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Tuesday, August 16, 2022

August 16, 2022

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

गुरुग्राम : सीएम ने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है।
स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए
राष्ट्रमंडल खेलों के खिलाड़ियों के सम्मान में हरियाणा सरकार द्वारा सोमवार को गुड़गांव में सम्मान समारोह किया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विजेता व प्रतिभागी 42 खिलाड़ियों को 25 करोड 80 लाख रुपए के नकद इनाम, जॉब आफर लेटर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान खिलाड़ियों से भी स्वयं के साथ-साथ नई प्रतिभाओं के मार्गदर्शक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है। सभी की सहभागिता ही दुनिया में भारत के पदक तालिका में बढ़ोतरी का माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है।
इस बार के राष्ट्रमण्डल खेलों में भाग लेने वाले देश के 215 खिलाड़ियों में से 42 युवा हरियाणा के हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश के 61 में से 20 पदक जीते हैं। इनमें से 17 पदक व्यक्तिगत स्पर्धा में और 3 पदक टीम इवेंट में हैं।विजेता व प्रतिभागी खिलाड़ियों का सम्मानराष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए। वहीं चौथे स्थान पर आने वाले को 15 लाख रुपए की राशि दी गई। इसके साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को साढ़े 7 लाख रुपए की राशि दी गई। बर्मिंघम राष्ट्रमण्डल खेल-2022 में हरियाणा के भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल खिलाड़ियों सहित कुल 29 खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं। इन्हें प्रदेश की खेल नीति के अनुसार कुल 25 करोड़ 80 लाख रुपए की नकद ईनाम राशि दी गई। इनका हुआ सम्मानहरियाणा के जिला सोनीपत के सुधीर ने पैरा पॉवर लिफ्टिंग खेल में गोल्ड मैडल जीता है। सुधीर पैरा पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मैडल जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इसी प्रकार, हरियाणा ने बॉक्सिंग में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर व 1 कांस्य पदक, कुश्ती में 6 गोल्ड, 1 सिल्वर तथा 4 कांस्य पदक तथा एथलेटिक्स में 1 कांस्य पदक जीता है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है। यह टीम लगभग हरियाणा की ही है, क्योंकि इसमें प्रदेश की 9 बेटियां खेल रही हैं। भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन के रूप में सविता पूनिया ने नेतृत्व किया, जोकि सिरसा की रहने वाली है। इस प्रकार हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश के कुल पदकों का 28 प्रतिशत पदक जीतकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया। इसमें हॉकी को भी शामिल कर लिया जाए, तो यह बढ़कर 32.7 प्रतिशत हो जाता है।खेल के लिए 526 करोड़ रुपए का बजटमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है। खेल क्षेत्र में बजट को डबल करते हुए 526 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
August 16, 2022

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल की शासकीय संस्था फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 
फ़ीफ़ा ने तीसरे पक्ष के दखल की वजह से भारतीय फ़ुटबॉल महासंघ (एआईएफ़एफ़) पर ये कार्रवाई की है। 
फ़ीफ़ा ने अपने बयान में कहा है कि परिषद ने सर्वसम्मति से भारतीय फ़ुटबॉल संग को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यहाँ तीसरे पक्ष का दखल है, जो कि फ़ीफ़ा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। 
फ़ीफ़ा की ओर से जारी बयान के अनुसार इस निर्णय से भारत से इसी साल आयोजित होने वाले अंडर-17 वीमेन फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी भी छिन गई है। इस टूर्नामेंट का आयोजन 11 से 30 अक्टूबर के बीच भारत के अलग-अलग राज्यों में होना था। 
फ़ीफ़ा ने कहा है कि ये निलंबन तत्काल प्रभाव से लागू है। इसी महीने की शुरुआत में फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल को सस्पेंशन की चेतावनी दी थी। 
फ़ीफ़ा ने एक बयान में कहा है कि ये निलंबन तभी वापस लिया जाएगा जब एआईएफ़एफ़ के अधिकारियों का अपने दैनिक मामलों पर पूरी तरह नियंत्रण होगा। 
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, अभी तक एआईएफ़एफ़ को एक समिति द्वारा चलाया जा रहा है। पूर्व प्रमुख प्रफुल्ल पटेल अपना कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी चुनावों के बिना कार्यालय में बने हुए है।
August 16, 2022

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो स्टेट साउथ वेल्स और विक्टोरिया में स्वास्तिक पर बैन लगा दिया गया है। यहां स्वास्तिक के निशान को किसी भी तरह से दिखाना क्राइम माना जाएगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और तस्मानिया ने भी स्वास्तिक को बैन करने की बात कही है।


हालांकि, इन दोनों ही राज्यों में हिंदू, जैन और बौद्धों को धार्मिक उपयोग के लिए स्वास्तिक के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

इसके पहले जुलाई 2020 में फिनलैंड ने अपने एयरफोर्स के प्रतीक चिन्ह से स्वास्तिक हटा दिया था। पिछले साल अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में स्वास्तिक को बैन करने के लिए एक बिल पेश हुआ था। तब हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया था।

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में स्वास्तिक पर बैन लगाने की होड़ क्यों मची है? हिंदू धर्म के अलावा स्वास्तिक का संबंध किस-किस से है? इसकी शुरुआत कब हुई और इसका मतलब क्या है?
*सबसे पहले स्वास्तिक को बैन करने की वजह जानते हैं...*

न्यू साउथ वेल्स के ज्यूइश बोर्ड ऑफ डेप्यूटीज के CEO डेरेन बार्क का कहना है कि स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक है। यह हिंसा को दिखाता है। कट्टरपंथी संगठन भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। हमारे राज्य में काफी समय से इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात चल रही थी। अब अपराधियों को सही सजा मिलेगी।

वहीं हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहते हैं कि बहुत समय तक हिंदू समुदाय अपने शांति के प्रतीक को दिखाने के लिए सहज नहीं था, क्योंकि यह बुराई का प्रतीक बन गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में है स्वास्तिक के नाजी प्रतीक चिन्ह बनने की कहानी

1920 के आसपास की बात है। हिटलर अपनी नाजी सेना को ताकतवर बना रहा था। तभी उसके दिमाग में झंडा बनाने का ख्याल आया। एक ऐसा झंडा जो जर्मन लोगों और उसकी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करे। जिसे देखते ही नाजियों में जोश भर जाए। हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में इस बात का जिक्र है।

इसी साल नाजी पार्टी को एक झंडा मिल गया। लाल रंग के इस झंडे के बीच में सफेद रंग का एक सर्किल बना था। इस सर्किल के बीचों-बीच 45 डिग्री झुका एक स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया। इसे हकेनक्रेज कहा गया।
ये तस्वीर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। हिटलर की नाजी सेना हाथ में अपना झंडा लिए मार्च कर रही है। इस झंडे में स्वास्तिक जैसा प्रतीक नजर आ रहा है।

‘मीन काम्फ’ किताब के मुताबिक यह झंडा न सिर्फ आदर्श जर्मन साम्राज्य, बल्कि नाजी लोगों के बेहतर भविष्य का भी प्रतीक था। इस झंडे में इस्तेमाल होने वाला लाल रंग नाजी मूवमेंट और समाजवाद को बताता था। वहीं, सफेद रंग जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक था। इसके अलावा स्वास्तिक नाजी लोगों के संघर्ष को दिखाता था। यही नहीं यह आर्यन समाज की जीत का भी प्रतीक था।

*स्वास्तिक पर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ*

1933 से लेकर 1945 के बीच जब जर्मनी में हिटलर की नाजी सेना पावर में आई, तब उसके सैनिक हाथों में झंडे लेकर नरसंहार करने लगे। इस दौरान लाखों यहूदियों को बेरहमी से मारा गया। जिसे दुनिया होलोकॉस्ट के नाम से जानती है। इसके बाद से ही इस प्रतीक चिन्ह को यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी माना जाता है।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप और दुनिया के दवाब में इस नाजी झंडा और स्वास्तिक जैसे प्रतीक को जर्मनी में भी बैन कर दिया गया था। इसके अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और लिथुआनिया में भी इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी। 
स्वास्तिक है क्या, इसका मतलब क्या है
स्वास्तिक शब्द संस्कृत भाषा के शब्द स्वास्तिका से बना है। यह एक क्रॉस की तरह आकृति है। इसकी चारों भुजाएं 90 डिग्री पर मुड़ी होती हैं। ये भुजाएं चारों ओर एक ही तरफ क्लॉकवाइज मुड़ती हैं। हिंदू धर्म में इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में जरूरत के मुताबिक इसके अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं।

इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई
स्वास्तिक की शुरुआत कब हुई, इस बात को जानने के लिए जब हमने रिसर्च किया तो दो फैक्ट सामने आए…

पहला: हिस्ट्री एक्स्ट्रा वेबसाइट के मुताबिक सबसे पुराना स्वास्तिक 15 हजार साल पहले पाया गया था।

दूसरा: आर्काइव डॉट ओआरजी के मुताबिक 10 हजार ईसा पूर्व से स्वास्तिक का इस्तेमाल यूरोप के कई हिस्सों में होता आ रहा है।

1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी का दांत मिला था। इस पर एक पक्षी उकेरा गया था, जो एक स्वास्तिक की तरह दिख रहा था। हालांकि यह किसी को नहीं पता है कि पहली बार इसे कैसे और किसने बनाया?

मेसोपोटामिया सभ्यता में भी इस्तेमाल होता था स्वास्तिक
अभी के इराक में मेसोपोटामिया सभ्यता के शुरुआत के सबूत मिलते हैं। यह सभ्यता 3200 से 600 ईसा पूर्व तक थी। यानी आज से 2622 साल पहले। इस समय स्वास्तिक प्राचीन मेसोपोटामिया के सिक्कों पर बनाया जाने वाला पसंदीदा प्रतीक था।

इसके अलावा स्कैंडिनेविया के भगवान थोर के हथोड़े में भी इसका चिन्ह पाया जाता है। यह बाएं हाथ का स्वास्तिक होता था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
अब जानते हैं हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में स्वास्तिक का अर्थ… हिंदू: करीब 3500 साल पहले भारत में आर्यन के इतिहास के साथ ही स्वास्तिक की मौजूदगी के सबूत मिलते हैं। आज भी नई गाड़ी खरीदने के वक्त या फिर नए मकान में प्रवेश करने के समय एक प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वास्तिक कहते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में इसे तरक्की और शुभ माना जाता है।

जैन: जैन इसे सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं। जैन धर्म में यह भी माना जाता है कि इसकी चारों भुजाएं भक्त को अगले जन्म की याद दिलाती हैं।

बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म स्वास्तिक को बुद्ध के पैरों या पदचिन्ह के निशान का प्रतीक मानता है। किसी किताब के शुरू और आखिरी पन्ने पर इसे बनाया जाता है। आधुनिक तिब्बती लोग इसे कपड़ों पर भी बनाते हैं।
क्या हिंदुओं और नाजी पार्टी का स्वास्तिक एक है?

हिंदू घरों में इस्तेमाल होने वाला स्वास्तिक बनावट और अर्थ दोनों ही मामले में नाजी के स्वास्तिक यानी ‘हकेनक्रेज’ से अलग है। बनावट की बात करें तो हिंदुओं के घरों में बनाए जाने वाले स्वास्तिक के चारों कोणों में चार डॉट्स होते हैं। ये डॉट्स चार वेदों के प्रतीक हैं। जबकि नाजी झंडे पर बने स्वास्तिक में ये डॉट्स नहीं थे।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी झंडे में सफेद रंग की गोलाकार पट्टी में काले रंग का स्वास्तिक बना है। नाजी संघर्ष के प्रतीक को तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। जबकि हिंदू धर्म में यह शुभ और तरक्की का प्रतीक है।

Sunday, August 7, 2022

August 07, 2022

कुश्ती में मिला भारत को एक और पदक, 97 किलो वर्ग में दीपक नेहरा ने जीता कांस्य पदक

कुश्ती में मिला भारत को एक और पदक, 97 किलो वर्ग में दीपक नेहरा ने जीता कांस्य पदक

राष्ट्रमंडल खेलों में भारत और पाकिस्तान के पहलवानों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही। इसी कड़ी में शानिवार को 97 किलो वर्ग के कांस्य पदक मुकाबले में भारत के दीपक नेहरा और पाकिस्तान के तैय्याब रजा के बीच मुकाबला देखने को मिला। जहां भारत के पहलवान ने पाकिस्तान के पहलवान को 10 - 2 से शिकस्त दी और अपने देश के लिए कांस्य पदक जीता।
मुकाबले में शुरूआत में दोनों पहलवानों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। मैच में भारतीय पहलवान ने शुरूआती समय में ही बढत बना ली। इसके बाद पाकिस्तानी पहलवान ने वापसी की और भारत के पहलवान की बढ़त को कम करने की कोशिश की। इसके बाद भारतीय पहलवान ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा का हुनर दिखाया और पाकिस्तान पहलवान को पटखनी देकर देश के लिए कांस्य पदक अपने नाम किया।

Saturday, August 6, 2022

August 06, 2022

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पहलवानों का दबदबा:बजरंग, साक्षी और दीपक ने जीते गोल्ड, रेसलिंग में मिले कुल 6 मेडल

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पहलवानों का दबदबा:बजरंग, साक्षी और दीपक ने जीते गोल्ड, रेसलिंग में मिले कुल 6 मेडल

बर्मिंघम : कॉमनवेल्थ गेम्स के 8वें दिन भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। कुश्ती में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और दीपक पूनिया ने गोल्ड जीता। वहीं, अंशु मलिक ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया। दिव्या काकरान और मोहित ग्रेवाल ने ब्रॉन्ज जीते। रेसलिंग में शुक्रवार को भारत ने कुल 6 मेडल अपने नाम किए। देर रात भारत को झटका भी लगा। भारतीय महिला हॉकी टीम अपना सेमीफाइनल मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से हार गई। अब तक भारत के 9 गोल्ड, 8 सिल्वर और 9 ब्रॉन्ज सहित 26 पदक हो गए हैं। पॉइंट टेबल में भारतीय टीम पांचवें स्थान पर है। आइए आपको बताते हैं कि कॉमनवेल्थ गेम्स के आठवें दिन भारत का प्रदर्शन कैसा रहा...

*दीपक ने पाकिस्तानी पहलवान को दी मात*

दीपक पूनिया ने 86 KG फ्रीस्टाइल में पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम को 3-0 से हरा कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इससे पहले उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में कनाडा के मुरे को 3-1 से हराया था। वहीं, क्वार्टर फाइनल में दीपक ने शेकू कससेगबामा को 10-0 से मात दी थी।
*साक्षी ने कॉमनवेल्थ में पहला गोल्ड अपने नाम किया*

साक्षी मलिक ने 62 KG फ्रीस्टाइल के फाइनल में कनाडा की गोडिनेज गोंजालेज को हराया। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार गोल्ड अपने नाम किया। साक्षी ने विपक्षी खिलाड़ी को चित (पिन) कर चार अंक हासिल किए और मुकाबला जीता। वह कॉमनवेल्थ 2014 में सिल्वर और 2018 में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी थीं।
*गोल्ड मेडल के साथ साक्षी मलिक।*

बजरंग ने कनाडा के लचलान मैकनील को दी मात

भारत के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया पुरुषों के 65 KG फ्रीस्टाइल के फाइनल में कनाडा के लचलान मैकनील को 9-2 से मात देकर गोल्ड अपने नाम किया। इससे पहले उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के जॉर्ज रैम को 10-0 से हराया था। 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी बजरंग ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। वहीं, 2014 में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था।
बजरंग ने लगातार दूसरा गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।

*अंशु मलिक ने जीता सिल्वर*
शुक्रवार को अंशु मलिक ने महिलाओं के 57 KG की वेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। गोल्ड मेडल नाइजीरिया की ओडुनायो अदेकुओरोये ने अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में अंशु को 7-3 से हराया। इससे पहले अंशु ने सेमीफाइनल में श्रीलंका की नेथमी पोरुथोटागे को 1 मिनट 4 सेकेंड में 10-0 से हराया था। क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की इरेन सिमोनोडिस को 64 सेंकड में हराकर अंशु सेमीफाइनल में पहुंचीं थी।

*दिव्या काकरान और मोहित ने जीता ब्रॉन्ज*
भारत के दो और पहलावन दिव्या काकरान और मोहित ग्रेवाल ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए। दिव्या ने ब्रॉन्ज मेडल मुकाबला सिर्फ 30 सेकेंड में जीत लिया। उन्होंने टोंगा की लिली कॉकर को 2-0 से हराया। मोहित ग्रेवाल ने 125 KG फ्रीस्टाइल में जमैका के एरॉन जॉनसन को 6-0 से मात दे दी।
*गोल्ड मेडल का मुकाबला हारने के बाद अंशु मलिक।*

*हॉकी में मिली हार*
भारतीय महिला हॉकी टीम को ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे सेमीफाइनल में हरा दिया। टीम इंडिया को शूट-आउट में 3-0 से हार मिली। फुल टाइम के बाद स्कोर 1-1 से बराबर रहा था। शूट-आउट में दोनों टीमों को पांच-पांच प्रयास मिले। ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआती तीनों गोल किए। भारतीय टीम की ओर से कोई खिलाड़ी गोल नहीं कर सका। मैच में ऑस्ट्रेलिया के लिए रेबेका ग्रेनर ने गोल किया था, लेकिन भारत के लिए वंदना कटारिया ने गोल कर स्कोर 1-1 से बराबरी पर ला दिया था।
*लॉन बॉल्स में भारत फाइनल में पहुंचा*
लॉन बॉल्स में महिलाओं के गोल्ड जीतने के बाद पुरुषों के पास भी सोना जीतने के मौका है। भारतीय टीम पहली बार कॉमनवेल्थ के इतिहास में लॉन बॉल्स के फाइनल में जगह बनाई है। शुक्रवार को भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में इंग्लैंड की टीम को 13-12 से हराया।

*टेबल टेनिस: मनिका और साथियान को मिली हार, शरत-श्रीजा सेमीफाइनल में पहुंचे*
टेबल टेनिस के मिक्स्ड डबल्स में मनिका बत्रा और साथियान अपना मैच हार गए। मलेशिया के चूंग जवेन और लिन कारेन की जोड़ी ने भारतीय जोड़ी को 3-2 से मात दी। भारतीय जोड़ी को 10-12, 11-9, 11-8, 7-11, 7-11 के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
मिक्स्ड डबल्स के एक अन्य मुकाबले में शरत और श्रीजा की जोड़ी ने इंग्लैंड की जोड़ी को 3-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली। भारतीय जोड़ी ने यह मैच 11-7, 8-11, 11-8, 11-13, 11-9 के अंतर से जीता।

*बैडमिंटन: किदांबी श्रीकांत और पीवी सिंधु ने जीते अपने मैच*
भारत ने बैडमिंटन में भी कमाल किया है। किदांबी श्रीकांत और पीवी सिंधु क्वार्टर फाइनल में पहुंच गए हैं। श्रीकांत ने श्रीलंका के दुमिंदू अबेविक्रमा को 21-9, 21-12 से हराया तो, पीवी सिंधु ने युगांडा की हुसिना कोबुगाबे को 21-10, 21-9 से हराया।

*टेबल टेनिस: शरत कमल क्वार्टर फाइनल में पहुंचे*
टेबल टेनिस में पुरुष एकल के मुकाबले में शरत कमल ने ऑस्ट्रेलिया के फिन लू को 4-0 के से हरा दिया है। इसी के साथ शरत क्वार्टर फाइनल में पहुंच गए हैं।

*भाविना का मेडल पक्का; भारतीय रिले टीम फाइनल में*

पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने विमेंस WS क्लास 3-5 इवेंट के फाइनल में पहुंच गईं। उन्होंने इंग्लैंड की सुई बुले को 11-6, 11-6, 11-6 से हराया। अब वे गोल्ड मेडल मैच खेलने उतरेंगी। वहीं, भारतीय मेंस टीम ने 4x400 मीटर रिले इवेंट के फाइनल में जगह बना ली है। क्वालिफाई राउंड ग्रुप 2 में टीम इंडिया दूसरे नंबर पर रही। इस रेस को मो. अनस, निर्मल, अमोज जैकब और मो. वरियाथड़ी की चौकड़ी ने 3.06.97 मिनट में पूरा किया।

Thursday, August 4, 2022

August 04, 2022

पैराडाइज कान्वेंट स्कूल में मनाया गया तीज महोत्सव

पैराडाइज कान्वेंट स्कूल में मनाया गया तीज महोत्सव

जींद ; विजय नगर स्थित किड्स पैराडाइज कमेंट स्कूल में हरियाली तीज महोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ सांस्कृतिक प्रोग्राम का आयोजन करके मनाया गया। इस अवसर पर बच्चों ने हरियाली तीज सांस्कृतिक लोकगीतों पर आधारित बहुत ही मनोरम सामूहिक परी ग्रुप डांस पेश किया एवं हरियाणवी लोकगीतों पर बच्चे थिरके। 
वहीं प्राचार्या रूबी पुरी ने कहा कि तीज महोत्सव हमारी भारतीय परंपरा में सदियों से मनाया जाता है। इस दिन परिवार के कल्याण एवं मंगल कामनाओं के लिए प्रार्थना की जाती है। बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उत्तम शिक्षा प्रदान करने वालों के साथ-साथ हमारी सभ्यता और संस्कृति की धरोहर त्यौहार उत्सव मनाने सहित अन्य गतिविधियों पर विद्यालय में ध्यान दिया जाता है। चेयरमैन वेद प्रकाश मलिक ने विद्यालय में बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए चल रही गतिविधियों की प्रशंसा की विद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

Wednesday, August 3, 2022

August 03, 2022

उत्तराखंड के मंत्री सतपाल महाराज ने किया दीपक कौशिक को सम्मानित

उत्तराखंड के मंत्री सतपाल महाराज ने किया दीपक कौशिक को सम्मानित

नई दिल्ली : उत्तराखंड सरकार लगाएगी चित्रों की प्रदर्शनी ललित कला अकादमी नई दिल्ली एवं उत्तराखंड राज्य सरकार के संयुक्त तत्वाधान में देवभूमि उत्तराखंड के सतपुली स्थान पर राष्ट्रीय कला कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के 30 चित्रकारों को आमंत्रित किया गया। जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, लेह-लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत अनेक राज्यों के कलाकारों ने भाग लिया और कारगिल विजय गौरव गाथा को अपने रंगों के माध्यम से कैनवस पर उकेरा जींद के युवा चित्रकार एवं गोपाल विद्या मंदिर के कला अध्यापक व संस्कार भारती हरियाणा प्रांत के प्रांत चित्रकला प्रमुख दीपक कौशिक ने इस सात दिवसीय चित्रकला कार्यशाला में कारगिल विजय के साक्षी बने पेड़,पहाड़, नदियों व वीर योद्धाओ के चित्र अंकित करके अपनी कलाकृति बनाई । इस कार्यशाला के समापन अवसर पर उत्तराखंड राज्य के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कला का उद्देश्य देश व समाज की चिंता और चिंतन करना है। आज हमारे बीच देशभर के चित्रकारों ने अपनी कलाकृतियों में भारत को विजय दिलाने व अपने प्राणों की आहुति डालने वाले वीर योद्धाओं के चित्र बनाकर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं। उन्होंने यह भी कहा  कि इन चित्रों की प्रदर्शनी 15 अगस्त को राजभवन में लगेगी जिसका उद्घाटन उत्तराखंड के राज्यपाल करेंगे। चित्रकार दीपक कौशिक ने अपनी अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस सात दिवसीय कार्यशाला में जूनियर व सीनियर कलाकारों को एक साथ जोड़कर ललित कला अकैडमी दिल्लीव उत्तराखंड राज्य सरकार का सराहनीय प्रयास रहा है। इस तरह के आयोजन समय-समय पर होते रहने चाहिएं, ताकि कलाकार अपनी अभिव्यक्ति समाज के सामने प्रस्तुत कर सके। जींद के गौरव को बढ़ाने के लिए गोपाल विद्या मंदिर प्रबंधन समिति, संस्कार भारती जींद इकाई, सौल एंड स्पिरिट आर्ट सोसायटी, इतिहास संकलन समिति, युवा मित्र मंडल व अनेक सामाजिक संगठनों ने दीपक कौशिक को ढेरों शुभकामनाएं व बधाई दी।