Breaking

Monday, May 8, 2023

May 08, 2023

*रोहतक में इनेलो की परिवर्तन यात्रा:आज गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनेंगे, सरकार पर भी साधेंगे निशाना*

*रोहतक में इनेलो की परिवर्तन यात्रा:आज गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं सुनेंगे, सरकार पर भी साधेंगे निशाना*
"परिवर्तन यात्रा के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए अभय चौटाला*

हरियाणा के रोहतक में इनेलो विधायक अभय चौटाला की परिवर्तन यात्रा चल रही है। वह गांवों में पदयात्रा कर रहे हैं। इस दौरान वे लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं और समस्याएं सुन रहे हैं। साथ ही इन समस्याओं को उठाने व समाधान का आश्वासन भी दिया जा रहा है। अभय चौटाला की पदयात्रा आद कई गांवों में पहुंचेगी।
परिवर्तन यात्रा के दौरान कार्यक्रम में पहुंचे अभय चौटाला 

अभय चौटाला लगातार परिवर्तन यात्रा के जरिए लोगों के बीच जा रहे हैं। ताकि उनकी समस्याओं को जाना जा सके और इनेलो को भी लोगों के बीच लेकर जाएं। जिसके तहत वे रोहतक के गांवों में परिवर्तन यात्रा लेकर पहुंचे हैं। इस यात्रा में उनके साथ इनेलो के कार्यकर्ता व नेता भी शामिल हो रहे हैं।
*सरकार से तंग जनता*
परिवर्तन यात्रा के दौरान अभय चौटाला लगातार जनसभाएं करते हैं। जहां सरकार पर हमलावर भी रहते हैं। उनका कहना है कि जनता भाजपा सरकार से तंग आ चुकी है। आगे परिवर्तन चाहती है, जिसके लिए उन्होंने यह परिवर्तन यात्रा शुरू की थी। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
May 08, 2023

*पापा ने जुए में सबकुछ लुटा दिया:बेटे ने बनाया पहला स्वदेशी ड्रोन मोटर; सालाना एक करोड़ का बिजनेस*

‘पापा सरकारी टीचर थे। उन्हें जुए की लत थी। जितना वो कमाते थे, उससे ज्यादा जुए में हार जाते थे। मां की कमाई भी जुए में ही डुबो देते थे। इस वजह से परिवार पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया। आर्थिक स्थिति इतनी लचर हो गई कि हर दिन के लिए सोचना पड़ता था। पापा, मम्मी के साथ मार-पिटाई करते, मेंटली-फिजिकली टॉर्चर करते थे। ये सब तकरीबन 12 साल तक चला।
मुझे वो दिन याद है, मैं बहुत छोटा था। जबरदस्त ठंड पड़ रही थी। मां नाना-नानी के पास गई थी। हम दोनों भाई पापा के पास ही थे। एक दिन सुबह के 3 बजे ही पापा हम दोनों भाइयों को नाना के घर दरवाजे पर छोड़कर चले गए। उसके बाद आज तक हम लोगों ने उनका मुंह तक नहीं देखा। बाद में मम्मी ने पापा से अलग होने का फैसला कर लिया।
आज मुझे नहीं याद कि वो दिखने में कैसे थे? पापा से अलग होने के बाद मम्मी ने मुझे पढ़ाया-लिखाया। मैंने इंजीनियरिंग किया। मेरे पूरे करियर में ननिहाल और मम्मी और बड़े भाई का सबसे बड़ा रोल रहा।
संघर्ष और मेहनत की बदौलत ही मैंने 2020 में इंडिया की पहली स्वदेशी ड्रोन मोटर बनाई। आज मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर बनाने वाली मेरी कंपनी ‘क्षेनहेस्टर’ का सालाना टर्नओवर एक करोड़ है।’
दोपहर के एक बज रहे हैं। गुजरात में इन दिनों चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है। राजकोट में गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी (GTU) का इन्क्यूबेशन सेंटर है, जहां 31 साल के मिलन हांसलिया ड्रोन मोटर की टेस्टिंग के दौरान अपनी कहानी मुझे सुना रहे हैं। माथे पर से पसीने को पोछते हुए जब मिलन अपनी जर्नी बताना शुरू करते हैं, तो कई बार उनकी आवाज ठहर जाती है।

*ये मिलन हांसलिया हैं, जो ड्रोन मोटर बनाने वाली कंपनी क्षेनहेस्टर के फाउंडर हैं।*

*मिलन ड्रोन मोटर के डेमो को दिखा रहे हैं*
मिलन कहते हैं, ‘जब पुरानी बातों को याद करता हूं, तो रोना आ जाता है। मेहनत का परिणाम ही है कि मेरे हाथ में जो मोटर आप देख रहे हैं, वो इंडिया का पहला ड्रोन मोटर है। इससे पहले अब तक जितने भी मोटर ड्रोन में या कॉमर्शियल सेक्टर में इस्तेमाल होते रहे हैं, वो चीन, यूरोप या अमेरिका जैसे देशों से इंपोर्ट होते रहे हैं।’
*मिलन ड्रोन मोटर की टेस्टिंग अपने एक साथी को थमाकर मेरे साथ अपनी कहानी जारी रखते हैं*।

वो कहते हैं, ‘जब मैं छोटा था, तो मम्मी को बहुत तकलीफ में देखता था। किसी तरह से घर-परिवार चल पा रहा था। तभी से मेरे मन में था कि पढ़-लिखकर कुछ-न-कुछ बेहतर करना है।
2013 में मैंने गुजरात से ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech कम्प्लीट किया। पास आउट होने के साथ ही एक कंपनी में ठीक-ठाक पैकेज पर जॉब लग गई। तकरीबन 4 साल जॉब किया, ताकि फैमिली की थोड़ी-बहुत फाइनेंशियल कंडीशन ठीक हो सके।
2018 का साल बीत रहा था। मैं चाह रहा था कि कुछ अपना स्टार्टअप शुरू करूं। इसके लिए मास्टर करने की जरूरत थी, लेकिन जॉब की वजह से दिक्कतें हो रही थीं। जिस कंपनी में मैं काम कर रहा था, वहां के ओनर नहीं चाह रहे थे कि मैं जॉब छोड़ दूं, लेकिन स्टडी की वजह से मुझे रिजाइन करना पड़ा।'

*मिलन अपने ऑफिस में हैं*
मिलन अपनी ड्रोन मोटर बनाने की यूनिट को दिखा रहे हैं। वो कहते हैं, 'मुझे याद है, एडमिशन के आखिरी दिन मैंने अहमदाबाद जाकर M.Tech में एडमिशन लिया। 2019 का साल बीत रहा था। कॉलेज प्रोजेक्ट के दौरान मेरा आइडिया सिंगल सीट इलेक्ट्रिक व्हीकल पर काम करने को लेकर था।
जब IIT मंडी के इन्क्यूबेशन सेंटर में मेरा सिलेक्शन हुआ और वहां गया, तो पहले इसके मोटर और फिर बाद में ड्रोन मोटर बनाने पर वर्क करना शुरू किया।
स्टडी के दौरान पता चला कि इंडिया में जितने भी ड्रोन मोटर या कॉमर्शियल इंडस्ट्री के मोटर इस्तेमाल हो रहे हैं, सभी इंपोर्टेड हैं। इंडिया में इसकी मैन्युफैक्चरिंग ही नहीं हो रही है।'

*मिलन के हाथ में ड्रोन मोटर का एक डेमो है। वो इस मोटर को पहला मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर होने का दावा कर रहे हैं*।
मिलन कहते हैं, इसे मैंने 3 महीने की मेहनत के बाद डेवलप किया है, इसलिए कैमरे पर ओरिजिनल प्रोडक्ट नहीं दिखाना चाहता हूं। ड्रोन मोटर का इस्तेमाल डिफेंस सेक्टर में भी होता है, इसलिए इससे सुरक्षा का मामला जुड़ा होता है।'
मिलन आगे बताते हैं, ‘2019 में IIT मंडी के स्टार्टअप सेशन को अटैंड करने के बाद इतना तो समझ में आ गया कि आने वाला वक्त ड्रोन का ही है, क्योंकि अब ड्रोन से दवा से लेकर खेतों में छिड़काव और सर्वे-मैपिंग, डिलीवरी तक का काम चल रहा है।

पहले गवर्नमेंट ड्रोन सेक्टर को डिफेंस तक कंट्रोल करके रखी हुई थी। यह सिर्फ मिलिट्री इक्विपमेंट माना जाता था, लेकिन जब से अलग-अलग सेक्टर में इसकी एंट्री हुई है, ड्रोन इंडस्ट्री का मार्केट बूम करने लगा है। आज सिर्फ ड्रोन मोटर का सालाना मार्केट 6 हजार करोड़ का है।’
*मिलन ने बोर्ड पर ड्रोन मोटर का डायग्राम बनाया है*।
                             मिलन बोर्ड पर ड्रोन मोटर का डायग्राम भी बना रहे हैं। वो कहते हैं कि उनके पास इसकी टेक्निकल नॉलेज तो थी, लेकिन मार्केट का कोई आइडिया नहीं था। जब मिलन ने मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर डेवलप किया, तो चुनौती यही थी कि इसे खरीदेगा कौन? मिलन बताते हैं, 'इंडिया में एक और दिक्कत है कि ड्रोन को सर्टिफाइड करने के लिए DGCA जैसी संस्था तो है, लेकिन मोटर को लेकर कोई स्टैंडर्ड नहीं है।
मैंने ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स से इंपोर्टेड मोटर, इससे होने वाली दिक्कतें… इन सारी चीजों के बारे में जानना शुरू किया। पता चला कि उन्हें मन मुताबिक डिजाइन के मोटर नहीं मिल पाते हैं। जब IIT मंडी में दूसरी बार मुझे जाने का मौका मिला, तो मैंने 3 महीने में ही स्वदेशी ड्रोन मोटर डेवलप कर दिया। यह एडवांस टेक्नोलॉजी बेस्ड है, जिसे ब्रशलेस डीसी (BLDC) इलेक्ट्रिक मोटर कहते हैं।’
आगे की बातचीत से पहले मिलन मुझे ड्रोन के टेक्निकल टर्म को आसानी से समझाते हैं, इसे आप ग्राफिक्स में समझिए...
बातचीत के बीच ही मिलन का फोन बजने लगता है। ये उनकी मम्मी का फोन है। वो मिलन से टाइम पर लंच कर लेने के बारे में पूछ रही हैं। वो मेरी तरफ देखकर हंसने लगते हैं। कहते हैं, ‘जैसा पापा ने हम लोगों के साथ किया, यदि मम्मी भी ऐसा कुछ करती, तो फिर हमारा क्या होता? पता नहीं।

*कुछ देर ठहरने के बाद फिर से हमारी बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाता है*।

मिलन कहते हैं, 'जब मैं मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर बनाने के बारे में सोच रहा था, तो सबसे बड़ी चिंता फंड की ही थी। इंडिया में टेस्टिंग से लेकर रॉ मटेरियल, मशीनरी पार्ट्स समेत कई अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं। चार साल में जो मैंने जॉब के दौरान थोड़ी बहुत सेविंग की थी, वो तो थी हीं, लेकिन इतने से कुछ होने वाला नहीं था। किसी भी मोटर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को सेट करने में करोड़ों रुपए की जरूरत होती है।
हालांकि फैमिली का पूरा सपोर्ट था, लेकिन फंड भी एक लिमिटेड होता है किसी के पास। आपको भी पता ही होगा...। मैंने जब अपना आइडिया अलग-अलग इन्क्यूबेशन सेंटर में पिच किया, तब मुझे कई सारे ग्रांट्स मिले। बैंक से भी लोन मिला। टोटल 60 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट मैंने अपनी कंपनी में किया और 2022 में छोटे लेवल पर ड्रोन मोटर मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की।’

मिलन बताते हैं कि अगले हफ्ते एक क्लाइंट के साथ उनकी मीटिंग है। इसी को लेकर वो कुछ सैंपल तैयार कर रहे हैं। उम्मीद है कि थोक में ड्रोन मोटर बनाने के ऑर्डर मिलेंगे।'

*अभी आपका बिजनेस कैसा चल रहा है*

मिलन मुस्कराने लगते हैं। वो कहते हैं, ‘जब मैंने मेड इन इंडिया के तहत पहला ड्रोन मोटर डेवलप किया, तो ड्रोन मैन्युफैक्चरर काफी प्रभावित हुए। उनका कहना था कि विदेशों से मोटर इंपोर्ट करने में सबसे बड़ी दिक्कत गारंटी को लेकर होती है। इसकी कोई लाइफ नहीं होती।'

*ड्रोन मोटर एग्जीबिशन में मिलन की टीम और साथ में केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर हैं*। 
                                ड्रोन मोटर एग्जीबिशन में मिलन की टीम और साथ में केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर हैं।
वो बताते हैं, 'इंपोर्टेड मोटर की यदि गारंटी भी है, तो जितना खर्च इसे दोबारा विदेशी मोटर मैन्युफैक्चरर्स को भेजने में लग जाएगा, उससे कम में नया मोटर खरीदा जा सकता है। यानी इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरा बढ़ता है।
जब मैंने 2022 में मार्केट में पहला मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर लॉन्च किया, तो उसी वक्त भारत ड्रोन महोत्सव ऑर्गेनाइज किया गया था। मैंने ड्रोन मोटर डिस्प्ले किया, जहां दर्जनों ड्रोन मैन्युफैक्चरर से मेरी मुलाकात हुई, कई ऑर्डर भी मिले। कई मैन्युफैक्चरर ने आगे के बिजनेस के लिए मेरे साथ डील साइन किया।’

‘अब सोशल मीडिया का जमाना है। हम सोशल मीडिया के जरिए भी ड्रोन मोटर के वीडियो शूट करके बिजनेस को प्रमोट करते हैं। हालांकि 80% बिजनेस वेबसाइट के जरिए ही आते हैं। इन हाउस ही हम ड्रोन मोटर की मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। अभी 4 लोगों की टीम काम कर रही है। जैसे-जैसे बिजनेस बढ़ रहा है, हम टीम बढ़ा रहे हैं।
आज मेरे साथ 15 से ज्यादा क्लाइंट जुड़े हुए हैं। अभी हम दो कैगेटरी- माइग्रो और स्मॉल ड्रोन के लिए मोटर बना रहे हैं। जल्द ही मीडियम और हैवी कैटेगरी के ड्रोन मोटर की मैन्युफैक्चरिंग भी करने का प्लान कर रहे हैं।’
मिलन कहते हैं कि अभी वो ड्रोन मोटर बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ कंपोनेंट्स आउट सोर्स भी करते हैं। हालांकि आने वाले दिनों में वो सभी चीजों की इन हाउस मैन्युफैक्चरिंग करने पर फोकस कर रहे हैं। इस साल उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर एक करोड़ के होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 50 लाख का था
ट्रेडिंग करके 3 हजार से बनाई एक करोड़ की कंपनी: जो सामान इंडिया में नहीं मिलता, उसे चीन से मंगाकर ऑनलाइन बेचते हैं
May 08, 2023

*मणिपुर दंगों में फंसे हरियाणा के 8 स्टूडेंट्स:* NIT में पढ़ रहे हैं सभी छात्र, सांसद हुड्‌डा बोले- सुरक्षित वापस लाए जाएं

*मणिपुर दंगों में फंसे हरियाणा के 8 स्टूडेंट्स:NIT में पढ़ रहे हैं सभी छात्र, सांसद हुड्‌डा बोले- सुरक्षित वापस लाए जाएं*
मणिपुर दंगों को लेकर हरियाणा में भी हलचल शुरू हो गई है। दंगों में राज्य के 8 छात्र फंसे हुए हैं। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्‌डा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि छात्रों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित की जाए।
हालांकि अभी तक हरियाणा सरकार की ओर से इस मामले में कोई बयान जारी नहीं किया गया है। मणिपुर दंगों को लेकर पहले से ही कांग्रेस के नेता केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। इसके लिए कांग्रेस केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
NIT में पढ़ रहे हैं छात्र
दंगों में फंसे हरियाणा के छात्र नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) के छात्र बताए जा रहे हैं। सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने कहा है कि हरियाणा सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह सूबे के हर व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करे। मणिपुर में फंसे राज्य के आठ छात्रों को सरकार सुरक्षित वापसी के लिए प्रयास शुरू करने चाहिए। वह इस मुद्दे को हर मंच पर उठाने के लिए काम करेंगे।
यूपी, बिहार के भी फंसे हैं छात्र
मणिपुर में हरियाणा के साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार के छात्र भी फंसे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी केंद्र सरकार से छात्रों को सुरक्षित निकाले जाने की मांग कर चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि इस स्थिति के लिए BJP की नफरत और बांटने की राजनीति के साथ सत्ता के लिए उसका लालच जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर के इस राज्य में सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए।
मणिपुर में क्यों भड़की हिंसा?
मणिपुर में ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने बुधवार को ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया था। इसी दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प हो गई। आदिवासी समुदाय उस मांग का विरोध कर रहा था, जिसमें डिमांड की जा रही है कि गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए।
इसके बाद से ही मणिपुर में हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। गौरतलब है कि आदिवासी आंदोलन के दौरान हिंसा को लेकर मणिपुर के आठ जिलों में बुधवार को कर्फ्यू लगा दिया गया और पूरे पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं।
May 08, 2023

करनाल के थाने में ASI-होमगार्ड पीटे:पूछताछ के लिए बुलाए व्यक्ति के बेटों ने किया हमला, बोले- बाप को बुलाने की हिम्मत कैसे हुई

करनाल के थाने में ASI-होमगार्ड पीटे:पूछताछ के लिए बुलाए व्यक्ति के बेटों ने किया हमला, बोले- बाप को बुलाने की हिम्मत कैसे हुई
करनाल : करनाल के कुंजपुरा थाना में पूछताछ के लिए बुलाए व्यक्ति के बेटों ने ASI व होमगार्ड के साथ मारपीट की। उन्होंने पुलिस कर्मचारियों की वर्दी तक फाड़ दी। इसके साथ उन्होंने अभद्रता की। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
*पुलिस को दी गई गालियां*

कुंजपुरा थाना के प्रोबेशनर सब इंस्पेक्टर (PSI) सुमित कुमार ने बताया है कि रविवार शाम को वह और उसके साथी कर्मचारी ASI कुलदीप व होमगार्ड राममेहर थाने में अपने कार्यालय में मौजूद थे। ASI कुलदीप ने एक शिकायत के संबंध में कुंजपुरा के रहने वाले देवेंद्र को पूछताछ के लिए बुलाया हुआ था।
ASI कुलदीप देवेंद्र से पूछताछ कर रहा था। इतने में देवेंद्र के बेटे राजबीर व रघुविंद्र थाने में आए और आकर ऊंची-ऊंची आवाज में गाली गलौज करने लगे और कहने लगे कि मेरे बाप को किसने बुलाया है, किस में इतनी हिम्मत हो गई ?
*पुलिसकर्मियों ने दोनों को समझाया, लेकिन नहीं माने*

सुमित कुमार ने बताया है कि राजबीर व रघुविन्द्र को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह दोनों इस बात का विरोध करते हुए एक दम तैश में आ गए। दोनों ने उनके साथ मारपीट करने लगे। इस दौरान उन्होंने वर्दी भी फाड़ दी। ये देख साथी कर्मचारी होमगार्ड राममेहर छुड़वाने आया तो आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट की।
*सरकारी कार्य में बाधा डाली*

मारपीट के दौरान राममेहर की भी वर्दी फाड़ दी। दोनों ने सरकारी कार्य में बाधा डाली है। जांच अधिकारी कुलदीप सिंह ने बताया कि शिकायत के आधार पर मामला दर्ज जांच शुरू कर दी है।

Sunday, May 7, 2023

May 07, 2023

राकेश टिकैत ने सरकार को दिया अल्टीमेटम, कहा 21 मई तक नहीं मानी तो...

राकेश टिकैत ने सरकार को दिया अल्टीमेटम, कहा 21 मई तक नहीं मानी तो...
नई दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जंतर-मंतर पर पहलवानों का धरना प्रदर्शन जारी है। पहलवानों का साथ दे रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने अब सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। प्रेस को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि आज की पंचायत में फैसला लिया गया है कि हमारी खाप के लोग रोज यहां आएंगे। अगर 15 दिन में सरकार नहीं मानी तो 21 मई को फिर मीटिंग किया जाएगा। उस मीटिंग में तय किया जाएगा कि क्या रणनीति होगी।
*बृजभूषण शरण सिंह को किया जाए गिरफ्तार*

बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि हम उनके आंदोलन को मजबूत करेंगे। उन्होंने मांग की कि बृजभूषण का इस्तीफा लेकर उन्हें जेल में बंद किया जाए ताकि हमारी लड़कियों पर जिसने हाथ डाला है उसे अदालत द्वारा सजा दिलाई जा सके। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 21 मई की डेडलाइन हम सरकार को दे रहे हैं। अगर इस बीच कार्रवाई नहीं हुई तो हम बड़ा फैसला लेंगे। 
*5 हजार किसान आएंगे जंतर-मंतर*

टिकैत ने कहा कि 21 मई तक हमारे खाप के लोग दिन के वक्त आएंगे और दिनभर पहलवानों के साथ रहने के बाद रात के वक्त चले जाएंगे। जिन्हें रात में रुकना है वो रुक भी सकते हैं। कमेटी द्वारा तय आंदोलन को चलाया जाएगा। हम बाहर से सपोर्ट करेंगे। 21 तारीख तक अगर सरकार बात करके समाधान नहीं निकालती है तो इसके बाद की रणनीति तय की जाएगी। हमारे बच्चे हमारे देश की धरोहर हैं। हम हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि हम पूरे देश में आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। 21 मई को 5 हजार किसान जंतर मंतर कूच करेंगे।
May 07, 2023

*शाइस्ता को बचा रही ‘बुर्के वाली गैंग’, गांव में नो-एंट्री:लोग बोले, ‘अतीक से कोई रिश्ता नहीं, जो किया भुगतना पड़ेगा’*

*शाइस्ता को बचा रही ‘बुर्के वाली गैंग’, गांव में नो-एंट्री:लोग बोले, ‘अतीक से कोई रिश्ता नहीं, जो किया भुगतना पड़ेगा’*
यूपी के माफिया अतीक अहमद की हत्या को 21 दिन गुजर गए हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि उसकी बीवी शाइस्ता परवीन कहां है? यूपी पुलिस के हाथ खाली हैं। 25 अप्रैल को यूपी STF ने शाइस्ता को पकड़ने के लिए प्रयागराज के पास हटुआ में रेड की। मस्जिद से एक ऐलान हुआ और बुर्का पहनी औरतों की भीड़ ने पुलिस टीम को घेर लिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शाइस्ता वहीं थी, लेकिन भीड़ का फायदा उठाकर फरार हो गई।
2 मई को दिल्ली पुलिस को एक फोन आया कि शाइस्ता बस में बैठकर हरियाणा-दिल्ली से सटे बवाना से मेरठ की तरफ जा रही है। पुलिस ने पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर घेराबंदी कर दी। कई बसों की तलाशी हुई, लेकिन शाइस्ता नहीं मिली।
इससे पहले अतीक के वकील रहे खान सौलत हनीफ ने शाइस्ता और प्रयागराज के कछार इलाके की लेडी डॉन मुंडी पासी का नाम लिया था। हनीफ ने बताया कि उमेश पाल के मर्डर से पहले शाइस्ता और मुंडी पासी मिले थे। आरोप लगते ही जमानत पर बाहर चल रही मुंडी पासी सामने आई और कहा- ‘शाइस्ता ने मुझे बहाने से मिलने बुलाया था, मैं उसे नहीं जानती।’
शाइस्ता के अलावा अतीक गैंग के गुड्डू मुस्लिम, अतीक का गनर एहतेशाम, गुड्डू मुस्लिम का सहयोगी आसिफ माली भी फरार हैं। अशरफ की बीवी जैनब और बहन आयशा नूरी भी फरार हैं। इनकी तलाश में यूपी STF पंजाब, बिहार, एमपी, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली के अलावा प्रयागराज के आस-पास कई जगह छापेमारी कर चुकी है।
*50 हजार की इनामी शाइस्ता परवीन की कहानी ढूंढते हुए Hariyana bulletin उस गांव में पहुंचा, जहां वो पैदा हुई और उसकी परवरिश हुई*।

शाइस्ता यहां नहीं रहती है, यहां क्यों आए हो…
शाइस्ता की परवरिश प्रयागराज के आखिरी हिस्से में बसे दामूपुर गांव में हुई थी। प्रयागराज सिविल लाइंस से दामूपुर की दूरी करीब 10 किमी है। दामूपुर के रास्ते में अतीक का पुश्तैनी गांव कसारी मसारी भी पड़ता है। कसारी मसारी से दामूपुर 3 किमी दूर है।
हम गांव में घुसे, हाथ में माइक और कैमरा देखकर कुछ लड़कों ने हमें घेर लिया। वे गुस्से में थे, पूछने लगे- यहां क्यों आए हो? हमने कहा, ये अतीक की पत्नी शाइस्ता का गांव है न? इस सवाल पर एक युवक भड़क गया। कहने लगा- ‘यहां से निकल जाओ। शाइस्ता यहां नहीं रहती है।’ हमने कहा, गांव के प्रधान ने बुलाया है, उनसे मिलना है। ये सुनकर युवक शांत हुआ और हमें आगे जाने दिया।
गांव के अंदर जाने के दो तरफ से रास्ते हैं। एक रास्ते से जाने पर कुछ मकान और दुकानों के बाद एक मस्जिद है। मस्जिद के सामने चाय की दुकान है। वहीं हमें रोबीली मूंछों वाले एक शख्स मिले। उनका नाम सुल्तान है, वे दामूपुर के प्रधान हैं।
सुल्तान भी शाइस्ता का नाम सुनते ही भड़क जाते हैं और मीडियावालों को उल्टा-सीधा बोलने लगते हैं। कहते हैं- ‘आप पहले मीडियावाले हो, जो गांव में दाखिल हो गए। यहां टीवी वालों का आना मना है। हम आपसे भी कैमरे पर बात नहीं करेंगे। न ही किसी गांव वाले का वीडियो और तस्वीर लेने देंगे।’
*गांव में शाइस्ता का 5 हजार स्क्वायर फीट का प्लॉट*
                                हमारे काफी समझाने के बाद सुल्तान हमें शाइस्ता का पुश्तैनी मकान देखने की इजाजत देते हैं, लेकिन साथ में अहमद नाम का एक आदमी भी भेज देते हैं। मस्जिद से करीब 100 मीटर दूर आगे जाने पर अहमद एक प्लॉट की तरफ इशारा करते हैं, कहते हैं- ये है शाइस्ता का प्लॉट, यहीं पहले मकान भी था।’ अहमद रुकता नहीं है, मुझे वहां पहुंचाकर चला जाता है।
दामूपुर गांव में इसी जगह शाइस्ता का घर हुआ करता था, अब सिर्फ कुछ दीवारें रह गई हैं। गांव के लोग यहां कचरा फेंकते हैं। 
दामूपुर गांव में इसी जगह शाइस्ता का घर हुआ करता था, अब सिर्फ कुछ दीवारें रह गई हैं। गांव के लोग यहां कचरा फेंकते हैं।
सामने गली में एक कोने पर 5 हजार स्क्वायर फीट का प्लॉट है। ये शायद पहले दीवारों से घिरा था, लेकिन अब उनका कुछ हिस्सा बचा है। प्लॉट के ठीक सामने दो मंजिला मकान बना है, हमें तस्वीरें लेते देख घर से एक बुजुर्ग गेट पर आ गए। हमने पूछा, यह प्लॉट किसका है? इतना सुनते ही गुस्सा हो गए। कहा- ‘जिसने आपको यहां भेजा है, क्या उसने आपको नहीं बताया।’ फिर गेट बंद कर लिया।
50 साल पहले चला गया था शाइस्ता का परिवार, कभी-कभी आते हैं
वहां से हम फिर वापस मस्जिद की तरफ आ गए। यहां गांव प्रधान सुल्तान फिर मिल जाते हैं। अब थोड़ा शांत थे। हमने शाइस्ता पर बात करनी चाही तो बोले- ‘शाइस्ता के बारे में कैमरे पर कोई नहीं बोलेगा। शाइस्ता के परिवार के साथ जो हो रहा है, उसका इस गांव से कोई कनेक्शन नहीं है।’
सुल्तान आगे कहते हैं, ‘गांव के लोग शांति से जीना चाहते हैं। मेरे घर में बीते 45 साल से प्रधानी है। शाइस्ता के पिता मो. हारून यूपी पुलिस में सिपाही थे। उनकी इधर-उधर पोस्टिंग रहती थी। परिवार यहीं रहता था। शाइस्ता के जन्म के कुछ साल बाद पूरा परिवार यहां से चकिया शिफ्ट हो गया था। जो प्लॉट आपने देखा, वहां उनका बड़ा मकान था, खेती भी थी।’
‘शाइस्ता के कुछ रिश्तेदार भी यहां रहते थे, लेकिन ज्यादातर अब प्रयागराज में शिफ्ट हो गए हैं। गांव में अब भी परिवार की काफी इज्जत है। कभी-कभार हारून साहब और उनकी बेगम शादी-ब्याह में आते हैं, छह-सात महीने पहले भी आए थे। पहले शाइस्ता का आना-जाना होता था। एक-दो बार अतीक के साथ भी आई थीं।’
*प्रयागराज के चकिया में शाइस्ता के पिता का घर। गांव छोड़ने के बाद उन्होंने यही घर बनाया था*। 

शाइस्ता या अतीक से गांव का कोई नाता नहीं, जो किया है, भुगतना होगा
सुल्तान के साथ अहमद और शमीम भी बैठे थे। हमने सवाल किया कि अतीक या शाइस्ता के परिवार के साथ जो हो रहा है, उस पर क्या सोचते हैं। शमीम कहते हैं, ‘अतीक भाई से इस गांव का कोई रिश्ता नहीं है। हम भी कभी काम के सिलसिले में उनके यहां जाते थे। बाकी क्या हो रहा है, यह सभी देख रहे हैं। अब जो किया है, वह तो उन्हें और उनके परिवार को भुगतना ही पड़ेगा। बाकी सरकार को तो जानते ही हैं। सरकार से कौन लड़ पाया है। तो फिर अतीक की क्या बिसात है।’
अहमद शाइस्ता के पिता मो. हारून का जिक्र छेड़ते हुए कहते हैं, ‘सुना है कि वह भी फरार हो गए हैं। शाइस्ता के बाद उनकी तीन-चार औलादें और हैं। एक भाई पहले से जेल में है, एक गायब है। हो सकता है कि 80-85 साल के हारून भी बेगम के साथ किसी रिश्तेदार के यहां चले गए हों।’
*शहर वाला घर खुला छोड़ परिवार फरार, अतीक की डायरी मिली*
                            शाइस्ता के गांव से निकलकर हम 4 किमी दूर अतीक के घर चकिया पहुंचे। घर के सामने ही गली में चार-पांच मकान छोड़कर शाइस्ता के पिता मो. हारून का घर है। गेट पर लगी नेम प्लेट पर लिखा है ‘मो. हारून, पूर्व उप्र पुलिस’। दो मंजिला भव्य मकान के काले गेट पर ताला नहीं है।
शाइस्ता के पिता मोहम्मद हारुन का घर अभी खाली है। गेट पर ताला नहीं है, लेकिन दरवाजे खुले हैं। अतीक की हत्या के बाद से ही परिवार के लोग कहीं चले गए हैं। 
शाइस्ता के पिता मोहम्मद हारुन का घर अभी खाली है। गेट पर ताला नहीं है, लेकिन दरवाजे खुले हैं। अतीक की हत्या के बाद से ही परिवार के लोग कहीं चले गए हैं।
अंदर झांकने पर दिखा कि घर के अंदर दो दरवाजे हैं, दोनों खुले हैं। पड़ोसियों से बात की, तो पता चला कि अतीक की हत्या के बाद से ही परिवार कहीं चला गया है। घर की हालत देखकर लगता है कि सभी बड़ी जल्दी में निकले हैं। बहरहाल, कैमरे पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं हुआ। मो. हारून के घर के सामने बना एक आलीशान मकान जमींदोज दिखा। पता करने पर मालूम चला कि यह अतीक के किसी करीबी का घर था, जिसे पुलिस-प्रशासन ने ढहा दिया है।
*मोहम्मद हारुन के घर के सामने पड़ा घर का मलबा*. जो प्रशासन ने तोड़ दिया था।
मोहम्मद हारुन के घर के सामने पड़ा घर का मलबा, जो प्रशासन ने तोड़ दिया था।
शाइस्ता से शादी के 9 दिन बाद ही गिरफ्तार हो गया था अतीक
शाइस्ता 4 बहन और दो भाइयों में सबसे बड़ी है। शाइस्ता पिता के साथ प्रतापगढ़ पुलिस लाइन में लंबे समय तक रही। वो पुलिस के तौर-तरीके जानती है। पूर्व IPS लालजी शुक्ल कहते हैं, ‘अगस्त 1996 में अतीक की शादी हुई थी। उस समय मैं प्रयागराज में एसपी था। किसी मामले में मैंने शादी के 9 दिन बाद ही उसे गिरफ्तार किया था। शाइस्ता को तभी पता चल गया था कि उसकी जिंदगी अब ऐसे ही बीतने वाली है।’
लालजी शुक्ल आगे कहते हैं, ‘जब 2005 में राजूपाल हत्याकांड हुआ, तो अतीक-अशरफ चर्चा में आए। अतीक जेल गया था। तब शाइस्ता ने ही अतीक का काम संभाला था। इसके बाद 2018 में अतीक ने जेल से चुनाव लड़ने का ऐलान किया, तो शाइस्ता ने चुनाव का जिम्मा अपने बेटों के साथ संभाला। इससे साबित होता है कि शाइस्ता अतीक के गैंग में एक्टिव थी।’
शाइस्ता थी अतीक के गैंग की लीडर, उमेश की हत्या के दो दिन बाद हुई फरार
अतीक गैंग और शाइस्ता को करीब से समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट स्नेह मधुर बताते हैं, ‘अतीक ने ही शाइस्ता को राजनीति में उतारा और उसके बहाने बाजार में लगा अपना रुपया निकालने की कोशिश की।’
‘उमेश की हत्या से अतीक सभी को मैसेज देना चाहता था कि भले ही वो जेल में है, लेकिन उसके पैसे हड़पने वालों को छोड़ेगा नहीं। शाइस्ता कई बार उमेश को मारने वाले शूटरों साबिर, अरमान या फिर गुड्‌डू मुस्लिम के साथ नजर आती रही है। पुलिस सूत्रों ने भी पुष्टि की है कि अतीक के बाद शाइस्ता ही गैंग को लीड कर रही थी। ऐसे में उसे सिर्फ हाउस वाइफ समझना भूल ही होगी।’
सीनियर जर्नलिस्ट स्नेह मधुर कहते हैं, ‘शाइस्ता फरार है, ये साबित करता है कि उसे उमेश की हत्या के बारे में सब पता था। राजूपाल की हत्या के समय अतीक जेल में था, अशरफ फरार हुआ था। वो प्रयागराज की सड़कों पर दिख जाता, लेकिन पुलिस उसे फरार बताती थी। शाइस्ता के मामले में भी ऐसा ही लग रहा है।
पूर्व IPS लाल जी शुक्ल कहते हैं, ‘शाइस्ता परवीन का भी वही हश्र होना है, जो सभी अपराधियों का होता है। शाइस्ता हो सकता है सरेंडर कर दे या तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेगी या फिर उसका भी एनकाउंटर हो जाएगा। वह ज्यादा दिनों तक पुलिस की पकड़ से दूर नहीं रह पाएगी।’
May 07, 2023

हरियाणा CM घोषणाओं में देरी से नाराज:9 साल पहले की घोषणा पर नहीं हुआ काम; कमेटी बनाकर जांच के दिए निर्देश

हरियाणा CM घोषणाओं में देरी से नाराज:9 साल पहले की घोषणा पर नहीं हुआ काम; कमेटी बनाकर जांच के दिए निर्देश
चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणाओं में देरी होने को लेकर नाराजगी प्रकट की। उन्होंने 2015 में पुन्हाना में वेयरहाउस बनाने की घोषणा की समीक्षा करते हुए इसके क्रियान्वयन में हुई देरी पर प्रशासनिक सचिव की एक कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जिम्मेदारी तय करने और दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।

वर्ष 2014-2023 तक कुल 9962 सीएम घोषणाएं की गई हैं, जिनमें से 6555 घोषणाओं पर काम पूरा हो चुका है। 1179 अभी प्रगति पर हैं।
*CM ने डेडलाइन तय की*

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2020 तक की लंबित घोषणाओं को इस वर्ष में ही पूरा करने की डेडलाइन तय की है। इसके अलावा, वर्ष 2021, 2022 की परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री की तरफ से सभी प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए कि वे स्वयं CM घोषणाओं की नियमित समीक्षा बैठक करें। इसके साथ ही, सभी परियोजनाओं के लिए पीईआरटी चार्ट तैयार करें, ताकि परियोजनाओं की समय अवधि और पूर्ण प्रतिशतता की स्थिति स्पष्ट हो सके।
*देरी वाली घोषणाओं की सूची बनाएं अफसर*

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि परियोजनाओं का आवश्यक अध्ययन करने के बाद, ऐसी परियोजनाओं की एक अलग सूची तैयार की जाए, जो अभी संभव नहीं हैं, ताकि लंबित घोषणाओं की वास्तविक संख्या का पता लग सके। इसके अलावा, जो काम अलॉट हो गए हैं, उन्हें भी जल्द पूरा करवाया जाए।
*इन घोषणाओं पर चर्चा*

सीएम सिटी करनाल में प्राइमरी स्कूल खोलने की मुख्यमंत्री की घोषणा पर अधिकारियों ने सीएम को बताया कि इस गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल शुरू हो जाएगा। सिवानी तहसील के कुछ गांवों को भिवानी जिले से हिसार जिले में शामिल करने की सीएम घोषणा पर समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इसके लिए एक टीम गठित की जाए और इन सभी गांवों के सरपंचों के साथ ग्राम सभा की बैठकें आयोजित कर वहां के लोगों की सहमति प्राप्त की जाए, उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
*अनाज मंडी में प्लेटफार्म की समीक्षा*

इसके अलावा, अनाज मंडी डबवाली में प्लेटफार्म बनाने के संबंध में समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस संबंध में आज शाम तक प्रक्रिया पूरी की जाए और कार्य जल्द से जल्द शुरू करवाया जाए। विभिन्न स्थानों पर ऑफिसर्स आवास बनाने की घोषणाओं पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि प्रत्येक सब-डिविजन पर ऑफिसर्स आवास या फ्लैट बनाने के संबंध में एक कार्य योजना तैयार की जाए, ताकि अधिकारियों को रहने के लिए अच्छी व्यवस्था उपलब्ध हो सके।
*पार्क एवं व्यायामशालाओं की जिम्मेदारी आयुष विभाग को*
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि गांवों में बने पार्क एवं व्यायामशालाओं के रख-रखाव की जिम्मेवारी आयुष विभाग को सौंपी जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि गांवों में जिन परियोजनाओं में भूमि खरीद करने की आवश्यकता है, उसके लिए भूमि की खरीद दरों के बारे में गहन अध्ययन करने के बाद ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से ही की जानी चाहिए और इस कार्य के लिए सरपंचों व जिला परिषदों को शामिल किया जाए।
May 07, 2023

अंबाला में सरपंच का 'फर्जीवाड़ा':10वीं के फर्जी सर्टिफिकेट पर जीता चुनाव; जहां से पढ़ाई की वह काउंसिल की सूची में नहीं

अंबाला में सरपंच का 'फर्जीवाड़ा':10वीं के फर्जी सर्टिफिकेट पर जीता चुनाव; जहां से पढ़ाई की वह काउंसिल की सूची में नहीं
अंबाला : अंबाला जिले में 10वीं के फर्जी सर्टिफिकेट पर सरपंची का चुनाव जीतने का मामला सामने आया है। मामला बराड़ा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव नूरहद का है। CM विंडो पर शिकायत करने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच करने पर सामने आया है कि जिस बोर्ड से सरपंच ने 10वीं की है, वह कोई बोर्ड ही नहीं है।
*पुलिस ने सरपंच के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।*


*फर्जी सर्टिफिकेट पर लड़ा चुनाव*
अंबाला के गांव नूरहद निवासी जसविंदर सिंह ने बताया कि उनके गांव में 12 नवंबर 2022 को सरपंच पद का चुनाव हुआ था। आरोप लगाए कि मौजूदा सरपंच ने 10वीं के फर्जी सर्टिफिकेट के साथ चुनाव लड़ा था। आरोपी सरपंच पद का चुनाव भी जीत गया था।
*CM विंडो पर सौंपी थी शिकायत*

फर्जीवाड़ा उजागर करने के लिए जसविंदर सिंह ने CM विंडो पर सरपंच दिलबाग सिंह के खिलाफ शिकायत सौंपी थी। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच करने में सामने आया कि सरपंच दिलबाग सिंह के 10वीं क्लास का सर्टिफिकेट सेंट्रल बोर्ड ऑफ हाई एजुकेशन दिल्ली-44 का है, जबकि यह बोर्ड स्कूल शिक्षा बोर्ड परिषद द्वारा जारी किए गए रिकॉनाइज एजुकेशनल बोर्ड/काउंसिल की सूची में नहीं है।
*सरपंच ने जान से खत्म करने की धमकी दी*

इसके अलावा शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं भी प्रमाण पत्र पर दिए गए पते पर रजिस्टर्ड डाक से प्रमाण पत्र वेरिफाई करने के लिए लिखा गया था, लेकिन यहां से एड्रेस नॉट फाउंड के कारण डाक वापस आ गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि गांव के सरपंच दिलबाग सिंह ने उसे व उसके परिवार को जान से खत्म करने की धमकी दी है।