Tuesday, November 3, 2020
स्कूल खोले गए:राजकीय स्कूलों में 25 प्रतिशत विद्यार्थी पहुंचे कक्षा लगाने, निजी स्कूल नहीं खुले
स्कूल खोले गए:राजकीय स्कूलों में 25 प्रतिशत विद्यार्थी पहुंचे कक्षा लगाने, निजी स्कूल नहीं खुले
*कॉलेजों में 15 नवंबर तक ऑनलाइन ही चलेगी कक्षाएं*
*कॉलेजों व विद्यार्थी इन बातों का रखेगें विशेष ध्यान*
बसताड़ा के महिला कॉलेज में पांच नवंबर तक चलेगी दाखिला प्रक्रिया
त्योहार:करवाचौथ पर बाजारों में रौनक, ब्यूटी पार्लर्स में महिलाओं की दिखी भीड़
त्योहार:करवाचौथ पर बाजारों में रौनक, ब्यूटी पार्लर्स में महिलाओं की दिखी भीड़
जींद : करवाचौथ के लिए बाजार सजकर तैयार हो गए हैं। मेकअप और मेहंदी आर्टिस्ट की स्टॉलों पर महिलाओं की काफी भीड़ देखी जा रही है। ब्यूटी पार्लर में मेकअप कराने के लिए बुकिंग जारी है। इनमें विशेष पैकेज देकर महिलाओं को लुभाया जा रहा है। वहीं बाजार में करवा और पूजा सामग्री की खरीदारी भी जोरों पर चल रही है। कोरोना से उभर रहे बाजारों में करवाचौथ पर खासी रौनक दिखाई दे रही है।
बरोदा उपचुनाव:जींद के एसपी, बबीता फौगाट और डीएसओ के खिलाफ दी शिकायत
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Monday, October 26, 2020
असमर्थ महिलाओं को बाटा 100 मन गेहूं
Sunday, October 25, 2020
आधुनिकरण की दौड़ में हम भूलते जा रहे हैं पौराणिक परम्पराओं को - गौतम सत्याराज
सांझी को दिखा आमजन को करवाया लोक संस्कृति से अवगत,आधुनिकरण की दौड़ में हम भूलते जा रहे हैं पौराणिक परम्पराओं को-गौतम सत्यराज
जींद :( संजय तिरँगाधारी ) ग्रामीण अंचल में लोककला और संस्कृति से लोगों को जागरूक करने के लिए चल रहे साप्ताहिक कार्यक्रम का आज समापन हुआ | कार्यक्रम के आयोजक व संयोजक गांव ढिगाना निवासी गौतम सत्याराज रहे। इस सांझी कार्यक्रम में पुराने समय की लोक संस्कृति को दिखाने का प्रयास किया जिसमें पुरानी समय के बर्तन, घड़े ताली, आटा चक्की, दही निकालने की रई आदि का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम के आयोजक व संयोजक गौतम सत्याराज ने बताया कि ग्रामीण आंचल में स्त्रियां अपने घर आंगन की दिवारों पर सांझी के परंपरागत भित्ति चित्रों की रचना करती हैं । सांझी का अर्थ सांझ सांय अथवा अर्चना से है। नवरात्रों के दौरान सांयकाल को भक्ति गीतों के साथ पूजा अर्चना करके भोग लगाया जाता हैं। घर को अनिष्ठ से बचाने के लिए और सौभाग्य अर्जन की मंशा से स्त्रियां इसे एक कृति का रूप देती हैं। मां गौरी देवी की मान्यता भी इस संध्या सांझी से जुड़ी हैं। कुंवारी कन्याओं द्वारा मनाए जाने वाले अनुष्ठानिक व्रत को हरियाणा में ही नही बल्कि समूचे उत्तरी भारत में इनकी मान्यता है, लेकिन हरियाणा प्रांत में इसकी छटा निराली होती है। हरियाणा में अश्विन मास के शुक्ल पक्ष से दसंवी तक सांझी की पूजा होती है। घर के आंगन की दीवार पर सांझी को बनाया जाता हैं। सांझी के सभी अंगों को बनाकर उन्हे दीवार पर उकेरी गई गोबर खडिया मिट्टी से जोड़ दिया जाता है। दस दिन तक कन्याएं इसकी पूजा करती हैं और विजय दशमी यानि दशहरे के दिन इसका समापन उत्सव मनाया जाता है और सांझी को दीवार से उतारकर पानी में विसर्जित किया जाता है । सांझी विसर्जन का दृश्य रोमांचक होता है । बालाएं गीत गाती हुई सांझी को जोहड़ नदी या तालाब पर ले जाती हैं।
आपको बता दे कि गौतम सत्याराज काफी समय से लोककला संस्कृति को प्रदर्शित करने में लगे हुए और पुरानी कला के अवशेषों को सहेजने का काम करने में लगे हुए हैं । अबकी बार इस कार्यक्रम में दीवार पर कोविड का मंत्र दिया गया जिसमें दो गज की दूरी के साथ मास्क लगाने का संदेश भी दिया जा रहा है। इसके अलावा दीवारों पर हरियाणवी लोककला को दिखाने के लिए पेंटिंग बनाई गई है। यह कार्यक्रम उन्होंने अपने पुराने घर में किया है जहां पर उन्होंने घर को लोककलां का म्यूजिमय बना दिया है। अब हर कोई सांझी कलां के साथ पुरानी लोककलां को देखने के लिए ढिगाना गांव में आ रहे हैं।
इस अवसर पर आज गांव ढिगाना में ब्लू ओशियन फाउंडेशन द्वारा सांझी पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे संस्था के फाउंडर नरेश कालीरमन, जिला प्रधान राजीव यादव, मुकेश, राकेश सरीन आदि भी शामिल हुए।