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Tuesday, April 5, 2022

April 05, 2022

IPL-15 धूल चटाने उतरेगा जींद का छोरा:युजवेंद्र चहल का सामना आज पुरानी टीम RCB से; इधर बदला लेने की तो उधर जीतने की चुनौती

IPL-15 धूल चटाने उतरेगा जींद का छोरा:युजवेंद्र चहल का सामना आज पुरानी टीम RCB से; इधर बदला लेने की तो उधर जीतने की चुनौती

Jind Ka Chorra will land in IPL-15 dusting: Yuzvendra Chahal will face the old team RCB today; Here the challenge of taking revenge, there the challenge of winning
युजवेंद्र चहल
जींद : हरियाणा के जींद के छोरे युजवेंद्र चहल के लिए आज का दिन हिसाब चुकता करने का है। आईपीएल-15 में मंगलवार शाम को उनकी राजस्थान रॉयल्स (RR) का मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) से है। युजवेंद्र चहल सीजन-15 से पहले तक आरसीबी का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन आरसीबी ने उनको इस बार झटक दिया और वे आरआर के पाले में आ खड़े हुए। आज यहां बात केवल दो टीमों में होने वाले मुकाबले भर की नहीं है, बल्कि एक दूसरे के लिए चुनौती बने RCB और युजवेंद्र चहल पर पार पाने की है।

युजवेंद्र चहल के लिए चुनौती यह है कि उसने हर हाल में RCB पर भारी पड़ना है। वहीं RCB को यह तो जताना ही है कि उसने चहल को न खरीद कर कोई बड़ी बड़ी गलती नहीं की, वहीं दो में से एक मैच हारने के बाद यह मैच जीतना भी उसके लिए एक बड़ी चुनौती है। युजवेंद्र के फैंस की नजर आज इस पर रहने वाली हे कि वो उसे छोड़ कर आगे बढ़ने वालों को किस हद तक रोकने में कामयाब होते हैं।
Jind Ka Chorra will land in IPL-15 dusting: Yuzvendra Chahal will face the old team RCB today; Here the challenge of taking revenge, there the challenge of winning
*मैच के दौरान युजवेंद्र चहल साथी खिलाड़ी के साथ।*

दोनों टीमों पर जीत का दबाव

राजस्थान रॉयल्य के युवजेंद्र चहल का सामना आज उनकी पुरानी टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से होने जा रहा है। चहल पिछले सीजन तक बेंगलोर का हिस्सा थे। इस सीजन से वह राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहें है। पिछले दोनों मैचों में राजस्थान रॉयल्स की टीम ने जीत हासिल की है। जिसमें चहल की गेंदबाजी का अहम योगदान रहा है। दोनों मैचों में वे 5 विकेट ले चुके हैं। मंगलवार के मैच में सभी की निगाहें चहल पर रहने वाली है, कि आरसीबी के खिलाफ उनका प्रदर्शन कैसा रहेगा। आरसीबी उनको झटका दे पाएगी या फिर चहल के हाथों ढ़ेर होगी, यह देखना काफी रोमांचकारी होने वाला है।

*राजस्थान की उम्मीदों पर खरा उतरे है चहल*

पूर्व में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के लिए धमाकेदार प्रदर्शन करने वाले युजवेंद्र चहल इस बार राजस्थान रॉयल्स (RR) के लिए अपना दमखम दिखा रहें है। राजस्थान ने मेगा ऑक्शन में युजवेंद्र चहल को 6.50 करोड में खरीदा था। राजस्थान का चहल को खरीदना अच्छा साबित हुआ। राजस्थान ने इस सीजन में दो मैच खेले हैं। पहले मैच में सनराइजर्स हैदराबाद को हराया, जिसमें चहल ने चार ओवर में 22 रन देकर तीन विकेट लिए। दूसरा मैच मुंबई इंडियंस के खिलाफ हुआ, जिसमें भी राजस्थान ने जीत हासिल की। चहल ने इस मैच में चार ओवर में 2 रन देकर दो विकेट हासिल किए। आज भी उनका दम दिखने की उम्मीद है, क्योंकि उन पर पुरानी टीम को सबक सिखाने का दबाव भी है।
Jind Ka Chorra will land in IPL-15 dusting: Yuzvendra Chahal will face the old team RCB today; Here the challenge of taking revenge, there the challenge of winning
*युजवेंद्र पर आज आरसीबी पर भारी पड़ने का दबाव है।*

RCB के सामने चहल एक चुनौती

युजवेंद्र चहल इस सीजन से पहले तक आरसीबी का हिस्सा हुआ करते थे। इस बार बेंगलोर ने चहल को रिटेन नहीं किया, जिसके चलते राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें खरीद लिया। पूर्व में बेंगलुरु​​​​​​​ के लिए चहल का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने 114 मैचों में 139 विकेट लिए हैं। पिछले सीजन में तो चहल आरसीबी के दूसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। आज के मैच में चहल आरसीबी के सामने चुनौती बन उतरेंगे। आरसीबी ने इस सीजन में दो मैच खेले हैं जिसमें टीम के हिस्से में एक जीत और एक हार है। इसलिए माना जा रहा है कि आरसीबी के लिए आज का मैच खास रहने वाला है, क्योंकि पूर्व में उनकी टीम का हिस्सा रहे चहल आज उनके सामने गेंदबाजी करते नज़र आएंगे।

Friday, April 1, 2022

April 01, 2022

अब तेल की कीमत क्यों बढ़ी और सरकार का इसमें रोल कहां आता है?

कुछ साल पहले जब पेट्रोल, डीज़ल की क़ीमतें बढ़ती थीं तो विरोध प्रदर्शन दिखते थे। आम लोग हों या ख़ास लोग, सबकी तरफ़ से प्रतिक्रियाएं सामने आती थीं। अब ऐसा नहीं होता, आख़िर क्यों?

भाजपा ने ईंधन की क़ीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, हालांकि सत्ता में आने पर उसने पेट्रोल, डीज़ल के दामों को कम करने के अपने वादे को पूरा नहीं किया और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कारकों को ज़िम्मेदार बताने लगी.

नई दिल्ली: मई 2012 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने तत्कालीन सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी को कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की विफलता के एक प्रमुख उदाहरण के तौर पर पेश किया.

भाजपा और उसके नेताओं ने मनमोहन सिंह सरकार पर हमलावर होने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने वादा किया था कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो ईंधन की कीमतों में कमी लाएंगे.

वर्षों बाद भी, उस वादे को साकार होता देखना नागरिकों के लिए केवल दूर का सपना इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि मोदी सरकार ने ईंधन की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि की है.

5 राज्यों कर चुनाव परिणामो के बाद पिछले 10 दिन में से 9 दिन दाम बढ़े हैं,  जो पैट्रोल  व डीजल दोनों के 5 रु 59 पैसे बढ़ चुके, जबकि डीजल के थोक विक्रताओ के लिए 25 रूपये बढ़ चुके है |

एक दौर था जब पेट्रोल और डीज़ल के भाव में इज़ाफा होता था तो अगले दिन अखबार के फ्रंट पेज पर बड़ी-बड़ी हेडलाइन होती थी. भाव बढ़ने की खबर सुनते ही लोग पेट्रोल पंप पर टंकी फुल कराने के लिए पहुंच जाते थे, ताकि नई रेट ना लगे. अब ऐसा लगता है कि पेट्रोल और डीज़ल के भाव बढ़ना तो कोई खबर ही नहीं है. लगभग रोज़ ही तो भाव बढ़ रहे हैं. पहले पेट्रोल 100 रुपये पार गया और अब डीज़ल भी देश के कई हिस्सों में 100 वाले आकंड़े को छू गया है. तेल के भावों की इस रेस में इस बार एडिबल ऑयल भी दौड़ रहा है. पिछले एक साल में खाने का तेल जितना महंगा हुआ, उतना एक दशक में नहीं हुआ. गरीब हो या अमीर हर घर में तेल इस्तेमाल होता है और इसका भाव बढ़ने का असर देश के हर घर पर पड़ता है. एक तरफ सरकार कह रही है कि वो कोरोना से लोगों को राहत देने के लिए आर्थिक पैकेज दे रही है, दूसरी तरफ बढ़ी हुई महंगाई से गरीबों की जे़ब और खाली हो रही है. तो क्या सरकार कीमतें नियंत्रित करना नहीं चाहती है या उसकी कोई मजबूरी है. इसी पर आज विस्तार से बात करेंगे.

पहले बात एडिबल ऑयल्स की करते हैं

एडिबल ऑयल्स यानी खाने के काम में लिए जाने वाले तेल. हमारे देश में सरसों, मुंगफली, सोया, सूरजमुखी, पाम और वनस्पति का तेल ही मुख्यत इस्तेमाल होता है. अगर आप घर का सामान खरीदकर लाते हैं तो आपको पता होगा कि पिछले एक साल में सरसों या दूसरे तेल के दामों में कितनी बढ़ोतरी हुई है. डेढ़ से दो गुना तक कीमतें बढ़ी हैं. पिछले 10 साल में खाने के तेल के दाम अचानक इतने नहीं बढ़े. सालभर से पहले अगर तेल के दाम बढ़ते भी थे तो 10-20 रुपये किलो वाली बढ़ोतरी होती थी. लेकिन पिछले कुछ महीनों में तो जैसे तेल के भाव एक्सीलेटर पैर रखकर ही बैठ गए हों. सरसों के तेल का उदाहरण लेते हैं. कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च को दिल्ली में एक किलो पैक्ट सरसों के तेल का भाव 201 रुपये था. देश का अधिकतम रेट 260 रुपये है. अगर पूरे देश के एवरेज की बात करें तो 188.2 किलो में सरसों का एक किलो तेल आ रहा है. जबकि तेन साल मार्च के आखिर में एक किलो सरसों का तेल 104.3 रुपये का आता था. इसी अनुपात में और भी तेलों की कीमत बढ़ी है.

अब तेल की कीमत क्यों बढ़ी और सरकार का इसमें रोल कहां आता है?

बाज़ार में हर चीज़ की कीमतें सामान्य दिनों में डिमांड और सप्लाई के नियम से तय होती हैं. अगर डिमांड और सप्लाई में से कोई एक भी फैक्टर कम या ज़्यादा होता है तो कीमतें असामान्य रूप से कम या ज़्यादा होती हैं. तो अभी तेल की बढ़ी कीमतों के संदर्भ में पहले डिमांड की बात करते हैं.

देश में अचानक तेल की ज़्यादा डिमांड हो गई हो, ऐसा नहीं है. साल दर साल देश में तेल की खपत थोड़ी बहुत बढ़ती है. ग्रामीण इलाकों में सरसों का तेल ज्यादा इस्तेमाल होता है और शहरी इलाकों में सूरजमुखी और सोयाबीन के रिफाइंड ऑयल की खपत ज्यादा है. तेल का इस्तेमाल किस गति से बढ़ रहा है ये समझने के लिए हमारे पास आंकड़े हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1993-94 में तेल की खपत प्रति व्यक्ति ग्रामीण इलाकों में औसतन 370 ग्राम थी और शहरी इलाकों में 480 ग्राम थी. यानी एक आदमी औसतन इतना तेल खाता था. 2011-12 में बढ़कर ये आंकड़ा ग्रामीण इलाकों के लिए 670 ग्राम और शहरी इलाकों के लिए 850 ग्राम हो गया. यानी लगभग दोगुना. इसके बाद का प्रति व्यक्ति वाला आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन ओवरऑल जो खपत का आंकड़ा है वो बताता है कि तेल की डिमांड साल दर साल बढ़ती है. डिमांड का ग्राफ धीमे-धीमे ऊपर जा रहा है. यानी ये बात बिल्कुल नहीं है कि इसी साल लोगों ने तेल ज्यादा खाना शुरू कर दिया हो, और उसकी वजह से भाव बढ़ रहे हों.

तो भाव बढ़ रहे हैं सप्लाई के सिरे पर. देश में तेल की जितनी खपत होती है, उतना हमारे यहां पैदा नहीं होता है. बाहर से आयात करना पड़ता है. साल 2019-20 में हमारा कुल तेल उत्पादन लगभग 1 करोड़ 10 लाख टन था. और मांग थी 2 करोड़ 40 लाख टन की. यानी घरेलू उत्पादन के बाद करीब 1 करोड़ 30 लाख टन तेल कम पड़ रहा था. ये कमी आयात से दूर होती है. आधे से ज्यादा तेल हमें विदेश से मंगवाना पड़ता है. और जितना तेल आयात करते हैं उसका 86 फीसदी हिस्सा सोयाबीन और पाम ऑयल होता है. पाम ऑयल हम इंडोनेशिया या मलेशिया से आयात करते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भाव क्यों बढ़ रहा है?

इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में एडिबल ऑइल की कीमतों से हमारे देश में भी कीमतों पर असर पड़ता है. साल भर में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल का भाव बढ़ा है. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भाव क्यों बढ़ रहा है, इसकी कई वजह हैं. एक वजह तो ये मानी जा रही है कि खाने के तेल का इस्तेमाल ईंधन के लिए भी होने लगा है. अमेरिका, ब्राज़ील जैसे देशों में सोयाबीन के तेल से रिन्यूएबल एनर्जी तैयार की जा रही है. इसके अलावा कई और भी फैक्टर्स हैं जो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खाने के तेल की कीमत बढ़ा रहे हैं. जैसे इंडोनेशिया और मलेशिया में एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाना, लेबर की दिक्कतें या ला निन्या तूफान से नुकसान. तेल महंगा होने की कुछ वजह, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर बीवी मेहता ने इंडिया टुडे को बताई. इनके मुताबिक पाम ऑयल में बहुत मेहनत लगती है. और मलेशिया जो पाम ऑयल का बड़ा निर्यातक है, वो माइग्रेट लेबरर्स पर डिंपेड रहता है. कोरोना में बॉर्डर्स सील होने की वजह से लेबर की कमी रही. इससे प्रोडक्शन पर असर पड़ा | अब रूस और उक्रेन के बिच युद्ध भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल केर दामों मे बढ़ोतरी का मुख्य कारण है |

तो जाहिर है अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खाने के तेल की कीमतें तो हम नियंत्रित नहीं कर सकते. लेकिन भारत की सरकार ये ज़रूर तय कर सकती है कि वो महंगा तेल भारत के लोगों को थोड़ा सस्ता मिल सके. आयात पर शुल्क घटाकर ऐसा किया जा सकता है. और सरकार आयातित तेल पर कितना टैक्स लेती है. 2 फरवरी 2021 के बाद से ये रेट 35.75 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक है. इसमें इम्पॉर्ट ड्यूटी के अलावा एग्रीकल्चर सेस और सोशल वेलफेयर सेस भी शामिल है. मिसाल के तौर पर – रिफाइंड और ब्लिचड पाम ऑयल जिसे RBD पाम ऑयल कहते हैं इस पर टैक्स करीब 60 फीसदी है. क्रूड और रिफाइंड सोयाबीन पर टैक्स 38 फीसदी से 49 फीसदी के बीच है. 
तो अगर आयात शुल्क में सरकार रियायत देती है तो तेल की कीमतें कम हो सकती हैं. लेकिन सरकार ऐसा करती दिख नहीं रही. 

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल सस्ता है तो ज्यादा टैक्स ले लिया?

अब गाड़ी में डालने वाले तेल की बात करते हैं. पेट्रोल के बाद डीज़ल भी लगभग 100 रुपये लीटर हो चुका है. आपके वाहन हो या ना हो, डीज़ल और पेट्रोल के भाव बढ़ने का असर हरेक पर पड़ता है. तेल की कीमतों के साथ हर चीज़ की महंगाई जुड़ी है. और खाने के तेल की तरह पेट्रोल-डीज़ल के भाव पर सरकार अंतर्राष्ट्रीय कीमतों को भी जिम्मेदार नहीं बता सकती. आज से 11 साल पहले मई 2011 में पेट्रोल का भाव करीब 63 रुपये प्रति लीटर था. और तब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल का भाव आज से ज़्यादा था. अभी क्रूड ऑयल 72 डॉलर प्रति बैरल है, फिर पेट्रोल का भाव लगभग दोगुना है. और फिर यहां बात आ जाती है सरकार के टैक्स की.  एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र सरकार और राज्यें सरकारें किस तरह से टैक्स बढ़ाती रहती हैं. दोनों तरफ का मिलाकर अभी पेट्रोल पर 150 फीसदी और डीज़ल पर 120 फीसदी के करीब टैक्स है. सरकार अपने टैक्स में कोई कटौती नहीं करना चाहती. जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल 40-45 डॉलर प्रति बैरल था तब भी सरकार इतना ही टैक्स ले रही थी. और अब कच्चा तेल महंगा हुआ तो भी टैक्स में कटौती नहीं हुई.

जब कोई चुनाव नज़दीक होता है तो तेल की कीमतें कुछ दिन बढ़ना रुक जाती हैं. चुनाव खत्म होते ही सरकार फिर तेल के भाव को भूल जाती है. 5 प्रदेशो के चुनाव के नतीजो के बाद पिछले 10 दिन मे9 बार तेल की कीमतें बढ़ चुकी हैं. अक्सर देखा जाता है कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल सस्ता होता है तो ज्यादा टैक्स ले लिया जाता है, तो अब जब कच्चा तेल महंगा हो रहा है तो टैक्स में कटौती करे. लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा. ऐसा लगता है कि सरकार को तेल की बढ़ी हुई कीमतों और लोगों पर पड़ते बोझ से कोई मतलब ही नहीं. एक तरफ सरकार कोविड के नाम पर राहत पैकेज की घोषणाएं कर अपनी पीठ थपथपाती है और दूसरे हाथ से लोगों के जेब से पैसे निकाल भी रही है. और इसमें केंद्र और राज्य दोनों की सरकारें बराबर शामिल हैं.

लंबे समय तक नहीं बढ़े दाम, 19000 करोड़ का नुकसान

आपको बता दें कि देश में चार नवंबर, 2021 से 21 मार्च, 2022 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद ईंधन कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। इस दौरान कच्चे तेल का दाम नवंबर के 82 डॉलर प्रति बैरल से मार्च के पहले तीन सप्ताह में औसतन 111 डॉलर प्रति बैरल रहा था।

रिपोर्ट के मुताबिक देश की शीर्ष तीन पेट्रोलियम कंपनियों को कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद ईंधन के दाम नहीं बढ़ाने की वजह से नवंबर से मार्च, 2022 तक 2.25 अरब डॉलर (करीब 19,000 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है। ये नुकसान इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) को हुआ है। 

क्या कहा मूडीज ने: मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘बाजार की मौजूदा कीमतों के आधार पर पेट्रोलियम कंपनियों को वर्तमान में पेट्रोल की बिक्री पर लगभग 25 डॉलर (1,900 रुपये से अधिक) प्रति बैरल और और डीजल पर 24 डॉलर प्रति बैरल का घाटा हो रहा है।’’ रिपोर्ट में कहा गया कि अगर कच्चे तेल की कीमतें औसतन 111 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी रहती हैं, तो आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल को पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर रोजाना सामूहिक रूप से 6.5 से सात करोड़ डॉलर का नुकसान हो सकता है।


Thursday, March 31, 2022

March 31, 2022

8 साल के बच्चे ने 112 पर कॉल कर कहा- मम्मी फांसी लगा रही है, पुलिस ने 9 मिनट में पहुंचकर बचाई जान

8 साल के बच्चे ने 112 पर कॉल कर कहा- मम्मी फांसी लगा रही है, पुलिस ने 9 मिनट में पहुंचकर बचाई जान


कैथल : हरियाणा पुलिस  सेवा-सुरक्षा-सहयोग के लिए जानी जाती है और जब ये स्लोगन सही मायनों में चरितार्थ होता है तो कही ना कहीं पुलिस के प्रति लोगों के मन मे एक सम्मान की भावना जागृत करता है। ऐसा ही वाक्या कैथल में हुआ जब एक 8 साल के बच्चे ने 112 पर कॉल की और पुलिस कर्मचारियों ने मात्र 9 मिनट में मौके पर पहुंच एक महिला की जान बचाई। जिसके लिए पुलिस कप्तान मकसूद अहमद ने सम्बंधित पुलिस कर्मचारियों को सम्मानित किया है। 

24 मार्च को व्हीकल नं. 387 पर तैनात एसआई शमशेर सिंह, एचसी विनोद कुमार व एसपीओ जोरा सिंह को 112 पर कॉल प्राप्त हुई कि डिफेंस कॉलोनी कैथल में अपने घर में एक महिला फांसी लेने के लिए फंदा तैयार कर रही है। इस सूचना पर ईआरवी पर तैनात स्टाफ द्वारा त्वरित व मुस्तैदी से कार्रवाई करते हुए ट्रैफिक जाम से निकलते हुए मात्र 9 मिनट में मौका पर पहुंचकर महिला से बातचीत करके उसको समझा बुझाकर उसकी जान बचाई। 

*पुलिस कर्मियों को किया गया सम्मानित*

मौके पर पहुंचे महिला के अन्य परिजन व आमजन द्वारा पुलिस द्वारा इतनी जल्दी महिला के पास पहुंचकर उसकी जान बचाने के लिए धन्यवाद करते हुए डायल 112 प्रोजेक्ट की प्रशंसा की गई थी। महिला की जान बचा कर श्रेष्ठ कार्य करने वाले पुलिस कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करते हुए अपने कार्यालय में एसपी मकसूद अहमद द्वारा उन्हें नकद इनाम व प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। 

*एसपी ने कही ये बात*

इस मौके पर एसपी ने कहा कि अन्य पुलिस कर्मचारियों को भी इस प्रकार कर्तव्यनिष्ठा से बेहतरीन डयुटी करने वाले पुलिस कर्मचारियों से प्रेरणा लेनी चाहिए. कर्तव्यनिष्ठा व ईमानदारी से ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को आगे भी निरंतर रुप से सम्मानित किया जाएगा।

Wednesday, March 30, 2022

March 30, 2022

महंगाई के सवाल पर बाबा रामदेव के बिगड़े बोल, मर्यादा तोड़ बोले- करले कै करेगा, चुप हो ज्या, आगे पूछेगा तो ठीक नहीं होगा

महंगाई के सवाल पर बाबा रामदेव के बिगड़े बोल, मर्यादा तोड़ बोले- करले कै करेगा, चुप हो ज्या, आगे पूछेगा तो ठीक नहीं होगा

करनाल : हरियाणा के करनाल पहुंचे योगगुरु बाबा रामदेव बुधवार को मीडिया के सवालों पर भड़क गए। बाबा रामदेव से जब बढ़ती महंगाई, मोदी सरकार बनने की सूरत में पेट्रोल-डीजल 40 रुपए प्रतिलीटर और LPG सिलेंडर 300 रुपए में मिलने संबंधी उनके पुराने दावों पर सवाल पूछे गए तो उन्होंने पहले अटपटे जवाब देकर पत्रकारों को टालने की कोशिश की। जब इसमें सफलता नहीं मिलती दिखी तो बाबा रामदेव गुस्सा हो गए और ऊटपटांग जवाब देने लगे। इतना ही नहीं बाबा रामदेव बोले- अब चुप हो जा, नहीं तो ठीक नहीं होगा।

अपने दोस्त से मिलने गए थे बाबा रामदेव

बाबा रामदेव बुधवार को करनाल शहर के बांसो गेट स्थित एसबी मिशन स्कूल की शाखा अभेद शक्ति सदन में अपने दोस्त महाराज अभेदानंद से मिलने पहुंचे। स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से बाबा रामदेव का स्वागत किया गया। अपनी करनाल विजिट के दौरान बाबा रामदेव ने अलग-अलग पत्रकारों से बातचीत की, लेकिन जब शक्ति सदन में एक मीडियाकर्मी ने उनसे सवाल पूछने शुरू किए तो बाबा रामदेव भड़क गए। जब ये वाक्या हुआ तब बाबा रामदेव के मित्र महाराज अभेदानन्द उनके पास ही बैठे थे।


पत्रकार से बोले बाबा रामदेव- अच्छे सवाल पूछो
पत्रकार ने जब पूछा कि अब आपको योगगुरु से बाबा लालदेव क्यों कहा जाने लगा है? तो अचानक बाबा रामदेव के तेवर तल्ख हो गए। वह सीधा जवाब न देते हुए बोले, ‘तेरे पेट में कै दर्द होवे।’ इस पर रामदेव के आसपास बैठे लोग ताली बजाकर हंसने लगे। इसके बाद पत्रकार ने पूछा कि आपने जनता से कहा था कि क्या आपको 40 रुपए प्रतिलीटर पेट्रोल और 300 रुपए में सिलेंडर देने वाली सरकार चाहिए? उसका क्या बना? इस पर रामदेव बोले कि कोई अच्छे सवाल पूछो।

*मैं तेरे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कोई ठेकेदार नहीं हूं- बाबा रामदेव*

जब पत्रकार ने अपना सवाल दोहराया तो रामदेव तैश में आए और खुद आगे की तरफ झुककर पत्रकार से बोले- हां, मैंने कहा था, पूंछ पाड़ेगा मेरी?

 मीडियाकर्मी ने अगला सवाल पूछा कि आपकी कंपनी पतंजलि विश्व प्रसिद्ध है… तो रामदेव बीच में ही टोकते हुए कहा, ‘अरे मेरे से ऐसे प्रश्न मत पूछो। मैं तेरे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कोई ठेकेदार नहीं हूं। थोड़ा सभ्य बनाना सीखो।’

जब पत्रकार ने पूछा कि आपने ही बाइट दी थी इसे लेकर? तो रामदेव बोले, ‘हां, मैंने दी थी। अब नहीं दूंगा। कर ले, कै करेगा। चुप हो ज्या। अब आगे से पूछेगा तो ठीक नहीं होगा।’
March 30, 2022

नियम 134-ए को हरियाणा सरकार ने किया खत्म, अब निजी स्कूलों में नहीं हाेगा फ्री दाखिला

नियम 134-ए को हरियाणा सरकार ने किया खत्म, अब निजी स्कूलों में नहीं हाेगा फ्री दाखिला 

चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार ने नियम 134-ए को खत्म कर दिया है। अब गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री में दाखिला नहीं मिलेगा। इस नियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को 10 प्रतिशत सीट रिजर्व रखनी होती थी। इस क्रम में विधिवत इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है, निजी स्कूल संचालकों ने इसका दिल खोलकर स्वागत किया है, क्योंकि इसके विरुद्ध आवाज उठाते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट भी गए थे। निजी स्कूल संचालकों ने रुल को लेकर सवाल खड़े करते हुए पहले शिक्षा विभाग के आला-अफसरों की शरण ली थी। बाद में इसके नियमों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। यहां पर बता दें कि 134 राइट टू एजूकेशन एक्ट है, जिसमें बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। इस क्रम में राज्य सरकार की ओर से 28 मार्च 2022 को इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है। हरियाणा राज्य स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण की ओर से इस आशय की सूचना भी जारी कर दी गई है। वैसे, इस नियम को लेकर निजी स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच में भारी खींचतान राज्य के अधिकांश जिलों में चली आ रही थी, परेशान स्कूल संचालकों ने इस संबंध में बैठकें करने और अफसरों से गुहार लगाकर उनके सामने खड़ी चुनौती के बारे में बताया था लेकिन सुनवाई नहीं होने पर वे हाई कोर्ट का रुख कर गए थे। अब अधिसूचना जारी हो जाने के बाद में निजी स्कूल संचालक पहले से पढ़ने वाले बच्चों को लेकर भी स्थिति साफ करने की गुहार अफसरों से लगाने लगे हैं।  संचालकों ने किया फैसले का स्वागत हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्स कांफ्रेंस प्रदेश प्रवक्ता सौरभ कपूर और बाकी संचालकों का दावा है कि एचपीएससी द्वारा चलाई मुहिम का असर यह है कि उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार की तरफ से 28 मार्च 2022 को नोटिफिकेशन निकाल दी गई है। उन्हाेंने सीएम मनोहर लाल खट्टर के साथ-साथ शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर का धन्यवाद किया है। सौरभ ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन सरकार ने रूल को खत्म करते हुए यह तो मान लिया कि इसको जबरन स्कूल संचालकों पर थोपा जा रहा था। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा रूल 134 ए को खत्म किए जाने के बाद अब स्कूल संचालकों और अभिभावकों के बीच चलने वाला गतिरोध भी समाप्त हो जाएगा। सौरभ कपूर ने कहा कि सालों से रूल के तहत निजी स्कूल संचालकों पर सरकार द्वारा गलत तरीके से मुफ्त एडमिशन देने का दबाव बनाया जाता था। उन्होंने कहा कि एचपीएससी के बैनर तले सभी निजी स्कूलों ने मिलकर विरोध किया और सरकार के फैसले को बताया था। जिसके बाद अब सरकार ने रूल 134 ए को खत्म किया है। प्रशांत मुंजाल ने कहा कि एचपीएससी ने हमेशा स्कूल संचालकों हितों की बात की है और हाईकोर्ट में भी रूल में कमियों की बात कर करते हुए तय नियमों के अनुसार रिइंबसमेंट मांगी थी, लेकिन सरकार ने नहीं दी। उन्होंने कहा कि मुफ्त एडमिशन न मिलने पर अभिभावक स्कूलों को दोषी ठहराते थे, लेकिन सच्चाई यह थी कि सरकार की पॉलिसी गलत थी। अब इस पॉलिसी के खत्म होने के बाद अभिभावकों व स्कूल संचालकों को राहत मिली है। सौरभ कपूर ने कहा कि सरकार ने 28 मार्च 2022 से रूल 134 ए को खत्म कर दिया है, लेकिन नोटिफिकेशन में कहीं यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से पढ़ रहे स्टूडेंट्स हैं, उन्हें कैसे पढ़ाया जाएगा। सरकार की नोटिफिकेशन के अनुसार तो अब नए सत्र से सभी बच्चों को स्कूल के अनुसार फीस देनी होगी। साथ ही सौरभ ने कहा कि स्कूल संचालकों ने सालों से बच्चों को मुफ्त पढ़ाया है और स्कूल संचालकों का सरकार की तरफ लाखों रुपए बकाया है, लेकिन सरकार ने अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं किया कि आखिर बकाया कब तक दिया जाएगा। 
बच्चों की पढ़ाई की एवज में सरकार स्कूलों का भुगतान करे : निसा

 134ए को समाप्त करने पर प्रतिक्रिया देते हुए निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा, हम कभी भी 134-ए के खिलाफ नही थे हमारा विरोध चयन प्रक्रिया और भुगतान प्रक्रिया को लेकर था, सरकार अगर 12(1)(C) के अनुसार चयन और नियमित रूप से कानून के अनुसार भुगतान करती रहती तो ना तो गरीब अभिभावकों को दिक्कत आती और ना ही खत्म करने की जरूरत पड़ती। कुलभूषण शर्मा ने कहा कि सरकार 134-ए को खत्म कर पुराने भुगतान से बच नही सकती उसे तुरंत प्राइवेट स्कूलों का लंबित भुगतान अदा करना चाहिए और उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार यह भी स्पष्ट करें कि 75000 जो विद्यार्थी 134ए के तहत स्कूलों में पढ़ रहे है उनका क्या होगा और 9वी से 12वी कक्षा में 134ए के तहत पढ़ रहे विद्यार्थियों की भुगतान राशि भी सरकार घोषित करें ताकि उनके भुगतान के लिए भी स्कूल आवेदन कर सकें।
March 30, 2022

हरियाणा में एक अप्रैल से सफर होगा महंगा, बढ़ेगा Toll टैक्स, जानें नई दरेें

हरियाणा में एक अप्रैल से सफर होगा महंगा, बढ़ेगा Toll टैक्स, जानें नई दरेें


 चंडीगढ़ : बढ़ती महंगाई  के बीच जनता पर एक और मार पड़ने वाली है। हरियाणा में एक अप्रैल से सफर करना महंगा हो जाएगा। एक अप्रैल से हरियाणा के लगभग सभी टोल प्लाजा ( toll plaza ) पर टोल टैक्स ( toll tax ) की नई दरें लागू हो जाएंगी।

 *कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे  और कुंडली-गाजियाबाद-पलवल हाईवे*  के साथ हरियाणा में सभी टोल रोड़ पर टैक्स में बढ़ोतरी होगी। 


*खटकड़ टोल प्लाजा* जींद में खटकड़ टोल प्लाजा पर एक अप्रैल से 10 रुपये तक टोल रेट बढ़ाए जा रहे हैं। हालांकि इस समय कार सहित लाइट व्हीकल का एक साइड का 100 रुपये टोल कट रहा है तो एक अप्रैल के बाद यह 110 रुपये कटना शुरू हो जाएगा। खटकड़ टोल प्लाजा से हर रोज 10 हजार से ज्यादा वाहन दिल्ली और पंजाब की तरफ को जाते हैं। टोल पर हर रोज 11 से 12 लाख रुपए टोल कलेक्शन होता है।  जींद-नरवाना रोड पर झांझ और खटकड़ के बीच टोल प्लाज बनाया गया है। साल 2020 में यहां टोल वसूली शुरू हुई थी। शुरूआत में लाइट व्हीकल का एक साइड का टोल रेट 95 रुपये निर्धारित किया गया था। बाद में यह पांच प्रतिशत बढ़ा दिया था। जिसके बाद लाइट व्हीकल का सिंगल साइड का टोल 100 रुपए हो गया। जिले के रजिस्टर्ड वाहनों के लिए 275 रुपये मासिक पास की सुविधा है। अब फिर से मासिक पास बढ़ाया जाएगा। खटकड़ टोल प्लाजा के मैनेजर रोबिन सिंह ने बताया कि प्रति वर्ष एक अप्रैल से टोल दरें बढ़ाई जाती हैं। इस बार भी एक अप्रैल से टोल दरों में बढ़ोत्तरी की जा रही है। इस बार 10 से 15 रुपये तक टोल दरें बढ़ाई हैं। खटकड़ टोल पर फिलहाल इतना लिया जा रहा टैक्स 
 *व्हीकल का प्रकार* - सिंगल साइड टोल टैक्स फीस कार, जीप, वैन, लाइट व्हीकल 100 रुपये लाइट कमर्शियल व्हीकल, मिनी बस 160 रुपये ट्रक, बस, (दो एक्सल) 330 रुपये तीन एक्सल कमर्शियल व्हीकल 360 रुपये हेवी कमर्शियल व्हीकल 520 रुपये बड़े व्हीकल, सात या इससे ज्यादा एक्सल 630 रुपये केएमपी पर इतना बढ़ाया जाएगा टाेल टैैक्स ( kmp ) केएमपी पर वाहनों से प्रति किलोमीटर के हिसाब से वसूली की जा रही है। अब तक कार/जीप आदि हल्के वाहनों से 1.46 रुपए प्रति किलोमीटर से टोल लिया जा रहा था, जो अब 1.61 रुपए की दर से वसूला जाएगा। मिनी बस आदि हल्के कमर्शियल वाहनों से 2.36 रुपए प्रति किलोमीटर की बजाय 2.60 की दर से टोल लिया जाएगा। बस-ट्रक आदि टू-एक्सल वाहनों से 4.96 रुपए की जगह 5.45 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से टोल लिया जाएगा। थ्री एक्सल कमर्शियल वाहनों से 54 पैसे प्रति किलोमीटर अधिक लिए जाएंगे। चार से छह एक्सल वाहन के लिए 7.77 की जगह 8.56 रुपए प्रति किलोमीटर वसूल किए जाएंगे। जबकि सात एक्सल वाले वाहनों को 9.46 के स्थान पर अब 10.42 रुपए प्रति किलोमीटर की दर से टोल देना होगा। 
*हिसार जिले के टोल* हिसार जिले में रामायण टोल, चौधरीवास टोल, बाडोपट्टी टोल, चिकनवास टोल व बास सहित कुल पांच टोल हैं। चौधरीवास टोल पर 5 से 30 रुपये की वृद्धि की गई है, जबकि बाकी चारों टोल नाकों पर नेशनल हाइवे अथॉरिटी की तरफ से टोल दरें की नई सूची नहीं आई है। बास टोल पर टैक्स बढ़ाया गया है। मय्यड़ टोल पर पांच रूपये की वृद्धि की गई है। रामायण टोल मैनेजर संदीप के अनुसार अभी तक पहले से निर्धारित टोल वसूला लिया जा रहा है। बुधवार को नई टोल रेट लिस्ट आने की उम्मीद है।
March 30, 2022

डिप्टी सीएम ने दिए पटवारियों को 50 मोटरसाइकिल और किसानों को 30 दिन में मुआवजा दिलवाने का टारगेट

डिप्टी सीएम ने दिए पटवारियों को 50 मोटरसाइकिल और किसानों को 30 दिन में मुआवजा दिलवाने का टारगेट

- दुष्यंत चौटाला ने अगले वित्त वर्ष से नए ग्रेड देने की भी घोषणा

जींद/चंडीगढ़, 29 मार्च। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा कोविड-19 व राजस्व से संबंधित अन्य कार्यों में जिला प्रशासन के साथ मिलकर उत्कृष्ट कार्य-प्रदर्शन करने वाले पटवारियों को आज जींद में सम्मानित किया गया। सराहनीय व अच्छे कार्य करने वाले राज्य के कुल 105 पटवारियों को सम्मानित किया गया। इनमें से 50 पटवारियों को एक-एक मोटरसाइकिल व प्रशंसा-पत्र जबकि शेष 55 पटवारियों को प्रशंसा-पत्र देकर पुरस्कृत किया गया।। इस दौरान डिप्टी सीएम ने पटवारियों से वादा भी लिया कि वे किसानों को 30 दिन में मुआवजा दिलवाने के टारगेट में अपना पूर्ण सहयोग करें। साथ ही उपमुख्यमंत्री ने पटवारियों को अगले वित्त वर्ष से नए ग्रेड के अनुसार वेतन देने की घोषणा की, जिससे पटवारी पूरे खुश नजर आए। हरियाणा के इतिहास में यह पहला अवसर है जब राज्य सरकार ने पटवारियों को उनके बेहतरीन कार्य का मान-सम्मान करते हुए उनको इनाम दिया है
दुष्यंत चौटाला द्वारा जिन पटवारियों को सम्मानित किया गया है उन्होंने पिछले दो साल में कोविड महामारी के दौरान अपनी जिम्मेदारी को बेहतर ढंग से निभाया। प्राकृतिक आपदा, ओले, बेमौसमी बारिश, जलभराव आदि के लिए सौंपी गई गिरदावरी को भी समयबद्ध ढंग से करके जिला प्रशासन व राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाए रखने में उत्कृष्ट योगदान दिया है, इसी को देखते हुए पटवारियों का हौसला बढ़ाने के लिए सरकार ने सम्मानित करने का निर्णय लिया और सभी जिलों के उपायुक्तों से सराहनीय कार्य करने वाले पटवारियों के नाम की सिफारिश भेजने के निर्देश दिए गए थे। आज के कार्यक्रम में 50 में से कुल 43 पटवारियों को बाईक दी गई है जोकि एक्स प्लस 200 सीसी और ग्लैमर बाइक्स हैं। बाकी बचे पटवारियों के पास भी जल्द बाईक पहुंचा दी जाएगी।
वहीं डिप्टी सीएम ने यह भी कहा कि अगले छह माह में मोबाइल सॉफ्टवेयर से जीपीएस के माध्यम से फसलों की मौके पर जाकर गिरदावरी की जाएगी। इसकी किसान को तुरंत सूचना मिल जाएगी कि फसल को हुआ नुकसान कितना दर्ज किया गया है। यही नहीं हमारा प्रयास रहेगा कि प्रभावित किसान को 30 दिन में मुआवजा मिल जाए।