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Sunday, November 8, 2020

November 08, 2020

गाँव में काम ना करने पर सरपंच को हटा सकेंगे लोग , जानिए क्या है राईट टू रिकॉल बिल ?

गाँव में काम ना करने पर सरपंच को हटा सकेंगे लोग , जानिए क्या है राईट टू रिकॉल बिल ?

चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा के इस सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण बिल पारित हुए और इनमें से एक शुक्रवार को ग्राम पंचायतों के लिए 'राइट टू रीकॉल' बिल भी पटल पर रखा गया जिसे माननीय सदस्यों ने पास कर दिया। इस बिल के लागू होने से काम ना करने वाले सरपंच को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है।

  विधानसभा में आज पास हुए 'राइट टू रीकॉल' बिल के बारे में डिप्टी सीएम ने बताया कि सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता अविश्वास लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे। यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा। इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर 2 घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी।

इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा और अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ मतदान किया तो सरपंच पदमुक्त हो जाएगा। सरपंच चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। श्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं पड़ते हैं तो आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इस तरह 'राइट टू रीकॉल' एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा।

किन राज्यों में है राईट टू रिकॉल कानून ?

1. उत्तर प्रदेश
2. उत्तराखंड
3. बिहार
4. झारखंड
5. मध्य प्रदेश
6. छत्तीसगढ़
7. महाराष्ट्र
8. हिमाचल प्रदेश

क्या है राईट टू रिकॉल की प्रक्रिया ?

सरपंच पर रिकॉल (जनता द्वारा वापस बुलाने की प्रक्रिया) की प्रक्रिया 2 चरणों की प्रक्रिया है जिसको नागरिक स्वयं शुरू कर सकते हैं । राज्य अनुसार 1-2 वर्ष के सुरक्षित (लॉक-इन) अवधि के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की अमुक संख्या को अपने हस्ताक्षर अथवा अंगूठे के छाप याचिका के रूप में जिला के कलेक्टर के दफ्तर में देना होता है । हस्ताक्षरों की जांच के बाद, ग्राम सभा के सदस्यों की बैठक का आयोजन किया जायेगा और यदि उस बैठक में बहुमत ग्राम सभा के सदस्य, अपने सरपंच को हटाने के लिए मांग करते हैं, तो उस सरपंच को हटाया जायेगा ।

क्या है राईट टू रिकॉल का इतिहास ?

निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार का इतिहास काफी पुराना है । प्राचीन काल में एंथेनियन लोकतंत्र से ही यह कानून चलन में था । बाद में कई देशों ने इस रिकॉल को अपने संविधान में शामिल किया । वैसे इतिहास यह है कि इस कानून की उत्पत्ति स्विटजरलैंड से हुई पर यह अमेरिकी राज्यों में चलन में आया । 1903 में अमेरिका के लास एंजिल्स की नगर पालिका (म्यूनिसपैलिटी), 1908 में मिशिगन और ओरेगान में पहली बार राइट टू रिकाल राज्य के अधिकारियों के लिए लागू किया गया ।
आधुनिक भारत में, सचिंद्रनाथ सान्याल ने सबसे पहले जनसेवकों को बदलने के अधिकार की मांग की थी। सचिंद्रनाथ सान्याल ने दिसम्बर 1924 में `हिंदुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन` का घोषणा पत्र लिखा था। उस घोषणा पत्र में सचिंद्रनाथ सान्याल लिखा है कि "इस गणराज्य में, मतदाताओं के पास अपने जनसेवकों के ऊपर राईट टू रिकॉल (हटाने का प्रावधान) होगा, यदि मतदाता चाहें तो, नहीं तो लोकतंत्र एक मजाक बन जायेगा ।

चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर रिकॉल का भारतीय लोकतंत्र में बहस का काफी लंबा इतिहास है; इस मुद्दे पर संविधान-सभा में भी बहस हुई थी। ये बहस इस धारणा पर केंद्रित थी कि मतदआतों के पास चुनाव के अधिकार होने के साथ-साथ हाताने (राईट टू रिकॉल) का अधिकार भी होना चाहिए और यदि कुछ गडबडी हो जाये तो, मतदाताओं के पास कोई उपाय होना चाहिए, लेकिन डा. बी.आर. आंबेडकर ने संविधान के इस प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार नहीं किया।
18 जुलाई 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था जब वे संविधान-सभा के बहस में जनता के जनसेवकों को हटाने के अधिकार (रिकॉल) के प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा कर रहे थे – "यदि कुछ बिरले लोग या कुछ काली भेड़े हैं जिन्होंने अपने चुनाव-क्षेत्र का विश्वास खो दिया है और फिर भी संसद में उस चुनाव-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, तो उन कुछ बुरे लोगों के लिए हमें अपने चुनाव-क्षेत्र (की व्यवस्था) को बिगाडना नहीं चाहिए। हमें उसे वर्तमान अवस्था में ही रहने देना चाहिए और सम्बंधित सदस्यों के सही समझ पर छोड़ देना चाहिए |"

फिर भी, उसी समय कुछ सदस्यों को डर था कि बिना अविश्वास प्रस्ताव या रिकॉल के ग्राम या नगर पालिका की इकाइयां निरंकुश हो जाएँगी |
भारत में सबसे पहला रिकॉल (जनता का जनसेवक को वापस भुलाने का अधिकार) उत्तर प्रदेश में सरपंच पर ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के रूप में आया ।

Saturday, November 7, 2020

November 07, 2020

धुम्रपान और शराब का सेवन दे सकता है कैंसर को बढ़ावा : डा. भोला

सही खान-पान व नियमित व्यायाम देता है कैंसर से बचाव : डा. संदीप

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

जींद : ( संजय तिरँगाधारी ) जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में सीएमओ डा. मनजीत सिंह के दिशा-निर्देशन में शनिवार को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने की जबकि वरिष्ठ दंत चिकित्सक डा. रमेश पांचाल,
एनसीडी इंचार्ज डा. संदीप लोहान, चिकित्सा अधिकारी डा. अंजू अग्रवाल मौजूद रहे। 
डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि इंसान का शरीर एक मशीन की तरह होता है जो दिन-रात मशीन की तरह कार्य करता है। इसमें समय-समय पर कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाती हैं, जिनका समय रहते समाधान होना चाहिए। इन्हीं बीमारीयों में से एक बेहद जटील बीमारी है कैंसर। दुनियाभर में लाखों लोग प्रतिवर्ष इस जटील बिमारी की वजह से दम तोड़ देते हैं। यदि इस बीमारी का सही समय पर पता चले व समय पर इलाज शरू हो तो इस बीमारी का इलाज संभव है। डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि कैंसर शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। इसी प्रकार महिलाओं में स्तन  का कैंसर, योनि कैंसर और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। इसी तरीके से कैंसर शरीर के त्वचा, ब्लड, ब्रेन, पेट, हड्डियों आदि में होने की संभावना अधिक होती है। डा. भोला ने कैंसर के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि खान-पान की बुरी आदतें, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटका, शराब का अधिक सेवन करना व कई तरह के रेडिएशन आदि से कैंसर की बीमारी होती है। कुछ  कैंसर अनुवांशिक भी हो सकते हैं। डा. भोला ने बताया की धुम्रपान में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड व टार जैसे पदार्थ होते हैं जो कैंसर को जन्म देते हैं व इसके साथ-साथ हार्ट अटैक, लकवा, दमा, फेफड़े की बीमारी, नपुंसकता आदि बीमारियां धुम्रपान से हो सकती हैं। अगर हम अपनी जीवन शैली में थोड़ा भी परिवर्तन करते हैं तो कैंसर से बच सकते हैं। सही व देशी खान-पान का सेवन करें, जंक फूड खाने से बचें, धूम्रपान न करें, शराब का सेवन न करें, नियमित योगा व व्यायायम कैंसर बीमारी से बचाने में सहायक होते हैं। 
एनसीडी इंचार्ज डा. संदीप लोहान ने कहा कि कैंसर शरीर की आधारभूत इकाई कौशिका को प्रभावित करता है, किसी भी कैंसर पीडि़त व्यक्ति में तरह-तरह के कई लक्ष्ण हो सकते हैं। जैसे पेशाब में खून आना, खून की कमी की बीमारी, एनीमिया, खांसी के दौरान खून का आना, अचानक शरीर के किसी भाग से खून निकलना, स्तनों में गांठ, कुछ निगलने में दिक्कत होना, मीनोपॉज के बाद भी खून आना, भूख कम लगना, त्वचा में बदलाव महसूस होना, किसी अंग का अधिक उभरना या गांठ महसूस होना। इन लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति को अपने नजदीक के अस्पताल में अपनी जांच करवानी चाहिए ताकि समय रहते इस का इलाज हो सके। 
चिकित्सा अधिकारी डा. अंजू अग्रवाल व वरिष्ठ दंत चिकित्सक डा. रमेश पांचाल ने बताया कि बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटखे के सेवन से मुंह का कैंसर, फेफड़ों में कैंसर, गले का कैंसर, शराब का अधिक  सेवन करने वाले व्यक्ति को लीवर में कैंसर व किडनी कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए हर किसी को इन सब चीजों से दूर रहना चाहिए। इस मौके पर स्टाफ नर्स सुनीता, पूजा, फिजियोथेरेपिस्ट शीतल मौजूद रहे।
November 07, 2020

गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल देने के मामले पर हरियाणा के जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कही ये बात

गुरमीत राम रहीम को 1 दिन की पैरोल देने के मामले पर हरियाणा के जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कही ये बात

चंडीगढ़ : डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बीती 24 अक्टूबर को 1 दिन के पैरोल देने पर बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह  ने कहा कि बीमार मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल दी गई थी और जेल मैनुअल के अनुसार 1 दिन की पैरोल  देने का अधिकार जिला जेल के अधीक्षक के पास है। 
उन्होंने जोड़ा कि गुरमीत सिंह के केस को देखते हुए ज्यादा समय के लिए पैरोल देने का अधिकार कोर्ट और सरकार के पास है। बरोदा उपचुनाव पर बोलते हुए बिजली मंत्री ने कहा कि मुकाबला कड़ा है लेकिन बीजेपी की जीत निश्चित है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के सवाल पर मंत्री ने कहा कि किसान कृषि कानूनों को समझ नहीं पा रहे हैं कोई किसी की जमीन बिना सहमति के कैसे ले सकता है साथ ही उन्होंने कहा कि यह विरोध आढ़तियों व कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है। 
November 07, 2020

गुपचुप बाहर आया था राम रहीम: बाबा को खट्टर सरकार ने एक दिन की पैरोल दिलाई, 300 जवानों की सुरक्षा में गुड़गांव भेजा गया

गुपचुप बाहर आया था राम रहीम: बाबा को खट्टर सरकार ने एक दिन की पैरोल दिलाई, 300 जवानों की सुरक्षा में गुड़गांव भेजा गया

चंडीगढ़ / रोहतक : दुष्कर्म और हत्या के मामले में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक दिन की पैरोल पर बाहर आया था। राम रहीम को 24 अक्टूबर को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए पैरोल दी गई थी। सरकार और जेल प्रशासन ने मीडिया तक को भी इसकी भनक नहीं लगने दी। पैरोल के बाद राम रहीम गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मिलकर आया। उसे सुनारियां जेल से गुड़गांव के अस्पताल तक बख्तरबंद गाड़ी में ले जाया और फिर लाया गया।
राम रहीम 25 अगस्त 2017 से रोहतक जेल में बंद है। डेरे की पूर्व साध्वियों से दुष्कर्म और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में राम रहीम को दोषी करार दिया गया था। पैरोल मिलने का मामला सामने आने के बाद जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने इस पर कहा है कि बाबा को पैरोल नियमों के हिसाब से दी गई है। हालांकि, उसने पहले भी कई बार पैरोल के लिए अर्जी लगाई , लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।

राम रहीम की सुरक्षा में पुलिस की तीन टुकड़ी

राम रहीम 24 अक्टूबर को शाम तक अपनी बीमार मां के साथ रहा। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा पुलिस की तीन टुकड़ी तैनात थी। एक टुकड़ी में 80 से 100 जवान थे। यानी 250 से 300 जवानों की तैनाती की गई थी। डेरा चीफ को जेल से बख्तरबंद गाड़ी में लाया गया। गुड़गांव में पुलिस ने अस्पताल के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की। जिस फ्लोर में उसकी मां का इलाज चल रहा था, उसे पूरा खाली कराया गया था।
इस मामले की पुष्टि रोहतक एसपी राहुल शर्मा ने की है। उन्होंने बताया कि उन्हें जेल सुपरिंटेंडेंट से राम रहीम के गुड़गांव दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था का निवेदन मिला था। 24 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम ढलने तक सुरक्षा उपलब्ध कराई थी। सब कुछ शांति से हुआ। दूसरी ओर शनिवार दोपहर इस मामले पर प्रदेश के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि राम रहीम को सारे नियम को ध्यान में रखते हुए पैरोल दी गई थी।

राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई गई है

2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। छत्रपति अपने समाचार पत्र में डेरा से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करते थे। पत्रकार छत्रपति की हत्या के बाद परिजनों ने मामला दर्ज कराया था और बाद में इसे CBI को सौंप दिया गया था। CBI ने 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी और इसमें डेरा प्रमुख राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था। इससे पहले 28 अगस्त 2017 में CBI की विशेष कोर्ट ने दो महिलाओं के साथ रेप के मामले में राम रहीम को 20 साल की सजा सुनाई थी।
November 07, 2020

हरियाणा में जहरीली शराब का मामला:मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए देगी राज्य सरकार, बेचने वालों पर भी होगी कड़ी कार्रवाई

हरियाणा में जहरीली शराब का मामला:मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए देगी राज्य सरकार, बेचने वालों पर भी होगी कड़ी कार्रवाई

चंडीगढ़ / सोनीपत : हरियाणा में जहरीली शराब के सेवन से पिछले 5 दिन में 47 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। साथ ही शराब को अवैध रूप से बेचने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की जा रही है। यह अलग बात है कि मौतों के आंकड़े को लेकर प्रदेश की सरकार और हकीकत में बहुत बड़ा झोल है। शुक्रवार यह मसला विधानसभा सेशन में भी उठा और इस दौरान गृह मंत्री अनिल विज ने सिर्फ 9 लोगों की मौत की बात कही।
बताते चलें कि पिछले पांच दिन में जहरीली शराब के सेवन से हरियाणा में 47 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा सोनीपत में 36, पानीपत में 8 और फरीदाबाद में 3 की मौत शराब से होने की बात सामने आई है। जहरीली शराब से जान गंवाने वाले सोनीपत जिले के गांव गूमड़ निवासी जयपाल के अलावा दूसरे जिलों में जान गंवाने वाले लोगों के परिजन मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं।
शुक्रवार को गूमड़ के 40 वर्षीय जयपाल और 30 वर्षीय प्रदीप का शव पोस्टमॉर्टम के बाद मिला तो परिजनों और गूमड़ के लोगों ने गन्नौर-खुबडू़ सड़क पर शव रखकर जाम लगा दिया। दोपहर करीब 12 बजे से देर रात तक ये लोग धरने पर डटे रहे। प्रदर्शनकारी आरोपियों पर कार्रवाई, परिजनों को 25-25 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे थे। इसी प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
इस बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि सोनीपत और पानीपत जिलों में जहरीली शराब के सेवन से जिन 9 लोगों की जान गई है, उनके परिवारों को दो लाख रुपए की राहत राशि हरियाणा मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जाएगी। साथ ही जहरीली शराब बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। अब दूसरी ओर देखा जाए तो मरने वालों की संख्या को लेकर बड़ा झोल है। बीते दिन इस मुद्दे पर विधानसभा में जब विपक्ष ने गृहमंत्री अनिल विज को घेरा तो विज ने महज नौ लोगों (पानीपत में 5 और सोनीपत में 4) की मौत जहरीली शराब से होने की बात कही।

 पड़ताल- ये हैं जान गंवा चुके 32 लोगों के नाम

पानीपत में धनसौली निवासी बलबीर सिंह, सतपाल, काला उर्फ इस्लाम, बिजेन्द्र उर्फ बीजा, शिवकुमार, इंद्रसिंह, नंगला पार निवासी मेहरसिंह, सुशील उर्फ काला
सोनीपत शहर निवासी अरुण कौशिक, राजू, मुकेश, चांदराम, सतीश, मंदीप, बलराज, महावीर, बलराज, धर्मवीर, बलजीत, रणवीर, राजेश, मनोज, रिंपा, रघुवीर, भूखड़, दिनेश
गन्नौर में गूमड़ गांव निवासी: जयपाल, सुरेंद्र, राकेश, प्रदीप, तीर्थ और विक्रम
November 07, 2020

युवा कौशल विकास योजना सैंटर

*📖युवा कौशल विकास योजना सैंटर🖥️* 
*🖥️कोर्स : 1 साल* 
*📑दाखिला : ऑपन* 
*🪑सीट : लिमिटिड*
*पहले आए🕺🏻और अपनी सीट रीसर्व करवाए📝* 
👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻
*स्कूल,कॉलेज या हो करियर* 
*जो कंप्यूटर सीखेगा, वहीं दुनिया जीतेगा!*  
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 *जींद शिक्षा सहयोग समिति(रजि.* 
*🏤पता : रामराये गेट नजदीक दखनिया मंदिर जींद-126102(हरि.)* 
*📞संपर्क सूत्र : 7777021102,7777012201*
*☎️हेल्पलाइन : 7777052205*

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November 07, 2020

पुलिस की गुंडागर्दी:चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मी ने युवक को पीट, विरोध में दुकानदारों ने जमकर हंगामा किया

पुलिस की गुंडागर्दी:चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मी ने युवक को पीट, विरोध में दुकानदारों ने जमकर हंगामा किया

कैथल : चेकिंग करते हुए युवक को थप्पड़ जड़ना पीसीआर पर तैनात पुलिस कर्मचारी को महंगा पड़ गया। इस घटना ने जमकर बवाल भी कराया। मामला हरियाणा में कैथल जिले का है। कबूतर चौक पर चेकिंग के दौरान पीसीआर पुलिस कर्मचारियों ने एक युवक को मास्क व हेलमेट न लगाने पर थप्पड़ जड़ दिए।
यह घटना चौक पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसमें पुलिस कर्मचारी युवक को थप्पड़ मारते हुए साफ दिख रहे हैं। वहीं इस घटना के विरोध में चौक पर बनी दुकानों के मालिकों ने जमकर बवाल काटा। हंगामा बढ़ता देखकर थाना सिटी एसएचओ मौके पर पहुंचे और उन्होंने थप्पड़ मारने की घटना को सिरे से नकारा।
एसएचओ ने कहा कि आपसी कहासुनी हो गई थी, जिसको अब सुलझा लिया गया है। जबकि युवक को थप्पड़ मारने की पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है, जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि दो पुलिस कर्मी एक स्कूटी सवार युवक को रोकते हैं और फिर दोनों कर्मचारी उसे थप्पड़ मारते हैं।
बता दें कि सेवा सुरक्षा सहयोग का नारा देने वाली हरियाणा पुलिस के कर्मचारियों का यह रवैया पहली बार दिखाई नहीं दिया है। इससे पहले भी हरियाणा पुलिस द्वारा लोगों के साथ दुर्व्यवहार किए जाने के मामले सामने आते रहे हैं।