Breaking

Showing posts with label National News. Show all posts
Showing posts with label National News. Show all posts

Wednesday, August 17, 2022

August 17, 2022

ईरान के तेहरान में छाया करनाल का छोरा:वॉलीबाल में थाईलैंड की टीम को हराया, कल कोरिया के खिलाड़ियों के साथ मुकाबला

ईरान के तेहरान में छाया करनाल का छोरा:वॉलीबाल में थाईलैंड की टीम को हराया, कल कोरिया के खिलाड़ियों के साथ मुकाबला

करनाल : हरियाणा के करनाल जिले के गांव पोपड़ा का छोरा शेखर ईरान में छाया हुआ है। अंडर-18 वॉलीबॉल की भारतीय टीम में कुछ दिन पहले उसका चयन हुआ था और अब भारत की टीम ईरान (तेहरान) में आयोजित एशियन वॉलीबॉल चैम्पियनशिप खेल रही है।
मंगलवार को भारतीय टीम का मैच थाईलैंड के साथ हुआ था, जिसमें टीम ने काफी अंको के मार्जन से थाईलैंड की टीम को मात दी। करनाल के छोरे शेखर ने मैच में खूब दमखम दिखाया। कल यानी मंगलवार को भारतीय टीम का मैच कोरिया के साथ होने जा रहा।

*किसान परिवार से है शेखर*

बता दें कि करनाल के गांव पोपड़ा के रहने वाला शेखर एक साधारण किसान के परिवार से है। उससे पहले परिवार के किसी भी सदस्य का खेलों से कोई नाता नहीं रहा है। अपनी मेहनत और काबिलियत के बलबूते शेखर का चयन भारत की वॉलीबॉल अंडर-18 टीम में हुआ है।
*टीम के अन्य खिलाड़ियों के साथ शेखर।*

*12वीं कक्षा का विद्यार्थी शेखर*

शेखर जब चोरकारसा के स्कूल में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहा था तो प्रशिक्षक प्रवीण के नेतृत्व में चांद कौर अकादमी में वॉलीबॉल खेलना शुरू किया। 17 वर्षीय शेखर की फुर्ती और ऊंचे कद के कारण उसकी वॉलीबॉल में पहचान बनी और बेहतरीन प्रदर्शन के चलते भारतीय खेल प्राधिकरण कुरूक्षेत्र में शेखर का चयन हो गया। फिलहाल शेखर 12वीं का विद्यार्थी है और कुरूक्षेत्र में ही पढ़ाई के साथ-साथ वॉलीबॉल का अभ्यास करता है।
*देश के लिए मेडल जीतने का लक्ष्य*

शेखर के मामा अरविंदर मेहला ने बताया कि शेखर का लक्ष्य देश की सीनियर वॉलीबॉल टीम में खेलकर मेडल जीतने का है। वॉलीबॉल में बेहतरीन प्रदर्शन करने के कारण ही उसे भारत की अंडर-18 टीम में शामिल किया गया है। मंगलवार को थाइलैंड की टीम के साथ मुकाबला था, जो उन्होंने जीत लिया। अब कल यानी 18 अगस्त को कोरिया की टीम के साथ भारत की टीम का मुकाबला है। कोच राहुल सांगवान के नेतृत्व में चैम्पियनशिप जीतकर 28-29 अगस्त को वापसी करेंगे।
August 17, 2022

बिग बुल के पोर्टफोलियो में हलचल: झुनझुनवाला का लास्ट इन्वेस्टमेंट सिंगर इंडिया 20% चढ़ा, एपटेक 5% गिरने के बाद फ्लैट बंद हुआ

बिग बुल के पोर्टफोलियो में हलचल: झुनझुनवाला का लास्ट इन्वेस्टमेंट सिंगर इंडिया 20% चढ़ा, एपटेक 5% गिरने के बाद फ्लैट बंद हुआ

मुंबई : शेयर मार्केट के बिग बुल कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला अब हमारे बीच नहीं रहे। झुनझुनवाला के निधन के बाद उनके स्टॉक्स पर सबकी नजर है। राकेश की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाली कंपनी एपटेक लिमिटेड और स्टार हेल्थ के शेयरों में शुरुआती ट्रेड में 5% की गिरावट आई। हालांकि बाद में स्टॉक्स में रिकवरी देखने को मिली। वहीं झुनझुनवाला की आखिरी बाइंग सिंगर इंडिया में 20% की तेजी रही।

*23.40% हिस्सेदारी वाला एपटेक गिरकर बंद हुआ*

झुनझुनवाला की 23.40% हिस्सेदारी वाली कंपनी एपटेक का शेयर 0.17% की गिरावट के साथ 232.30 रुपए पर बंद हुआ। स्टार हेल्थ 0.50% की बढ़त के साथ 699.95 रुपए पर बंद हुआ। टाइटन का शेयर भी गिरावट के बाद 0.77% की बढ़त के साथ 2,491 रुपए पर बंद हुआ।

वैल्यू के मामले में यह स्टॉक राकेश की टॉप होल्डिंग में है। जून क्वार्टर के आखिर में उनके पास इसकी 5.10% हिस्सेदारी थी। मल्टी-ब्रांड फुटवीयर मेट्रो ब्रांड्स के भी 3.9 करोड़ से ज्यादा शेयर हैं। हिस्सेदारी के हिसाब से ये 14.40% है। इसकी वैल्यू करीब 3,348.8 करोड़ रुपए है।
सिंगर इंडिया में 20% की बढ़त

राकेश की आखिरी बाइंग सिंगर इंडिया में आज 20% का अपर सर्किट लगा, ये 69.15 पर क्लोज हुआ। झुनझुनवाला की फर्म रेयर एंटरप्राइजेज ने इस कंपनी में बल्क डील के जरिए 10% की हिस्सेदारी खरीदी है। यह शेयर 57.65 रुपए के प्रीवियस क्लोज के मुकाबले 69.15 रुपए पर पहुंच गया है। यह कंपनी सिलाई मशीनों और डोमेस्टिक अप्लायन्सेस की मैन्युफैक्चरिंग करती है।
हाल ही में सिंगर इंडिया ने 96 लाख रुपए का नेट प्रॉफिट दर्ज किया था, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 28 लाख रुपए था। ये 243% की ग्रोथ है। इसी अवधि के दौरान नेट सेल्स भी लगभग 50% बढ़कर 109.53 करोड़ रुपए हो गई थी। कंपनी के शेयर की कीमत पिछले एक साल में 12 अगस्त 2022 तक 4.6% बढ़ी है। जबकि बेंचमार्क BSE सेंसेक्स 8.4% चढ़ा है।

स्टार हेल्थ का शेयर 0.50% बढ़ा
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस का 0.50% की बढ़त के साथ 699.95 रुपए पर बंद हुआ। झुनझुनवाला स्टार हेल्थ के प्रमोटर थे। इस कंपनी में राकेश की 14.39% (8.28 करोड़ शेयर) और उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला की 3.10% (1.78 करोड़ शेयर) की हिस्सेदारी जून क्वार्टर में थी।

कुल मिलाकर इस कंपनी में उनकी 17.49% की हिस्सेदारी थी। जिसकी वैल्यू 7,017.5 करोड़ रुपए है। 12 अगस्त को स्टॉक 0.40% बढ़कर 696.10 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 40,104 करोड़ रुपए था।
टाटा मोटर्स में 2.71% की तेजी

राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो का एक और शेयर टाटा मोटर्स आज 2.71% की बढ़त के साथ 490.50 पर बंद हुआ। जून तिमाही में दिवंगत निवेशक के पास 1.5% (36,250,000 शेयर) थे। इसकी वैल्यू करीब 1,731.1 करोड़ रुपए है। शुक्रवार को शेयर 0.18% बढ़कर 477.50 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 1.58 लाख करोड़ रुपए रहा था।

क्रिसिल का शेयर 1.15% बढ़ा
क्रिसिल लिमिटेड का स्टॉक 1.15% की बढ़त के साथ 3,292.00 रुपए पर बंद हुआ। जून तिमाही में उनके पास कंपनी में 5.50% (4,000,000 शेयर) की हिस्सेदारी थी। जिसकी वैल्यू 1,301.9 करोड़ रुपए है। 12 अगस्त को शेयर 1.30% की गिरावट के साथ 3,261.60 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 23,824 करोड़ रुपए रहा था।

फोर्टिस में 4.09% की तेजी
झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में शामिल फोर्टिस हेल्थकेयर का 4.09% की बढ़त के साथ 292.85 रुपए पर बंद हुआ। वहीं मेट्रो ब्रांड्स का शेयर 0.99% की गिरावट के साथ 846.85 रुपए पर बंद हुआ। 12 अगस्त को यह शेयर 5.13% बढ़कर 854.30 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 23,199 करोड़ रुपए रहा था।
*झुनझुनवाला का हार्ट अटैक से हुआ निधन*

इंडिया के वॉरेन बफे के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला का रविवार (14 अगस्त) को हार्ट अटैक से 62 साल की उम्र में निधन हो गया था। सेल्फ मेड ट्रेडर राकेश ने कई कई स्थापित व्यवसायों और स्टार्टअप्स में इंवेस्ट किया और कई इंडियन फर्मों के बोर्ड में रहे थे।

राकेश झुनझुनवाला एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे इन्फ्लुएन्शियल मार्केट वॉइसेस में से एक थे। देश में बड़ी संख्या में रिटेल इन्वेस्टर्स झुनझुनवाला को फॉलो करते थे। झुनझुनवाला इंडिया की ग्रोथ स्टोरी के प्रबल सपोर्टर थे।

*पोर्टफोलियो में एक तिहाई से ज्यादा शेयर्स टाइटन के*

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, ज्वैलरी रिटेलर टाइटन कंपनी राकेश और उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला के लिए सबसे बड़े और सबसे लाभदायक निवेशों में से एक थी। राकेश के पोर्टफोलियो में एक तिहाई से ज्यादा शेयर्स टाइटन के हैं।
मार्केट वेल्यू के आधार पर राकेश की टॉप होल्डिंग्स में स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी, फुटवियर मेकर मेट्रो ब्रांड्स लिमिटेड और ऑटोमेकर टाटा मोटर्स लिमिटेड शामिल हैं। झुनझुनवाला के पास स्टार हेल्थ, आईटी फर्म एपटेक लिमिटेड और वीडियोगेम मेकर नजारा टेक्नोलॉजीज में 10% से ज्यादा की हिस्सेदारी है।

*37 साल में 46 हजार करोड़ का एम्पायर बनाया*
राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में 5 हजार रुपए से कारोबार की शुरुआत की थी। अगले 37 साल यानी 2022 तक उनका एम्पायर 5.8 अरब डॉलर (करीब 46.18 हजार करोड़ रुपए) पर पहुंच गया। पिछले हफ्ते ही उन्होंने ‘अकासा’ एयरलाइन के साथ एविएशन सेक्टर में एंट्री ली थी।

झुनझुनवाला एक समय में स्टॉक मार्केट में बियर थे यानी मंदड़िए। उन्होंने 1992 में हर्षद मेहता घोटाले का खुलासा होने पर शॉर्ट सेलिंग से बड़ा मुनाफा कमाया था।
August 17, 2022

एपल में छंटनी’, 100 अनुबंधित कर्मी बाहर, गूगल ने भी कर्मियोंं को दी है चेतावनी

एपल में छंटनी’, 100 अनुबंधित कर्मी बाहर, गूगल ने भी कर्मियोंं को दी है चेतावनी

गूगल की अपने कर्मचारियों को ‘ब्लड इन द स्ट्रीट्स’ की चेतावनी जारी करने के बाद अब एपल ने भी कई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी ने अपनी हायरिंग और स्पेंडिंग में कमी लाने के लिए यह कदम उठाया है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार एपल ने कंपनी से कांट्रेक्ट के आधार पर जुड़े लगभग सौ नियोक्ताओं को, जो कि दुनिया की सबसे बहुमूल्य कंपनी एपल के लिए कर्मचारियों की बहाली का काम करते थे उन्हें हटा दिया है।
जिन कर्मचारियों का कान्ट्रैक्ट रद्द किया गया है उन्हें कपनी की ओर से कहा गया है कि उन्हें दो हफ्ते का भुगतान और मेडिकल सुविधाएं मिलेंगीं। वहीं, इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसे नियोक्ता जो कंपनी के साथ फुल टाइम कर्मचारी के रूप में जुड़े हैं उन्हें रिटेन किया गया है।
एपल ने हटाए गए कर्मियों को कहा है कि यह छंटनी कंपनी की वित्तीय जरूरतों को देखते हुए की गई है। कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव टीम कुक ने पिछले महीने कहा था कि एपल अपने खर्चे सोच-समझकर करेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टीम कुक ने कहा था कि हम मंदी के दौरान निवेश करने में विश्वास करते हैं। कंपनी कर्मियों की नियुक्त जारी जारी रखेगी और अलग जरूरी क्षेत्रों में खर्च करेगी पर ऐसा वह बाजार के हालात को देखते हुए करेगी।
इससे पहले, टेक वर्ल्ड की दिग्गज कंपनी गूगल ने अपने कर्मचारियों को अगर परिणाम नहीं आने पर छंटनी की चेतावनी दी थी।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने इसी महीने कहा है कि वे कंपनी के कंर्मचारियों के वर्क आउटपुट से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा था कि कंपनी की उत्पादकता जितनी होनी चाहिए उससे कम है।

Tuesday, August 16, 2022

August 16, 2022

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

गुरुग्राम : सीएम ने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है।
स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए
राष्ट्रमंडल खेलों के खिलाड़ियों के सम्मान में हरियाणा सरकार द्वारा सोमवार को गुड़गांव में सम्मान समारोह किया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विजेता व प्रतिभागी 42 खिलाड़ियों को 25 करोड 80 लाख रुपए के नकद इनाम, जॉब आफर लेटर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान खिलाड़ियों से भी स्वयं के साथ-साथ नई प्रतिभाओं के मार्गदर्शक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है। सभी की सहभागिता ही दुनिया में भारत के पदक तालिका में बढ़ोतरी का माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है।
इस बार के राष्ट्रमण्डल खेलों में भाग लेने वाले देश के 215 खिलाड़ियों में से 42 युवा हरियाणा के हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश के 61 में से 20 पदक जीते हैं। इनमें से 17 पदक व्यक्तिगत स्पर्धा में और 3 पदक टीम इवेंट में हैं।विजेता व प्रतिभागी खिलाड़ियों का सम्मानराष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए। वहीं चौथे स्थान पर आने वाले को 15 लाख रुपए की राशि दी गई। इसके साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को साढ़े 7 लाख रुपए की राशि दी गई। बर्मिंघम राष्ट्रमण्डल खेल-2022 में हरियाणा के भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल खिलाड़ियों सहित कुल 29 खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं। इन्हें प्रदेश की खेल नीति के अनुसार कुल 25 करोड़ 80 लाख रुपए की नकद ईनाम राशि दी गई। इनका हुआ सम्मानहरियाणा के जिला सोनीपत के सुधीर ने पैरा पॉवर लिफ्टिंग खेल में गोल्ड मैडल जीता है। सुधीर पैरा पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मैडल जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इसी प्रकार, हरियाणा ने बॉक्सिंग में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर व 1 कांस्य पदक, कुश्ती में 6 गोल्ड, 1 सिल्वर तथा 4 कांस्य पदक तथा एथलेटिक्स में 1 कांस्य पदक जीता है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है। यह टीम लगभग हरियाणा की ही है, क्योंकि इसमें प्रदेश की 9 बेटियां खेल रही हैं। भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन के रूप में सविता पूनिया ने नेतृत्व किया, जोकि सिरसा की रहने वाली है। इस प्रकार हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश के कुल पदकों का 28 प्रतिशत पदक जीतकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया। इसमें हॉकी को भी शामिल कर लिया जाए, तो यह बढ़कर 32.7 प्रतिशत हो जाता है।खेल के लिए 526 करोड़ रुपए का बजटमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है। खेल क्षेत्र में बजट को डबल करते हुए 526 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
August 16, 2022

दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम लबालब:हिमाचल में सरप्लस बिजली उत्पादन, पंजाब-हरियाणा और राजस्थान में नहीं रहेगी पानी की कमी

दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम लबालब:हिमाचल में सरप्लस बिजली उत्पादन, पंजाब-हरियाणा और राजस्थान में नहीं रहेगी पानी की कमी

हिमाचल के साथ-साथ उत्तर भारत के 3 राज्यों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए अच्छी खबर है। इन राज्यों को पानी सप्लाई करने वाले हिमाचल के 2 सबसे बड़े डैम भाखड़ा और पौंग लबालब होने की तरफ है। हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ की लाइफ लाइन कहे जाने वाले यह दोनों डैम भरने से लोगों को सालभर पीने और खेती के लिए पानी की कमी नहीं रहेगी। यही नहीं, इस बार मानसून सीजन में हो रही अच्छी बरसात से हिमाचल के 80% से ज्यादा दूसरे डैम भी लगभग भर चुके हैं।

दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम का फुल भरना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की खेतीबाड़ी के लिए टॉनिक का काम करेगा। इन दोनों डैम का पानी नहरों के जरिये इन राज्यों में खेतों तक पहुंचता है। इस बार मई-जून में पड़ी भयंकर गर्मी में हिमाचल के ऊपरी इलाकों में ग्लेशियर पिघलने की वजह से अच्छा-खासा पानी आने के बावजूद भाखड़ा और पौंग डैम खाली पड़े थे। इससे तीनों राज्यों में किसानों के साथ-साथ सरकारें भी परेशान थीं। अब मानसून ने सारी चिंताएं दूर कर दी हैं।
*भाखड़ा का वाटर लेवल 30 दिन में 82 फीट बढ़ा*

भाखड़ा डैम का वाटर लेवल इस समय 1639.67 फीट है जो एक महीने पहले 1557.64 फीट था। बीते 30 दिन में बांध का वाटर लेवल 82.03 फीट बढ़ा है। वाटर लेवल 1681.76 फीट पहुंच जाने पर भाखड़ा डैम के गेट खोलने पड़ते हैं। यानि अभी भाखड़ा का वाटर लेवल खतरे के निशान से 42.09 फीट नीचे है।

दूसरी ओर पौंग डैम का वाटर लेवल इस समय 1359.09 फीट है। वाटर लेवल 1420.99 फीट पर पहुंच जाने के बाद पौंग डैम के गेट खोलकर पानी रिलीज करना पड़ता है। इस लिहाज से पौंग डैम का वाटर लेवल अभी खतरे के निशान से 61.9 फीट नीचे है।

दोनों डैम 2021 में मानसूनी बरसात के बावजूद खाली रह गए थे। 2020 में भी इनमें पूरा पानी नहीं आया था। इस लिहाज से दो साल बाद दोनों बांधों का फुल होना अच्छे संकेत हैं।
*अगले कुछ दिन में फुल हो जाएंगे डैम*

पिछले साल मानसून में भाखड़ा और पौंग डैम मुश्किल से आधे भर पाए थे। इस बार इनके पूरा भरने की उम्मीद है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदेश में अभी महीनेभर तक अच्छी बारिश के आसार है। अगर ऐसा हुआ तो दोनों डैम भर जाएंगे।

*हिमाचल बेच रहा 232 लाख यूनिट बिजली*

भाखड़ा-पौंग समेत दूसरे सारे डैम भरने की वजह से हिमाचल में बिजली उत्पादन बढ़ गया है। इस समय हिमाचल 232 लाख यूनिट या इससे ज्यादा बिजली पड़ोसी राज्यों को बेच रहा है। घाटे में चल रहे हिमाचल के बिजली बोर्ड के लिए यह राहतभरी खबर है। सारे डैम भरे होने की वजह से आगे भी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन जारी रहने की उम्मीद है।
*ग्लेशियर पिघलने के बावजूद खाली बांध*

पर्यावरण वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल मार्च से ही गर्मी शुरू हो गई थी। अप्रैल-मई में तेज गर्मी की वजह से बर्फ बहुत तेजी से पिघली मगर नदियों में पूरा पानी नहीं आया और डैम खाली रह गए। हिमाचल की राज्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद (HIMCOSTE) की रिपोर्ट के मुताबिक- हिमाचल से निकलने वाली रावी, ब्यास, सतलुज और चिनाब, चारों नदियों के बेसिन पर बर्फ पिघलने की दर इस बार 19 से 25% रही जबकि सामान्यत: यह 4 से 10% ही होती है।

*मानसून ने दी राहत*

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जो ग्लेशियर सामान्यत मई-जून के बाद जुलाई आते-आते पिघलते थे, वह इस बार मई या उससे पहले ही पिघल गए। नतीजा- जून में इन डैम में जो पानी आना चाहिए था, वह नहीं आया। ऐसे में पूरा दारोमदार मानसून पर टिका था। राहत की बात है कि मानसून में अच्छी बरसात से डैम काफी हद तक भर चुके हैं।

कुछ जगह तो डैम इतने भर चुके हैं कि उनके फ्लड गेट से पानी रिलीज करना पड़ रहा है। 5 दिन पहले ही ब्यास नदी पर बने पंडोह डैम से लगभग 30 घंटे तक लगातार पानी छोड़ना पड़ा था।
August 16, 2022

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल की शासकीय संस्था फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 
फ़ीफ़ा ने तीसरे पक्ष के दखल की वजह से भारतीय फ़ुटबॉल महासंघ (एआईएफ़एफ़) पर ये कार्रवाई की है। 
फ़ीफ़ा ने अपने बयान में कहा है कि परिषद ने सर्वसम्मति से भारतीय फ़ुटबॉल संग को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यहाँ तीसरे पक्ष का दखल है, जो कि फ़ीफ़ा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। 
फ़ीफ़ा की ओर से जारी बयान के अनुसार इस निर्णय से भारत से इसी साल आयोजित होने वाले अंडर-17 वीमेन फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी भी छिन गई है। इस टूर्नामेंट का आयोजन 11 से 30 अक्टूबर के बीच भारत के अलग-अलग राज्यों में होना था। 
फ़ीफ़ा ने कहा है कि ये निलंबन तत्काल प्रभाव से लागू है। इसी महीने की शुरुआत में फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल को सस्पेंशन की चेतावनी दी थी। 
फ़ीफ़ा ने एक बयान में कहा है कि ये निलंबन तभी वापस लिया जाएगा जब एआईएफ़एफ़ के अधिकारियों का अपने दैनिक मामलों पर पूरी तरह नियंत्रण होगा। 
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, अभी तक एआईएफ़एफ़ को एक समिति द्वारा चलाया जा रहा है। पूर्व प्रमुख प्रफुल्ल पटेल अपना कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी चुनावों के बिना कार्यालय में बने हुए है।
August 16, 2022

लाल सिंह चड्ढा फ्लॉप होने से आमिर सदमे में:फिल्म ने 4 दिन में 38 करोड़ कमाए; डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी नुकसान, फिल्ममेकर्स से मुआवजा मांगा

लाल सिंह चड्ढा फ्लॉप होने से आमिर सदमे में:फिल्म ने 4 दिन में 38 करोड़ कमाए; डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी नुकसान, फिल्ममेकर्स से मुआवजा मांगा

मुंबई : आमिर खान अपनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा के फ्लॉप होने से सदमे में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिस्ट्रीब्यूटर्स को इस फिल्म के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है और उन्होंने मेकर्स से मुआवजे की मांग की है। आमिर खुद इस फिल्म के को-प्रोड्यूसर हैं। खबर है कि उन्होंने इस फिल्म के फ्लॉप होने की जिम्मेदारी ली है। हालांकि इसे लेकर उन्होंने आधिकारिक बयान नहीं दिया है।


बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के अनुसार आमिर खान और उनकी पूर्व पत्नी किरण राव के दोस्त ने बताया कि आमिर ने लाल सिंह चड्ढा के लिए बहुत मेहनत की थी। आमिर की कोशिश थी कि वह फॉरेस्ट गंप के बेस्ट वर्जन को ऑडियंस के सामने लाएं, लेकिन रिलीज के बाद लोगों के रिएक्शन ने आमिर पर बुरा असर डाला है। इससे वह सदमे में चले गए हैं।
मेकर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स को मुआवजा देने की तैयारी में

लाल सिंह चड्ढा को बिजनेस में हुए नुकसान के बाद फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ने मुआवजा मांगा है। उनका कहना है कि इस फिल्म से हमें फाइनेंशियली बहुत नुकसान हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मेकर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स के नुकसान की भरपाई करने की तैयारी कर रहे हैं।

चार दिन में 38 करोड़ कमाए

लाल सिंह चड्ढा इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्म थी, लेकिन आमिर और करीना के पुराने बयानों के कारण सोशल मीडिया पर इसके बायकॉट का अभियान चला, जिसका असर बॉक्स ऑफिस पर देखने को मिला। 180 करोड़ के बजट में बनी फिल्म फर्स्ट वीकेंड में सिर्फ 38.21 करोड़ रुपए ही कमा पाई है, जबकि आमिर की पिछली फिल्में इससे ज्यादा की कमाई फर्स्ट डे पर ही कर चुकी हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'लाल सिंह चड्‌ढा' ने चौथे दिन यानी फर्स्ट संडे (रविवार) को 10.5 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है। इससे पहले फिल्म ने तीसरे दिन (शनिवार) 8.75 करोड़, दूसरे दिन (शुक्रवार) 7.26 करोड़ और पहले दिन (गुरुवार) 11.7 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था। लॉन्ग वीकेंड अब खत्म हो गया है और आगे कलेक्शन बढ़ने के चांस न के बराबर हैं।
लाल सिंह चड्ढा में खराब पंजाबी बोलने के लिए भी आमिर खान को ट्रोल किया जा रहा है।

सेना का अपमान करने के आरोप में हुई शिकायत दर्ज

लाल सिंह चड्ढा फिल्म को लेकर दिल्ली के वकील विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से आमिर खान, पैरामाउंट पिक्चर्स और अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। वकील का आरोप है कि आमिर ने अपनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा से भारतीय सेना का अपमान और हिंदू समाज की भावनाएं आहत की हैं।

वकील ने अपनी शिकायत में कहा है कि फिल्म में आपत्तिजनक सीन हैं। ऐसे में आमिर खान, पैरामाउंट पिक्चर्स और फिल्म डायरेक्टर अद्वैत चंदन के खिलाफ IPC की धारा 153, 153 ए, 298 और 505 के तहत FIR दर्ज किया जाए।
August 16, 2022

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो स्टेट साउथ वेल्स और विक्टोरिया में स्वास्तिक पर बैन लगा दिया गया है। यहां स्वास्तिक के निशान को किसी भी तरह से दिखाना क्राइम माना जाएगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और तस्मानिया ने भी स्वास्तिक को बैन करने की बात कही है।


हालांकि, इन दोनों ही राज्यों में हिंदू, जैन और बौद्धों को धार्मिक उपयोग के लिए स्वास्तिक के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

इसके पहले जुलाई 2020 में फिनलैंड ने अपने एयरफोर्स के प्रतीक चिन्ह से स्वास्तिक हटा दिया था। पिछले साल अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में स्वास्तिक को बैन करने के लिए एक बिल पेश हुआ था। तब हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया था।

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में स्वास्तिक पर बैन लगाने की होड़ क्यों मची है? हिंदू धर्म के अलावा स्वास्तिक का संबंध किस-किस से है? इसकी शुरुआत कब हुई और इसका मतलब क्या है?
*सबसे पहले स्वास्तिक को बैन करने की वजह जानते हैं...*

न्यू साउथ वेल्स के ज्यूइश बोर्ड ऑफ डेप्यूटीज के CEO डेरेन बार्क का कहना है कि स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक है। यह हिंसा को दिखाता है। कट्टरपंथी संगठन भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। हमारे राज्य में काफी समय से इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात चल रही थी। अब अपराधियों को सही सजा मिलेगी।

वहीं हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहते हैं कि बहुत समय तक हिंदू समुदाय अपने शांति के प्रतीक को दिखाने के लिए सहज नहीं था, क्योंकि यह बुराई का प्रतीक बन गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में है स्वास्तिक के नाजी प्रतीक चिन्ह बनने की कहानी

1920 के आसपास की बात है। हिटलर अपनी नाजी सेना को ताकतवर बना रहा था। तभी उसके दिमाग में झंडा बनाने का ख्याल आया। एक ऐसा झंडा जो जर्मन लोगों और उसकी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करे। जिसे देखते ही नाजियों में जोश भर जाए। हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में इस बात का जिक्र है।

इसी साल नाजी पार्टी को एक झंडा मिल गया। लाल रंग के इस झंडे के बीच में सफेद रंग का एक सर्किल बना था। इस सर्किल के बीचों-बीच 45 डिग्री झुका एक स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया। इसे हकेनक्रेज कहा गया।
ये तस्वीर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। हिटलर की नाजी सेना हाथ में अपना झंडा लिए मार्च कर रही है। इस झंडे में स्वास्तिक जैसा प्रतीक नजर आ रहा है।

‘मीन काम्फ’ किताब के मुताबिक यह झंडा न सिर्फ आदर्श जर्मन साम्राज्य, बल्कि नाजी लोगों के बेहतर भविष्य का भी प्रतीक था। इस झंडे में इस्तेमाल होने वाला लाल रंग नाजी मूवमेंट और समाजवाद को बताता था। वहीं, सफेद रंग जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक था। इसके अलावा स्वास्तिक नाजी लोगों के संघर्ष को दिखाता था। यही नहीं यह आर्यन समाज की जीत का भी प्रतीक था।

*स्वास्तिक पर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ*

1933 से लेकर 1945 के बीच जब जर्मनी में हिटलर की नाजी सेना पावर में आई, तब उसके सैनिक हाथों में झंडे लेकर नरसंहार करने लगे। इस दौरान लाखों यहूदियों को बेरहमी से मारा गया। जिसे दुनिया होलोकॉस्ट के नाम से जानती है। इसके बाद से ही इस प्रतीक चिन्ह को यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी माना जाता है।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप और दुनिया के दवाब में इस नाजी झंडा और स्वास्तिक जैसे प्रतीक को जर्मनी में भी बैन कर दिया गया था। इसके अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और लिथुआनिया में भी इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी। 
स्वास्तिक है क्या, इसका मतलब क्या है
स्वास्तिक शब्द संस्कृत भाषा के शब्द स्वास्तिका से बना है। यह एक क्रॉस की तरह आकृति है। इसकी चारों भुजाएं 90 डिग्री पर मुड़ी होती हैं। ये भुजाएं चारों ओर एक ही तरफ क्लॉकवाइज मुड़ती हैं। हिंदू धर्म में इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में जरूरत के मुताबिक इसके अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं।

इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई
स्वास्तिक की शुरुआत कब हुई, इस बात को जानने के लिए जब हमने रिसर्च किया तो दो फैक्ट सामने आए…

पहला: हिस्ट्री एक्स्ट्रा वेबसाइट के मुताबिक सबसे पुराना स्वास्तिक 15 हजार साल पहले पाया गया था।

दूसरा: आर्काइव डॉट ओआरजी के मुताबिक 10 हजार ईसा पूर्व से स्वास्तिक का इस्तेमाल यूरोप के कई हिस्सों में होता आ रहा है।

1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी का दांत मिला था। इस पर एक पक्षी उकेरा गया था, जो एक स्वास्तिक की तरह दिख रहा था। हालांकि यह किसी को नहीं पता है कि पहली बार इसे कैसे और किसने बनाया?

मेसोपोटामिया सभ्यता में भी इस्तेमाल होता था स्वास्तिक
अभी के इराक में मेसोपोटामिया सभ्यता के शुरुआत के सबूत मिलते हैं। यह सभ्यता 3200 से 600 ईसा पूर्व तक थी। यानी आज से 2622 साल पहले। इस समय स्वास्तिक प्राचीन मेसोपोटामिया के सिक्कों पर बनाया जाने वाला पसंदीदा प्रतीक था।

इसके अलावा स्कैंडिनेविया के भगवान थोर के हथोड़े में भी इसका चिन्ह पाया जाता है। यह बाएं हाथ का स्वास्तिक होता था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
अब जानते हैं हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में स्वास्तिक का अर्थ… हिंदू: करीब 3500 साल पहले भारत में आर्यन के इतिहास के साथ ही स्वास्तिक की मौजूदगी के सबूत मिलते हैं। आज भी नई गाड़ी खरीदने के वक्त या फिर नए मकान में प्रवेश करने के समय एक प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वास्तिक कहते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में इसे तरक्की और शुभ माना जाता है।

जैन: जैन इसे सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं। जैन धर्म में यह भी माना जाता है कि इसकी चारों भुजाएं भक्त को अगले जन्म की याद दिलाती हैं।

बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म स्वास्तिक को बुद्ध के पैरों या पदचिन्ह के निशान का प्रतीक मानता है। किसी किताब के शुरू और आखिरी पन्ने पर इसे बनाया जाता है। आधुनिक तिब्बती लोग इसे कपड़ों पर भी बनाते हैं।
क्या हिंदुओं और नाजी पार्टी का स्वास्तिक एक है?

हिंदू घरों में इस्तेमाल होने वाला स्वास्तिक बनावट और अर्थ दोनों ही मामले में नाजी के स्वास्तिक यानी ‘हकेनक्रेज’ से अलग है। बनावट की बात करें तो हिंदुओं के घरों में बनाए जाने वाले स्वास्तिक के चारों कोणों में चार डॉट्स होते हैं। ये डॉट्स चार वेदों के प्रतीक हैं। जबकि नाजी झंडे पर बने स्वास्तिक में ये डॉट्स नहीं थे।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी झंडे में सफेद रंग की गोलाकार पट्टी में काले रंग का स्वास्तिक बना है। नाजी संघर्ष के प्रतीक को तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। जबकि हिंदू धर्म में यह शुभ और तरक्की का प्रतीक है।

Monday, August 15, 2022

August 15, 2022

PM मोदी का लालकिले पर 83 मिनट भाषण:जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया; भावुक भी हो गए

PM मोदी का लालकिले पर 83 मिनट भाषण:जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा दिया; भावुक भी हो गए

नई दिल्ली : देश सोमवार को आजादी का जश्न मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से नौवीं बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। 83 मिनट के अपने भाषण में उन्होंने देश के सामने 5 संकल्प रखे। भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाषा और लोकतंत्र का जिक्र किया। गांधी, नेहरू, सावरकर को यादकर नमन किया।
नारी शक्ति के सम्मान और उनके गौरव की बात करते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं।
हमें पंच प्रण लेना होगा, तभी आजादी के दीवानों के सपने साकार होंगे
PM ने कहा कि अगर हम अपनी ही पीठ थपथपाते रहेंगे तो हमारे सपने कहीं दूर चले जाएंगे। इसलिए हमने कितना भी संघर्ष किया हो उसके बावजूद भी जब आज हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, तो अगले 25 साल हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज मैं लाल किले से 130 करोड़ लोगों को आह्वान करता हूं। साथियों मुझे लगता है कि आने वाले 25 साल के लिए भी हमें उन पांच प्रण पर अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर, 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।
पहला प्रण: अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत।

दूसरा प्रण: किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।

तीसरा प्रण: हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।

चौथा प्रण: एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों मे एकता। न कोई अपना न कोई पराया।

पांचवां प्रण: नागरिकों का कर्तव्य। जिसमें PM भी बाहर नहीं होता, CM भी बाहर नहीं होता है। वो भी नागरिक हैं। आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।
मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें: जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें लौटाना होगा

भ्रष्टाचार और परिवारवाद को खत्म करना होगा: मोदी ने कहा, 'आज हम दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भ्रष्टाचार और 'परिवारवाद' या भाई-भतीजावाद। हमें अपनी संस्थाओं की ताकत का एहसास करने के लिए, योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने के लिए 'परिवारवाद' के खिलाफ जागरूकता बढ़ानी होगी। भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, हमें इससे लड़ना है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें लौटाना होगा। बैंक लूटनेवालों की संपत्ति जब्त हो रही है।
हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंध जाती है: मोदी ने कहा कि हमने देखा है कि कभी कभी हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंध जाती है। ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए।
जय अनुसंधान का नारा दिया: PM ने आज लाल किले की प्राचीर से नया नारा दिया। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा और अब इसमें जय अनुसंधान जोड़ने का समय आ गया है। अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान हो।
संयुक्त परिवार देश की बड़ी विरासत: मोदी ने कहा कि जब तनाव की बात होती है तो लोगों को योग दिखता है। सामूहिक तनाव की बात होती है तो भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है। संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई, ये हमारी विरासत है जिस पर हम गर्व करते हैं।भारत लोकतंत्र की जननी: मोदी ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। जिनके जेहन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं। सामर्थ्य दुनिया की बड़ी बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है ये मदर ऑफ डेमोक्रेसी। हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है। 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए। आजादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला।
हमने उन्हें याद किया, जिन्हें भुला दिया गया: जब हम आजादी की चर्चा करते हैं, तो जंगलों में रहने वाले आदिवासी समाज का गौरव नहीं भूलते। बिसरा मुंडा समेत अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने आजादी के आंदोलन की आवाज बनकर सुदूर जंगलों में आजादी के लिए मर मिटने की प्रेरणा जताई। एक दौर वो भी था, जब स्वामी विवेकानंद, स्वामी अरविंदो, रवींद्र नाथ टैगोर भारत की चेतना जगाते रहे। 2021 से शुरू हुए आजादी के अमृत महोत्सव में देशवासियों ने व्यापक कार्यक्रम किए। इतिहास में इतना बड़ा महोत्सव पहली बार हुआ। हमने उन महापुरुषों को भी याद किया, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली या उन्हें भुला दिया गया।
सबने दर्द खुशी खुशी सहा: मोदी ने कहा, '14 अगस्त को भारत ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को भी हृदय के घावों को याद करके मनाया। देश वासियों ने भारत के प्रति प्रेम के कारण सबने दर्द खुशी खुशी सहा। आजादी के अमृत महोत्सव में हम सेना के जवानों, पुलिसकर्मी, ब्यूरोक्रेट, लोकसेवक, जनप्रतिनिधि, शासक-प्रशासकों को याद करने का अवसर है।'
डराया गया... फिर भी भारत आगे बढ़ता रहा: 75 साल की हमारी ये यात्रा अनेक उतार चढ़ाव से भरी हुई है। सुख दुख की छाया मंडराती रही है। इसके बीच भी हमारे देशवासियों ने पुरुषार्थ किया। उपलब्धियां हासिल कीं। ये भी सच्चाई है, सैकड़ों सालों की गुलामी ने गहरी चोटें पहुंचाई हैं। इसके भीतर एक जिद थी, जुनून था।

 आजादी मिल रही थी तो देशवासियों को डराया गया। देश के टूटने का डर दिखाया गया। लेकिन, ये हिंदुस्तान है। ये सदियों तक जीता रहा है। हमने अन्न का संकट झेला, युद्ध के शिकार हुए। आतंकवाद का प्रॉक्सीवार, प्राकृतिक आपदाएं झेलीं, लेकिन इसके बावजूद भारत आगे बढ़ता रहा।
बच्चे कह रहे हैं कि अब विदेशी खिलौने से नहीं खेलेंगे: PM ने कहा, '5 साल का बच्चा घर में विदेशी खिलौने से नहीं खेलने का संकल्प करता है, तब आत्मनिर्भर भारत उसकी रगों में दौड़ता है। आप देखिए, PLI स्कीम। एक लाख करोड़ रुपए, दुनिया के लोग भारत में नसीब आजमाने आ रहे हैं। भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है। आज देश बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। जब हमारा ब्रह्मोस दुनिया में जाता है तो कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसका मन आसमां को नहीं छूता होगा। हमें आत्मनिर्भर बनना है। हमें ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनना है। सोलर, विंड एनर्जी का क्षेत्र हो, मिशन हाइड्रोजन, बायो फ्यूल, इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जाने की बात हो हमें आत्मनिर्भर बनना होगा।'सेना के जवानों, सेनानायकों को सलाम: आजादी के 75 साल बाद जिस आवाज को सुनने को लिए हमारे कान तरस रहे थे। 75 साल के बाद लाल किले से तिरंगे को सलामी देने का काम मेड इन इंडिया तोप ने किया है। कौन हिंदुस्तानी होगा जिसको ये आवाज नई प्रेरणा और ताकत नहीं देगी। मेरे देश की सेना के जवानों का अभिनंदन करना चाहूंगा। मेरी सेना के जवानों ने, सेनानायकों ने जिस जिम्मेवारी के साथ कंधे पर उठाया है, उनको आज मैं सलाम करता हूं। सेना का जवान मौत को मुट्ठी में लेकर चलता है।
मोदी भाषण देने के बाद बच्चों के बीच पहुंच गए। उनसे बातचीत की।

Wednesday, August 10, 2022

August 10, 2022

रक्षाबंधन पर 200 साल बाद दुर्लभ योग:भद्रा के कारण एक ही मुहूर्त, रात 8.25 से बांध सकेंगे राखी, खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ

रक्षाबंधन पर 200 साल बाद दुर्लभ योग:भद्रा के कारण एक ही मुहूर्त, रात 8.25 से बांध सकेंगे राखी, खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ

इस बार रक्षाबंधन की तिथि और नक्षत्र को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। क्योंकि सावन की पूर्णिमा दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को है। इस पर देशभर के ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा खत्म होने के बाद पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र का योग, गुरुवार को ही बन रहा है। इसलिए 11 अगस्त की रात में ही राखी बांधना चाहिए। ये ही कारण है कि इस बार रक्षाबंधन के लिए सिर्फ एक ही मुहूर्त रहेगा। जो करीब 1 घंटे 20 मिनट का होगा। इस पर्व पर ग्रहों की दुर्लभ स्थिति से बन रहे शुभ योगों के कारण पूरे दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी रहेगा।
*राजयोग में मनेगा पर्व*

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि 11 अगस्त, गुरुवार को आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज योग रहेगा। साथ ही शंख, हंस और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। गुरु-शनि वक्री होकर अपनी राशियों में रहेंगे। सितारों की ऐसी दुर्लभ स्थिति पिछले 200 सालों में नहीं बनी। इस महासंयोग में किया गए रक्षाबंधन सुख-समृद्धि और आरोग्य देने वाला रहेगा।
*तिथि, नक्षत्र और वार का शुभ संयोग*

11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि और श्रवण नक्षत्र के साथ ही गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष ग्रंथों में इस योग को खरीदारी का शुभ मुहूर्त बताया गया है। जिसमें व्हीकल, प्रॉपर्टी, ज्वेलरी, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य चीजों की खरीदारी से लंबे समय तक फायदा मिलेगा। साथ ही किसी भी नई शुरुआत के लिए ये दिन बहुत अच्छा रहेगा। इस दिन जॉब जॉइन करना, बड़े लेन-देन या निवेश करना फायदेमंद रहेगा। श्रवण नक्षत्र होने से पूरा दिन व्हीकल खरीदारी के लिए बेहद शुभ रहेगा।
*क्या कहते हैं ज्योतिषी*

11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि करीब 9:35 पर शुरू होगी जो कि अगले दिन सुबह तकरीबन 7.16 तक रहेगी। वहीं, गुरुवार को भद्रा सुबह 10.38 पर शुरू होगी और रात 8.25 पर खत्म होगी। इसलिए काशी विद्वत परिषद के साथ ही उज्जैन, हरिद्वार, पुरी और तिरुपति के विद्वानों का कहना है कि भद्रा का वास चाहे आकाश में रहे या स्वर्ग में, जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। इसलिए सभी ज्योतिषाचार्यों का एकमत होकर कहना है कि 11 अगस्त, गुरुवार को रात 8.25 के बाद ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए।
*11 को दिन में क्यों नहीं बांधे राखी*

कुछ लोगों का मानना है कि 11 अगस्त को भद्रा पाताल में रहेगी। जिसका धरती पर अशुभ असर नहीं होगा। इसलिए पूरे दिन रक्षाबंधन कर सकते हैं। लेकिन विद्वत परिषद का कहना है कि किसी भी ग्रंथ या पुराण में इस बात का जिक्र नहीं है। वहीं, ऋषियों ने पूरे ही भद्रा काल के दौरान रक्षाबंधन और होलिका दहन करने को अशुभ बताया है। इसलिए भद्रा के वास पर विचार ना करते हुए इसे पूरी तरह बीत जाने पर ही राखी बांधना चाहिए। वहीं, 12 तारीख को पूर्णिमा तिथि सुबह सिर्फ 2 घंटे तक ही होगी और प्रतिपदा के साथ रहेगी। इस योग में भी रक्षाबंधन करना निषेध है।
*प्रदोष काल में रक्षाबंधन शुभ*

विद्वानों का कहना है कि रक्षाबंधन के समय को लेकर ग्रंथों में प्रदोष काल को सबसे अच्छा माना गया है। यानी सूर्यास्त के बाद करीब ढाई घंटे का समय बहुत ही शुभ होता है। दीपावली पर इसी काल में लक्ष्मी पूजा की जाती है। साथ ही होलिका और रावण दहन भी प्रदोष काल में करने का विधान है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया है कि इस समय किए गए काम का शुभ प्रभाव लंबे समय तक रहता है।
August 10, 2022

पिछले 3 वर्षों में इन 3 प्रमुख सहयोगियों ने छोड़ा भाजपा का साथ

पिछले 3 वर्षों में इन 3 प्रमुख सहयोगियों ने छोड़ा भाजपा का साथ

नई दिल्लीः वर्ष 2019 के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंध तोड़ने वाला जनता दल (यूनाइटेड) उसका तीसरा प्रमुख राजनीतिक सहयोगी है। लगातार दूसरी बार 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र की सत्ता में भाजपा के आने के 18 महीनों के भीतर उसके दो पुराने सहयोगियों, शिवसेना और अकाली दल ने उससे नाता तोड़ लिया था। अगले लोकसभा चुनाव में दो साल से कम समय बचा है, और अब जद(यू) ने उससे गठबंधन तोड़ लिया है। 
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने वाला जद(यू) सांसदों और विधायकों के मामले में भाजपा के सहयोगियों में सबसे बड़ा दल है। जद(यू) के जार्ज फर्नांडीस कभी राजग के संयोजक हुआ करते थे, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने 2013 में भी भाजपा से उस वक्त नाता तोड़ लिया था, जब नरेंद्र मोदी को भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था। 
वर्ष 2017 में कुमार ने राजद से नाता तोड़ लिया था और महागठबंधन सरकार से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बना ली थी। इसके बाद भाजपा और जद(यू) ने 2020 का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा और राज्य में सरकार बनाई, लेकिन संबंधों में तनाव के कारण मंगलवार को कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। पिछले नौ वर्षों में यह दूसरा मौका है, जब जद(यू) ने भाजपा से रिश्ते तोड़े हैं। राजग से जद(यू) के बाहर होने के बाद भाजपा के लिए देश का पूर्वी हिस्सा खासा चुनौतीपूर्ण हो गया है। खासकर, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और बिहार। 
दक्षिण के राज्य पहले से ही भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहे हैं। सिर्फ कर्नाटक ही एक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा की सरकार है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में अभी वह एक ताकत के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। जद(यू) के अलग होने के बाद लोकसभा सीट की संख्या के हिसाब से अब दो ही ऐसे बड़े राज्य हैं, जहां भाजपा गठबंधन की सरकारें हैं और वे हैं उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र। इन दोनों राज्यों में लोकसभा की 128 सीट हैं। बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्ता में नहीं है और इन राज्यों में लोकसभा की कुल 122 सीट हैं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में 18 और बिहार में 17 सीट पर जीत हासिल की थी। 
उत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों में मजबूत प्रर्दशन के दम पर भाजपा 2014 से केंद्र की सत्ता में है और उसकी कोशिश पूर्वी और दक्षिण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की है। ‘‘सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज'' के प्रोफेसर संजय कुमार ने भाजपा से जद(यू) के अलग होने पर कहा, ‘‘यह स्पष्ट संकेत है कि सहयोगी दल भाजपा के साथ सहज नहीं हैं और एक-एक कर उससे अलग होते जा रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन साथ ही इससे भाजपा को एक अवसर भी मिलता है कि जिस राज्य की क्षेत्रीय पार्टी ने उसका साथ छोड़ा है, वहां वह अपनी स्थिति मजबूत कर सके।'' 
अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि भाजपा ‘‘एकला चलो रे'' की रणनीति पर विश्वास करती है और राजग सिर्फ कागजों पर ही रह गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी जो उसमें (राजग) हैं, वह भी अपना अस्तित्व बचाने के लिए वहां से निकल जाएंगे।'' वर्ष 2014 से 2019 के बीच महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और चंद्रबाबू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी राजग से अलग हो गए। 
वर्ष 2019 में शिवसेना से भाजपा का गठबंधन टूट गया और उसने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस से गठबंधन कर वहां सरकार बना ली। हालांकि, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का बड़ा धड़ा टूट गया और उसने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली। शिंदे इस गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। 
इनके अलावा झारखंड में सुदेश महतो के नेतृत्व वाला ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, ओ पी राजभर के नेतृत्व वाला सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बोडो पीपुल्स पार्टी, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, गोवा फॉरवर्ड पार्टी, एमडीएमके और डीएमडीके भी भाजपा के नेतृत्व वाले राजग से अलग हो गए। केंद्रीय स्तर पर राजग में फिलहाल कम से कम 17 सहयोगी दल हैं, जबकि कई राजनीतिक संगठनों से उसका कुछ राज्यों में भी गठबंधन है।