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Sunday, January 17, 2021

January 17, 2021

चंडीगढ़ के एक पेड़ पर लटक रही है लाश, सूचना पर तुरंत मौके को दौड़ी पुलिस

चंडीगढ़ के एक पेड़ पर लटक रही है लाश, सूचना पर तुरंत मौके को दौड़ी पुलिस

चंडीगढ़  : शहर में जहां पेड़ पर लाश लटकने के कई मामले सामने आ चुके हैं वहीं एक बार फिर यहां एक पेड़ पर से एक लाश लटकी हुई पाई गई है। लाश एक शख्स की है जिसकी उम्र 30 से 35 साल के बीच अंदाजी गई है। मौके पर पहुंची पुलिस लाश की पूरी शिनाख्त कर रही है कि ये लाश के रूप में यह शख्स कौन है कहाँ का है और ये पेड़ से खुद लटका है या लटकाया गया है। पुलिस मामले में हर पहलू पर छानबीन कर रही है। पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवा दिया है। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इतंजार कर रही है जिसके आने पर हत्या या आत्महत्या का मामला क्लियर हो जाएगा।
बतादें कि, यह लाश शहर के थाना सारंगपुर क्षेत्र में पेड़ से लटकी हुई मिली है। लोगों ने लाश को पेड़ पर लटके हुए देखा और उनमें हड़कम्प मच गया जिसकी सूचना लोगों ने फौरन पुलिस को दी।वहीं जैसे ही सूचना पुलिस को मिली वह फौरन मौके के लिए निकली और मौके पर पहुंचकर लाश को पेड़ से नीचे उतारकर उसे सेक्टर 16 अस्पताल के मोर्चरी में भेज दिया।
पुलिस का कहना है कि लाश  एक शख्स की है जिसकी उम्र 30 से 35 के बीच की लग रही है। लाश की अभी ज्यादा पहचान नहीं हो पाई है जो कि जारी है। वहीं लाश की हालत के हिसाब से वह 4 से 5 दिन पुरानी है।फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सबकुछ क्लियर हो पायेगा। पुलिस ने बताया कि उसे सूचना मिली थी कि सारंगपुर क्षेत्र के अंतर्गत जंगल एरिया में पेड़ से एक शव लटक रहा है। जिसके बाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची थी।

Wednesday, November 11, 2020

November 11, 2020

हाईकोर्ट ने 816 चयनित आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों को दिया बड़ा झटका, भर्ती रद

हाईकोर्ट ने 816 चयनित आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों को दिया बड़ा झटका, भर्ती रद

चंडीगढ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 816 चयनित आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों को बड़ा झटका देते हुए सिंगल बेंच के उस आदेश पर मोहर लगा दी है जिसके तहत सिंगल बेंच ने भर्ती को रद करने का आदेश दिया था।
याचिका दाखिाल करते हुए विनोद कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट की खंडपीठ को बताया कि हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग ने आर्ट एंड क्रफ्ट शिक्षकों के 816 पदों केलिए 2006 में आवेदन मांगा था। इसके अनुरूप बड़ी संख्या में आवेदन पहुंचे। इसके बाद हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया। जुलाई 2008 में परीक्षा की तारीख तय की गई और इसके बाद इंटरव्यू की तारीखें तय की गई। इस सब के बीच एक बार फिर से आयोग ने फैसला बदल लिया और शैक्षणिक योग्यता के अनुसार पदों से 8 गुना आवेदकों को इंटरव्यू के लिए बुलाने का निर्णय लिया।

हैरानी की बात यह रही कि आयोग ने एक बार फिर से अपने निर्णय को बदल लिया और सभी आवेदकों को इंटरव्यू के लिए बुलाने का निर्णय लिया। सिंगल बेंच ने भर्ती में असफल रहे आवेदकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका मंजूर कर भर्ती प्रक्रिया को नए सिरे से आयोजित करने के आदेश दिए थे। इस आदेश को अब खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में सिंगल बेंच के आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती है। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं दी जा सकती है। इस बीच याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से अपील की कि जब तक नई भर्ती नहीं हो जाती है तब तक उन्हें काम करने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। 
November 11, 2020

हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा बढ़ाई

हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के लिए खर्च की सीमा बढ़ाई

चण्डीगढ़ : हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग ने मेयर, नगर निगम सदस्यों, नगर परिषद व नगरपालिका सदस्यों के लिए चुनाव खर्च की सीमा में संशोधन करते हुए खर्च सीमा में बढ़ोतरी की है। अब मेयर के लिए अधिकतम चुनाव खर्च सीमा 22 लाख रुपये होगी, जोकि पहले 20 लाख रुपये थी। इसी प्रकार, नगर निगम सदस्यों के लिए 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5.50 लाख रुपये, नगर परिषद के सदस्यों के लिए 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 3.30 लाख रुपये और नगरपालिका सदस्यों के लिए 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये कर दी है।
राज्य निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिका चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार या उनके चुनाव एजेंट द्वारा चुनाव खर्च का ब्यौरा रखना होगा और परिणाम घोषित होने से 30 दिनों के अंदर खर्च का ब्यौरा जिला उपायुक्त के पास जमा कराना होगा। इसके अलावा, यह भी निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई उम्मीदवार निर्धारित समया‌वधि में चुनाव खर्च का ब्यौरा पेश करने में असफल होता है तो आयोग उसे अयोग्य घोषित कर सकता है और उम्मीदवार आदेश जारी होने की तिथि से 5 साल तक के लिए आयोग्य घोषित रह सकता है।
उम्मीदवार स्वयं या उसके अधिकृत चुनाव एजेंट द्वारा नामांकन पत्र भरने से लेकर चुनाव परिणाम घोषित होने वाले दिन तक चुनाव से संबंधित सभी खर्चों के लिए अलग से खाता रखना होगा। कुल खर्च उपरोक्त सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार या उसके चुनाव एजेंट द्वारा उपरोक्त सीमा से अधिक खर्च करने के मामले में किसी भी प्रकार के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा और उल्लंघन करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Sunday, November 8, 2020

November 08, 2020

हरियाणा में दिवाली पर दो घंटे पटाखे बजा सकते हैं लोग, सीएम ने किया ऐलान

हरियाणा में दिवाली पर दो घंटे पटाखे बजा सकते हैं लोग, सीएम ने किया ऐलान

चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने प्रदेश में दिवाली पर लोगों को दो घंटे पटाखे बेचने व बजाने की छूट देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए लिया गया है ताकि प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सके।

  मुख्यमंत्री आज फतेहाबाद के गांव दौलतपुर में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में दिवाली के दिन नागरिक सिर्फ दो घंटे पटाखे बजा सकते हैं। देखा गया है कि प्रदूषण के कारण ही कोरोना के संक्रमित मरीजों में भी बढ़ोतरी हुई है। प्रदूषण कम करने और कोरोना के संक्रमण के फैलाव को रोकने के मद्देनजर पटाखे बेचने व बजाने को प्रतिबंधित किया गया है।

  मुख्यमंत्री ने एमबीबीएस की फीस की बढ़ोतरी के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि फीस में मामूली बढ़ोतरी की गई है। पिछले काफी सालों से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों की तुलना में हरियाणा में मेडिकल फीस अब भी काफी कम है। दस लाख के बान्ड भरवाए जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह इसलिए शामिल किया गया है ताकि विद्यार्थी एमबीबीएस करने के बाद प्रदेश में नौकरी कर सकें और अपनी सेवाएं प्रदेश के नागरिकों के लिए दें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का रूझान प्रदेश में नौकरी करने की ओर बढ़ाने के लिए बान्ड भरवाने की व्यवस्था की गई है।

 मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसान आंदोलन बेअसर है। तीनों कृषि कानून किसानों के हक में है। कांग्रेस किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रही थी। कांग्रेस का चेहरा विधानसभा सत्र में बेनकाब हो चुका है। प्रदेश के लोगों ने देखा कि कांग्रेस इस पर सस्ती राजनीति कर रही थी। विधानसभा में चर्चा में भाग न लेने से कांग्रेस का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में यह जरूरी है कि पहले चर्चा हो और उसके बाद ही वोटिंग होती है।

         एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि बिहार के नतीजों और एग्जिट पोल का हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में कोई महत्व नहीं है। सोनीपत में जहरीली शराब पीकर मृत्यु होने की घटना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की घटनाएं सामाजिक और कानूनी स्तर पर सही नहीं है। प्रदेश सरकार ने इस पर संज्ञान लेते हुए एफआईआर के भी आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मरने वालों के परिजनों को राहत राशि की घोषणा भी सरकार की ओर से की गई है। उन्होंने कहा कि शराब की अवैध बिक्री में शामिल पाए जाने वाले दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
November 08, 2020

गाँव में काम ना करने पर सरपंच को हटा सकेंगे लोग , जानिए क्या है राईट टू रिकॉल बिल ?

गाँव में काम ना करने पर सरपंच को हटा सकेंगे लोग , जानिए क्या है राईट टू रिकॉल बिल ?

चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा के इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल पारित हुए और इनमें से एक शुक्रवार को ग्राम पंचायतों के लिए 'राइट टू रीकॉल' बिल भी पटल पर रखा गया जिसे माननीय सदस्यों ने पास कर दिया। इस बिल के लागू होने से काम ना करने वाले सरपंच को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है।

  विधानसभा में आज पास हुए 'राइट टू रीकॉल' बिल के बारे में डिप्टी सीएम ने बताया कि सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता अविश्वास लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे। यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा। इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर 2 घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी।

इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा और अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ मतदान किया तो सरपंच पदमुक्त हो जाएगा। सरपंच चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं पड़ते हैं तो आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इस तरह 'राइट टू रीकॉल' एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा।

किन राज्यों में है राईट टू रिकॉल कानून ?

1. उत्तर प्रदेश
2. उत्तराखंड
3. बिहार
4. झारखंड
5. मध्य प्रदेश
6. छत्तीसगढ़
7. महाराष्ट्र
8. हिमाचल प्रदेश

क्या है राईट टू रिकॉल की प्रक्रिया ?

सरपंच पर रिकॉल (जनता द्वारा वापस बुलाने की प्रक्रिया) की प्रक्रिया 2 चरणों की प्रक्रिया है जिसको नागरिक स्वयं शुरू कर सकते हैं । राज्य अनुसार 1-2 वर्ष के सुरक्षित (लॉक-इन) अवधि के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की अमुक संख्या को अपने हस्ताक्षर अथवा अंगूठे के छाप याचिका के रूप में जिला के कलेक्टर के दफ्तर में देना होता है । हस्ताक्षरों की जांच के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की बैठक का आयोजन किया जायेगा और यदि उस बैठक में बहुमत ग्राम सभा के सदस्य, अपने सरपंच को हटाने के लिए मांग करते हैं, तो उस सरपंच को हटाया जायेगा ।

क्या है राईट टू रिकॉल का इतिहास ?

निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार का इतिहास काफी पुराना है । प्राचीन काल में एंथेनियन लोकतंत्र से ही यह कानून चलन में था । बाद में कई देशों ने इस रिकॉल को अपने संविधान में शामिल किया । वैसे इतिहास यह है कि इस कानून की उत्पत्ति स्विटजरलैंड से हुई पर यह अमेरिकी राज्यों में चलन में आया । 1903 में अमेरिका के लास एंजिल्स की नगर पालिका (म्यूनिसपैलिटी), 1908 में मिशिगन और ओरेगान में पहली बार राइट टू रिकाल राज्य के अधिकारियों के लिए लागू किया गया ।
आधुनिक भारत में, सचिंद्रनाथ सान्याल ने सबसे पहले जनसेवकों को बदलने के अधिकार की मांग की थी। सचिंद्रनाथ सान्याल ने दिसम्बर 1924 में `हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन` का घोषणा पत्र लिखा था। उस घोषणा पत्र में सचिंद्रनाथ सान्याल लिखा है कि "इस गणराज्य में, मतदाताओं के पास अपने जनसेवकों के ऊपर राईट टू रिकॉल (हटाने का प्रावधान) होगा, यदि मतदाता चाहें तो, नहीं तो लोकतंत्र एक मजाक बन जायेगा ।

चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर रिकॉल का भारतीय लोकतंत्र में बहस का काफी लंबा इतिहास है; इस मुद्दे पर संविधान-सभा में भी बहस हुई थी। ये बहस इस धारणा पर केंद्रित थी कि मतदआतों के पास चुनाव के अधिकार होने के साथ-साथ हाताने (राईट टू रिकॉल) का अधिकार भी होना चाहिए और यदि कुछ गडबडी हो जाये तो, मतदाताओं के पास कोई उपाय होना चाहिए, लेकिन डा. बी.आर. आंबेडकर ने संविधान के इस प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार नहीं किया।
18 जुलाई 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था जब वे संविधान-सभा के बहस में जनता के जनसेवकों को हटाने के अधिकार (रिकॉल) के प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा कर रहे थे – "यदि कुछ बिरले लोग या कुछ काली भेड़े हैं जिन्होंने अपने चुनाव-क्षेत्र का विश्वास खो दिया है और फिर भी संसद में उस चुनाव-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, तो उन कुछ बुरे लोगों के लिए हमें अपने चुनाव-क्षेत्र (की व्यवस्था) को बिगाडना नहीं चाहिए। हमें उसे वर्तमान अवस्था में ही रहने देना चाहिए और सम्बंधित सदस्यों के सही समझ पर छोड़ देना चाहिए |"

फिर भी, उसी समय कुछ सदस्यों को डर था कि बिना अविश्वास प्रस्ताव या रिकॉल के ग्राम या नगर पालिका की इकाइयां निरंकुश हो जाएँगी |
भारत में सबसे पहला रिकॉल (जनता का जनसेवक को वापस भुलाने का अधिकार) उत्तर प्रदेश में सरपंच पर ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के रूप में आया ।

Saturday, November 7, 2020

November 07, 2020

गुपचुप बाहर आया था राम रहीम: बाबा को खट्टर सरकार ने एक दिन की पैरोल दिलाई, 300 जवानों की सुरक्षा में गुड़गांव भेजा गया

गुपचुप बाहर आया था राम रहीम: बाबा को खट्टर सरकार ने एक दिन की पैरोल दिलाई, 300 जवानों की सुरक्षा में गुड़गांव भेजा गया

चंडीगढ़ / रोहतक : दुष्कर्म और हत्या के मामले में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक दिन की पैरोल पर बाहर आया था। राम रहीम को 24 अक्टूबर को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल दी गई थी। सरकार और जेल प्रशासन ने मीडिया तक को भी इसकी भनक नहीं लगने दी। पैरोल के बाद राम रहीम गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मिलकर आया। उसे सुनारियां जेल से गुड़गांव के अस्पताल तक बख्तरबंद गाड़ी में ले जाया और फिर लाया गया।
राम रहीम 25 अगस्त 2017 से रोहतक जेल में बंद है। डेरे की पूर्व साध्वियों से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में राम रहीम को दोषी करार दिया गया था। पैरोल मिलने का मामला सामने आने के बाद जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने इस पर कहा है कि बाबा को पैरोल नियमों के हिसाब से दी गई है। हालांकि, उसने पहले भी कई बार पैरोल के लिए अर्जी लगाई , लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।

राम रहीम की सुरक्षा में पुलिस की तीन टुकड़ी

राम रहीम 24 अक्टूबर को शाम तक अपनी बीमार मां के साथ रहा। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा पुलिस की तीन टुकड़ी तैनात थी। एक टुकड़ी में 80 से 100 जवान थे। यानी 250 से 300 जवानों की तैनाती की गई थी। डेरा चीफ को जेल से बख्तरबंद गाड़ी में लाया गया। गुड़गांव में पुलिस ने अस्पताल के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की। जिस फ्लोर में उसकी मां का इलाज चल रहा था, उसे पूरा खाली कराया गया था।
इस मामले की पुष्टि रोहतक एसपी राहुल शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि उन्हें जेल सुपरिंटेंडेंट से राम रहीम के गुड़गांव दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था का निवेदन मिला था। 24 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम ढलने तक सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। सब कुछ शांति से हुआ। दूसरी ओर शनिवार दोपहर इस मामले पर प्रदेश के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि राम रहीम को सारे नियम को ध्यान में रखते हुए पैरोल दी गई थी।

राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई है

2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। छत्रपति अपने समाचार पत्र में डेरा से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करते थे। पत्रकार छत्रपति की हत्या के बाद परिजनों ने मामला दर्ज कराया था और बाद में इसे CBI को सौंप दिया गया था। CBI ने 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इसमें डेरा प्रमुख राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था। इससे पहले 28 अगस्त 2017 में CBI की विशेष कोर्ट ने दो महिलाओं के साथ रेप के मामले में राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई थी।
November 07, 2020

हरियाणा में जहरीली शराब का मामला:मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए देगी राज्य सरकार, बेचने वालों पर भी होगी कड़ी कार्रवाई

हरियाणा में जहरीली शराब का मामला:मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए देगी राज्य सरकार, बेचने वालों पर भी होगी कड़ी कार्रवाई

चंडीगढ़ / सोनीपत : हरियाणा में जहरीली शराब के सेवन से पिछले 5 दिन में 47 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। साथ ही शराब को अवैध रूप से बेचने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की जा रही है। यह अलग बात है कि मौतों के आंकड़े को लेकर प्रदेश की सरकार और हकीकत में बहुत बड़ा झोल है। शुक्रवार यह मसला विधानसभा सेशन में भी उठा और इस दौरान गृह मंत्री अनिल विज ने सिर्फ 9 लोगों की मौत की बात कही।
बताते चलें कि पिछले पांच दिन में जहरीली शराब के सेवन से हरियाणा में 47 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा सोनीपत में 36, पानीपत में 8 और फरीदाबाद में 3 की मौत शराब से होने की बात सामने आई है। जहरीली शराब से जान गंवाने वाले सोनीपत जिले के गांव गूमड़ निवासी जयपाल के अलावा दूसरे जिलों में जान गंवाने वाले लोगों के परिजन मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं।
शुक्रवार को गूमड़ के 40 वर्षीय जयपाल और 30 वर्षीय प्रदीप का शव पोस्टमॉर्टम के बाद मिला तो परिजनों और गूमड़ के लोगों ने गन्नौर-खुबडू़ सड़क पर शव रखकर जाम लगा दिया। दोपहर करीब 12 बजे से देर रात तक ये लोग धरने पर डटे रहे। प्रदर्शनकारी आरोपियों पर कार्रवाई, परिजनों को 25-25 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे थे। इसी प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
इस बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि सोनीपत और पानीपत जिलों में जहरीली शराब के सेवन से जिन 9 लोगों की जान गई है, उनके परिवारों को दो लाख रुपए की राहत राशि हरियाणा मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जाएगी। साथ ही जहरीली शराब बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब दूसरी ओर देखा जाए तो मरने वालों की संख्या को लेकर बड़ा झोल है। बीते दिन इस मुद्दे पर विधानसभा में जब विपक्ष ने गृहमंत्री अनिल विज को घेरा तो विज ने महज नौ लोगों (पानीपत में 5 और सोनीपत में 4) की मौत जहरीली शराब से होने की बात कही।

 पड़ताल- ये हैं जान गंवा चुके 32 लोगों के नाम

पानीपत में धनसौली निवासी बलबीर सिंह, सतपाल, काला उर्फ इस्लाम, बिजेन्द्र उर्फ बीजा, शिवकुमार, इंद्रसिंह, नंगला पार निवासी मेहरसिंह, सुशील उर्फ काला
सोनीपत शहर निवासी अरुण कौशिक, राजू, मुकेश, चांदराम, सतीश, मंदीप, बलराज, महावीर, बलराज, धर्मवीर, बलजीत, रणवीर, राजेश, मनोज, रिंपा, रघुवीर, भूखड़, दिनेश
गन्नौर में गूमड़ गांव निवासी: जयपाल, सुरेंद्र, राकेश, प्रदीप, तीर्थ और विक्रम

Friday, July 10, 2020

July 10, 2020

पांच लाख रिश्वत मामले में इंस्पेक्टर जसविंदर कौर ने दायर की अग्रिम जमानत याचिका

झूठी शिकायत दे समझौते के पैसे को रिश्वत के बताने का लगाया आरोप

पांच लाख रिश्वत मामले में इंस्पेक्टर जसविंदर कौर ने दायर की अग्रिम जमानत याचिका

चंडीगढ़ : पांच लाख रुपए रिश्वत मामले में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाई गई मनीमाजरा थाने की पूर्व एसएचओ जसविंदर कौर अब तक सीबीआई के हाथ नहीं लगी हैं। वही मामले में वीरवार को इंस्पेक्टर जसविंदर कौर की ओर से सीबीआई की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई है। जिस पर सीबीआई शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल करेगी।

जमानत याचिका में रखें कई तथ्य…

जांच एजेंसी को गुमराह कर उनके खिलाफ झूठी शिकायत देने के मामले में इंस्पैक्टर जसविन्द्र कौर ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि जांच एजेंसी को गुमराह कर उनके खिलाफ झूठी शिकायत दी गई है।

 शिकायतकर्ता ने तथ्यों को छिपाते हुए उसे मामलें में गलत फसाया है। जबकि उसका इस पूरे प्रकण में कोई रोल नही है। वही यह भी बताया कि किस तरह ईमेल के जरीए 5 जून को उनके पास शिकायत आई और इसके बात किस तरह दोनों पार्टियों के बीच में 21 जून को समझौता हो गया। जिसको लेकर थाने में दर्ज डीडीआर में बकायदा दोनों पक्षों के समझौते नामे के बाद दो लाख रुपए तुरंत ,3 लाख रुपए कैश और बकाया रकम अलग-अलग तारीख को चेकों के माध्यम से देने को लेकर राजीनामा हुआ था। इसके पांच दिन बाद शिकायतकर्ता सीबीआई के पास एसएचओ के खिलाफ 5 लाख रुपए रिश्वत मांगने की शिकायत लेकर पहुंच गया। उसने जांच एजेंसी सीबीआई समेत सभी को गुमराह कर समझौते के पैसों को ही रिश्वत के पैसें बताकर उन्हें फसाया है। वहीं जमानत याचिका में मुख्य बात यह भी सामने आई है कि जसविन्द्र कौर ने चंडीगढ़ पुलिस विभाग में तैनात कुछ अफसरों पर उसके खिलाफ सीबीआई को शिकायत देने वाले शिकायतकर्ता की सहायता करने की बात कही है।

Tuesday, June 23, 2020

June 23, 2020

चंडीगढ़ में बिना परमिशन आए तो होगी जेल

चंडीगढ़ में बिना परमिशन आए तो होगी जेल

चंडीगढ़: चंडीगढ़ में आने वालो के लिए प्रशासन द्वारा एक ज़रूरी सूचना जारी की गई है, जिसमें चंडीगढ़ पहुंचते ही पहले दिन यह जानकारी यूटी प्रशासन की वेबसाइट पर देनी होगी। आरोग्य सेतु एप भी डाउनलोड करना जरूरी। यूटी प्रशासन ने यह फैसला लिया है कि ट्राईसिटी से बाहर या कहीं से भी चंडीगढ़ आकर बिना जानकारी दिए 72 घंटे से अधिक रहने पर जेल की सजा होगी। शहर ट्रैवल हिस्ट्री से जुड़े लोगों की वजह से कोरोना मामले दोगुनी तेजी से फैल रहे हैं। इसी को देखते हुए यूटी प्रशासन ने यह फैसला लिया है।
बाहर से आकर गेस्ट हाउस, फ्रेंड्स या रिश्तेदारों के यहां आकर रहने वालों के लिए यह आदेश खास तौर पर जारी किए गए हैं। तीन दिन रुकने पर यह जानकारी देनी बहुत जरूरी है। प्रशासन ने सभी होटल, रेस्ट हाउस, धर्मशाला और सराय के लिए भी यह आदेश जारी किए हैं। इन सभी को विजिटर का डेली रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज करना होगा। साथ ही, बिना आरोग्य सेतु एप के किसी को नहीं रखा जा सकता।

Monday, June 22, 2020

June 22, 2020

चंडीगढ़ प्रशासन का बड़ा फैसला अब कोरोना टेस्ट होगा केवल 2000 में

चंडीगढ़, 22 जून : कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच, सोमवार को चंडीगढ़ प्रशासन का एक एहम फैसला सामने आया है | प्रशासन ने चंडीगढ़ में होने वाला कोरोना वायरस का टेस्ट जो 4500 में होता था उसकी कीमत कम करके 2000 कर दी गयी है |
आपको बता दें की यह फैसला सोमवार को चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा द्वारा बैठक में लिया गया | जिसमे अरुण कुमार गुप्ता, आईएएस, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने निजी एसआरएल डायग्नोस्टिक्स प्रयोगशाला भी मौजूद थे |
गौरतलब है की चंडीगढ़ में जो कोरोना टेस्ट के लिए रेट रखा गया है वो पुरे भारत में सबसे कम कीमत में करवाने वाला पहला केंद्रशासित प्रदेश है | इससे पहले ये रेट 4500 था |
दिल्ली में भी कोरोना टेस्ट का रेट कम कर दिया गया है जो अब केवल 2400 में किया जायेगा |
इसी के साथ सोमवार शाम तक पंजाब में भी कोरोना टेस्ट के रेट कम हो सकते है |