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Friday, February 5, 2021

February 05, 2021

झकझोर देने वाली कहानी:ट्रेन की चपेट में आई महिला, बचाने की कोशिश में दो जवान बेटियों की भी गई जान; रह रही थी अलग-अलग

झकझोर देने वाली कहानी:ट्रेन की चपेट में आई महिला, बचाने की कोशिश में दो जवान बेटियों की भी गई जान; रह रही थी अलग-अलग

फरीदाबाद : फरीदाबाद में गुरुवार को एक दर्दनाक हादसा सामने आया है। यहां एक महिला ट्रेन की चपेट में आ गई। इतना ही नहीं महिला को बचाने की कोशिश में उसकी दो बेटियां की भी मौत हो गई। रेलवे पुलिस ने तीनों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। इस मामले में बहुत बड़ा झोल यह है कि एक तो दोनों लड़कियां जीते जी मां से अलग रहती थी, दूसरा GRP की तरफ से इनके शौच आदि के लिए ट्रैक पर जाने की बात किसी के गले नहीं उतर रही है। कारण उनके कमरे में टॉयलेट आदि की व्यवस्था है।
मूल रूप से यूपी के एटा जिला के गांव अल्लाहपुर निवासी राजीव पाठक बचपन से ही फरीदाबाद के लक्कड़पुर गांव में किराए पर रहते हैं। गुरुवार दोपहर 12 बजे वह किसी काम से आगरा चले गए। घर पर पत्नी सुनीता (37) और बेटियां थी। साम पांच बजे राजीव की मां उनके कमरे पर पहुंची। सभी ने चाय बनाकर पी। रात करीब साढ़े 7 बजे अचानक पत्नी सुनीता लक्कड़पुर फाटक के पास रेलवे लाइन की ओर चल दी। उनके पीछे दो बड़ी बेटियां सब्बी पाठक(18) और इंदू पाठक(16) भी उनके पीछे पहुंच गई। इसी दौरान ट्रेन की चपेट में आने से तीनों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गयी। कॉलोनी के लोगों ने पति राजीव को घटना की जानकारी दी।

*दोनों की हुई थी लव मैरिज, इनसे सात बेटियां थी*

मृतका सुनीता के पति राजीव पाठक ने बताया कि सुनीता के परिजन पहले लक्कड़पुर गांव में ही रहते थे। यहीं पर दोनों की मुलाकात हुई थी। बाद में दोनों ने लव मैरिज कर ली थी। सुनीता से सात बेटियां हुई। बड़ी बेटी सब्बी पाठक(18), इंदू पाठक(16), रानी (14), कंचन (12), कामना (10), दीपा (06) और टोटो (03) है।

मरने वाली दोनों बेटियां मां से रहती थी अलग

राजीव ने बताया कि मरने वाली बेटियां सब्बी और इंदू अपनी मां सुनीता से अलग कमरा किराए पर लेकर पास में ही रहती थी। बेटियों का मां से कुछ मन-मुटाव रहता था। उन्होंने बताया कि शाम करीब पांच बजे उनकी पत्नी सुनीता से बात भी हुई थी। सबकुछ ठीक था। अचानक क्या हुआ और तीनों कैसे रेलवे ट्रैक पर पहुंच गई, कुछ पता नहीं। उन्होंने माना कि घर में थोड़ा बहुत विवाद होता रहता है, लेकिन पत्नी और बेटियां ऐसा कदम उठा लेंगी, सोचा भी नहीं था। उधर GRP के सब इंस्पेक्टर राजपाल का कहना है कि तीनों शौच करने के ट्रैक के पास गई थी। ट्रैक पार करते वक्त ट्रेन की चपेट में आ गई, लेकिन GRP की ये कहानी किसी के गले नहीं उतर रही है। परिजनों के मुताबिक उनके कमरे में टॉयलेट आदि की व्यवस्था है। ऐसे में तीनों की ट्रेन में आना संदेह पैदा करता है।
February 05, 2021

हॉस्टल में 16 साल की छात्रा ने लगाई फांसी:4 दिन पहले ही अपने घर से आई थी बिहार की छात्रा, पिता बोले- सपने पूरे करने को भेजा था मैंने

हॉस्टल में 16 साल की छात्रा ने लगाई फांसी:4 दिन पहले ही अपने घर से आई थी बिहार की छात्रा, पिता बोले- सपने पूरे करने को भेजा था मैंने

अम्बाला : 4 दिन पहले ही हॉस्टल आई 16 वर्षीय छात्रा ने फंदा लगाकर खुदकूशी कर ली। हरियाणा के अंबाला जिले में यह मामला सामने आया। मृतका कल्पना चावला पॉलिटेक्निक कॉलेज में फर्स्ट इयर की छात्रा थी। लॉकडाउन के बाद कॉलेज खुले तो वह चार दिन पहले ही हॉस्टल आई थी।
मृतका की पहचान बिहार के नवादा निवासी नेहा कुमारी के रूप में हुई है। उसके पिता ईंट भट्‌ठे पर मजदूरी करते हैं। बेटी के सुसाइड करने की खबर जब उन तक पहुंची तो वे रोते हुए बोले कि मजदूरी करता हूं। बेटी को सपने पूरे के लिए अंबाला शहर भेजा था, लेकिन वो तो दुनिया से ही चली गई।
SHO हमीर सिंह ने बताया कि उन्हें देर रात हॉस्टल रूम में सुसाइड की खबर मिली थी। मौके पर पहुंचकर शव को और मृतका के मोबाइल को कब्जे में ले लिया गया है, ताकि सुसाइड के कारणों का पता लगाया जा सके। उसकी रूम मेट जब सोने के लिए आई, तब घटना का पता चला।
रूम मेट ने बताया कि नेहा खाना खाने के बाद उससे कमरे की चाबी लेने आई थी। क्योंकि उसे कुछ देर सहेलियों के साथ बैठना था, इसलिए वह नेहा के साथ नहीं गई। कुछ देर बात जब वह सोने गई तो काफी देर खटखटाने के बाद भी नेहा ने दरवाजा नहीं खोला। उसने हॉस्टल वार्डन को बताया।
हॉस्टल वार्डन मौके पर पहुंची और सिक्योरिटी गार्ड को कमरा खुलवाने के लिए कहा। किसी तरह कमरा खोला गया तो देखा कि नेहा फंदे पर लटकी हुई थी। रूम मेट ने बताया कि नेहा जब से घर से आई थी, चुपचाप रहती थी। वह इले‍क्ट्रॉनिक ट्रेड से डिप्‍लोमा कर रही थी।
February 05, 2021

किसानों का चक्काजाम कल:किसान नेता बोले- दिल्ली, यूपी में रोड जाम नहीं करेंगे; CRPF ने जवानों से कहा- बसों पर लोहे का जाल लगा लो

किसानों का चक्काजाम कल:किसान नेता बोले- दिल्ली, यूपी में रोड जाम नहीं करेंगे; CRPF ने जवानों से कहा- बसों पर लोहे का जाल लगा लो

नई दिल्ली : गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन से जुड़ी गतिविधियां पिछले एक हफ्ते से बढ़ गई हैं। ऐसे में सरकार ने सुरक्षाबलों की संख्या भी बढ़ा दी है। 

कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान शनिवार को देशभर में चक्काजाम करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि शनिवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक ये चक्काजाम होगा। हालांकि, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में रोड जाम नहीं करेंगे। यहां के जिलों में अधिकारियों को केवल ज्ञापन सौंपा जाएगा।
किसानों के चक्काजाम के मद्देनजर दिल्ली-NCR में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों (CRPF) की 31 कंपनियों की तैनाती 2 हफ्ते के लिए और बढ़ा दी गई है। दिल्ली में तैनात CRPF की सभी यूनिट्स से कहा गया है कि वे अपनी बसों पर लोहे का जाल लगा लें। हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने बताया कि SP जिलों में किसानों से बात कर रहे हैं, ताकि कहीं कोई दिक्कत नहीं हो। पुलिस की ओर से ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की जाएगी।
*UP, राजस्थान में आज से किसान पंचायत*
आंदोलन को मजबूती देने के लिए आज से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों की सीरीज शुरू की गई, जो फरवरी के आखिर तक चलेगी। इनका आयोजन राष्ट्रीय लोक दल (RLD) की तरफ से किया जा रहा है। RLD ने पिछले हफ्ते किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया था।
RLD के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने गुरुवार को कहा कि किसान पंचायतों का मकसद सरकार को यह बताना है कि यह एक बड़ा आंदोलन है। इसमें राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे किसानों तक पहुंचें और दूसरे लोगों को भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता बताएं।
लोकसभा दो बार स्थगित करनी पड़ी
लोकसभा में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को नए कृषि कानून वापस लेने के लिए नारेबाजी की। हंगामे के चलते दिनभर में दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। गुरुवार को भी 9 विपक्षी दलों के 12 सांसदों ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों पर सदन में अलग से चर्चा की मांग रखी थी। गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के जमावड़े और पुलिस की तैयारियों को देखते हुए विपक्षी नेताओं ने चिट्ठी में यह भी लिखा कि दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर जैसा नजर आ रहा है।
विपक्ष के एक डेलिगेशन ने लोकसभा स्पीकर से इस बात की शिकायत भी की कि उन्हें गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने से पुलिस ने रोक दिया।

कृषि मंत्री बोले- दुनिया जानती है कि पानी से खेती होती है, खून से खेती सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है
February 05, 2021

किसानों को उकसाने वाला गिरफ्तार, लाल किले हिंसा का रचा था षडयंत्र

किसानों को उकसाने वाला गिरफ्तार, लाल किले हिंसा का रचा था षडयंत्र

नई दिल्ली : किसान आंदोलन के 71वें दिन दिल्ली पुलिस ने लाल किले पर हिंसा भड़काने के एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। क्राइम ब्रांच ने वीरवार को बताया कि गिरफ्तार किया गया धर्मेंद्र सिंह हरमन 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान अपनी कार में बैठकर किसानों को उकसा रहा था। वो दिल्ली के अर्जुन नगर का रहने वाला है और शाहीन बाग के प्रदर्शन के वक्त भी काफी सक्रिय था।
किसान आंदोलन को लेकर पुलिस के साथ केंद्र सरकार भी सक्रिय है। गृह मंत्री अमित शाह ने हालात पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को संसद बुलाया। वीरवार देर शाम तक तीनों के बीच हाईलेवल मीटिंग हुई। ये बैठक गाजीपुर बॉर्डर पर हलचल बढऩे के बाद बुलाई गई थी। गाजीपुर बॉर्डर पर शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल समेत 10 विपक्षी दलों के 15 नेता किसानों से मिलने पहुंचे थे। पुलिस ने इन्हें रोक दिया।
*पुलिस ने सड़क से कीलें हटाईं, फिर सफाई दी*
पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए कुछ दिन पहले कई लेयर की बैरिकेडिंग करने के साथ ही सड़कों पर कीलें भी लगा दी थीं। इस पर किसान नेताओं और विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था। लेकिन, गुरुवार को इन कीलों को हटाने के फोटो और वीडियो सामने आए। इसके बाद पुलिस ने सफाई दी कि कीलों को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह लगाया जाएगा। साथ ही कहा कि बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।

सोनीपत व झज्जर जिलों को छोड़ सभी में इंटरनेट चालू

हरियाणा सरकार ने दो जिलों सोनीपत और झज्जर में वॉयस कॉल को छोड?र इंटरनेट सेवाओं (2जी/3जी/4जी/ सीडीएमए/ जीपीआरएस), एसएमएस सेवाओं (केवल ब्लक एसएमएस) और मोबाइल नेटवर्क पर दी जाने वाली सभी डोंगल सेवाओं को पांच फरवरी शाम पांच बजे तक रोक बढ़ा दी है। सरकारी प्रवक्त ने वीरवार की शाम बताया कि दूरसंचार अस्थायी सेवा निलंबन (लोक आपात या लोक सुरक्षा) नियम, 2017 के नियम 2 के तहत इंटरनेट सेवाएं बंद करने के आदेश दिए गए हैं।
बीएसएनएल (हरियाणा अधिकार क्षेत्र) सहित हरियाणा की सभी टेलिकॉम सेवाएं देने वाली कंपनियों को इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। क्षेत्र में शांति बनाए रखने और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए यह आदेश जारी किए गए हैं। कोई भी व्यक्ति इन आदेशों के उल्लंघन का दोषी पाया गया तो वह संबंधित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा। प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने एसएमएस, व्हाट्सएप, फेसबुक ट्विटर आदि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से दुष्प्रचार और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का निर्णय लिया है।

किसान आंदोलन में विदेशी दखल से राकेश टिकैत को दिक्कत नहीं

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने वीरवार को इन विदेशी हस्तियों के बारे में एक बेहद हैरान करने वाला बयान दिया है। मीडिया कर्मियों ने जब राकेश टिकैत को यह बताया कि कई विदेशी कलाकारों जैसे रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग, मिया खलिफा द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन किया है तो टिकैत ने कहा कि मुझे क्या पता, समर्थन किया होगा, मैं क्या उन्हें जानता हूं।

किसान आन्दोल : टिकैत ने कहा कि हॉलीवुड कलाकारों द्वारा किसानों के आंदोलन का समर्थन करने में कोई बुराई नहीं है, मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से तो नहीं जानता, लेकिन वे बिना किसी स्वार्थ के समर्थन कर रहे हैं। अगर संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें धन्यवाद दिया है, तो किसान यूनियन वहीं करेगा। टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को रोकने पर कहा कि यह गलत है। सांसद लोकतंत्र की आवाज हैं। टिकैत का कहना है कि सरकार इस आंदोलन को लंबा चलाना चाहती है। उन्होंने गुरुवार को मंच से कहा कि हर गांव से एक ट्रैक्टर, 15 आदमी और 10 दिन के फॉर्मूले पर काम करो, फिर आंदोलन चाहें 70 साल चले, कोई दिक्कत नहीं है।

*मेरे मंच से मोदी को कोई नहीं दे सकता गाली: टिकैत*

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके मंच से कोई भी गाली नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि ये शिकायत आ रही है कि लोग मोदी जी को गाली दे रहे हैं, वे हमारे लोग नहीं हो सकते। कोई भी आदमी जो प्रधानमंत्री के बारे में गाली-गलौज का इस्तेमाल करेगा, वह यहां से मंच छोड़कर चला जाए।
वह उसका व्यक्तिगत निर्णय होगा। इस स्टेज का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर यहां भी कोई लोग है जो अनाप-शनाप बात करते हैं तो भई उनका हमकों बता दो। उनको छोडऩा पड़ेगा। उनका व्यक्तिगत बयान होगा। माहौल को खराब न करें।
February 05, 2021

दिल्ली हिंसा:किसी का घर चलाने वाला तो किसी का जवान बेटा जेल में, कई को पता भी नहीं, अब जमानत के लिए काट रहे चक्कर

दिल्ली हिंसा:किसी का घर चलाने वाला तो किसी का जवान बेटा जेल में, कई को पता भी नहीं, अब जमानत के लिए काट रहे चक्कर

नई दिल्ली : 26 जनवरी को दिल्ली हिंसा मामले में जो लोग गिरफ्तार किए गए हैं, उनमें हरियाणा से भी 30 लोग हैं। इनमें सबसे ज्यादा रोहतक से 12, झज्जर और जींद से 5-5, सोनीपत, कैथल और फतेहाबाद से 2-2 और यमुनानगर व हिसार से 1-1 की गिरफ्तारी हुई है। इनमें सबसे ज्यादा 18 से 24 साल के युवा हैं, जिनमें से कोई पढ़ाई कर रहा था तो कोई नौकरी की तैयारी कर रहा था। कई परिवारों के तो कमाने वाले मुखिया ही जेल चले गए हैं। परिवारों को उनके जेल में होने का पता भी कई दिन बाद चला। अब घर वाले जमानत के लिए चक्कर काट रहे हैं। पढि़ए गिरफ्तार लोगों के घरों की ग्राउंड रिपोर्ट-:
*कैथल*: दो युवक गिरफ्तार, दोनों के परिवार पर आढ़ती और बैंक का 5-5 लाख का कर्ज

कैथल के गांव कसान के दो दोस्त दीपक (19) और सुनील (24)

किसानों की आवाज बुलंद करने दिल्ली गए थे। 26 जनवरी को हिंसा के बाद इन्हें नांगलोई से इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसे में बेटों से संपर्क टूटा तो परिजन बेचैन हो उठे। तमाम आशंकाओं के बीच 24 घंटे बाद गिरफ्तारी की सूचना मिली। इसने पहले से ही तंगी में चल रही जिंदगी की गाड़ी को और ही परेशानी में डाल दिया। तब से परिजन न तो ढंग से सो पाए और न खाना खा रहे हैं। दोनों के पिता जमानत के लिए कभी दिल्ली तो कभी पड़ोसियों के साथ किसान नेताओं के चक्कर काट रहे हैं।
दीपक के पिता तीन एकड़ जमीन के मालिक हैं। घर में बड़ा भाई और बहन भी है। तीनों कुंवारे हैं। दीपक 12वीं पास करने के बाद घर पर ही आगे की तैयारी कर रहा था। उसके पिता रमेश ने बताया कि परिवार पर आढ़ती और बैंक का पांच लाख से ज्यादा का कर्ज है। किसी तरह ठेके पर जमीन लेकर गुजारा कर रहे थे।
वहीं, सुनील परिवार में अकेला लड़का है। उसकी चार बड़ी बहने हैं। बड़ी बहन सरिता ने बताया कि कर्ज लेकर ही पिता ने चारों बहनों की शादियां की थी। अब ये मुसीबत आ गई। जब से सुनील के कैद में हाेने का पता चला है कि माता-पिता सो नहीं पाए हैं। दोनों युवकों के पिता के साथ दिल्ली जमानत के लिए गए सरपंच दिलबाग सिंह व परिवार से ही रणधीर सिंह ने बताया कि पूरा गांव परिजनों के साथ है और जमानत समेत कोर्ट केस पर आने वाला पूरा खर्चा सबने मिलकर उठाने का फैसला किया है।

*जींद*: मुखिया जेल चले गए तो परिवार चलाना हुआ मुश्किल

जींद के जिले के 5 लोग दिल्ली हिंसा में जेल में हैं। इनमें से ज्यादातर अपने घरों के मुखिया हैं, जिनके जेल जाने से परिवारों को न केवल जमानत बल्कि घर खर्च चलाने की भी परेशानी पेश आ रही है।
मनोहरपुर गांव के अनिल की मां संतोष देवी बेटे के कैद में होने से हैरान-परेशान हैं। वह कहती हैं कि 26 जनवरी की सुबह बेटा व उसका पड़ोसी दोस्त किसान परेड में जाने की बात कह रहे थे। मुझे यकीन नहीं था कि वे सच में जाएंगे। कई दिन बाद गांव के लोगों ने ही बताया कि अनिल व गांव के दो और युवकों को दिल्ली पुलिस ने पकड़ लिया है। अब वे जेल में हैं। दिल्ली में वह कहां मिलेगा, यह भी पता नहीं है। हमारे पास आधा एकड़ ही खेती है। बेटा दूध का काम करता है। वही घर संभालता है। हमारे पास तो जमानत कराने के भी पैसे नहीं हैं।
वहीं, खोखरी गांव का किसान नवनीत 24 जनवरी को टिकरी बॉर्डर पर गया था। उसके 7 व 8 साल के बच्चों को पिता के आने का इंतजार हैं। नवनीत की पत्नी सीमा देवी कहती हैं कि दुखों का पहाड़ इस कदर टूट पड़ा है कि समझ में नहीं आ रहा है कि घर का कामकाज करें कि खेती देखें या पति के जेल से छूटकर आने का इंतजार करें।
खोखरी गांव के ही शमशेर की पत्नी वेदवंती की पीड़ा भी कम नहीं है। उनका कहना है कि उनके पास पैसे भी नहीं हैं कि वकील करके जमानत करा लें। अब तो किसान नेताओं व गांव वालों का ही सहारा है। ऐसे ही मनोहरपुर गांव का जसबीर भी 26 को ही बाइक से दिल्ली गया था। जसबीर के दो छोटे बच्चे हैं। उसके पिता रघुबीर सिंह बताते हुए रो पड़ते हैं कि बेटा सब कुछ चला रहा था। आधा एकड़ खेती के साथ वह दूध बेचकर परिवार पाल रहा था। अब गुजारा मुश्किल है।

*रोहतक*: घर में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा, चिंता में कुनबा, किसान संगठनों पर भरोसा

रोहतक जिले से सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं। पकड़े गए सभी लोगों के परिवार की माली हालात कमजोर है। गिरफ्तारी की सूचना मिलने के बाद से कई घर में चूल्हा तक नहीं जला है। किसी के पिता तो किसी के चाचा और ताऊ दिल्ली में बच्चों की रिहाई के लिए जेलों व कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। रिठाल के ही 4 व्यक्ति जेल में बंद हैं।
चारों परिवारों की नींद उड़ी हुई है। अब परिवार वालों को किसान नेताओं पर भरोसा है और उनसे आश्वासन मिला है कि बेटों की रिहाई जल्द करवाई जाएगी। गांव रिठाल नरवाल निवासी अशोक के चाचा राजेंद्र ने बताया कि घर की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है। अशोक ने गांव में ही परचून की दुकान की है। वहीं, गांव का जगबीर भी जेल में बंद है। उसके ताऊ के लड़के सतबीर बताते हैं कि जगबीर 26 जनवरी को दिल्ली गया था। जगबीर के परिवार में अब दो बेटियां ही बची हैं।
10 महीने पहले ही जगबीर के बेटे की बीमारी से मौत हो चुकी है। अब जगबीर की पत्नी भी बीमार है। जैसे ही उसे पता चला है कि जगबीर को जेल भेज दिया गया है, तब से वह सदमे में है। ऐसे में अब परिवार संभालने वाला कोई नहीं बचा है। खेत में गोभी की फसल तैयार खड़ी है, लेकिन उसे कोई संभालने वाला नहीं है। रिठाल के सतपाल की पत्नी रानी का कहना है कि 26 जनवरी को वह दिल्ली के लिए गया था। रात को वापस नहीं लौटा।
रात भर फोन मिलाने का प्रयास करते रहे, लेकिन फोन नहीं मिला। अगले दिन गिरफ्तार करने की सूचना मिली। सतपाल की पत्नी और दो बेटियां और एक बेटा काफी चिंता में हैं। उनकी पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। गांव रिठाल निवासी अजमेर की मां फूलपति ने बताया कि अजमेर ने दो कार लोन पर ली हुई है। दोनों बुकिंग पर चलाकर ही घर का गुजारा चलता था। अब कार के साथ ही घर का भी पहिया रुक गया है।

*यमुनानगर*: परमजीत के पास जमीन नहीं, पाठी की कमाई से चलता है घर

यमुनानगर| गांव पिलखनवाला के परमजीत 20 जनवरी को घर से चार जोड़ी कपड़े लेकर आंदोलन में गए थे। दो सप्ताह से ज्यादा का समय बीत जाने पर भी वह घर नहीं लौटे। जब से परिवार को पता चला कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें उपद्रव के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है तब से सभी चिंचित हैं। परमजीत के बेटे हरप्रीत सिंह बताते हैं कि हमारे पास खेती की कोई जमीन नहीं है। हम सभी एक कमरे के मकान में रहते हैं।
पिता बतौर पाठी काम करते हैं। इसकी कमाई से ही घर चलता है। सास भी उनके साथ रहती हैं। उनको मिलने वाली पेंशन से भी घर खर्च में सहयोग मिलता है। परमजीत सिंह की पत्नी लखविंद्र कौर बताती हैं कि पति की दिमागी हालत ठीक नहीं है। उनके पास मोबाइल नहीं, जिससे कि उनसे संपर्क भी नहीं हो पाया। उन्होंने बातचीत में कभी किसान आंदोलन की चर्चा तक नहीं की। वह दिल्ली कैसे पहुंच गए और किन हालात में उनकी गिरफ्तारी हुई, इसका हमें कोई अंदाजा नहीं है।

*टोहाना*: मिलने के लिए चक्कर काट रहे परिजन, नहीं हो रही मुलाकात

दिल्ली में किसान आंदोलन में लंगर की सेवा के लिए गांव हिम्मतपुरा के दो किसान भी जेल में हैं। इनमें एक किसान मलकीत सिंह हैं। बातचीत में उनके भाई कुलदीप सिंह बताते हैं कि भाई की दो लड़कियां और एक लड़का है। उनके पास मात्र आधा एकड़ जमीन है। कमाई के लिए वे कंबाइन चलाते हैं। हम सभी केवल जत्थेबंदियों से आस लगाए बैठे हैं कि भाई को किस तरह से जेल से बाहर निकलवाते हैं।
वहीं, गांव से गुरमीत सिंह भी जेले में हैं। उनके भाई संत सिंह बताते हैं कि भाई खेती बाड़ी करते हैं। उनके दो बच्चे हैं। जब से गिरफ्तार की सूचना मिली है, परिवार व्याकुल है। बच्चे हर वक्त पूछते हैं कि पापा कब आएंगे। हम परिवार के कुछ सदस्य दिल्ली जेल में भाई से मिलने के लिए भी गए थे। उनसे मिलने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने सहयोग नहीं किया और मिलाने से मना कर दिया। कहीं कोई जानकारी नहीं दे रहा है कि आगे क्या होगा?
*हिसार*: बैल वाली बुग्गी के अलावा अमरजीत के घर साइकिल तक नहीं
नारनौंद के गांव बास खुर्द का रहने वाले अमरजीत को गिरफ्तार किया गया है। उनके पिता जयबीर मोर बताते हैं कि हमारे पास दो एकड़ जमीन है और एक बैल बुग्गी के अलावा घर में साइकिल तक नहीं है। 4 भाई बहन में अमरजीत सबसे छोटा है। दो बहन व भाई ही विवाहित हैं। अमरजीत अविवाहित है।
आईटीआई करने के बाद भिवानी रोडवेज की वर्कशॉप में काम करता था। कोरोना काल के चलते घर पर आ गया। पिता का दावा है कि अमरजीत पहली बार ही दिल्ली गया था। कह रहा था कि दिल्ली में 26 जनवरी की परेड देखने की तमन्ना है। इसलिए किराया और खर्चा बचाने के लिए वह किसानों के साथ चला गया। सतरोल खाप के प्रधान इंद्रसिंह मोर ने बताया कि जेल में उससे मिलने गए तो वापस भेज दिया गया।

*झज्जर: जमानत करने के लिए घूम रहे परिवार, गिरफ्तारी से ग्रामीणों में रोष*

बहादुरगढ़ के लोवाखुर्द निवासी 30 वर्षीय रवि एमआई एरिया में अपने भाई के साथ कूड़ा लिफ्टिंग का काम करता है। रवि के पिता का निधन हो चुका है। परिजनों के अनुसार रवि कुछ दिन पहले अपने ट्रैक्टर व अन्य सामान की खरीदारी के लिए बाइक पर दिल्ली गया था। वहां पर दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
गांव के सरपंच जयप्रकाश ने बताया कि गिरफ्तारी पर गांव में रोष है। अब दिल्ली पुलिस से खबर आने के बाद परिवार के लोग उसकी जमानत के लिए दिल्ली में चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, दया किशन पुत्र दलीप सिंह के परिजनों के अनुसार वो गांव से ही किसी के ट्रैक्टर पर सवार होकर बॉर्डर पर गया था। वहां पहुंचने के बाद से परिवार का कोई संपर्क नहीं हुआ। साथ गए ग्रामीणों ने भी बताया कि वह बॉर्डर पर ही उनसे बिछुड़ गया था। अब गिरफ्तारी का पता चला तो जमानत के लिए चक्कर काट रहे हैं। अब किसान संगठनों से आस है।
February 05, 2021

ये सर‘हद है:किलबंदी व कई लेयर में बैरिकेडिंग से एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं, बरसात के बाद लोकल रास्ते कीचड़ से अटे

ये सर'हद है:किलबंदी व कई लेयर में बैरिकेडिंग से एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं, बरसात के बाद लोकल रास्ते कीचड़ से अटे

बहादुरगढ़ : टिकरी बॉर्डर इलाके में दिल्ली से पहुंचने वाले कामकाजी लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। पुलिस प्रशासन की बैरिकेडिंग की वजह से आम लोगों के साथ दिल्ली से आने वाले लोगों को भी प्रदर्शन स्थल पर पहुंचने में मुश्किलें हो रही हैं। पहले चार बैरिकेडिंग पार करने के बाद धरना स्थल पर पहुंचा जा सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
अब यहां आठ लेयर की सुरक्षा है व गलियों में निकलना खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि गुरुवार को सुबह हल्की बरसात के बाद गलियों में खोदे गए गड्ढ़े व बिखरी मिट्टी से भी लोगों के गिरने का खतरा बढ़ गया है। गलियों में खोदे गए गड्ढे व भूल भलैया गलियों में कौन की गली से व्यक्ति कहां निकल जाता है यह पहली बार आने वाले व्यक्ति को पता नहीं चल पाता है। सबसे अधिक टिकरी बॉर्डर के पास इंडस्ट्रियल इलाके में काम करने वालों को हो रही है। दिल्ली से यहां आने में उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है।
मुंडका से जहां उनको बस उतारती है वहां से एमआई इंडस्ट्रियल एरिया में जाने के लिए मेट्रो में व बाॅर्डर पार करके ई रिक्शा के लिए 40 रुपए देने पड़ रहे हैं। 26 जनवरी की घटना के बाद पुलिस ने सख्ती इस तरह से कर दी है हमारे घरों को जाने वाले रास्ते को भी बंद कर दिया है। यहां केवल पुलिस की गाड़ियां व जवान टहलते दिखाई देते हैं।
*किसानों ने सुबह मिलकर अरदास की कामना: शांति बनी रहे व बरसात न हो*
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के चलते टिकरी बाॅर्डर पर किसानों का आंदोलन आज 72वें दिन भी जारी है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर परेड में हिंसा के बाद आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या में पिछले दिनों कमी आई थी, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद एक बार फिर से आंदोलन को बड़ी संख्या में किसानों का समर्थन मिलने लगा।
*गाजीपुर में कील उखाड़ने की खबर से बहादुरगढ़ में भी हलचल, एंबुलेंस के लिए भी नहीं खुला रास्ता*
गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा से सीख लेते हुए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली से लगने वाली सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है। गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर कई लेयरों की तगड़ी बेरिकेटिंग की गई है। ट्रैक्टर रैलियों में जिस तरह ट्रैक्टर की मदद से बेरिकेड्स हटाए गए थे, वैसी घटना को रोकने के लिए कीलें भी लगाई गई थीं।
टिकरी बाॅर्डर पर सुबह बरसात के बाद सफाई का काम चल रहा था तो खबर आयी कि गाजी बाॅर्डर पर कीलों को हटाया जा रहा है तब एक बार आशा बनी कि यहां भी जमीनों में लगी कीलों को हटाकर कम से कम एबुलेंस व एमरजेंसी में लोगों के दिल्ली में जाने के लिए रास्ता खोला जाएगा पर एक घंटे के बाद ही खबर आई कि गाजीपुर में भी कीलों को दूसरे स्थान पर लगाया जा रहा है इस कारण हटाया जा रहा था।
February 05, 2021

बारिश में बढ़ रहा आंदोलन:किसानों ने ट्राॅलियों को बनाया वाटर प्रूफ, खाली फ्लैटों पर लगे होटल के बोर्ड, किराए पर दे रहे रूम

बारिश में बढ़ रहा आंदोलन:किसानों ने ट्राॅलियों को बनाया वाटर प्रूफ, खाली फ्लैटों पर लगे होटल के बोर्ड, किराए पर दे रहे रूम

नई दिल्ली : ठंड और बारिश कृषि कानूनों के विरोध में बैठे किसानों का हौसला ठंडा नहीं कर पा रही है। गुरुवार को दिनभर बूंदाबांदी हुई लेकिन किसानों का आना लगा रहा। बाहर से आ रहे किसानों के परिवार बारिश में होटलों में ठहर रहे हैं। इसे देखते हुए आसापास के खाली फ्लैटों में होटल के बोर्ड लग गए हैं।

गुरुवार को दहिया खाप से 125 के करीब ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में किसान पहुंचे। बारिश को देखते हुए ट्राॅलियों को प्लास्टिक तिरपाल से वाटर प्रूफ बना लिया है। स्थाई तौर पर लगाए गए टेंट पर भी प्लास्टिक कवर से ढांप दिया गया है। सड़क पर पानी को किसान इधर-उधर निकाल रहे हैं। कई दिन से धूप निकल रही थी। इससे ट्राॅलियों को थोड़ा खुला छोड़ा गया था। बारिश से लंगर सेवा भी प्रभावित हुई। सुबह से आठ बजे से ही चाय-पकौड़े और खाना शुरू हो जाता था। बारिश की वजह से 11 बजे के बाद ही लंगर सेवा शुरू हो गई।
*ये हुई व्यवस्था* : बारिश से बचने के लिए टेंटों और ट्राॅलियों को प्लास्टिक की चादरों से ढका, लंगर सेवा प्रभावित

*पहले की बारिश से सबक, ऊंची जगह पर लगाए तंबू*

जनवरी में भी बारिश का दौर आया था तो किसानों को पेरशानी झेलनी पड़ी थी। पंडालों में भी नीचे पानी भरा था। अब उससे सबक लेकर किसानों ने ट्राॅलियों या फिर सड़क पर ऊंचाई की जगह पर पंडाल लगाए हैं ताकि बारिश से दिक्कत न हो। किसान झाड़ू उठाकर या बाल्टी से पानी निकालते हुए भी नजर आए। कई जगह किसानों के लिए विभिन्न संगठनों ने वाटर प्रूफ पंडाल भी लगाए हैं।

*खेतों से सब्जी और घर से लस्सी इकट्ठी कर ला रहे* :

 प्रदेश के गांव-गांव से किसानों की भागीदारी अब आंदोलन में बढ़ रही है। सोनीपत जिले के आसपास के गांवों ने तो अब आंदोलन में लंगर सेवा के लिए अहम भागीदारी निभानी शुरू कर दी है। खेतों से ताजी सब्जी, घरों से ड्रम में लस्सी इकट्ठी करके किसान ला रहे हैं। महारा गांव के बिंटू ने बताया कि ट्रैक्टर से दो ट्राॅली जोड़कर हर दिन लाते हैं। एक ट्राॅली में सब्जियां व लस्सी ताे दूसरी में किसान बैठकर आते हैं।
खाली फ्लैटों की बढ़ गई कमाई
ठंड और बारिश में किसान भले ही सड़कों पर हैं, लेकिन आंदोलन में बाहर से कुछ दिन की भागीदारी देने के लिए गाड़ियों में भी लोग विभिन्न राज्यों से पहुंच रहे हैं। पार्कर मॉल के आसपास खाली फ्लैट का इस्तेमाल अब रूम किराए पर देने में भी किया जा रहा है। कई जगह होटल या रूम एवलेबल के बोर्ड यहां लग गए हैं।
125 ट्रैक्टरों के साथ पहुंचे सिसाना गांव के किसान
*खरखौदा* : आंदोलन को समर्थन देने के लिए भारतीय किसान यूनियन की अध्यक्षता में दहिया खाप के चबूतरे पर हुई पंचायत में फैसले के आधार पर सिसाना गांव में सभी ठोलो व पान्नों से दो-दो व्यक्तियों को शामिल करते हुए कुल 23 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। इसी कमेटी के नेतृत्व में किसानों के आंदोलन को समर्थन देने व आंदोलन को मजबूत करने के लिए गुरुवार को सिसाना से करीब 125 ट्रैक्टरों के काफिले के साथ किसान सिंधु बॉर्डर के लिए रवाना हुए। कमेटी सदस्य जिंदर, पूर्व सरपंच कृष्ण, पूर्व जिला पार्षद चांद पहलवान ने कहा कि इसी तरह से बारी-बारी आंदोलन में किसान हिस्सा लेंगे। इससे पहले किसानों ने खरखौदा शहर के अंदरूनी हिस्से से अपनी यात्रा निकाली।