांग्रेसी, पूर्व सांसद ने दे दी आत्महत्या की धमकी*
18 मई को शुरू हुई असली कहानी । इस दिन संसदीय दल की बैठक बुलाई गई और तब तक सबको अंदाजा लग गया था कि सोनिया PM नहीं बनना चाहती हैं।
संसदीय दल की बैठक में मौजूद प्रियंका गांधी, राबर्ट वाड्रा और सांसद राहुल गांधी। ऐसा पहली बार हुआ था कि संसदीय दल की मीटिंग में किसी पूर्व प्रधानमंत्री के परिजन भी मौजूद थे।
यहां सोनिया ने कहा, ‘मैंने कई बार कहा है कि मेरा लक्ष्य PM बनना नहीं है।मैं हमेशा की तरह आज भी अपनी अंतरात्मा की आवाज के मुताबिक चलूंगी और मैं यह पद अस्वीकार कर रही हूं।’

इतने में कांग्रेसी सांसदों को मानो शॉक लग गया। वो खड़े होकर नो-नो चिल्लाने लगे। सोनिया ने अपनी बात पूरी की। कहा, 'मझे सत्ता का लालच नहीं है। चुनाव में सांप्रदायिक ताकतों पर जीत ही हमारा लक्ष्य है और वह पूरा हुआ है। पार्टी इसके लिए काम करती रहेगी।‘
राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के साथ बहुमत का दावा करने पहुंचे मनमोहन सिंह और UPA की चेयरपर्सन सोनिया गांधी।
इसके बाद सार्वजनिक किया गया कि सोनिया नहीं तो और कौन? मीडिया में आकर ज्योति बसु ने कहा कि सोनिया गांधी के पीछे हटने का कारण उनके बच्चे हैं। वो नहीं चाहते कि पिता की तरह मां को भी खोना पड़े।

नटवर सिंह ने इसका जिक्र करते हुए अपनी किताब में लिखा है, “राहुल को डर था कि दादी और पिता की तरह मां की भी जान न चली जाए। राहुल बात के पक्के हैं और उनकी बात को हल्के में नहीं लिया जा सकता था। उन्होंने सोनिया को सोचने के लिए 24 घंटे का समय दिया। उस वक्त वहां मनमोहन सिंह, सुमन दूबे, मैं और प्रियंका गांधी मौजूद थे। सोनिया के लिए इसे इग्नोर करना संभव नहीं था। यह एक बड़ा कारण था कि सोनिया PM नहीं बनीं ‘

अपनी ओर से सोनिया ने खुद जाकर करुणानिधि, लालू और सुरजीत से मुलाकात की और मनमोहन सिंह के नाम पर सहमति ली। मनमोहन सिंह वफादार नेता थे, मगर सोनिया गांधी ने PM पद छोड़ते हुए भी सगंठन और CPP पर नियंत्रण बनाए रखा।

*मनमोहन सिंह को PM पद की शपथ दिलाते राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम*।
              
कांग्रेस का संविधान बदल कर अध्यक्ष सोनिया गांधी को दी गई ज्यादा पावर

पार्टी पर पकड़ बनाए रखने के लिए CPP (कांग्रेस संसदीय दल) के संविधान के खंड पांच में संशोधन किया गया। संशोधन के बाद पार्टी अध्यक्ष के पास यह अधिकार हो गया कि वो सरकार बनाने वाले नेता को बदल सकता है। इसका मतलब ये कि सोनिया गांधी के पास यह अधिकार था कि वो जब चाहें सरकार के नेता को बदल सकती हैं।

संसद के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि प्रधानमंत्री अपने ही सांसदों का मनोनीत नेता था न कि निर्वाचित। नेहरू के बाद पहली बार, कांग्रेस का अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री से अधिक शक्तिशाली था।

खैर, अफरातफरी को विराम मिला और 22 मई 2004 को मनमोहन सिंह ने भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।