सोमवारी व्रत ने दिलाया कॉमनवेल्थ मेडल:कोच और सरकारी सपोर्ट के बिना भारत की लॉन बॉल्स टीम ने रचा इतिहास, 92 साल में पहला मेडल
नई दिल्ली : कॉमनवेल्थ गेम्स के 92 साल के इतिहास में भारतीय लॉन बॉल्स महिला टीम पहली बार फाइनल में पहुंची है। टीम ने न्यूजीलैंड जैसी मजबूत टीम को 16-13 से हराया। भारतीय खिलाड़ी लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी सैकिया और रूपा रानी टिर्की ने शानदार प्रदर्शन किया। कुछ खिलाड़ियों ने तो सावन का सोमवार व्रत भी रखा था।
मैच के बाद खिलाड़ियों ने कहा कि भोले बाबा की कृपा से ही हम फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। भारतीय टीम चौथी बार लॉन बॉल्स खेलों में भाग ले रही थी। पहली बार टीम ने 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम ने भाग लिया था। 2010 में टीम ने सेमीफाइनल तक सफर तय किया था।
*बिना कोच और सरकारी सपोर्ट के किया अभ्यास*
खिलाड़ियों ने बताया कि पिछली तीन बार से कामयाबी नहीं मिलने की वजह से टीम को सरकार की ओर से कोई सपोर्ट नहीं मिल पा रहा था। बर्मिंघम की तैयारी लॉन बॉल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से पांच महीने पहले यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शुरू हुई थी।
इस कॉम्प्लेक्स को 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान लॉन बॉल्स के लिए ही तैयार किया गया था। खिलाड़ियों ने बताया कि उस समय ऑस्ट्रेलियाई कोच ने एक साल का प्रशिक्षण दिया था। उसके बाद से टीम को कोई कोच उपलब्ध नहीं कराया गया। बिना कोच के ही टीम ने अभ्यास शुरू किया। वहीं, बर्मिंघम में भी टीम टूर्नामेंट से चार दिन पहले पहुंची। चार दिन में ही टीम ने ग्रीन ग्राउंड पर जमकर अभ्यास किया। जिसका फायदा उन्हें टूर्नामेंट में मिला।
भारतीय महिला टीम ने लॉन बॉल्स के सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया।
*जीत का मंत्र*
टीम के खिलाड़ियों ने बताया कि सेमीफाइनल में जीत का केवल यही मंत्र था कि इस बार तो मेडल लेकर ही जाना है और अपना बेस्ट देना है। सभी ने एक दूसरे का हौसला अफजाई किया और सभी ने अपना सौ प्रतिशत दिया।
*न्यूजीलैंड ने जीते हैं 40 मेडल*
भारत ने न्यूजीलैंड को हराकर बड़ा उलटफेर किया है। न्यूजीलैंड की टीम ने अब तक इस खेल में 40 मेडल अपने नाम किए हैं। वह दुनिया की टॉप पांच टीमों में शामिल है। सेमीफाइनल मुकाबले में भारतीय टीम एक समय 0-5 से पीछे चल रही थी।
इसके बावजूद टीम ने वापसी की और 7-6 की बढ़त हासिल कर ली। बाद में यह बढ़त 10-7 की हो गई। यहां से भारतीय टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसने लगातार स्कोर किए और न्यूजीलैंड को 16-13 से हरा दिया।
भारत आज तक इस खेल में एक भी पदक नहीं जीत पाया था।
लॉन बॉल्स का कॉमनवेल्थ गेम्स में इतिहास
साल 1930 से ही लॉन बॉल्स कॉमनवेल्थ गेम्स का हमेशा हिस्सा रहा है। बस एक साल इस गेम का आयोजन नहीं किया गया था। भारत को 22 साल से इस गेम में कोई भी पदक नहीं मिला है। कॉमनवेल्थ गेम्स में लॉन बॉल्स में सबसे ज्यादा पदक जीतने वाला देश इंग्लैंड है।
इंग्लैंड अभी तक इस गेम में 51 पदक जीत चुका है, जिसमें 20 गोल्ड, 9 सिल्वर और 22 ब्रॉन्ज मेडल रहे हैं। इंग्लैंड के बाद ऑस्ट्रेलिया दूसरे नंबर पर आता है। ऑस्ट्रेलिया इस गेम में 50 पदक जीत चुका है। जिसमें 14 गोल्ड, 23 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल हैं। पदकों के मामले में तीसरा नंबर स्कॉटलैंड का है। स्कॉटलैंड ने अभी तक 39 पदक जीते हैं।
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