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Tuesday, October 5, 2021

October 05, 2021

जींद में किसान बिफरे, दो स्थानों पर लगाये जाम, डीसी कार्यालय की किया घेराव

जींद में किसान बिफरे, दो स्थानों पर लगाये जाम, डीसी कार्यालय की किया घेराव
जींद, ( ब्यूरो रिपोर्ट )--संजय कुमार ÷ यूपी के लखीमपुर खोरी में हुई घटना के विरोध में सोमवार को जिले के किसान बिफर गए। किसानों ने जींद-हिसार मार्ग व जींद बरवाला मार्गों को जाम कर दिया। सयुंक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में डीसी कार्यालय का घेराव भी किया। इस दौरान भारी पुलिस बल भी टैंक्त रहा।
 सुबह करीब 9 बजे जींद-हिसार मार्ग पर स्थित गांव रामराये बस अड्डा पर रामराय, राजपुरा भैंन, गुलकनी आदि गांवों के किसानों ने यूपी के लखीमपुर में किसानों पर हुए अत्याचार के संबंध में जींद-हाँसी रोड को मोटे लक्कड़ डालकर जाम कर दिया है। इससे पहले सुबह 8 बजे जींद-बरवाला मार्ग पर स्थित गांव ईटल कलां बस अड्डा पर करीब 60-70 लोगों ने जाम कर दिया। जाम की सूचना मिलते ही सदर थाना प्रभारी मनीष कुमार व डीएसपी पुष्प खत्री दोनों जगह किसानों को समझने पहुंचे, मगर किसान टस से मस नहीं हुए। करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद अधिकारी किसानों को मना लेने में कामयाब हुए। किसानों ने जाम खोल दिया।
उधर, खटकड़ टोल से सयुंक्त किसान मोर्चा, कंडेला खाप, खेड़ा खाप के पदाधिकारियों की अगुआई में सैकड़ों किसान सुबह ही ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर जिला मुख्यालय पहुंच गए। दोपहर करीब साढ़े 12 बजे किसानों ने डीसी कार्यालय को पूरी तरह घेर लिया।  घेराव करने वाले सैकड़ों किसानों में मुख्यतया आज़ाद पालवां, सतबीर बरसोला, सिक्कम देवी, कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला, राज सिंह कंडेला, जगतसिंह लोहचब आदि प्रमुख थे।
 किसानों ने प्रदर्शन करते हुए डीसी नरेश नरवाल को ज्ञापन दिया। किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए घटना के लखीमपुर खोरी आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। नारेबाजी के बीच तनाव का माहौल देखते हुए माैके पर एएसपी नीतिश अग्रवाल, डीएसपी धर्मबीर भारी पुलिस बल के साथ तैनात रहे। किसानों को रोकने के लिए लघु सचिवालय के बाहर और डीसी कार्यालय से पहले तीन जगहों पर बैरिकेडिंग की गई थी, लेकिन किसानों की संख्या ज्यादा होने के कारण पुलिस ने बैरिकेडिंग हटा दी और किसानों को लघु सचिवालय में जाने दिया। डीसी कार्यालय के नीचे एक घंटे से ज्यादा समय तक किसान धरने पर बैठे रहे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए लखीमपुर खीरी में हुई घटना की निष्पक्ष जांच कराने और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र को पद से हटाने की मांग की। किसान नेता आजाद पालवां, सतबीर पहलवान, बिजेंद्र संधू, कैप्टन भूपेंद्र, ओमप्रकाश कंडेला ने कहा कि लखीमपुर खीरी के आरोपितों को सजा मिलनी चाहिए। अगर मामले की निष्पक्ष जांच करके आरोपितों पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो संयुक्त मोर्चा के फैसले अनुसार किसान आंदोलन तेज करेंगे। किसान नौ माह से नए कृषि कानूनों के विरोध में शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन सरकार आंदाेलन को बदनाम करने के लिए बार-बार उकसा रही है। लखीमपुर में हुई घटना से सरकार का तानाशाही रवैया सबके सामने आ गया है।
October 05, 2021

लखीमपुर खीरी में हुई घटना पर कंडेला खाप ने जताया शोक

लखीमपुर खीरी में हुई घटना पर कंडेला खाप ने जताया शोक 
जींद,ब्यूरो रिपोर्ट , ( संजय कुमार ) ÷सर्वजातीय कंडेला खाप में कल लखीमपुर खीरी में शहीद हुए किसानों की मौत पर शौक व्यक्त किया है। और भगवान से प्रार्थना की है कि इस दुख की घड़ी में किसान परिवारों को शक्ति और धैर्य देना। सर्वजातीय कंडेला खाप के प्रधान औमप्रकाश कंडेला व प्रैस प्रवक्ता जगत सिंह लोहचब ने अपने सयुंक्त बयान में कहा कि बीजेपी सरकार ने मोदी के इशारे पर लखीमपुर खीरी में मंत्री के लड़के के हाथों जो नौ किसानों को मरवाया है। उसको देश कभी माफ नहीं करेगा। मोदी अपनी सरकार बनाने के लिए कभी पुलवामा में सैनिकों को मरवाता है तो कभी किसान-मजदूरों को। ऐसे निकम्मे प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री का पद शोभा नहीं देता। 
प्रधान महासचिव राजसिंह कंडेला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की कल किसान-मजदूर के विरोध में दिए गए बयान पर मुख्यमंत्री को चेतावनी दी और कहा कि खट्टर जी आप हरियाणा के भाईचारे को खराब करने के लिए किसी और को क्यों उकसाते हो। अगर आप में दम है तो आप आइए जगह भी आपकी, समय भी आपका और मैं भी आपकी दी हुई जगह पर पहुंच जाऊंगा और आपको आपकी औकात पता चल जाएगी। कंडेला खाप सयुंक्त किसान मोर्चे के साथ है। कंडेला खाप सयुंक्त किसान मोर्चे से भी अपील करती है एक ठोस और दमदार फैसला लिजिए । अब सब्र का बांध टूट रहा है। उन्होंने कहा कि हमसे मरते हुए किसान-मजदूर देखे नहीं जाते। सरकार द्वारा हर रोज किया जाने वाला यह अत्याचार अब सहन नहीं होता। कंडेला खाप शीघ्र ही आगे की रणनीति तय करेगी। इस अवसर पर उनके साथ संरक्षक ईश्वर लोहचब, वरिष्ठ उपप्रधान रघुवीर भारद्धाज, अजमेर दालमवाला, ईश्वर रायचंद वाला, रणधीर रेढू बोहतवाला, बिजेन्द्र शाहपुर, पूर्व सरपंच कृष्ण मनोहर पुर, पूर्व सरपंच रावकेदार सिंह, विकास कंडेला, बिजेंद्र नंबरदार जीवनपुर, पंकज दालमवाला, कुलदीप शाहपुर, साधु शाहपुर, जगदीश दालमवाला, महेंद्र रायचंद वाला, महाबीर रायचंद वाला, रामफल शर्मा जीवनपुर, गुड्डू, सुरेन्द्र बैरागी, कृष्ण कंडेला, राजेश कंडेला, आदि मौजूद थे।

Wednesday, September 1, 2021

September 01, 2021

महम में भाजपा के कार्यक्रम का विरोध, किसानों और पुलिस में झड़प

महम में भाजपा के कार्यक्रम का विरोध, किसानों और पुलिस में झड़प
रोहतक : महम नगर पालिका चुनाव को लेकर भाजपा कार्यालय में कार्यकर्ता बैठक लेने पहुंचे भाजपा सांसद संजय भाटिया, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, भाजपा नेता शमशेर खरकड़ा का आंदोलनकारी किसानों ने जमकर विरोध किया। वहीं किसानों के प्रदर्शन को लेकर महम छावनी में तब्दील हो गया है। इस कार्यक्रम का जैसे ही किसानों को पता चला वे सक्रिय हो गए। काले झंडे लेकर नारेबाजी करते हुए आंदोलनकारी महम अनाजमंडी कर पास एकत्रित हुए। उसके बाद नारेबाजी करते हुए आंदोलनकारी किसान भाजपा कार्यालय के निकट पहुंच गए। पुलिस ने कार्यक्रम स्थल के बाहर किसानों को रोकने का प्रयास किया। इस दौरान किसानों ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिगेड्स हटा दिए। इस दौरान पुलिस व आंदोलनकारियों के बीच कई बार झड़प भी हुई।

Saturday, June 26, 2021

June 26, 2021

किसान आंदोलन: टिकैत की दो टूक, आज बोल दी बड़ी बात…अब सरकार क्या करेगी?

किसान आंदोलन: टिकैत की दो टूक, आज बोल दी बड़ी बात…अब सरकार क्या करेगी?
नई दिल्ली : तीन नए कृषि कानून के खिलाफ उपजे किसान आंदोलन को आज 7 महीने पूरे हो गए हैं। इस बीच कई बार सरकार और आंदोलनकारी किसान आपस में बैठक कर चुके हैं मगर परिणाम जीरो ही रहा है। बात बन नहीं पाई है। आंदोलनकारी किसान इस बात पर अड़े हैं कि तीन नए कृषि कानून को हर हाल में रद्द किया जाए। जबकि सरकार ऐसा करने को राजी नहीं है।
सरकार का कहना है कि तीन नए कृषि कानून में उनके द्वारा बताया गया उचित संसोधन किया जा सकता है या फिर एक तय समय के लिए इसके लागू होने पर रोक लगाई जा सकती है। पर तीन नए कृषि कानून को रद्द नहीं किया जा सकता है। जिसके बाद अब इसीलिए किसान आंदोलन लगातर जारी है। आंदोलनकारी किसान इस हठ पर हैं कि उनकी बात सरकार को माननी ही पड़ेगी और वह मनवाकर ही रहेंगे।
इधर, शनिवार 26 जून को आंदोलन को सात महीने पूरे होने पर आंदोलनकारी किसानों द्वारा रोष प्रदर्शन किया गया और अलग-अलग जगहों पर राजभवन में ज्ञापन देने के लिए यह आगे बढे जहाँ पुलिस और इनके बीच टकराव की स्थिति देखी गई। उधर, किसान आंदोलन की कमान संभाल रहे राकेश टिकैत ने शनिवार को सरकार को दो टूक बात कह डाली।
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे जिन पदाधिकारियों को पकड़ा है उन्हें या तो तिहाड़ जेल भेजो या फिर राज्यपाल से इनकी मुलाकात कराओ। हम आगे बताएंगे कि दिल्ली का क्या इलाज करना है। दिल्ली बगैर ट्रैक्टर के नहीं मानती है। लड़ाई कहां होगी, स्थान और समय क्या होगा यह तय कर बड़ी क्राांति होगी।
टिकैत ने आगे कहा कि आज एक बैठक की गई है जिसमें हमने अपने आंदोलन को मजबूत करने का फैसला किया है। हमने दो और रैलियां करने का फैसला किया है। 9 जुलाई को ट्रैक्टर रैली होगी जिसमें शामली और बागपत के लोग मौजूद रहेंगे, 10 जुलाई को सिंघू बॉर्डर पहुंचेंगे। इसके अलावा एक और रैली 24 जुलाई को होगी, इसमें बिजनौर और मेरठ के लोग शामिल होंगे। 24 जुलाई की रात वे मेरठ टोल पर रुकेंगे और 25 जुलाई को रैली यहां (दिल्ली-गाजीपुर) पहुंचेगी।
June 26, 2021

कैथल में सांसद नायब सैनी और करनाल में शिक्षा मंत्री का विरोध, हिरासत में लिए किसान

कैथल में सांसद नायब सैनी और करनाल में शिक्षा मंत्री का विरोध, हिरासत में लिए किसान
कैथल : कैथल के आरकेएसडी कॉलेज में आपातकाल के विरोध में भाजपा द्वारा काला दिवस मनाने पहुंचे सांसद नायब सैनी ने का किसानों ने काले झंडे दिखाकर विरोध जताया। जैसे ही किसानों ने आरकेएसडी कालेज के सामने सांसद को घेरने का प्रयास किया तो पुलिस ने भाकियू जिलाध्यक्ष होशियार सिंह गिल सहित करीब 10 किसानों को हिरासत में ले लिया। जैसे ही किसानों को किसान नेताओं की गिरफ्तारी का पता चला तो किसानों में रोष फैल गया। जिले भर से सैकड़ों किसान एकत्रित होकर थाना शहर पुलिस में जा धमके तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस की सांसें उखड़ गई। बाद में किसानों ने शहर थाना के मुख्य गेट पर धरना शुरू कर दिया। किसानों का कहना था कि सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले। किसानों की मांग थी कि जब तक डीएसपी माफी न मांगे वे धरना समाप्त नहीं करेंगे। किसानों ने फोन के माध्यम से प्रदेश भर के किसानों को गिरफ्तारी की सूचना दे दी तथा किसानों ने देखते ही देखते जिला व प्रदेश में जाम लगाने की चेतावनी दी। जाम की चेतावनी को लेकर जिला प्रशासन की सांसें उखड़ गई तथा किसानोें को जुटते देख हलचल मच गई। किसानों के विरोध को देखते हुए डा. संजय कुमार किसानों के बीच पहुंचे तथा किसानों की बात सुनी। किसानों ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने किसान नेताओं के साथ ज्यादती की। डा. संजय ने बताया कि किसानों के अनुरोध पर हिरासत में लिए किसानों को रिहा कर दिया।
*करनाल में पहुंचे थे शिक्षा मंत्री* करनाल में कष्ट निवारण समिति की बैठक में पहुंचे शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुज्जर को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। किसानों को जैसे ही पता चला कि मंत्री कष्ट निवारण समिति की बैठक में आ रहे हैं तो काफी संख्या में किसान वहां पहुंच गए और किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद वहां पुलिस भी पहुंच गई हालांकि पुलिस ने पहले ही बैरिकेड लगाए हुए थे ताकि किसान बैठक के अंदर ना पहुंचे। बावजूद इसके किसानों ने मंत्री का जबरदस्त विरोध किया करनाल में शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर कष्ट निवारण समिति की बैठक में पंचायत भवन में पहुंचे लेकिन बाहर कुछ किसान आए और उन्हें हिरासत में ले लिया गया, जिसके बाद भारी संख्या में किसानों ने पहुंचकर अपने साथियों की रिहाई की मांग की औऱ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल और बेरिकेट्स भी लगाए हुए थे।
June 26, 2021

भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुणी प्रकाश ने चढुनी और टिकैत पर लगाए कई आरोप

भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुणी प्रकाश ने चढुनी और टिकैत पर लगाए कई आरोप
कैथल : भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुणी प्रकाश ने किसान नेता गुरनाम चढुनी व राकेश टिकैत पर लगाए राजनीतिक महत्वाकांक्षा पुरी करने के आरोप। गुणी प्रकाश ने कहा कि किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत से लेकर, शरद जोशी और उन्होंने वर्षों तक ये कृषि कानून बनाए जाने के लिए आंदोलन किया। अब जब किसानों के लिए कोई कानून बना और किसानों को कृषि फसल पूरे देश के किसी भी कोन में बेचने और आढ़तियों से आजादी मिली तो ये राजनीति से प्रेरित होकर किसानों को गुमराह करने के लिए खड़े हो गए। गुणी प्रकाश ने कहा कि गुरनाम सिंह चढुनी दो-दो चुनाव विधानसभा और लोकसभा का लड़ चुके हैं, दोनों बार जमानत जप्त हुई और राकेश टिकैत भी चुनाव लड़कर अपनी जमानत जप्त करवा चुके हैं। इन्हें किसानों के हितों से कोई लेना देना नहीं है। कृषि कानूनों से नुकसान आढ़तियों को हुआ और लड़ाई किसानों के कंधों पर रखकर ये लोग लड़ रहे है। प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री का हिंसात्मक तरीके से विरोध करना कदाचित गलत है। कृषि कानूनों का उनका संगठन स्वागत करता है और जल्द ही गांव मथाना में मुख्यमंत्री का किसानों की समस्याएं सुनने के लिए खुला दरबार लगाया जाएगा, जिसके लिए मुख्यमंत्री से बात करके तारीख निश्चित की जाएगी।