हुड्डा के चैलेंज पर मनोहर लाल बोले- वे सोनीपत पहले ही हार चुके, उसी लोकसभा सीट में है बरौदा
चंडीगढ़ : सूबे में सियासी गतिविधियां अचानक गर्माने लगी हैं। सभी राजनीतिक दलों की निगाहें सितंबर में संभावित बरौदा विधानसभा उपचुनाव पर टिक गई हैं। इसलिए अब जुबानी सियासी हमले भी तेज हो गए हैं। दो दिन पहले पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बरौदा चुनाव में उनके सामने उतरने की चुनौती दी थी, जिसका जवाब मुख्यमंत्री ने सोमवार को दिया।
सीएम ने कहा कि हुड्डा लोकसभा में सोनीपत से हार चुके हैं और बरौदा सीट उसी क्षेत्र में है। रोहतक भी हार गए थे। दीपेंद्र का नाम लिए बिना कहा कि विधायकों के कंधे पर चढ़कर राज्यसभा पहुंचे हैं। इधर, उपचुनाव की रणनीति बनाने के लिए भाजपा चार दिन पहले चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक कर चुकी है।
सत्ताधारी दल को घेरने के लिए कांग्रेस ने प्रदेश में शैडो कैबिनेट बनाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस की ओर से बाकायदा विधायकों को विभाग वाइज चुनावी ड्यूटी सौंपी जाएगी। कांग्रेसी विधायक भाजपा के हर मंत्रालय की कमियाें की लिस्ट तैयार कर जनता के बीच ले जाकर उजागर करेंगे। सोमवार को चंडीगढ़ में पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सरकारी निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, इसमें मुलाना के विधायक वरुण चौधरी ने बैठक में शैडो केबिनट का सुझाव रखा, जिस पर अधिकांश विधायकों ने मुहर लगाई।
हुड्डा जल्द शैडो कैबिनेट का ऐलान करेंगे। पूर्व सीएलपी लीडर व तोशाम विधायक किरण चौधरी व बादली एमएलए कुलदीप वत्स वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में जुड़े। पूर्व सीएम हुड्डा ने फिर कहा- मैं बरौदा से चुनाव लड़ने को तैयार हूं, बशर्तें सीएम मेरे सामने आएं। इससे भाजपा-जेजेपी गठबंधन को लोकप्रियता का अहसास हो जाएगा।
जेजेपी के 8 विधायक जल्द उनके साथ हाेंगे
इनेलाे के प्रधान महासचिव अभय चौटाला ने दावा किया कि जल्द ही जेजेपी के 10 विधायकाें में से 8 उनके साथ हाेंगे। उन्हाेंने प्रदेश में बरोदा उपचुनाव के बाद सरकार की उल्टी गिनती शुरू हाेने की बात कही। ऐलनाबाद के विधायक साेमवार काे महेंद्रगढ़ दाैरे पर थे। उन्हाेंने पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष सुरेंद्र काैशिक के आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक ली।
कहा कि बरोदा उपचुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन की हार के बाद सरकार में भगदड़ मच जाएगी। जेजेपी के 10 में से 8 विधायक आपके साथ बैठे दिखाई देंगे। 1996 में चौधरी बंसीलाल की जोड़तोड़ की सरकार कुछ महीने ही चली थी।
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