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Saturday, August 20, 2022

August 20, 2022

अंबाला से दिल्ली तक बनेगा ग्रीन फील्ड हाईवे - डिप्टी सीएम

अंबाला से दिल्ली तक बनेगा ग्रीन फील्ड हाईवे - डिप्टी सीएम*

*- सोनीपत को उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की सौगात, 16 विकास परियोजनाओं का किया शिलान्यास-उद्घाटन*

*सोनीपत/चंडीगढ़* प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि यमुना के साथ दिल्ली से अंबाला तक ग्रीन फील्ड हाईवे बनाया जाएगा और इसके निर्माण से दिल्ली-अंबाला मार्ग पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा। वे शुक्रवार को सोनीपत में लोक निर्माण विभाग की करीब 87 करोड़ रुपए की लागत की 16 विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के उपरांत संबोधित कर रहे थे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सड़कों की मजबूती की ओर विशेष ध्यान देना जरूरी है क्योंकि रोड इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि हरित व सफेद क्रांतियों की भांति अब हरियाणा में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती विकास के नए आयाम स्थापित करेगी। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी ने सड़कों की सभी मांगों को पूरा किया है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में दिल्ली से यमुना के साथ अंबाला तक ग्रीन हाईवे का निर्माण किया जाएगा और जिससे प्रमुख हाईवे मार्ग पर ट्रैफिक कम होगा।
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सड़कों का निर्माण इस प्रकार से करवाया जा रहा है कि जिससे गांवों को भी बेहतरीन कनेक्टिविटी मिलेगी। उन्होंने कहा कि निरंतर गांवों का दौरा करने पर अनुभव किया गया कि समयानुसार सड़कों के सुधार व विस्तार की आवश्यकता है जिसके चलते सभी विधानसभाओं की सड़कों के सुधारीकरण के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार ने प्रत्येक विधानसभा की सड़कों के सुधार व मजबूती के लिए 25-25 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में 6000 तालाबों को साफ करवाकर जल संरक्षण की शुरुआत की गई है।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अगस्त को खरखौदा में लगने वाले मारुति-सुजुकी प्लांट के निर्माण कार्य का शुभारंभ करेंगे। उन्होंने कहा कि 800 एकड़ में मारूति व 100 एकड़ में सुजुकी अपने प्लांट में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करेगी और इससे देश के विकास के साथ एक्सपोर्ट मार्केट को भी बल मिलेगा। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गन्नौर के बड़ी औद्योगिक क्षेत्र में रेल कोच फैक्टरी का निर्माण कार्य भी पूर्ण हो चुका है और गन्नौर में अंतर्राष्ट्रीय बागवानी मंडी को भी गति देने की दिशा में कदम बढ़ाए गए है जो कि ग्लोबल मार्केट से जुड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह विकास परियोजनाएं बेंचमार्क का काम करेंगी। 
प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार की ओर से चुनाव आयोग को लिखित में दिया गया है कि आयोग 30 सितंबर से पहले पंचायत चुनाव करवाएं। उन्होंने कहा कि दो नगरपालिकाएं बास और सिसाय अब ग्राम पंचायत में परिवर्तित हुई है और हेलीमंडी के 12 गांव नगरपरिषद में शामिल होंगे इसलिए यहां वार्ड बंदी दोबारा हो रही है जो कि 30 अगस्त से पहले हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वार्ड बंदी का कार्य पूरा होते ही तुरंत आयोग चुनाव करवाएगा।  
इससे पहले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने सोनीपत जिले को सौगात देते हुए करीब 87 करोड़ रुपए की लागत की 16 विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया जिनमें 15 सड़कें और एक ब्रिज शामिल हैं। सोनीपत दौरे के दौरान गांव मटिंडू में पर्वतारोही नीतीश दहिया के सम्मान समारोह में पहुंचे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने नीतीश दहिया को यंगेस्ट माउंटेनर इन द वर्ल्ड का खिताब जीतने के लिए शुभकामनाएं दी। वहीं डिप्टी सीएम ने शौर्य चक्र व सेना मेडल विजेता मेजर अमित दहिया के सम्मान समारोह में भी शिरकत की और उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर सांसद रमेश कौशिक, पूर्व विधायक एवं जजपा के जिलाध्यक्ष पदम सिंह दहिया, चेयरमैन  पवन खरखौदा, अजीत आंतिल, बबीता दहिया, भूपेंद्र मलिक, सुमित राणा सहित अधिकारीगण व गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

Wednesday, August 17, 2022

August 17, 2022

पानीपत टोल पर रोडवेज बस के ब्रेक फेल:डिवाइडर जंप करवाकर खाली लाइन में ले गया ड्राइवर, 80 यात्री थे सवार

पानीपत टोल पर रोडवेज बस के ब्रेक फेल:डिवाइडर जंप करवाकर खाली लाइन में ले गया ड्राइवर, 80 यात्री थे सवार

पानीपत : हरियाणा के पानीपत में जीटी रोड NH 44 पर मौजूद टोल पर मंगलवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल, हरियाणा रोडवेज किलोमीटर स्कीम की एक बस फरीदाबाद से चंडीगढ़ की ओर जा रही थी। पानीपत पहुंचने पर अचानक बस के ब्रेक फेल हो गए। वहीं, बस चालक की सूझबूझ से आज यह हादसा टल गया। चालक ने टोल पर बस को डिवाइडर के ऊपर से चढ़ाते हुए दूसरी खाली लाइन में ले गया। जिससे बस डिवाइडर और दूसरी लाइन के बीच फंसकर रुक गई।

मगर हादसे में टोल पर काफी टूट-फूट जरूर हुई। बस में 80 से ज्यादा सवारियां सवार थी। गनीमत रहा कि सभी सवारियां सुरक्षित रही। करीब 1 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बस को किसी तरह लेन से बाहर निकाला गया।
*फरीदाबाद से चंडीगढ़ जा रही थी बस*

हादसा मंगलवार शाम करीब 5 बजे का है। फरीदाबाद डिपो की रोडवेज बस नंबर HR 55 A 0878 का चालक जमशेद और परिचालक ओमपाल बस को फरीदाबाद से चंडीगढ़ के लिए लेकर चले थे। पानीपत पहुंचने पर काफी सवारियां उतरी भी थी, मगर उससे कहीं ज्यादा सवारियां बस में फिर से सवार हो गई थीं।
जिसके चलते बस में 80 से ज्यादा की सवारियां हो गई थी। बस टोल के नजदीक पहुंचने पर करीब 45 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से दौड़ रही थी। टोल पर स्पीड कम करने के लिए जब चालक ने ब्रेक लगाने चाहे तो ब्रेक नहीं लगे। ब्रेक फेल होने का आभास होते ही ड्राइवर ने सूझबूझ दिखाते हुए बस को डिवाइडर पर कूदा दिया। जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया।
August 17, 2022

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को:मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में 19 अगस्त को मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव, पुरी में 18 को मनेगी अष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को:मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में 19 अगस्त को मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव, पुरी में 18 को मनेगी अष्टमी

इस साल भी जन्माष्टमी दो दिन है। कुछ पंचांग में 18 को और कुछ में 19 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मनाने की सलाह दी गई है। श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और ये दोनों ही योग आने वाले शुक्रवार को रहेंगे इसलिए मथुरा, वृंदावन और द्वारका में जन्मोत्सव पर्व 19 अगस्त को मनेगा। कृष्ण तीर्थों में 19 को ये पर्व होने से इसी तारीख को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।

अखिल भारतीय विद्वत परिषद और काशी विद्वत परिषद का कहना है कि 18 तारीख को अष्टमी तिथि सूर्योदय के वक्त नहीं रहेगी बल्कि रात में रहेगी। वहीं, 19 तारीख को अष्टमी तिथि में ही दिन की शुरुआत होगी और रात में भी रहेगी। इसलिए शुक्रवार को ही भगवान का जन्मोत्सव मनाना बेहतर है। श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी भी इसी रात को रहेगा। उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी।

*श्रीकृष्ण तीर्थों में 19 को मनेगी जन्माष्टमी*

श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के सेवा अधिकारी पं. अंकित गोस्वामी ने भी श्रीकृष्ण जन्म पर्व के लिए 19 तारीख बताई है। वहीं, गुजरात में द्वारिका के कृष्ण मंदिर के पुजारी पं. प्रणव ठाकर का कहना है कि इस बार श्रीकृष्ण की जन्मतिथि शुक्रवार को पड़ने से इसी दिन जन्मोत्सव पर्व मनाना शुभ रहेगा। लेकिन जगन्नाथ पुरी में मंदिर के पंचांग के हिसाब से 18 तारीख की रात में अष्टमी तिथि मिलने से गुरुवार को कृष्ण जन्म मनेगा।
*क्या लिखा है पुराणों में*

1. विष्णु और ब्रह्म पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु योग माया यानी देवी से कहते हैं कि वर्षा ऋतु में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात को मैं जन्म लूंगा और तुम नवमी को प्रकट होना।

2. ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है कि भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रात में शुभ लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। उस समय अष्टमी तिथि तथा रोहिणी नक्षत्र के संयोग से जयंती नाम का योग बन रहा था। तब वृष लग्न में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

3. भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान कहते हैं कि जिस समय सिंह राशि पर सूर्य और वृष राशि में चन्द्रमा था, उस भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मेरा जन्म हुआ। 

4. अग्नि पुराण का कहना है कि भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान रोहिणी नक्षत्र के साथ अष्टमी तिथि को ही आधी रात में भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए थे। इसलिये इसी अष्टमी को उनकी जयंती मनायी जाती है। 

5. देवीभागवत पुराण के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और वृष लग्न में रात को भगवती ने देवकी के गर्भ से परम पुरुष के रूप में जन्म लिया था।
6. हरिवंश पुराण में लिखा है कि भगवान कृष्ण के जन्म के समय अभिजित नक्षत्र, जयन्ती योग और विजय मुहूर्त था।
*जन्माष्टमी पर क्या करें*

इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके लिए पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और काले तिल मिलाकर नहा सकते हैं। फिर कृष्ण मंदिर जाकर भगवान को पंचामृत और शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद पीले कपड़े, फिर पीले फूल, इत्र और तुलसी पत्र चढ़ाएं। फिर मोर पंख चढाएं। आखिरी में माखन-मिश्री और मिठाइयों का नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। इस तरह की पूजा घर पर भी की जा सकती है। इस दिन घर पर बाल गोपाल को झूले में झूलाने की भी परंपरा है।

Tuesday, August 16, 2022

August 16, 2022

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो स्टेट साउथ वेल्स और विक्टोरिया में स्वास्तिक पर बैन लगा दिया गया है। यहां स्वास्तिक के निशान को किसी भी तरह से दिखाना क्राइम माना जाएगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और तस्मानिया ने भी स्वास्तिक को बैन करने की बात कही है।


हालांकि, इन दोनों ही राज्यों में हिंदू, जैन और बौद्धों को धार्मिक उपयोग के लिए स्वास्तिक के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

इसके पहले जुलाई 2020 में फिनलैंड ने अपने एयरफोर्स के प्रतीक चिन्ह से स्वास्तिक हटा दिया था। पिछले साल अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में स्वास्तिक को बैन करने के लिए एक बिल पेश हुआ था। तब हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया था।

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में स्वास्तिक पर बैन लगाने की होड़ क्यों मची है? हिंदू धर्म के अलावा स्वास्तिक का संबंध किस-किस से है? इसकी शुरुआत कब हुई और इसका मतलब क्या है?
*सबसे पहले स्वास्तिक को बैन करने की वजह जानते हैं...*

न्यू साउथ वेल्स के ज्यूइश बोर्ड ऑफ डेप्यूटीज के CEO डेरेन बार्क का कहना है कि स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक है। यह हिंसा को दिखाता है। कट्टरपंथी संगठन भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। हमारे राज्य में काफी समय से इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात चल रही थी। अब अपराधियों को सही सजा मिलेगी।

वहीं हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहते हैं कि बहुत समय तक हिंदू समुदाय अपने शांति के प्रतीक को दिखाने के लिए सहज नहीं था, क्योंकि यह बुराई का प्रतीक बन गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में है स्वास्तिक के नाजी प्रतीक चिन्ह बनने की कहानी

1920 के आसपास की बात है। हिटलर अपनी नाजी सेना को ताकतवर बना रहा था। तभी उसके दिमाग में झंडा बनाने का ख्याल आया। एक ऐसा झंडा जो जर्मन लोगों और उसकी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करे। जिसे देखते ही नाजियों में जोश भर जाए। हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में इस बात का जिक्र है।

इसी साल नाजी पार्टी को एक झंडा मिल गया। लाल रंग के इस झंडे के बीच में सफेद रंग का एक सर्किल बना था। इस सर्किल के बीचों-बीच 45 डिग्री झुका एक स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया। इसे हकेनक्रेज कहा गया।
ये तस्वीर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। हिटलर की नाजी सेना हाथ में अपना झंडा लिए मार्च कर रही है। इस झंडे में स्वास्तिक जैसा प्रतीक नजर आ रहा है।

‘मीन काम्फ’ किताब के मुताबिक यह झंडा न सिर्फ आदर्श जर्मन साम्राज्य, बल्कि नाजी लोगों के बेहतर भविष्य का भी प्रतीक था। इस झंडे में इस्तेमाल होने वाला लाल रंग नाजी मूवमेंट और समाजवाद को बताता था। वहीं, सफेद रंग जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक था। इसके अलावा स्वास्तिक नाजी लोगों के संघर्ष को दिखाता था। यही नहीं यह आर्यन समाज की जीत का भी प्रतीक था।

*स्वास्तिक पर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ*

1933 से लेकर 1945 के बीच जब जर्मनी में हिटलर की नाजी सेना पावर में आई, तब उसके सैनिक हाथों में झंडे लेकर नरसंहार करने लगे। इस दौरान लाखों यहूदियों को बेरहमी से मारा गया। जिसे दुनिया होलोकॉस्ट के नाम से जानती है। इसके बाद से ही इस प्रतीक चिन्ह को यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी माना जाता है।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप और दुनिया के दवाब में इस नाजी झंडा और स्वास्तिक जैसे प्रतीक को जर्मनी में भी बैन कर दिया गया था। इसके अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और लिथुआनिया में भी इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी। 
स्वास्तिक है क्या, इसका मतलब क्या है
स्वास्तिक शब्द संस्कृत भाषा के शब्द स्वास्तिका से बना है। यह एक क्रॉस की तरह आकृति है। इसकी चारों भुजाएं 90 डिग्री पर मुड़ी होती हैं। ये भुजाएं चारों ओर एक ही तरफ क्लॉकवाइज मुड़ती हैं। हिंदू धर्म में इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में जरूरत के मुताबिक इसके अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं।

इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई
स्वास्तिक की शुरुआत कब हुई, इस बात को जानने के लिए जब हमने रिसर्च किया तो दो फैक्ट सामने आए…

पहला: हिस्ट्री एक्स्ट्रा वेबसाइट के मुताबिक सबसे पुराना स्वास्तिक 15 हजार साल पहले पाया गया था।

दूसरा: आर्काइव डॉट ओआरजी के मुताबिक 10 हजार ईसा पूर्व से स्वास्तिक का इस्तेमाल यूरोप के कई हिस्सों में होता आ रहा है।

1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी का दांत मिला था। इस पर एक पक्षी उकेरा गया था, जो एक स्वास्तिक की तरह दिख रहा था। हालांकि यह किसी को नहीं पता है कि पहली बार इसे कैसे और किसने बनाया?

मेसोपोटामिया सभ्यता में भी इस्तेमाल होता था स्वास्तिक
अभी के इराक में मेसोपोटामिया सभ्यता के शुरुआत के सबूत मिलते हैं। यह सभ्यता 3200 से 600 ईसा पूर्व तक थी। यानी आज से 2622 साल पहले। इस समय स्वास्तिक प्राचीन मेसोपोटामिया के सिक्कों पर बनाया जाने वाला पसंदीदा प्रतीक था।

इसके अलावा स्कैंडिनेविया के भगवान थोर के हथोड़े में भी इसका चिन्ह पाया जाता है। यह बाएं हाथ का स्वास्तिक होता था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
अब जानते हैं हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में स्वास्तिक का अर्थ… हिंदू: करीब 3500 साल पहले भारत में आर्यन के इतिहास के साथ ही स्वास्तिक की मौजूदगी के सबूत मिलते हैं। आज भी नई गाड़ी खरीदने के वक्त या फिर नए मकान में प्रवेश करने के समय एक प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वास्तिक कहते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में इसे तरक्की और शुभ माना जाता है।

जैन: जैन इसे सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं। जैन धर्म में यह भी माना जाता है कि इसकी चारों भुजाएं भक्त को अगले जन्म की याद दिलाती हैं।

बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म स्वास्तिक को बुद्ध के पैरों या पदचिन्ह के निशान का प्रतीक मानता है। किसी किताब के शुरू और आखिरी पन्ने पर इसे बनाया जाता है। आधुनिक तिब्बती लोग इसे कपड़ों पर भी बनाते हैं।
क्या हिंदुओं और नाजी पार्टी का स्वास्तिक एक है?

हिंदू घरों में इस्तेमाल होने वाला स्वास्तिक बनावट और अर्थ दोनों ही मामले में नाजी के स्वास्तिक यानी ‘हकेनक्रेज’ से अलग है। बनावट की बात करें तो हिंदुओं के घरों में बनाए जाने वाले स्वास्तिक के चारों कोणों में चार डॉट्स होते हैं। ये डॉट्स चार वेदों के प्रतीक हैं। जबकि नाजी झंडे पर बने स्वास्तिक में ये डॉट्स नहीं थे।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी झंडे में सफेद रंग की गोलाकार पट्टी में काले रंग का स्वास्तिक बना है। नाजी संघर्ष के प्रतीक को तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। जबकि हिंदू धर्म में यह शुभ और तरक्की का प्रतीक है।

Wednesday, August 10, 2022

August 10, 2022

हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान को कलाकार बनाएंगे और सशक्त : दीपक कौशिक

हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान को कलाकार बनाएंगे और सशक्त : दीपक कौशिक
Every house will make the tricolor awareness campaign an artist and empower it: Deepak Kaushik

 शहर के कई सामाजिक संगठन मिलकर चलाएंगे अभियान

जींद : देश के मान सम्मान हमारा तिरंगा आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर हर घर तिरंगा पूरे देश में फहराया जाएगा इसी मुहिम को और सशक्त बनाने के लिए सौल एंड स्पिरिट आर्ट सोसाइटी, संस्कार भारती, इतिहास संकलन समिति, महाराजा अग्रसेन सदाव्रत, गोपाल विद्या मंदिर,शैडो चिल्ड्रन रिसर्च सेंटर, चिंतपूर्णी जागरण मंडल, भगवती एडवर्टाइजमेंट स्टूडियो संयुक्त रूप से बुधवार को ताऊ देवी लाल चौक पर हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान कार्यक्रम करेंगे कार्यक्रम संयोजक दीपक कौशिक ने बताया कि इस अभियान में सेल्फी विद तिरंगा, हस्ताक्षर अभियान, टैटू मेकिंग, हिमाचल के जाने-माने चित्रकार मनोज द्वारा लाइव पेंटिंग, तिरंगा साइकिल यात्रा व शहर के जाने-माने कलाकारों द्वारा देश भक्ति के गीतों की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। इस जागरूकता अभियान के मुख्य अतिथि विधायक प्रतिनिधि राजन चिल्लाना, विशिष्ट अतिथि गोपाल विद्या मंदिर के अध्यक्ष जितेंद्र सैनी व अध्यक्षता करेंगे भाजपा जिलाध्यक्ष राजू मोर। दीपक कौशिक ने बताया कि इस अभियान से कलाकार अपनी कला के माध्यम से हर घर तिरंगा की मुहिम को और मजबूती प्रदान करेंगे।

Tuesday, August 9, 2022

August 09, 2022

हरियाणा में कौन कहां फहराएगा झंडा, यहां देखें लिस्ट

हरियाणा में कौन कहां फहराएगा झंडा, यहां देखें लिस्ट

चंडीगढ़ : स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त को पूर्व वर्षों की भांति हर्षोल्लास, जोश, उत्साह और गौरवपूर्ण ढंग से आयोजित किया जाएगा  प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सुबह 9 बजे के तुरंत बाद ध्वाजारोहण किया जाएगा। हरियाणा में  स्वतंत्रता दिवस पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री, आयुक्त और उपायुक्त झंडा फहराएंगे। इसके लिए लिस्ट जारी हो गई। 
मुख्यमंत्री मनोहर लाल समालखा में झंडा फहराएंगे।

 उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, बहादुरगढ़ और असंध में स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ध्वाजारोहण करेंगे, वहीं मंत्रीगण, नेता प्रतिपक्ष, संसद सदस्य, विधायक व अधिकारी मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा जारी सूची के अनुसार तिरंगा फहराएंगे। पढ़िए पूरी लिस्ट:

Monday, August 8, 2022

August 08, 2022

प्रत्येक विधायक भेजे 25 करोड़ के एस्टीमेट, सड़कों की होगी मरम्मत: डिप्टी सीएम

प्रत्येक विधायक भेजे 25 करोड़ के एस्टीमेट, सड़कों की होगी मरम्मत: डिप्टी सीएम

चंडीगढ़ : उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र की सडक़ों की मरम्मत का पच्चीस करोड़ रुपए तक का एस्टीमेट बनवाकर भेजें, प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री आज हरियाणा विधानसभा के सत्र के दौरान विधायक श्रीमती गीता भुक्कल द्वारा झज्जर शहर की विभिन्न सडक़ों के निर्माण बारे पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि झज्जर शहर की विभिन्न सडक़ों के निर्माण बारे पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने  बताया कि झज्जर की विभाजित सडक़ से अग्रसेन चौक रामलीला मैदान तक, 1.700 किलोमीटर से 3.065 किलोमीटर के खंड को छोडक़र, सडक़ की स्थिति संतोषजनक है। सीवरेज पाइपलाइन में लीकेज के कारण यह खंड क्षतिग्रस्त हो गया है। करीब 6 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला गया है। डब्ल्यूबीएम पैच वर्क प्रदान कर सडक़ का नियमित रखरखाव किया जा रहा है। सीवरेज लाइन के लीकेज की मरम्मत के बाद बिटुमिनस का काम किया जाएगा। हालांकि वर्तमान में इसके निर्माण की कोई समय-सीमा नहीं दी जा सकती है, फिर भी दिसंबर तक सीवरेज लाइन का कंप्लीट करने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने झज्जर शहर से गुजरने वाले पुराने राष्टï्रीय राजमार्ग-71 तक की सडक़ के निर्माण बारे बताया कि रेवाड़ी चौक को छोडक़र सडक़ की स्थिति संतोषजनक है। यह चौक बरसात के मौसम में निचले इलाके और भारी यातायात के कारण क्षतिग्रस्त हो जाता है। गड्ढïों को भरकर, पैच वर्क कर इस चौक की नियमित मरम्मत की जा रही है। बरसात के बाद बिटुमिनस का कार्य करके मरम्मत की जाएगी। इसी प्रकार, अंबेडकर चौक से राजकीय कन्या उच्च विद्यालय झज्जर तक की सडक़ बारे बताया कि इसकी हालत अच्छी है, इसलिए इसके निर्माण का समय दिए जाने का सवाल ही नहीं उठता।
विधायक श्रीमती भुक्कल द्वारा झज्जर के उक्त कार्यों बारे गलत रिपोर्ट भेजने के आरोप पर डिप्टी सीएम ने कहा कि अगर इस मामले में अधिकारी ने गलत रिपोर्ट भेजी होगी तो अगले 24 घंटों में उसको सस्पेंड किया जाएगा।