मध्यम हरियाणा
May 20, 2020
22 से 26 मई तक हरियाणा के मौसम में होंगे कई बदलाव
हिसार। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के अनुसार हरियाणा राज्य में पश्चिमीविक्षोभ के आंशिक प्रभाव से 22 व 23 मई को बीच बीच में आंशिक बादल, हवाएं चलने तथा कहीं कहीं छिटपुट बूंदाबांदी परन्तु 24 मई से 26 मई तक राज्य में मौसम आमतौर पर खुश्क, गर्म तथा तापमान में बढ़ोतरी संभावित।
2. रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतो की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दें ताकि सूरज की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीडो के अण्ड़े तथा घास आदि के बीज नष्ट हो जायें।
3.खाली खेतों में हरी खाद के लिए सनई, ढैंचा आदि की बिजाई करे ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ सके। 4.तापमान सामान्य से अधिक होने के कारण सब्जियों व फलदार पौधों में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करे।
5. बदलते मौसम की संभावना को देखते हुए फसल उत्पादन को मंडी ले जाते समय तिरपाल का प्रबंध साथ रखे।
2. गांव , खेत व मंडी में एक दूसरे से आवश्यक व्यक्तिगत दूरी अवश्य बनाकर रखे ।
3. साबुन व सेनेटाइजर से बार -बार हाथ धोए तथा स्वछता का ध्यान अवश्य रखे।
4. फल अवशेषों को न जलाए ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे तथा उर्वरा शक्ति कम न हो सके। अवशेषों को भूमि में दबाए तथा उर्वरा शक्ति को बढ़ाये जिससे आगामी फसल से ज्यादा उत्पादन लिया जा सके।
कृषि मौसम विज्ञान द्वारा मौसम आधारित कृषि सलाह:
1. नरमा की बिजाई करते समय बदलते मौसम का ध्यान अवश्य रखे।2. रबी फसल की कटाई के बाद खाली खेतो की गहरी जुताई कर जमीन को खुला छोड़ दें ताकि सूरज की तेज धूप से गर्म होने के कारण इसमें छिपे कीडो के अण्ड़े तथा घास आदि के बीज नष्ट हो जायें।
3.खाली खेतों में हरी खाद के लिए सनई, ढैंचा आदि की बिजाई करे ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ सके। 4.तापमान सामान्य से अधिक होने के कारण सब्जियों व फलदार पौधों में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करे।
5. बदलते मौसम की संभावना को देखते हुए फसल उत्पादन को मंडी ले जाते समय तिरपाल का प्रबंध साथ रखे।
किसान भाइयों के लिए अन्य सलाह
1. कोरेना से रक्षात्मक बचाव के लिए खेत में काम करते समय व गांव/मंडी में भी मुहं पर साफा या मास्क अवश्य लगाए ।2. गांव , खेत व मंडी में एक दूसरे से आवश्यक व्यक्तिगत दूरी अवश्य बनाकर रखे ।
3. साबुन व सेनेटाइजर से बार -बार हाथ धोए तथा स्वछता का ध्यान अवश्य रखे।
4. फल अवशेषों को न जलाए ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे तथा उर्वरा शक्ति कम न हो सके। अवशेषों को भूमि में दबाए तथा उर्वरा शक्ति को बढ़ाये जिससे आगामी फसल से ज्यादा उत्पादन लिया जा सके।
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