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Thursday, May 21, 2020

May 21, 2020

कुरुक्षेत्र में 70 कोरोना योद्धा कर्मचारियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, हटाए जाने पर दे रहे थे धरना

(अरुण) जिन कोरोना योद्धा को कल तक प्रदेश सरकार यहां तक की केंद्र सरकार फूल बरसा कर सम्मानित कर रही थी, आज उन्हीं कोरोना योद्धा को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के बाहर से गिरफ्तार किया गया। उनका सिर्फ कसूर यह था कि वह पिछले कई दिनों से अपने हक को लेकर सड़कों पर बैठे हुए थे और अपनी लड़ाई शांतिपूर्वक ढंग से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लड़ रहे थे।

प्रदेश की और केंद्र की सरकार ने भी बड़े-बड़े दावे किए थे कि कोविड-19 को भी नौकरी से नहीं हटाया जाएगा मगर यहां तो धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में एक ही झटके में इन 70 सफाई कर्मचारियों को एक ही कलम से हटा दिया गया और छिन गया इनके रोजी रोटी का निवाला

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड कार्यालय के बाहर पिछले कई दिनों से धरना दे रहे सफाई कर्मचारियों को आज कुरुक्षेत्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ साथ जननायक जनता पार्टी के थानेसर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके योगेश शर्मा और आम आदमी पार्टी के थानेसर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके सुमित हिंदुस्तानी सहित तमाम नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

पूरे विश्व में विख्यात ब्रह्मसरोवर पर यह साफ सफाई का कार्य करते थे। सफाई कर्मचारी जो कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड कार्यालय के बाहर पिछले कई दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे थे आज इनका धरना प्रदर्शन उग्र हो गया और कुरुक्षेत्र पुलिस को इन्हें पकड़कर एक विशेष बस द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय थाने में ले जाया गया।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीओ गगनदीप सिंह ने बताया कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने हटाए गए सफाई कर्मचारियों में से 30 सफाई कर्मचारियों को रख भी लिया था। मगर यह पिछले कई दिनों से अपनी और अन्य मांगों पर अडिग थे उसी को देखते हुए यह सफाई चरण कर्मचारी पिछले कई दिनों से कोविड-19 का उल्लंघन कर रहे थे आज इनको कुरुक्षेत्र पुलिस ने बसों में पकड़कर ले गए हैं और इनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने के आदेश भी दे दिए हैं।

डीएसपी अजय राणा ने बताया कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से हटाए गए 70 कर्मचारी पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे आज पुलिस ने इनको गिरफ्तार कर पुलिस थाने लाया गया है।

Thursday, May 7, 2020

May 07, 2020

महिला अधिकारी ही असुरक्षित है तो आम आदमी की सुरक्षा कहां होगी,भाजपा के नेता ने कोरोना संकट के नाम पर की करोड़ों की अवैध वसूली: दीपा शर्मा

(संजय) कुरुक्षेत्र : 7 मई। कांग्रेस पार्टी की प्रदेश महासचिव दीपा शर्मा ने आईएएस अधिकारी रानी नागर के इस्तीफे व महामारी कोरोना की आड़ में भाजपा नेताओं द्वारा की जा रही अवैध वसूली पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि एक महिला अधिकारी को जिस मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा, वो कई सवाल खड़े करता है।  उन्होंने कहा कि सरकार को एक महिला अधिकारी की तमाम चिंता और शिकायतों पर ध्यान देना चाहिए। उनके इस्तीफे को नामंजूर करते हुए, उन्हें वापस सेवाएं देने के लिए आग्रह करना चाहिए क्योंकि अगर प्रदेश की एक महिला अधिकारी ही खुद को असुरक्षित महसूस करेगी तो आम जनता कैसे ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर पाएगी। 
भाजपा नेता की अवैध वसूली पर बोलते हुए दीपा शर्मा ने कहा कि भाजपा के एक बड़े नेता पर शराब बंदी के दौरान शराब माफिया को प्रोत्साहन देने, कुछ डिपो पर हुए राशन वितरण घोटाले में लिप्त लोगों को संरक्षण देने और कोविड-19 के नाम पर करोड़ों रुपए की अवैध वसूली की बात कही। उन्होंने कहा कि भाजपा के बड़े नेता ने कोरोना संकट के दौरान हुए लॉकडाउन के दौरान करोड़ों रुपयों की शराब अवैध रूप से बेचने वाले शराब माफिया को संरक्षण दे रहे हैं। भाजपा सरकार ने गाडिय़ों को खरीदने, हवाई जहाज खरीदने में तथा कार्यक्रम करने में सरकार का बजट खर्च कर दिया। संकट के समय सरकार ने दोनों हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के दौरान शहर में धार्मिक संस्थाओं निर्मल कुटिया, डेरा कार सेवा, माडल टाउन गुरुद्वारा, मानव सेवा संघ, जैन मंदिर, जैन मनोहर मुनि आराधना जैन मंदिर इंद्री रोड, समाजिक संस्थाओं निफा, मां झंडे वाली सेवा समिति, कोविड-19 लक्ष्य जनहित सोसायटी नीड फोर पीपुल शहर के तमाम गुरुद्वारों के साथ डाक्टरों नर्सों, पार्षदों आंगनवाड़ी कर्मियों, प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पुलिस अफसरों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने इनमें से अधिकतर का नाम नहीं लिया।
जरूत पढ़े- प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में लॉकडाउन में ढील देने के लिए तुरंत प्रभाव से संशोधित दिशा- निर्देशों को स्वीकृति प्रदान की है।

Thursday, April 30, 2020

April 30, 2020

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर आशीष दांगी की खुदकुशी मामले में सीएम ने दिए CBI जांच के आदेश

(अरुण मलिक)कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर आशीष दांगी की खुदकुशी मामले में अब हरियाणा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इस मामले में सीएम ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। आज चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने कुरुक्षेत्र में खाद्य आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर आशीष दांगी की खुदकुशी मामले को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी जिसके बाद सीएम ने सीबीआई जांच के आदेश दिए।
आपको बता दें कि कुरुक्षेत्र में तैनात खाद्य आपूर्ति विभाग इंसपेक्टर आशीष दांगी ने अपने किराये के मकान में खुदकुशी कर ली थी, उनकी एक वीडियो सामने आई थी, वही मृतक की पत्नी ने उचच अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाया था। 

Wednesday, April 29, 2020

April 29, 2020

पेहवा के पास दर्दनाक हादसे में बरौदा सोनीपत के पहलवान व कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप पदक विजेता रिटायर्ड डीआईजी राजेन्द्र सिंह मोर के पुत्र इंस्पेक्टर अजय मोर का निधन

 (अरुण मलिक) हरियाणा पुलिस के पूर्व डीआईजी राजेंद्र मोर के पुत्र एवं पुलिस इंस्पेक्टर अजय मोर की पिहोवा में हुए दर्दनाक हादसे में मौत हो गई। ये हादसा बुधवार रात को करीब 11 बजे हुआ। हादसे की सूचना पर पिहोवा पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कार सेनिकालकर पोस्टमार्टम के लिये कुरुक्षेत्र के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल भेजा है, जहां वीरवार को शव का पोस्टमार्टम होगा।
जानकारी के अनुसार पिहोवा मोड पर अज्ञात वाहन की टक्कर लगने से कार सवार हरियाणा पुलिस के एक इंस्पेक्टर की मौत हो गई थी। जांच अधिकारी लखविंद्र सिंह के मुताबिक अजय मोर स्पेशल टास्क फोर्स में तैनात थे और पिछले कुछ समय से उनकी ड्यूटी पिहोवा में थी। बुधवार को वे पिहोवा से अपनी ड्यूटी पूरी करके अपनी गाड़ी में घर लौट रहे थे। इस दौरान कुरुक्षेत्र के पिहोवा में मोड के समीप एक अज्ञात वाहन ने अजय मोर की गाड़ी को टक्कर मार दी। इस हादसे में उनकी गाड़ी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई थी । पिहोवा थाना प्रभारी ने बताया कि अज्ञात वाहन की तलाश जारी है। अजय मोर मूल रूप से जिला सोनीपत के गांव बरोदा के रहने वाले थे ।

Monday, April 27, 2020

April 27, 2020

कुरुक्षेत्र मे रह रहे रोहतक निवासी फूड इंस्पेक्टर ने की खुदकुशी

(अरुण मलिक)- कुरूक्षेत्र- आज कुरुक्षेत्र में फूड इंस्पेक्टर के खुदकुशी करने का मामला सामने आया है। इंस्पेक्टर आशीष दांगी की पत्नी ने उच्च अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। आपके बता दे कि  आजआशीष दांगी ने जहरीला पदार्थ निगलकर खुदकुशी की है। मिली जानकारी के मुताबिक मृतक फूड सप्लाई इंस्पेक्टर मूलरूप से रोहतक के मदीना गांव का रहने वाला था। 29 वर्षीय आशीष दांगी किराये के मकान में रह रहा था। आशीष के साथ उनकी पत्नी और तीन साल का बेटा भी रहता था। करीब 15 दिन पहले ही पत्नी और बेटे को मायके छोड़कर आया था। उसके पास कुरुक्षेत्र में पीआर सेंटर का कार्यभार था वहीं खरीद केंद्र का कार्यभार भी दस दिन पहले ही मिला था।
मृतक आशीष की पत्नी ने अब पुलिस को बताया कि उनके साथ रोजाना फोन पर बातचीत होती रहती थी। हाल ही में बताया था कि वह मानसिक रुप से परेशान हो रहा है। उसने बताया कि विभागीय अधिकारी उसे गबन के मामले मे झूठा फंसाकर निकलवा देंगे। मृतक आशीष की पत्नी ने बताया कि उनपर दबाव बनाया जा रहा था और उसे फंसाने की कोशिश की जा रही थी। इसी से परेशान होकर अब यह कदम उठाया था। इस मामले में थाना प्रभारी जसपाल सिंह ने बताया कि मृतक की पत्नी की शिकायत पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया गया है। एफएसएल से जांच करवाई जाएगी उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

Friday, April 10, 2020

April 10, 2020

एसिड अटैक पीड़ितों को 15 दिन के भीतर मिले एक लाख अंतरिम मुआवजा


चंडीगढ़, 9 अप्रैल। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एसिड अटैक पीड़ितों को 15 दिन के अंदर अंतिम मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब के मुख्य सचिव व चडीगढ़ प्रशासन को निर्देश दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा लक्ष्मी बनाम यूनियन आफ इंडिया केस में दिए गए दिशा निर्देश के तहत एसिड अटैक विक्टिम को घटना के पंद्रह दिम के भीतर एक लाख का मुआवजा देना सुनिश्चित करे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश को निर्देश दिया था कि एसिड अटैक की घटना सामने आने के तुरंत बाद विक्टिम को पंद्रह दिन के भीतर एक लाख का मुआवजा जारी किया जाए व सरकार अपने खर्चे पर उसको तुरंत बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाए। इसके अलावा दो महीने के भीतर अन्य मुआवजा राशि का भुगतान भी किया जाए।
हाईकोर्ट ने यह आदेश तेजाब हमले के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए। इस मामले में बेंच ने सरकार को पिछली सुनवाई पर विक्टिम को मुआवजा के तीन लाख रुपये जारी करने के निर्देश दिए थे। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र ने बेंच को बताया कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद भी विक्टिम को अभी तक किसी भी तरह की कोई वित्तीय सहायता या इलाज की सुविधा नही दी गई।
अधिकारी इस मामले को सामान्य मामले की तरह लेकर लापरवाही से काम कर रहे हैं। बेंच ने इस पर सख्त रूप अपानते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में साफ कर चुका है विक्टिम को सरकार की तरफ से तुरंत निशुल्क इलाज व पंद्रह दिन के भीतर एक लाख का मुआवजा दिया जाए तो सरकार इसकी पालना क्यों नहीं कर रही। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वो दो सप्ताह के भीतर विक्टिम को मुआवजा देकर उसका निशुल्क इलाज निश्चित करे।