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Sunday, November 8, 2020

November 08, 2020

हरियाणा सरकार के इस फैसले के बाद से नहीं मिलेगा लाखों लोगों को अनाज, जानें क्या है वजह

हरियाणा सरकार के इस फैसले के बाद से नहीं मिलेगा लाखों लोगों को अनाज, जानें क्या है वजह

चंडीगढ़ :  हरियाणा सरकार अपनी हर उस कोशिश को अंजाम देने में लगी रहती है, जिससे की सभी को समय पर और प्रचूर मात्रा में अनाज उपलब्ध कराया जा सके, लेकिन इस कड़ी में सरकार अपनी हर उस कोशिश को भी अंजाम देती है, जिससे कि कोई फर्जीवाड़ा उभरकर सामने न आ जाए। अब इसी बीच सरकार ने एक ऐसा ही कदम उठाया है, जिसमें अब तक 43 लाख लोगों के राशन कार्ड को फर्जी बताकर रद्द कर दिया गया है। अब यह लोग राशन लेने से वंचित रह जाएंगे।

प्राप्त सूचना के अनुसार भारत की केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' योजना पर भी तेजी से काम कर रही है। जिसका उद्देश्य प्रवासी मजदूरों को सरकारी सब्सिडी दर पर राशन देना है। लेकिन इस योजना में बहुत बड़े फर्जीवाडे का खुलासा हुआ है जिसकी वजह से सरकार की तरफ से लाखों राशन कार्ड को रद्द कर दिया गया है। सरकार की तरफ से पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम से 43 लाख 90 हजार फर्जी और अवैध राशन कार्ड को रद्द कर दिया है। इस योजना का उद्देश्य योग्य लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडी वाला अनाज वितरित करवाना था। लेकिन इस योजना में लाखों फर्जी राशन कार्ड बनवाए गए थे।

इसे पहले साल 2013 से बड़ी संख्या में फर्जी और डुप्लीकेट राशन कार्ड मिले थे। जिसके बाद 2019 में सरकार राशन कार्ड में धोखाधड़ी को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया है। इस सम्बन्ध में खाद्य मंत्रालय मानता है कि डुप्लीकेट कार्ड को चिन्हित करना जरूरी है। चर्चा है  कि राशन कार्डों के डिजिटलीकरण अभियान ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पारदर्शी बनाने और दक्षता में सुधार लाने में मदद की है।

उन्होंने कहा, 'अयोग्य राशन कार्डों को हटाते समय, हम प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए परिभाषिति कवरेज के भीतर नये लाभार्थियों को जोड़ते रहते हैं। बता दें कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत करीब देश की आबादी के लगभग दो-तिहाई हिस्सा को इसका फायदा मिल रहा है है। करीब 80 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्र योजना के तहत हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा है। इस योजना की शुरुआत कोरोना महामारी से दौरान लगे लॉकडाउन में की गई थी। 
November 08, 2020

बदलाव:नए नियम के तहत अब जिले में 128 महिलाएं बनेंगी सरपंच, पंचायत समिति व जिप के वार्ड नहीं हुए फाइनल

बदलाव:नए नियम के तहत अब जिले में 128 महिलाएं बनेंगी सरपंच, पंचायत समिति व जिप के वार्ड नहीं हुए फाइनल

फतेहाबाद : राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को विधानसभा में लाए गए पंचायती राज संशोधन एक्ट के बाद अब जिले की पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी 33 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी गई है। जिसके तहत अब जिले की 257 ग्राम पंचायतों में से 128 गांवों मेंं महिलाएं ही सरपंच बनेंगी। ठीक इसी प्रकार 50 फीसदी भागीदारी का यह नियम पंचायत वार्डों, ब्लॉक समिति व जिला परिषद के वार्डों पर भी लागू होगा।
जिले में अभी तक पंचायत समितियों व जिला परिषद के वार्ड फाइनल नहीं हुए हैं। क्योंकि पिछले पांच सालों में जिले में जहां एक नया ब्लॉक बनाया गया हैं वहीं जाखल ग्राम पंचायत अब नगर पालिका बन गई है। नागपुर के नया ब्लॉक बनने व जाखल के नगर पालिका बनने के बाद से जिले में पंचायत समितियों व जिला परिषद के वार्डों में वोटों की एडजस्टमेंट की जानी है। इसके बाद ही तय होगा की उक्त दोनों पंचायती संस्थाओं के कितने वार्ड होंगे।

फतेहाबाद व रतिया के 34 गांवों से बना था नागपुर ब्लॉक

जिले में नागपुर के ब्लॉक बनने के बाद अब ब्लॉकों की संख्या 7 हो गई है। रतिया व फतेहाबाद के मध्य बनाए गए नागपुर ब्लॉक में कुल 34 गांव शामिल किए हुए हैं। इसमें 17 गांव फतेहाबाद तथा 17 गांव रतिया के शामिल हैं। ऐसा होने से अब रतिया, फतेहाबाद व नागपुर तीनों खंडों की पंचायत समितियों के वार्ड दोबारा से तय होने हैं।

पिछले प्लान में 43% थी महिलाओं की भागीदारी

इससे पहले पंचायती राज एक्ट के तहत चुनाव में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण था। लेकिन ओपन वार्ड या पंचायत में भी महिलाएं चुनाव लड़ सकती थी। जिसके चलते पिछले प्लान 43 फीसदी यानि 110 महिलाएं सरपंच बनी थी।

पांच हजार वोटों पर होती है पंचायत समिति

नागपुर के ब्लॉक बनने व जाखल के पंचायत रहते जिले में कुल 138 पंचायत समितियां व जिला परिषद के 18 वार्ड थे। एक पंचायत समिति वार्ड 4 से 5 हजार वोटों पर बनाया जाता है। वार्ड बनाने का यह कार्य पंचायत विभाग के मुख्यालय फाइनल होता है कि कितने वार्ड बनाए जाने हैं।

मुख्यालय को भेजी है रिपोर्ट: डीडीपीओ

नागपुर के नया ब्लॉक बनने व जाखल नगर पालिका बनने के बाद अब पंचायत समितियों व जिला परिषद के वार्डों में संशोधन किया जाना है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर अनुमति के लिए मुख्यालय को भेजी हुई है। जल्द ही नए वार्ड बन जाएंगे।- बलजीत चहल, डीडीपीओ।
November 08, 2020

गाँव में काम ना करने पर सरपंच को हटा सकेंगे लोग , जानिए क्या है राईट टू रिकॉल बिल ?

गाँव में काम ना करने पर सरपंच को हटा सकेंगे लोग , जानिए क्या है राईट टू रिकॉल बिल ?

चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा के इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल पारित हुए और इनमें से एक शुक्रवार को ग्राम पंचायतों के लिए 'राइट टू रीकॉल' बिल भी पटल पर रखा गया जिसे माननीय सदस्यों ने पास कर दिया। इस बिल के लागू होने से काम ना करने वाले सरपंच को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है।

  विधानसभा में आज पास हुए 'राइट टू रीकॉल' बिल के बारे में डिप्टी सीएम ने बताया कि सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता अविश्वास लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे। यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा। इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर 2 घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी।

इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा और अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ मतदान किया तो सरपंच पदमुक्त हो जाएगा। सरपंच चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं पड़ते हैं तो आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इस तरह 'राइट टू रीकॉल' एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा।

किन राज्यों में है राईट टू रिकॉल कानून ?

1. उत्तर प्रदेश
2. उत्तराखंड
3. बिहार
4. झारखंड
5. मध्य प्रदेश
6. छत्तीसगढ़
7. महाराष्ट्र
8. हिमाचल प्रदेश

क्या है राईट टू रिकॉल की प्रक्रिया ?

सरपंच पर रिकॉल (जनता द्वारा वापस बुलाने की प्रक्रिया) की प्रक्रिया 2 चरणों की प्रक्रिया है जिसको नागरिक स्वयं शुरू कर सकते हैं । राज्य अनुसार 1-2 वर्ष के सुरक्षित (लॉक-इन) अवधि के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की अमुक संख्या को अपने हस्ताक्षर अथवा अंगूठे के छाप याचिका के रूप में जिला के कलेक्टर के दफ्तर में देना होता है । हस्ताक्षरों की जांच के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की बैठक का आयोजन किया जायेगा और यदि उस बैठक में बहुमत ग्राम सभा के सदस्य, अपने सरपंच को हटाने के लिए मांग करते हैं, तो उस सरपंच को हटाया जायेगा ।

क्या है राईट टू रिकॉल का इतिहास ?

निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार का इतिहास काफी पुराना है । प्राचीन काल में एंथेनियन लोकतंत्र से ही यह कानून चलन में था । बाद में कई देशों ने इस रिकॉल को अपने संविधान में शामिल किया । वैसे इतिहास यह है कि इस कानून की उत्पत्ति स्विटजरलैंड से हुई पर यह अमेरिकी राज्यों में चलन में आया । 1903 में अमेरिका के लास एंजिल्स की नगर पालिका (म्यूनिसपैलिटी), 1908 में मिशिगन और ओरेगान में पहली बार राइट टू रिकाल राज्य के अधिकारियों के लिए लागू किया गया ।
आधुनिक भारत में, सचिंद्रनाथ सान्याल ने सबसे पहले जनसेवकों को बदलने के अधिकार की मांग की थी। सचिंद्रनाथ सान्याल ने दिसम्बर 1924 में `हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन` का घोषणा पत्र लिखा था। उस घोषणा पत्र में सचिंद्रनाथ सान्याल लिखा है कि "इस गणराज्य में, मतदाताओं के पास अपने जनसेवकों के ऊपर राईट टू रिकॉल (हटाने का प्रावधान) होगा, यदि मतदाता चाहें तो, नहीं तो लोकतंत्र एक मजाक बन जायेगा ।

चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर रिकॉल का भारतीय लोकतंत्र में बहस का काफी लंबा इतिहास है; इस मुद्दे पर संविधान-सभा में भी बहस हुई थी। ये बहस इस धारणा पर केंद्रित थी कि मतदआतों के पास चुनाव के अधिकार होने के साथ-साथ हाताने (राईट टू रिकॉल) का अधिकार भी होना चाहिए और यदि कुछ गडबडी हो जाये तो, मतदाताओं के पास कोई उपाय होना चाहिए, लेकिन डा. बी.आर. आंबेडकर ने संविधान के इस प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार नहीं किया।
18 जुलाई 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था जब वे संविधान-सभा के बहस में जनता के जनसेवकों को हटाने के अधिकार (रिकॉल) के प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा कर रहे थे – "यदि कुछ बिरले लोग या कुछ काली भेड़े हैं जिन्होंने अपने चुनाव-क्षेत्र का विश्वास खो दिया है और फिर भी संसद में उस चुनाव-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, तो उन कुछ बुरे लोगों के लिए हमें अपने चुनाव-क्षेत्र (की व्यवस्था) को बिगाडना नहीं चाहिए। हमें उसे वर्तमान अवस्था में ही रहने देना चाहिए और सम्बंधित सदस्यों के सही समझ पर छोड़ देना चाहिए |"

फिर भी, उसी समय कुछ सदस्यों को डर था कि बिना अविश्वास प्रस्ताव या रिकॉल के ग्राम या नगर पालिका की इकाइयां निरंकुश हो जाएँगी |
भारत में सबसे पहला रिकॉल (जनता का जनसेवक को वापस भुलाने का अधिकार) उत्तर प्रदेश में सरपंच पर ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के रूप में आया ।

Saturday, November 7, 2020

November 07, 2020

गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल देने के मामले पर हरियाणा के जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कही ये बात

गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल देने के मामले पर हरियाणा के जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कही ये बात

चंडीगढ़ : डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बीती 24 अक्टूबर को 1 दिन के पैरोल देने पर बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह  ने कहा कि बीमार मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल दी गई थी और जेल मैनुअल के अनुसार 1 दिन की पैरोल  देने का अधिकार जिला जेल के अधीक्षक के पास है। 
उन्होंने जोड़ा कि गुरमीत सिंह के केस को देखते हुए ज्यादा समय के लिए पैरोल देने का अधिकार कोर्ट और सरकार के पास है। बरोदा उपचुनाव पर बोलते हुए बिजली मंत्री ने कहा कि मुकाबला कड़ा है लेकिन बीजेपी की जीत निश्चित है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के सवाल पर मंत्री ने कहा कि किसान कृषि कानूनों को समझ नहीं पा रहे हैं कोई किसी की जमीन बिना सहमति के कैसे ले सकता है साथ ही उन्होंने कहा कि यह विरोध आढ़तियों व कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है। 
November 07, 2020

गुपचुप बाहर आया था राम रहीम: बाबा को खट्टर सरकार ने एक दिन की पैरोल दिलाई, 300 जवानों की सुरक्षा में गुड़गांव भेजा गया

गुपचुप बाहर आया था राम रहीम: बाबा को खट्टर सरकार ने एक दिन की पैरोल दिलाई, 300 जवानों की सुरक्षा में गुड़गांव भेजा गया

चंडीगढ़ / रोहतक : दुष्कर्म और हत्या के मामले में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक दिन की पैरोल पर बाहर आया था। राम रहीम को 24 अक्टूबर को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल दी गई थी। सरकार और जेल प्रशासन ने मीडिया तक को भी इसकी भनक नहीं लगने दी। पैरोल के बाद राम रहीम गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मिलकर आया। उसे सुनारियां जेल से गुड़गांव के अस्पताल तक बख्तरबंद गाड़ी में ले जाया और फिर लाया गया।
राम रहीम 25 अगस्त 2017 से रोहतक जेल में बंद है। डेरे की पूर्व साध्वियों से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में राम रहीम को दोषी करार दिया गया था। पैरोल मिलने का मामला सामने आने के बाद जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने इस पर कहा है कि बाबा को पैरोल नियमों के हिसाब से दी गई है। हालांकि, उसने पहले भी कई बार पैरोल के लिए अर्जी लगाई , लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।

राम रहीम की सुरक्षा में पुलिस की तीन टुकड़ी

राम रहीम 24 अक्टूबर को शाम तक अपनी बीमार मां के साथ रहा। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा पुलिस की तीन टुकड़ी तैनात थी। एक टुकड़ी में 80 से 100 जवान थे। यानी 250 से 300 जवानों की तैनाती की गई थी। डेरा चीफ को जेल से बख्तरबंद गाड़ी में लाया गया। गुड़गांव में पुलिस ने अस्पताल के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की। जिस फ्लोर में उसकी मां का इलाज चल रहा था, उसे पूरा खाली कराया गया था।
इस मामले की पुष्टि रोहतक एसपी राहुल शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि उन्हें जेल सुपरिंटेंडेंट से राम रहीम के गुड़गांव दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था का निवेदन मिला था। 24 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम ढलने तक सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। सब कुछ शांति से हुआ। दूसरी ओर शनिवार दोपहर इस मामले पर प्रदेश के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि राम रहीम को सारे नियम को ध्यान में रखते हुए पैरोल दी गई थी।

राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई है

2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। छत्रपति अपने समाचार पत्र में डेरा से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करते थे। पत्रकार छत्रपति की हत्या के बाद परिजनों ने मामला दर्ज कराया था और बाद में इसे CBI को सौंप दिया गया था। CBI ने 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इसमें डेरा प्रमुख राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था। इससे पहले 28 अगस्त 2017 में CBI की विशेष कोर्ट ने दो महिलाओं के साथ रेप के मामले में राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई थी।
November 07, 2020

पूर्व सीएम ओपी चौटाला को हाईकोर्ट से झटका , पुश्तैनी कोठी में पोतों की शादी पर रोक

पूर्व सीएम ओपी चौटाला को हाईकोर्ट से झटका , पुश्तैनी कोठी में पोतों की शादी पर रोक

चंडीगढ़ : हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट ने चौटाला के तेजाखेड़ा स्थित फार्म हाउस में बनी पुश्तैनी कोठी में उनके पोतों की शादी की अनुमति पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट के जस्टिस एजी मसीह व जस्टिस राजेश भारद्वाज पर आधारित पीठ ने यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए जारी किया।

इसी के साथ हाई कोर्ट ने ओम प्रकाश चौटाला व अन्य प्रतिवादी पक्ष को 11 नवंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के वकील अरविंद मौदगिल ने बेंच को बताया कि पिछले साल ओमप्रकाश चौटाला की तेजाखेड़ा स्थित फार्म हाउस में बनी पुश्तैनी कोठी को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने अटैच कर लिया था।

नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में ओमप्रकाश चौटाला के दो पौत्रों करण चौटाला व अर्जुन चौटाला के विवाह हैं। दोनों अभय सिंह चौटाला के पुत्र हैं। इसके लिए ओमप्रकाश चौटाला की तरफ से अटैच तेजाखेड़ा स्थित फार्म हाउस में बनी पुश्तैनी कोठी को विवाह के लिए प्रयोग करने की मांग की गई।

चौटाला परिवार सात दिसंबर को यह कोठी दोबारा प्रवर्तन निदेशालय को वापस कर देगा। प्रवर्तन निदेशालय ने अपीलय ट्रिब्यूनल के आदेश को रद करने की मांग करते हुए कहा कि जब प्रवर्तन निदेशालय ने किसी संपति को अटैच किया हुआ हो और ट्रायल जारी हो तो कैसे संपति को छोड़ा जा सकता है। प्रापर्टी प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 की धारा 8 (4) के तहत यह संपति प्रवर्तन निदेशालय के कब्जे में है।

भ्रष्टाचार का मामला प्रवर्तन निदेशालय ने कन्फर्म कर दिया है। ऐसे में किसी अटैच संपति आरोपित को नहीं दी जा सकती। प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि अपीलीय ट्रिब्यूनल ने छह नवंबर से पहले कोठी चौटाला को देने का आदेश दिया है। प्रवर्तन निदेशालय के वकील की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट अपीलीय ट्रिब्यूनल के आदेश पर रोक लगाते हुए ओम प्रकाश चौटाला से जवाब तलब किया है।
 
November 07, 2020

प्रदेश के सभी केंद्रीय सहकारी बैंक होंगे डिजीटल

प्रदेश के सभी केंद्रीय सहकारी बैंक होंगे डिजीटल

 रेवाड़ी : ( पंकज कुमार )  हरको बैंक हरियाणा की राज्य स्तरीय बैठक रविवार को शहर के लोक निर्माण विश्राम गृह में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता हरको बैंक के चेयरमैन डॉ. अरविंद यादव  ने की। मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए। जिसमें विशेषतौर से प्रदेश की सभी पैक्स को कंप्यूटराइजेशन करना एवं जिलों के बैंकों का स्वरूप कॉर्मिशियल बैंक में बदलने पर विशेष फोकस किया गया।
चेयरमैन अरविंद यादव ने स्पष्ट तौर से कहा कि अभी तक जिला स्तर पर सेवाएं दे रहे केंद्रीय सहकारी बैंक एवं पैक्स को पॉलीटिक्ल बैंक के नजर से देखा जाता था। इस मानसिकता को हर हालत में खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास युवा बैंक अधिकारियों की टीम है। सबसे बड़ी बात हरियाणा में ग्रामीण पृष्ठभूमि का हमारा सबसे बड़ा नेटवर्क है जिसकी ताकत को समझना होगा।

उन्होंने कहा कि हम पैक्स की कार्यशैली को बदलने जा रहे हैं। जिस तरह देश के बड़े बैकों में उपभोक्ताओं के लिए लॉकर , एटीएम, डिजीटल लेन देन की सुविधाएं हैं। वहीं हम पैक्स स्तर पर यह सेवाएं देंगे। चेयरमैन ने कहा कि वे काम करने में यकीन करते हैं। इसलिए हमने हर कार्य के लिए समय सीमा रखी है। मीटिंग में जितने भी मुद्दों पर चर्चा हुई है उसे हम 31 मार्च 2021 तक पूरा करेंगे।
इसके लिए सभी जिला महाप्रंबधक की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होगी। उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास के विजन को हमें अपनी वर्क स्टाइल में लाना चाहिए। हमारा बैंक देश में एक मॉडल के तौर पर नजर आए इसके लिए हर बैंक एवं पैक्स को हर लिहाज से बेहतर बनाना होगा। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आत्मनिर्भर भारत और हरियाणा के विजन को भी हम अपनी अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से पूरा करेंगे।