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Saturday, May 2, 2020

लॉक डाउन के कारण पानीपत के एक्सपोर्टरों के 3000 करोड़ के टेक्सटाइल उत्पाद अटके

(अरुण मलिक) पानीपत- लाकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था का पहिया थम सा गया है, जबकी एक्सपोर्ट तो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है| प्रदेश मे पानीपत के एक्सपोर्टरों के भी करीब तीन हजार करोड रुपये कीमत के टेक्सटाइल उत्पाद रास्ते मे अटके हुए है, क्योकि अधिकतर देशों में समुंद्री रास्ते से टेक्सटाइल उत्पाद का निर्यात होता है, लेकिन लगभग 40 दिन सबकुछ बंद होने से जो सामान जहाँ था वही रुक गया | समय पर समान न पहुच पाने व कोरोना के खतरे को देखते हुए अधिकतर आर्डर कैंसिल हो गये, जबकि सामान रास्ते मे फंसा हुआ है जिससे  आर्डर रद होने के साथ ही टेक्सटाइल उत्पादों के खराब होने की  भी आशंका है। 


समुंदी मार्ग से निर्यात होता है टेक्सटाइल उत्पाद 
पानीपत से दुनिया के अधिकतर देशों को टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात होता है, वहीं पानीपत में तैयार होने वाला टेक्सटाइल उत्पाद, बॉयरों (विदेशी इंपोटर) के एजेंटों की निगरानी में पैंकिंग कर कंटेनरो में भरा जाता है, जिन कंटेनरो को ट्रक से गुजरात या फिर महाराष्ट्र के बंदरगाहों पर भिजवाया जाता है, जहाँ पर कागजी कार्यवाही के बाद टेक्सटाइल उत्पाद से भरे कंटेनर को विदेश में निर्यात करने के लिए समुंद्री जहाज पर रख दिया जाता है, करीब एक से डेढ माह के सफर के बाद पानीपत से निर्यात किए गए टेक्सटाइल उत्पाद अपनी मंजिल तक पहुंच जाते है। 

सामान्य परिस्थियो में 50 कंटेनर हर रोज निर्यात होते थे 
पानीपत विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाइल हब है और सामान्य परिस्थियो में पानीपत से प्रति दिन औसतन 50 कंटेनर प्रति दिन गोदी (बंदरगाहों) के लिए रवाना होते थे। वहीं लॉक डाउन के चलते आवागमन पूरी तरह से ठप है। पानीपत ट्रांसपोर्टर यूनियन के चेयरमैन चौ.धर्मवीर मलिक ने कहा कि कोरोना के प्रकोप के चलते लॉक डाउन में ट्रांसपोर्ट उद्योग 95 प्रतिशत तक ठप है। वहीं लॉक डाउन से पहले पानीपत के एक्सपोर्ट हाउसों से प्रति दिन औसतन 50 से 60 कंटेनर मॉल गुजरात व महाराष्ट्र के बंदरगाहों तक भिजवाया जाता था।
कंटेनरों में लदे माल के खराब होने की आशंका
 कारपेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के चेयरमैन चौ. जितेंद्र मलिक ने बताया कि विदेशी बॉयरों के साथ तय मापदंडों के अनुसार विदेश में निर्यात होने वाले समान की पैकिंग होती है, वहीं पैंकिंग से पहले समान का ट्रीमेंट किया जाता है ताकि माल जब विदेश में शोरूम में खोला जाए तो वह फ्रैश नजर आए। उन्होंने बताया कि समान यदि लंबे समय कंटेनर या फिर पेटियों में पैक रह जाए तो इसका दुष्प्रभाव माल की गुणवत्ता पर पडता है, जैसे भारत में अधिकतर दिन समान पैक रह जाए तो उसके अंदर सीलन की महक आने लगती है। वहीं जो करोडों खर्च करेगा वह समान की गुणवत्ता वाला ही लेगा, ऐसा भी अनेक बार हुआ है कि लंबे समय पैंकिंग में रहे समान को खरीददार वापस कर देते है और समान का आवागमन के खर्च समेत तामा लागत एक्सपोर्टर की जेब से निकलती है। इधर, एक्सपोर्टर अरूण मलिक, आदित्य गुप्ता, सुरेश मित्तल ने बताया कि पेकिंग में रखे समान की गुणवत्ता को लेकर वे बहुत ही चिंतित है।

हालात दिन प्रति दिन खराब होते जा रहे है
 पानीपत एक्सपोर्टर एसोसिएशन के चेयरमैन ललित गोयल ने बताया कि कोरोना का प्रकोप व लॉक डाउन के कारण पानीपत टेक्सटाइल उद्योग का नुकसान लगातार बढता जा रहा है। वहीं हजारों करोड का समान शिपमेंट में अटका हुआ है। लॉक डाउन के कारण किसी एक्सपोर्टर के कागजात पूरे नहीं हुए तो किसी का कोरियर नहीं गया, अनेकों एक्सपोर्टरों का समान बंदरगाहों पर कागजातों की या फिर कागजाती कमियों के कारण फंसा हुआ है। उन्होंने चिंता जताई कि यदि समान की जल्द ही विदेशों में रवानगी शुरू नहीं हुई तो बहुत ही मोटी रकम का नुकसान हो सकता है।


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