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Saturday, May 2, 2020

कोरोना ट्रीटमेंट में वैक्सीन के इस्तेमाल की तैयारी ,दिल्ली एम्स,पीजीआइ रोहतक और चंडीगढ़ समेत पांच संस्थानों में होगा मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल ,मरीजों के कॉन्टेक्ट व मेडिकल स्टाफ पर ट्रायल

(मनवीर) हरियाणा- कोरोना वायरस के खात्मे के लिए अब चिकित्सक इलाज ढूंढने के लिए देश के विभिन्न अस्पतालों में क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की तैयारी है। इसके लिए दिल्ली एम्स,पीजीआइ रोहतक और चंडीगढ़ समेत पांच संस्थानों को सरकार से अनुमति भी मिल गई है। पीजीआइ रोहतक में फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सविता वर्मा के निर्देशन में 175 लोगों पर बीसीजी वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। जिसके बाद परिणाम के आधार पर इस वैक्सीन के रिजल्ट की समीक्षा की जाएगी। भविष्य में इसे प्रयोग करने को लेकर भी दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विभिन्न संस्थानों में बीसीजी (बेकिलस कॉलमीट गुरीन) वैक्सीन के ट्रायल के लिए मंजूरी दी गई है। आमतौर पर इस वैक्सीन का प्रयोग स्वस्थ नवजात बच्चों को ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) से दूर रखने के लिए किया जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में बीसीजी वैक्सीन से कोरोना का इलाज ढूंढने के लिए क्लीनिक ट्रायल को मंजूरी दी है। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (पीजीआइएमएस) में फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. सविता वर्मा को मुख्य इनवेस्टीगेटर नियुक्त करते हुए कोरोना ट्रीटमेंट सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ. ध्रुव चौधरी व संस्थान के ही चिकित्सक डॉ. रमेश वर्मा को सहायक इनवेस्टीगेटर नियुक्त किया गया है। फिलहाल पहले चरण में देश के पांच संस्थानों को इसके लिए मंजूरी दी गई है,जबकि 19 अन्य संस्थानों में अनुमति के लिए प्रक्रिया चल रही है। भारत के मुकाबले अन्य देशों में 20 फीसद कोरोना संक्रमित मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचे हैं। इनमें से 15 फीसद मॉडरेट और पांच फीसद मरीज सीवियर स्थिति में पहुंचे थे,जबकि भारत में केवल छह फीसद मरीज ही गंभीर स्थिति में पहुंचे हैं।

ऐसे होगा मरीजों पर ट्रायल
कोरोना संक्रमित मरीज के 18 वर्ष आयु से अधिक के निकटतम संपर्क वाले और कोरोना मरीजों के उपचार में लगे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का पहले कोविड टेस्ट कराया जाएगा। यदि टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उन्हें ट्रायल में शामिल किया जाएगा। इसके बाद 175 में से कुछ लोगों को बीसीजी वैक्सीन लगाई जाएगी जबकि अन्य को वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी। इसके बाद लोगों की स्थिति पर नजर रखी जाएगी कि इसके परिणाम क्या आते हैं। यदि वैक्सीन लगाने वाले लोगों को कोरोना का संक्रमण कम होता है या संक्रमण होने के बाद वह जल्दी रिकवर कर जाते हैं और बिना वैक्सीन लगाए हुए लोगों में कोरोना का संक्रमण अधिक होता है तो वैक्सीन का ट्रायल सफल माना जाएगा। इन लोगों में आइजीएम (इनफेक्शन को शीघ्र बताने वाले तत्व) और आइजीजी (देरी से मरीज के ठीक होने की जानकारी देने वाले तत्व) की जांच की जाएगी।

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