Breaking

Showing posts with label Youth News. Show all posts
Showing posts with label Youth News. Show all posts

Monday, August 22, 2022

August 22, 2022

जन्मदिन मनाने गए 4 दोस्तों सहित 6 की मौत

जन्मदिन मनाने गए 4 दोस्तों सहित 6 की मौत

गुरुग्राम : हरियाणा में अलसुबह तेज रफ्तार ने फिर 6 युवकों की जान ले ली। हादसा गुरुग्राम जिले के गांव खेंटावास के नजदीक गुरुग्राम-फरुखनगर रोड पर हुआ। तेज रफ्तार मारुति कम्पनी की प्राइवेट बस ने पीछे से एक कार में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार में सवार पांच लोगों में चार की मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य की भी हालत गंभीर बनी हुई है। जबकि दूसरे एक्सीडेंट में एक MBBS स्टूडेंट की मौत हुई। तीसरे हादसे में हिसार के एक युवक की मौत मानेसर में हो गई जबकि दूसरा साथी गंभीर है। तीनों हादसों में 3 लोग भी घायल हुए हैं। पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल भिजवा दिया है।
पेट्रोल पंप के ठीक सामने बस ने कार को टक्कर मार दी। टक्कर लगने से कार एक पेड़ से जाकर टकरा गई। टक्कर लगने से आवाज इतनी तेज हुई जैसे धमाका हुआ हो। पेट्रोल पंप के कर्मचारी से लेकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। कुछ ही देर में पुलिस भी पहुंच गई। सभी को कार से निकालकर नजदीक अस्पताल पहुंचाया गया, जहां चार को मृत घोषित कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि मरने वालों में 2 फरीदाबाद के और एक आगरा का रहने वाला था, जबकि चौथे मृतक का अभी पता नहीं चल पाया है। बस मारुति कंपनी के स्टाफ को चरखी-दादरी से लेकर मानेसर जा रही थी, तभी यह हादसा हुआ। हादसे में एक छात्र घायल हुआ है, जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार, सोमवार अलसुबह एक कार में सवार 5 दोस्त बर्थडे पार्टी के बाद घर लौट रहे थे। इसी दौरान फर्रूखनगर-वजीरपुर रोड पर गांव खेंटावास के पास एक तेज रफ्तार से आ रही प्राइवेट कंपनी की बस ने जबरदस्त टक्कर मार दी। हादसे में कार में सवार 4 युवकों की मौत हो गई। मरने वालों की पहचान अभिषेक, पारस, अविन व जसवंत शामिल है। बस भी कंपनी के कर्मचारियों से भरी थी। हादसे से बस में बैठी कई सवारियों को भी चोट लगी है। दूसरा हादसा गुरुग्राम के ही गढ़ी हरसरू इलाके में हुआ। यहां फ्लाओवर से नीचे उतरते ही एक क्रेटा कार खड़े ट्रक में पीछे से जा टकराई, जिसमें सोनीपत निवासी सन्नी नामक छात्र की मौत हो गई, जबकि उसका साथी गंभीर घायल हुआ है। दोनों गुरुग्राम की SGT यूनिर्विसिटी में MBBS की पढ़ाई कर रहे थे। रात 12 बजे डिनर करने के बाद दोनों वापस लौट रहे थे कि हादसा हो गया।उधर, एक तीसरे हादसे में आइएमटी मानेसर में मारुति कंपनी के गेट के सामने ट्रक ने पीछे से बाइक में मारी टक्कर, बाइक सवार दो युवकों में एक की मौके पर ही मौत, मृतक की पहचान मूल रूप से हिसार जिले के गांव कोथ कला के रहने वाले राहुल के रूप में की गई, वह एक निजी कंपनी में काम करते थे, घायल की पहचान मानेसर के रहने वाले हेमंत के रूप में की गई। बता दें कि इस साल 20 अगस्त तक जिले में 225 लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है। गत वर्ष 402 लोगों की मौत हुई थी। इस तरह प्रतिदिन औसतन 30 से अधिक लोगों की मौत हो रही है। अधिकतर हादसे बस, ट्रक, डंपर और ट्राले की वजह से हो रहे हैं। वाहनों की रफ्तार इतनी अधिक रहती है कि जब तक चालक संभलते हैं तब तक हादसा हो जाता है।
August 22, 2022

जींद में सरकारी स्कूल पर ताला जड़ा:जलालपुर कला गांव के लोग भड़के, बोले- टीचरों का तबादला कर दिया, बच्चों को पढ़ाएगा कौन

जींद में सरकारी स्कूल पर ताला जड़ा:जलालपुर कला गांव के लोग भड़के, बोले- टीचरों का तबादला कर दिया, बच्चों को पढ़ाएगा कौन

ग्रामीणों ने ताला जड़ा तो गेट पर ही जुट गए विद्यार्थी। 

जींद : हरियाणा के जींद जिले के गांव जलालपुर कला के राजकीय उच्च विद्यालय पर ग्रामीणों ने सोमवार सुबह ताला लगा दिया। ग्रामीण अध्यापकों का तबादला किए जाने से नाराज हैं। ताला जड़ने के दौरान स्कूल पढ़ने आए काफी संख्या में बच्चे बाहर ही मुख्य गेट पर खड़े रहे। ग्रामीणों ने स्कूल के मुख्य गेट पर धरना भी दिया और शिक्षा विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
ग्रामीणों ने चेताया कि अगर अध्यापकों का तबादला रद्द नहीं किया गया तो वह स्कूल से ताला नहीं खोलेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि अध्यापकों का तबादला किए जाने से उनके बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। परीक्षाएं नजदीक हैं और बच्चे पहले वाले अध्यापकों के साथ मेहनत कर रहे थे। अब नए अध्यापकों के आने से पढ़ने और उन्हें समझने में बच्चों को काफी समय लग जाएगा।
इससे रिजल्ट भी प्रभावित होगा और उनके बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होगी। ग्रामीणों ने मांग की कि अध्यापकों का तबादला तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक स्कूल गेट से ताला नहीं खोला जाएगा।

Sunday, August 21, 2022

August 21, 2022

हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए बुरी खबर:दूसरे राज्य में ट्रायल देने के बाद अपने स्टेट में नहीं दे पाएंगे, निदेशालय की अनुमित अनिवार्य

हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए बुरी खबर:दूसरे राज्य में ट्रायल देने के बाद अपने स्टेट में नहीं दे पाएंगे, निदेशालय की अनुमित अनिवार्य

करनाल : हरियाणा के खिलाड़ियों कि लिए बुरी खबर है कि अब खिलाड़ी राज्य के बाहर ट्रायल देने के बाद दोबारा अपने राज्य में ट्रायल नहीं दे पाएंगे। खेल निदेशालय की ओर से पत्र जारी करके यह निर्देश दिए गए हैं। पहले जहां खिलाड़ी किसी राज्य में होने वाली नेशनल प्रतियोगिताओं में ट्रायल दे देता था, तब वह अपने राज्य में भी उसी प्रतियोगिता का ट्रायल दे सकता था, फिर जहां खिलाड़ी का चयन हो जाता था, वह वहां पर खेल सकता था।

अब ऐसा नहीं होगा। खेल निदेशालय की ओर से जारी पत्र में साफ-साफ निर्देश दिए गए हैं कि अगर प्रदेश का कोई भी खिलाड़ी एक राज्य में ट्रायल देने के बाद वहां सेलेक्ट हो जाता है और दूसरे राज्य में उसी प्रतियोगिता का ट्रायल देता है और वहां भी उसका सेलेक्शन हो जाता है और पहली जगह सिलेक्शन होने के बाद वहां पर न खेल कर अपने राज्य के लिए खेलता है तो उस खिलाड़ी को विभाग की तरफ से मिलने वाले लाभ नहीं मिलेंगे।
*कई राज्यों में खाली रह जाती थीं खिलाड़ियों की सीटें*

बता दें कि पहले खिलाड़ियों के ऊपर कोई पाबंदी नहीं थी। वह किसी भी राज्य में जाकर नेशनल प्रतियोगिता का ट्रायल दे देता था। वहां उसका सेलेक्शन हो जाता था। उसके बाद जब उसी नेशनल प्रतियोगिता का ट्रायल हरियाणा में होता था तो वह ट्रायल दे देता था। अगर हरियाणा की टीम में उसका सेलेक्शन हो जाता था तो वह दूसरे राज्य से न खेल कर अपने राज्य से खेलता था। खिलाड़ी द्वारा उस राज्य की तरफ से न खेलने पर वहां के खिलाड़ी की सीट खाली रह जाती थी।

इसका खामियाजा राज्य और अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भुगतना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब एक जगह ट्रायल देने के बाद दूसरी जगह ट्रायल देने से पहले विभाग से परमिशन लेनी होगी। परमिशन न लेने पर विभाग की तरफ से दी जानी वाली सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी। अगर विभाग परमिशन दे देता है तो वह दोबारा ट्रायल दे सकता है।
*लेनी होगी खेल विभाग की अनुमति*

खेल विभाग की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि हरियाणा के जिन खिलाड़ियों का चयन राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में ट्रायल के माध्यम से किया गया है। वे चयनित खिलाड़ी दूसरे राज्य से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए ट्रायल नहीं देंगे। यदि वे चयनित खिलाड़ी किसी दूसरे राज्य की प्रतियोगिता के लिए चयन ट्रायल देते हैं तो उसे खेल नीति का कदाचार माना जाएगा।

उसे भविष्य में खेल विभाग हरियाणा की ओर से किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाएगा। अगर किसी खिलाड़ी का चयन हरियाणा राज्य की ओर से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता के लिए ट्रायल के माध्यम से नहीं हुआ है और वह किसी दूसरे राज्य की ओर से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में प्रतिभागिता करना चाहता है तो भी उसके द्वारा खेल विभाग हरियाणा से ट्रायल के लिए अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
*क्या कहते हैं खेल अधिकारी...*

जिला खेल अधिकारी अशोक दुआ ने बताया कि खेल निदेशालय की तरफ से पत्र जारी किया गया है, जिसे स्टेडियम के गेट पर चस्पा दिया गया है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए अगर हरियाणा का खिलाड़ी दूसरे राज्य की टीम का हिस्सा बनता है तो उसे विभाग से परमिशन लेनी होगी। ऐसा न करने पर उसे सभी सुविधाओं से वांछित रहना पड़ेगा।

Wednesday, August 17, 2022

August 17, 2022

एपल में छंटनी’, 100 अनुबंधित कर्मी बाहर, गूगल ने भी कर्मियोंं को दी है चेतावनी

एपल में छंटनी’, 100 अनुबंधित कर्मी बाहर, गूगल ने भी कर्मियोंं को दी है चेतावनी

गूगल की अपने कर्मचारियों को ‘ब्लड इन द स्ट्रीट्स’ की चेतावनी जारी करने के बाद अब एपल ने भी कई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी ने अपनी हायरिंग और स्पेंडिंग में कमी लाने के लिए यह कदम उठाया है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार एपल ने कंपनी से कांट्रेक्ट के आधार पर जुड़े लगभग सौ नियोक्ताओं को, जो कि दुनिया की सबसे बहुमूल्य कंपनी एपल के लिए कर्मचारियों की बहाली का काम करते थे उन्हें हटा दिया है।
जिन कर्मचारियों का कान्ट्रैक्ट रद्द किया गया है उन्हें कपनी की ओर से कहा गया है कि उन्हें दो हफ्ते का भुगतान और मेडिकल सुविधाएं मिलेंगीं। वहीं, इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसे नियोक्ता जो कंपनी के साथ फुल टाइम कर्मचारी के रूप में जुड़े हैं उन्हें रिटेन किया गया है।
एपल ने हटाए गए कर्मियों को कहा है कि यह छंटनी कंपनी की वित्तीय जरूरतों को देखते हुए की गई है। कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव टीम कुक ने पिछले महीने कहा था कि एपल अपने खर्चे सोच-समझकर करेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टीम कुक ने कहा था कि हम मंदी के दौरान निवेश करने में विश्वास करते हैं। कंपनी कर्मियों की नियुक्त जारी जारी रखेगी और अलग जरूरी क्षेत्रों में खर्च करेगी पर ऐसा वह बाजार के हालात को देखते हुए करेगी।
इससे पहले, टेक वर्ल्ड की दिग्गज कंपनी गूगल ने अपने कर्मचारियों को अगर परिणाम नहीं आने पर छंटनी की चेतावनी दी थी।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने इसी महीने कहा है कि वे कंपनी के कंर्मचारियों के वर्क आउटपुट से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा था कि कंपनी की उत्पादकता जितनी होनी चाहिए उससे कम है।

Tuesday, August 16, 2022

August 16, 2022

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

गुरुग्राम : सीएम ने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है।
स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए
राष्ट्रमंडल खेलों के खिलाड़ियों के सम्मान में हरियाणा सरकार द्वारा सोमवार को गुड़गांव में सम्मान समारोह किया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विजेता व प्रतिभागी 42 खिलाड़ियों को 25 करोड 80 लाख रुपए के नकद इनाम, जॉब आफर लेटर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान खिलाड़ियों से भी स्वयं के साथ-साथ नई प्रतिभाओं के मार्गदर्शक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है। सभी की सहभागिता ही दुनिया में भारत के पदक तालिका में बढ़ोतरी का माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है।
इस बार के राष्ट्रमण्डल खेलों में भाग लेने वाले देश के 215 खिलाड़ियों में से 42 युवा हरियाणा के हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश के 61 में से 20 पदक जीते हैं। इनमें से 17 पदक व्यक्तिगत स्पर्धा में और 3 पदक टीम इवेंट में हैं।विजेता व प्रतिभागी खिलाड़ियों का सम्मानराष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए। वहीं चौथे स्थान पर आने वाले को 15 लाख रुपए की राशि दी गई। इसके साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को साढ़े 7 लाख रुपए की राशि दी गई। बर्मिंघम राष्ट्रमण्डल खेल-2022 में हरियाणा के भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल खिलाड़ियों सहित कुल 29 खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं। इन्हें प्रदेश की खेल नीति के अनुसार कुल 25 करोड़ 80 लाख रुपए की नकद ईनाम राशि दी गई। इनका हुआ सम्मानहरियाणा के जिला सोनीपत के सुधीर ने पैरा पॉवर लिफ्टिंग खेल में गोल्ड मैडल जीता है। सुधीर पैरा पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मैडल जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इसी प्रकार, हरियाणा ने बॉक्सिंग में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर व 1 कांस्य पदक, कुश्ती में 6 गोल्ड, 1 सिल्वर तथा 4 कांस्य पदक तथा एथलेटिक्स में 1 कांस्य पदक जीता है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है। यह टीम लगभग हरियाणा की ही है, क्योंकि इसमें प्रदेश की 9 बेटियां खेल रही हैं। भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन के रूप में सविता पूनिया ने नेतृत्व किया, जोकि सिरसा की रहने वाली है। इस प्रकार हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश के कुल पदकों का 28 प्रतिशत पदक जीतकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया। इसमें हॉकी को भी शामिल कर लिया जाए, तो यह बढ़कर 32.7 प्रतिशत हो जाता है।खेल के लिए 526 करोड़ रुपए का बजटमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है। खेल क्षेत्र में बजट को डबल करते हुए 526 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
August 16, 2022

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल की शासकीय संस्था फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 
फ़ीफ़ा ने तीसरे पक्ष के दखल की वजह से भारतीय फ़ुटबॉल महासंघ (एआईएफ़एफ़) पर ये कार्रवाई की है। 
फ़ीफ़ा ने अपने बयान में कहा है कि परिषद ने सर्वसम्मति से भारतीय फ़ुटबॉल संग को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यहाँ तीसरे पक्ष का दखल है, जो कि फ़ीफ़ा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। 
फ़ीफ़ा की ओर से जारी बयान के अनुसार इस निर्णय से भारत से इसी साल आयोजित होने वाले अंडर-17 वीमेन फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी भी छिन गई है। इस टूर्नामेंट का आयोजन 11 से 30 अक्टूबर के बीच भारत के अलग-अलग राज्यों में होना था। 
फ़ीफ़ा ने कहा है कि ये निलंबन तत्काल प्रभाव से लागू है। इसी महीने की शुरुआत में फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल को सस्पेंशन की चेतावनी दी थी। 
फ़ीफ़ा ने एक बयान में कहा है कि ये निलंबन तभी वापस लिया जाएगा जब एआईएफ़एफ़ के अधिकारियों का अपने दैनिक मामलों पर पूरी तरह नियंत्रण होगा। 
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, अभी तक एआईएफ़एफ़ को एक समिति द्वारा चलाया जा रहा है। पूर्व प्रमुख प्रफुल्ल पटेल अपना कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी चुनावों के बिना कार्यालय में बने हुए है।
August 16, 2022

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो स्टेट साउथ वेल्स और विक्टोरिया में स्वास्तिक पर बैन लगा दिया गया है। यहां स्वास्तिक के निशान को किसी भी तरह से दिखाना क्राइम माना जाएगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और तस्मानिया ने भी स्वास्तिक को बैन करने की बात कही है।


हालांकि, इन दोनों ही राज्यों में हिंदू, जैन और बौद्धों को धार्मिक उपयोग के लिए स्वास्तिक के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

इसके पहले जुलाई 2020 में फिनलैंड ने अपने एयरफोर्स के प्रतीक चिन्ह से स्वास्तिक हटा दिया था। पिछले साल अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में स्वास्तिक को बैन करने के लिए एक बिल पेश हुआ था। तब हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया था।

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में स्वास्तिक पर बैन लगाने की होड़ क्यों मची है? हिंदू धर्म के अलावा स्वास्तिक का संबंध किस-किस से है? इसकी शुरुआत कब हुई और इसका मतलब क्या है?
*सबसे पहले स्वास्तिक को बैन करने की वजह जानते हैं...*

न्यू साउथ वेल्स के ज्यूइश बोर्ड ऑफ डेप्यूटीज के CEO डेरेन बार्क का कहना है कि स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक है। यह हिंसा को दिखाता है। कट्टरपंथी संगठन भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। हमारे राज्य में काफी समय से इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात चल रही थी। अब अपराधियों को सही सजा मिलेगी।

वहीं हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहते हैं कि बहुत समय तक हिंदू समुदाय अपने शांति के प्रतीक को दिखाने के लिए सहज नहीं था, क्योंकि यह बुराई का प्रतीक बन गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में है स्वास्तिक के नाजी प्रतीक चिन्ह बनने की कहानी

1920 के आसपास की बात है। हिटलर अपनी नाजी सेना को ताकतवर बना रहा था। तभी उसके दिमाग में झंडा बनाने का ख्याल आया। एक ऐसा झंडा जो जर्मन लोगों और उसकी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करे। जिसे देखते ही नाजियों में जोश भर जाए। हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में इस बात का जिक्र है।

इसी साल नाजी पार्टी को एक झंडा मिल गया। लाल रंग के इस झंडे के बीच में सफेद रंग का एक सर्किल बना था। इस सर्किल के बीचों-बीच 45 डिग्री झुका एक स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया। इसे हकेनक्रेज कहा गया।
ये तस्वीर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। हिटलर की नाजी सेना हाथ में अपना झंडा लिए मार्च कर रही है। इस झंडे में स्वास्तिक जैसा प्रतीक नजर आ रहा है।

‘मीन काम्फ’ किताब के मुताबिक यह झंडा न सिर्फ आदर्श जर्मन साम्राज्य, बल्कि नाजी लोगों के बेहतर भविष्य का भी प्रतीक था। इस झंडे में इस्तेमाल होने वाला लाल रंग नाजी मूवमेंट और समाजवाद को बताता था। वहीं, सफेद रंग जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक था। इसके अलावा स्वास्तिक नाजी लोगों के संघर्ष को दिखाता था। यही नहीं यह आर्यन समाज की जीत का भी प्रतीक था।

*स्वास्तिक पर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ*

1933 से लेकर 1945 के बीच जब जर्मनी में हिटलर की नाजी सेना पावर में आई, तब उसके सैनिक हाथों में झंडे लेकर नरसंहार करने लगे। इस दौरान लाखों यहूदियों को बेरहमी से मारा गया। जिसे दुनिया होलोकॉस्ट के नाम से जानती है। इसके बाद से ही इस प्रतीक चिन्ह को यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी माना जाता है।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप और दुनिया के दवाब में इस नाजी झंडा और स्वास्तिक जैसे प्रतीक को जर्मनी में भी बैन कर दिया गया था। इसके अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और लिथुआनिया में भी इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी। 
स्वास्तिक है क्या, इसका मतलब क्या है
स्वास्तिक शब्द संस्कृत भाषा के शब्द स्वास्तिका से बना है। यह एक क्रॉस की तरह आकृति है। इसकी चारों भुजाएं 90 डिग्री पर मुड़ी होती हैं। ये भुजाएं चारों ओर एक ही तरफ क्लॉकवाइज मुड़ती हैं। हिंदू धर्म में इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में जरूरत के मुताबिक इसके अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं।

इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई
स्वास्तिक की शुरुआत कब हुई, इस बात को जानने के लिए जब हमने रिसर्च किया तो दो फैक्ट सामने आए…

पहला: हिस्ट्री एक्स्ट्रा वेबसाइट के मुताबिक सबसे पुराना स्वास्तिक 15 हजार साल पहले पाया गया था।

दूसरा: आर्काइव डॉट ओआरजी के मुताबिक 10 हजार ईसा पूर्व से स्वास्तिक का इस्तेमाल यूरोप के कई हिस्सों में होता आ रहा है।

1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी का दांत मिला था। इस पर एक पक्षी उकेरा गया था, जो एक स्वास्तिक की तरह दिख रहा था। हालांकि यह किसी को नहीं पता है कि पहली बार इसे कैसे और किसने बनाया?

मेसोपोटामिया सभ्यता में भी इस्तेमाल होता था स्वास्तिक
अभी के इराक में मेसोपोटामिया सभ्यता के शुरुआत के सबूत मिलते हैं। यह सभ्यता 3200 से 600 ईसा पूर्व तक थी। यानी आज से 2622 साल पहले। इस समय स्वास्तिक प्राचीन मेसोपोटामिया के सिक्कों पर बनाया जाने वाला पसंदीदा प्रतीक था।

इसके अलावा स्कैंडिनेविया के भगवान थोर के हथोड़े में भी इसका चिन्ह पाया जाता है। यह बाएं हाथ का स्वास्तिक होता था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
अब जानते हैं हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में स्वास्तिक का अर्थ… हिंदू: करीब 3500 साल पहले भारत में आर्यन के इतिहास के साथ ही स्वास्तिक की मौजूदगी के सबूत मिलते हैं। आज भी नई गाड़ी खरीदने के वक्त या फिर नए मकान में प्रवेश करने के समय एक प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वास्तिक कहते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में इसे तरक्की और शुभ माना जाता है।

जैन: जैन इसे सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं। जैन धर्म में यह भी माना जाता है कि इसकी चारों भुजाएं भक्त को अगले जन्म की याद दिलाती हैं।

बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म स्वास्तिक को बुद्ध के पैरों या पदचिन्ह के निशान का प्रतीक मानता है। किसी किताब के शुरू और आखिरी पन्ने पर इसे बनाया जाता है। आधुनिक तिब्बती लोग इसे कपड़ों पर भी बनाते हैं।
क्या हिंदुओं और नाजी पार्टी का स्वास्तिक एक है?

हिंदू घरों में इस्तेमाल होने वाला स्वास्तिक बनावट और अर्थ दोनों ही मामले में नाजी के स्वास्तिक यानी ‘हकेनक्रेज’ से अलग है। बनावट की बात करें तो हिंदुओं के घरों में बनाए जाने वाले स्वास्तिक के चारों कोणों में चार डॉट्स होते हैं। ये डॉट्स चार वेदों के प्रतीक हैं। जबकि नाजी झंडे पर बने स्वास्तिक में ये डॉट्स नहीं थे।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी झंडे में सफेद रंग की गोलाकार पट्टी में काले रंग का स्वास्तिक बना है। नाजी संघर्ष के प्रतीक को तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। जबकि हिंदू धर्म में यह शुभ और तरक्की का प्रतीक है।