युवाओं ने पीएम, राष्ट्रपति के नाम खून से चिठ्ठी लिख कहा तीनों कृषि कानून रद्द करें
-खटकड़ टोल पर किसानों ने मनाया युवा दिवस, युवाओं ने किया मंच संचालन
जींद :( संजय तिरँगाधारी )
खटकड़ टोल पर शुक्रवार को धरनारत किसानों ने युवा दिवस मनाया। युवाओं ने तीन कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति को खून से चि_ी लिखी। युवा दिवस होने के चलते किसान धरने की अध्यक्षता से लेकर मंच संचालन तक युवाओं ने किया। आंदोलन शुरू होने से लेकर अब तक युवाओं की भूमिका किसान आंदोलन में अहम होने के चलते संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर युवा दिवस शुक्रवार को मनाया गया। खटकड़ टोल पर भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की रैली में व्यवस्था को बनाने के लिए कार्य करने वाले युवाओं, महिलाओं को सम्मानित किया गया। मंच संचालन संयुक्त रूप से अनीष खटकड़, महिला भाकियू जिलाध्यक्ष सिक्किम सफा खेड़ी ने किया। अध्यक्षता भारता खटकड़, कुलवीर जुलानी, जयभगवान खटकड़ ने संयुक्त रूप से की।
*खून निकाल कर लिखी चिट्ठी*
खटकड़ टोल पर पहुंचे युवाओं ने पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति को खून से पत्र लिखा। यहां पर पहले युवाओं को खून इंजेक्शन के माध्यम से निकाला गया। पत्र पर पीएम नरेंद्र मोदी के नाम युवाओं द्वारा दिए गए खून के बाद पत्र लिखा गया। भाकियू युवा जिलाध्यक्ष दीपक गिल, युवा हलकाध्यक्ष अनूप करसिंधु, अनीष खटकड़ ने कहा कि आज खेती घाटे का सौदा बन रही है। किसान फसलों के एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे है तो तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे है।
ये कानून किसानों के लिए केंद्र सरकार लेकर आई है लेकिन जब किसानों को ये कानून नहीं चाहिए तो क्यों लागू किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नाम युवाओं ने खून से चिट्ठी लिख कर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है। युवा निरंतर अपने बड़ों के आदेशों पर अब तक आंदोलन को चला रहे है। युवाओं को जैसे बड़े आदेश करेंगे वैसे युवा आंदोलन चलाएंगे। सरकार को चाहिए कि वो अपनी जिद्द को छोड़े। किसी की मांग को मानने से किसी तरह की अपमान नहीं होता बल्कि किसानों की मांग केंद्र सरकार मानती है तो यह किसानों का सम्मान के साथ-साथ केंद्र सरकार का भी किसान हितैषी होने का प्रमाण होगा।
*अपनी खड़ी फसल की जुताई न करें किसान : सिक्किम*
सिक्किम सफा खेड़ी ने कहा कि किसानों को चाहिए कि वो खेतों में अपनी खड़ी फसल की जुताई ट्रैक्टर से न करें। आज किसान भावुक होकर इस तरह के फैसले न ले। किसानों को चाहिए कि वो आंदोलन में अधिक से अधिक लोगों को जोड़े। यह आंदोलन जन आंदोलन बन चुका है जिससे हर कोई आज जुड़ रहा है। किसान की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है क्योंकि खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। केंद्र सरकार इंसानियत नहीं हो किसानियत के नाते तीनों कृषि कानूनों को रद्द करें।
No comments:
Post a Comment