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Sunday, August 21, 2022

August 21, 2022

मेगा एम्पायरजॉनसन एंड जॉनसन 136 साल पुरानी कंपनी:8 महिलाओं के साथ शुरू हुई, अब महिलाओं ने कंपनी पर 38 हजार केस किए

मेगा एम्पायरजॉनसन एंड जॉनसन 136 साल पुरानी कंपनी:8 महिलाओं के साथ शुरू हुई, अब महिलाओं ने कंपनी पर 38 हजार केस किए

जॉनसन एंड जॉनसन…फार्मा जगत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक जिसकी 60 से अधिक देशों में 275 से अधिक ऑपरेटिंग कंपनियां हैं। दुनिया भर में करीब डेढ़ लाख कर्मचारी, वहीं भारत में लगभग 6 हजार लोग इस कंपनी में काम करते हैं। 1886 में जॉनसन एंड जॉनसन की स्थापना हुई थी, तब कंपनी के पहले 14 कर्मचारियों में से 8 महिलाएं थीं। 2013 में "वर्किंग मदर" मैगजीन ने जॉनसन एंड जॉनसन को वर्किंग मदर्स के लिए सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में से एक बताया था। आज यही कंपनी महिलाओं द्वारा दायर लगभग 38 हजार से ज्यादा मुकदमों का सामना कर रही है।

*आज मेगा एम्पायर में जानिए जॉनसन एंड जॉनसन के बारे में…*

एक भाषण से प्रेरित होकर तीन भाइयों ने शुरू की थी जॉनसन एंड जॉनसन
जॉनसन ब्रदर्स: रॉबर्ट वुड, जेम्स वुड और एडवर्ड मीड जॉनसन (बाएं से दाएं)

साल था 1886, जब तीन भाइयों - रॉबर्ट वुड जॉनसन, जेम्स वुड जॉनसन और एडवर्ड मीड जॉनसन ने अमेरिका के न्यू जर्सी में जॉनसन एंड जॉनसन की नींव रखी। कहा जाता है कि 1885 में एंटीसेप्टिक एडवोकेट जोसेफ लिस्टर के एक भाषण को सुनने के बाद जॉनसन भाइयों को यह बिजनेस शुरू करने की प्रेरणा मिली। यह वो वक्त था, जब अमेरिका में बहुत बड़े स्तर पर इंफ्रा का निर्माण हो रहा था। रेल लाइंस बिछाई जा रही थीं। ऐसे में छोटी-छोटी दुर्घटनाएं बहुत होती थीं। इस समय तक रेडी टू यूज सर्जिकल किट के बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था। इसी विचार ने तीनों जॉनसन भाइयों को यह कंपनी बनाने का आइडिया दिया।रॉबर्ट वुड जॉनसन कंपनी के पहले प्रेसिडेंट बने और सैनिटेशन प्रैक्टिस में सुधार के लिए काम शुरू किया। जॉनसन एंड जॉनसन ने सबसे पहले एक फर्स्ट एड किट बनाई, जिसे रेलकर्मियों की मदद के लिए डिजाइन किया गया था।
*मैटरनिटी किट और बेबी पाउडर से हर घर तक पहुंचा जॉनसन*

1894 में मैटरनिटी किट के लॉन्च के साथ जॉनसन एंड जॉनसन का हेरिटेज बेबी बिजनेस शुरू हुआ। इन किट का उद्देश्य बच्चे के जन्म के वक्त मां और बच्चे को हर रुप से सुरक्षित रखना था। इसी साल जॉनसन का बेबी पाउडर भी बिक्री के लिए मार्केट में आया। यह बेहद सफल रहा। रॉबर्ट वुड जॉनसन की पोती- मैरी ली की तस्वीर बेबी पाउडर के डिब्बे पर आई। मैरी…पहली वो बच्ची थी, जिसकी तस्वीर को बेबी पाउडर के प्रचार के लिए इस्तेमाल किया गया।

*जॉनसन एंड जॉनसन के फार्मा किंग बनने की कहानी*

1959 में, जॉनसन एंड जॉनसन ने अमेरिका में McNeil Laboratories का अधिग्रहण किया और यूरोप में Cilag Chemie, AG का भी अधिग्रहण किया। इन दो अधिग्रहणों ने कंपनी को पहली बार फार्मा के क्षेत्र में एक एंपायर के रूप में स्थापित किया। इसके बाद जॉनसन एंड जॉनसन ने बच्चों के लिए पहला एस्पिरिन मुक्त पेन रिलीवर लॉन्च किया, जो बेहद हिट रहा।
*एक कर्मचारी की पत्नी को चोट लगी…तब डेवलप हुई बैंड एड*

अर्ले डिक्सन जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में काम करते थे। उनकी पत्नी जोसेफिन जब भी किचन में काम करतीं तो कई बार उन्हें चोट लग जाती थी। वे चोट पर तुरंत कपड़े की पट्टी लगा लेती थीं, लेकिन बिना प्रॉपर सपोर्ट के कारण पट्टी जल्द ही सरक कर गिर जाती था। इसी से अर्ले डिक्सन को एक आइडिया आया। उन्होंने दवाओं की ढेर सारी रेशमी पट्टियों को स्क्वायर में काटा और उसको टेप के ऊपर चिपका दिया। कंपनी के मालिक जेम्स वुड ने जब अर्ले से इस बैंडेज के बारे में सुना तो वे भी चौंक गए। यह आइडिया कंपनी में सभी को इतना पसंद आया कि उसी तर्ज पर कंपनी ने 1920 के बाद से ‘बैंड-एड’ बनाने शुरू कर दिए। और जल्द ही अर्ले डिक्सन को कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट भी बना दिया गया।

*कोविड में कंपनी ने बनाई फ्रीज ना करने वाली सिंगल डोज वैक्सीन*

कोविड से लड़ने के लिए जॉनसन एंड जॉनसन ने जिस सिंगल डोज वैक्सीन का निर्माण किया, उसे अस्पताल भेजे जाने तक फ्रीजर में रखने की जरूरत नहीं थी। इससे पहले कभी भी वैक्सीन टेस्टिंग और उसका निर्माण इतनी तेजी से नहीं हुआ था। जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना वायरस से जीन लेकर ह्यूमन सेल तक पहुंचाने के लिए एडीनोवायरस का इस्तेमाल किया था। एडीनोवायरस का काम वैक्सीन को ठंडा रखना होता है, लेकिन इसे फ्रीज करने की जरूरत नहीं होती है।
*रेवेन्यू में आज भी जॉनसन सबसे बड़ी फार्मा कंपनियों में से एक*

जॉनसन एंड जॉनसन ने कोविड-19 से लड़ने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ साझेदारी कर स्वयं के टीके पर काम शुरू किया था। शुरुआत में कंपनी की स्थिति बाकी कंपनियों की तरह कोविड से प्रभावित हुई। लेकिन कंपनी अपने कई प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के डबल डोज वाले दृष्टिकोण के विपरीत, अपनी सिंगल डोज वैक्सीन के साथ आगे बढ़ी। मौजूदा समय में कंपनी कई अहम प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। जिसमें लीजेंड बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित सीएआर-टी थेरेपी शामिल है। रेवेन्यू के मामले में आज भी जॉनसन एंड जॉनसन दुनिया की सबसे बड़ी फार्मा कंपनियों में से एक बनी हुई है। 2021 में कंपनी का रेवेन्यू 93.77 बिलियन डॉलर(करीब 7 करोड़ रुपए) था।
*हर घर में मिलने वाला 128 साल पुराना जॉनसन पाउडर बंद हो रहा है*

जॉनसन बेबी टैल्क पाउडर 1894 से बेचा जा रहा है। फैमिली फ्रेंडली होने की वजह से यह कंपनी का सिंबल प्रोडक्ट बन गया था। जॉनसन एंड जॉनसन का बेबी पाउडर सबसे प्रसिद्ध टैल्कम पाउडर में से एक रहा है। 128 सालों से यह हर घर का हिस्सा बना हुआ है। भारत में 1947 से जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा स्थानीय रूप से टैल्कम पाउडर बेचा जाता है। भारत में निर्मित टैल्कम पाउडर को श्रीलंका, नेपाल, मालदीव जैसे पड़ोसी देशों में भी बेचा जाता है। जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी अपना बेबी पाउडर 2023 से बेचना बंद कर देगी। अब कंपनी टैल्क बेस्ड पाउडर की जगह कॉर्न स्टार्च बेस्ड पाउडर लाएगी। कंपनी का पाउडर अमेरिका और कनाडा में सालभर पहले ही बंद हो चुका है। कंपनी ने कहा है कि अमेरिका में चल रहे हजारों कंज्यूमर सेफ्टी केस के चलते इस प्रॉडक्ट की बिक्री बंद कर दी गई है। हालांकि जॉनसन एंड जॉनसन ने लगातार इन दावों से इनकार किया है कि उसके प्रोडक्ट कैंसर का कारण बन सकते हैं।
August 21, 2022

हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए बुरी खबर:दूसरे राज्य में ट्रायल देने के बाद अपने स्टेट में नहीं दे पाएंगे, निदेशालय की अनुमित अनिवार्य

हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए बुरी खबर:दूसरे राज्य में ट्रायल देने के बाद अपने स्टेट में नहीं दे पाएंगे, निदेशालय की अनुमित अनिवार्य

करनाल : हरियाणा के खिलाड़ियों कि लिए बुरी खबर है कि अब खिलाड़ी राज्य के बाहर ट्रायल देने के बाद दोबारा अपने राज्य में ट्रायल नहीं दे पाएंगे। खेल निदेशालय की ओर से पत्र जारी करके यह निर्देश दिए गए हैं। पहले जहां खिलाड़ी किसी राज्य में होने वाली नेशनल प्रतियोगिताओं में ट्रायल दे देता था, तब वह अपने राज्य में भी उसी प्रतियोगिता का ट्रायल दे सकता था, फिर जहां खिलाड़ी का चयन हो जाता था, वह वहां पर खेल सकता था।

अब ऐसा नहीं होगा। खेल निदेशालय की ओर से जारी पत्र में साफ-साफ निर्देश दिए गए हैं कि अगर प्रदेश का कोई भी खिलाड़ी एक राज्य में ट्रायल देने के बाद वहां सेलेक्ट हो जाता है और दूसरे राज्य में उसी प्रतियोगिता का ट्रायल देता है और वहां भी उसका सेलेक्शन हो जाता है और पहली जगह सिलेक्शन होने के बाद वहां पर न खेल कर अपने राज्य के लिए खेलता है तो उस खिलाड़ी को विभाग की तरफ से मिलने वाले लाभ नहीं मिलेंगे।
*कई राज्यों में खाली रह जाती थीं खिलाड़ियों की सीटें*

बता दें कि पहले खिलाड़ियों के ऊपर कोई पाबंदी नहीं थी। वह किसी भी राज्य में जाकर नेशनल प्रतियोगिता का ट्रायल दे देता था। वहां उसका सेलेक्शन हो जाता था। उसके बाद जब उसी नेशनल प्रतियोगिता का ट्रायल हरियाणा में होता था तो वह ट्रायल दे देता था। अगर हरियाणा की टीम में उसका सेलेक्शन हो जाता था तो वह दूसरे राज्य से न खेल कर अपने राज्य से खेलता था। खिलाड़ी द्वारा उस राज्य की तरफ से न खेलने पर वहां के खिलाड़ी की सीट खाली रह जाती थी।

इसका खामियाजा राज्य और अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भुगतना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब एक जगह ट्रायल देने के बाद दूसरी जगह ट्रायल देने से पहले विभाग से परमिशन लेनी होगी। परमिशन न लेने पर विभाग की तरफ से दी जानी वाली सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी। अगर विभाग परमिशन दे देता है तो वह दोबारा ट्रायल दे सकता है।
*लेनी होगी खेल विभाग की अनुमति*

खेल विभाग की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि हरियाणा के जिन खिलाड़ियों का चयन राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में ट्रायल के माध्यम से किया गया है। वे चयनित खिलाड़ी दूसरे राज्य से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए ट्रायल नहीं देंगे। यदि वे चयनित खिलाड़ी किसी दूसरे राज्य की प्रतियोगिता के लिए चयन ट्रायल देते हैं तो उसे खेल नीति का कदाचार माना जाएगा।

उसे भविष्य में खेल विभाग हरियाणा की ओर से किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाएगा। अगर किसी खिलाड़ी का चयन हरियाणा राज्य की ओर से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता के लिए ट्रायल के माध्यम से नहीं हुआ है और वह किसी दूसरे राज्य की ओर से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में प्रतिभागिता करना चाहता है तो भी उसके द्वारा खेल विभाग हरियाणा से ट्रायल के लिए अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
*क्या कहते हैं खेल अधिकारी...*

जिला खेल अधिकारी अशोक दुआ ने बताया कि खेल निदेशालय की तरफ से पत्र जारी किया गया है, जिसे स्टेडियम के गेट पर चस्पा दिया गया है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए अगर हरियाणा का खिलाड़ी दूसरे राज्य की टीम का हिस्सा बनता है तो उसे विभाग से परमिशन लेनी होगी। ऐसा न करने पर उसे सभी सुविधाओं से वांछित रहना पड़ेगा।

Saturday, August 20, 2022

August 20, 2022

आमिर की फिल्म लाल सिंह चड्ढा के समर्थन में सपना चौधरी, बोलीं- बिना देखे बॉयकॉट ठीक नहीं है...

आमिर की फिल्म लाल सिंह चड्ढा के समर्थन में सपना चौधरी, बोलीं- बिना देखे  बॉयकॉट ठीक नहीं है...

पानीपत :  हरियाणवी कलाकार सपना चौधरी ने लाल सिंह चड्ढा के सोशल मीडिया के बॉयकॉट पर कहा कि ये सही नहीं है। वह अपने नए सॉन्ग के प्रमोशन के लिए पानीपत पहुंची थीं। सपना चौधरी ने कहा कि बिना देखे बॉयकॉट करना ठीक नहीं है। कल को कोई मेरे प्रोजेक्ट का बॉयकॉट करेगा तो मुझे गलत लगेगा। पानीपत में पत्रकारों ने सपना चौधरी से कई सवाल किए। इनमें आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा के विरोध में सोशल मीडिया पर चल रहे कैंपेन पर जब सवाल पूछा तो सपना ने कहा कि इस तरह किसी भी प्रोजेक्ट का विरोध नहीं करना चाहिए। उसे पहले देखा जाना चाहिए। हरियाणवी कलाकार सपना चौधरी ने लाल सिंह चड्ढा के विरोध पर कहा कि वह अपने नए सॉन्ग के प्रमोशन के लिए पानीपत आई हैं। इससे उन्हें कई उम्मीदें हैं। उन्हें हरियाणा के लोगों ने बहुत सम्मान दिया है। 
*हरियाणा की भाषा में यादगार फिल्म बनाने का है सपना*

सपना चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अपनी मां बोली भाषा हरियाणवी में एक अच्छे लेवल की फिल्म बनाना चाहती हैं, जो कि यादगार बन जाए। सपना ने कहा कि अब हरियाणा के कलाकारों को शूटिंग करने के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इससे स्थानीय कलाकारों को भी काफी लाभ होगा। 
*हर घर तिरंगा अभियान कार्यक्रम पर गर्व है*

हरियाणा सरकार जल्द ही फिल्म सिटी बनाने जा रही है। हर घर तिरंगा अभियान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि हम अपने घर पर अपने दिल में तिरंगा लगा रहे हैं।
August 20, 2022

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ की खबर का असर वृद्ध से मारपीट में बहू पर केस:103 साल के व्यक्ति से मारपीट का वीडियो वायरल होने पर पुलिस की कार्रवाई

जींद में वृद्ध से मारपीट में बहू पर केस:103 साल के व्यक्ति से मारपीट का वीडियो वायरल होने पर पुलिस की कार्रवाई
जींद : हरियाणा के जींद जिले के गांव अलेवा में 103 वर्षीय बुजुर्ग के साथ मारपीट करने के मामले में पुलिस ने उसकी पुत्र वधू के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। मारपीट किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर अलेवा थाना पुलिस हरकत में आयी थी। अभी महिला की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
*ये था मामला*

बता दें कि सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में एक महिला वृद्ध पर ज्यादती करते हुए दिखाई दी। उसके साथ मारपीट कर रही है और गली में दुर्व्यवहार करते हुए एक तरह से घसीट कर ले जा रही है। वीडियो वायरल होने का मामला अलेवा थाना पुलिस के संज्ञान में भी आया। जिस पर अलेवा थाना पुलिस ने अपने क्षेत्र में जांच की तो यह वीडियो 103 वर्षीय गांव अलेवा निवासी सुरजन के घर का मिला।

*छोटी बहू ने वायरल किया वीडियो*

सुरजन के साथ उसकी पुत्रवधू राजपति मारपीट कर रही थी। जिसका वीडियो गली में ही खड़े किसी व्यक्ति ने बनाया था। 2 दिन पहले यह वीडियो सुरजन के छोटे बेटे की बहू पूनम के हाथ लग गया। जिसने यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने पर अलेवा थाना पुलिस ने पूनम की शिकायत पर जेठानी राजपति के खिलाफ मारपीट करने सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
*केस दर्ज, गिरफ्तारी नहीं*

अलेवा थाना प्रभारी बीरबल ने बताया कि मामला संज्ञान में आने पर वह सुरजन के घर गए थे। फिलहाल सुरजन के छोटे बेटे की बहू पूनम की शिकायत पर राजपति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
August 20, 2022

जालोर: दलित छात्र की मौत मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत 5 के खिलाफ केस दर्ज

जालोर: दलित छात्र की मौत मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह समेत 5 के खिलाफ केस दर्ज

राजस्थान के जालोर में दलित छात्र की मौत मामले में पुलिस ने गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आरोपी टीचर को जेल भेज दिया है। वहीं इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज है। इस बीच मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के समेत पांच लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया है। आरोप है कि दिग्विजय सिंह ने आरोपी शिक्षक को RSS से जोड़ा । इसको लेकर RSS से जुड़े जालोर निवासी मधुसूदन व्यास ने कोतवाली मे मामला दर्ज करवाया है। 
उधर, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता ने दिग्विजय सिंह, उदितराज, संदीप सिंह, हंसराज मीणा व गौतम कश्यप के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि उक्त नेताओं ने स्कूल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बताया था और इन लोगों ने इस प्रकार का ट्वीट लिखकर हिन्दू समाज के एक वर्ग के लोगों को संघ के विरुद्ध भड़काने का काम किया है। 
*मामले की जांच के लिए SIT गठित*

बता दें कि गहलोत सरकार ने दलित छात्र की मौत मामले की परिवार की मांग पर एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं। ये जांच देवाराम चौधरी की अध्यक्षता में की जाएगी। वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपनी ही सरकार पर निशाना साधते नजर आए। उन्होंने कहा था कि फिर कोई घटना होगी तब हम एक्शन लेंगे? इस सिस्टम को बदलना होगा। आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। जिस तरह से जातिगत भेदभाव हो रहा है और यह घटना हुई है, वो कहीं ना कहीं बड़े सवाल खड़े करती है। 

*ये है पूरा मामला*

गौरतलब है कि जालोर में 9 साल के एक बच्चे ने जब स्कूल के मटके को पानी पीने के लिए छुआ, तो उसे स्कूल टीचर ने इतना पीटा कि उसकी कान की नस फट गई। बाद में जब उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया तो इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। वहीं स्कूल प्रशासन का दावा है कि किसी भी बच्चे को पानी पीने से नहीं रोका गया था, बल्कि एक झगड़ा हुआ था, जिसके बाद शिक्षक ने हाथ उठाया।

Thursday, August 18, 2022

August 18, 2022

BJP का राव इंद्रजीत को ‘जोर का झटका’:संसदीय बोर्ड में सुधा यादव को एंट्री देकर पार्टी का दो टूक संदेश- और नहीं झुकेंगे

BJP का राव इंद्रजीत को ‘जोर का झटका’:संसदीय बोर्ड में सुधा यादव को एंट्री देकर पार्टी का दो टूक संदेश- और नहीं झुकेंगे

रेवाड़ी : हरियाणा में अहीरवाल की सियासत को अपने हिसाब से हांकने वाले राव इंद्रजीत की BJP में मुश्किलें बढ़ती जा रही है। हरियाणा BJP के नेताओं को राव इंद्रजीत पहले दिन से फूटी आंख नहीं सुहाते और अब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी उन्हें सबक सिखाने के मूड में दिख रहा है। BJP के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने 11 मेंबरी संसदीय बोर्ड में हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली सुधा यादव को शामिल कर राव इंद्रजीत को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि उनके आगे अब और नहीं झुका जाएगा।


राव इंद्रजीत इस समय हरियाणा के गुरुग्राम से BJP सांसद और मोदी सरकार में सांख्यिकी मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री हैं। राव इंद्रजीत दक्षिणी हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में मजबूत पकड़ रखते हैं और इस बेल्ट में आज तक उनके कद का कोई दूसरा नेता नहीं उभर पाया। यही वजह है कि वह अहीरवाल की राजनीति को अपने हिसाब से चलाते रहे हैं मगर अब BJP के अंदर उन्हें यहां से चुनौती मिलती दिख रही है।
BJP के केंद्रीय संसदीय बोर्ड में इकलौती महिला के तौर पर जगह पाने वाली सुधा यादव अहीरवाल बेल्ट में पड़ते रेवाड़ी जिले की रहने वाली हैं। सुधा यादव कारगिल में शहीद हुए BSF के डिप्टी कमांडेंट सुखबीर यादव की पत्नी हैं और अहीरवाल में राव इंद्रजीत के विरोधी गुट से ताल्लुक रखती हैं। 1999 के लोकसभा चुनाव में सुधा यादव गुरुग्राम सीट से राव इंद्रजीत को हरा भी चुकी हैं। तब राव इंद्रजीत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक थे जबकि सुधा यादव का वह पहला लोकसभा चुनाव था।
*पहले भूपेन्द्र यादव और अब सुधा की एंट्री*

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दक्षिणी हरियाणा से ही ताल्लुक रखने वाले भूपेन्द्र यादव को अपनी सरकार में मंत्री बनाया। भूपेंद्र यादव राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा मेंबर हैं और नरेंद्र मोदी के साथ-साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के खास हैं। भूपेन्द्र यादव मूलरूप से गुरुग्राम के रहने वाले हैं। केंद्र में मंत्री बनने के बाद भूपेंद्र यादव ने गुरुग्राम में आवास भी बना लिया। राव इन्द्रजीत और भूपेन्द्र यादव के बीच की दूरियां जग जाहिर है। ऐसे में भूपेंद्र यादव के बाद रेवाड़ी जिले की सुधा यादव का भाजपा के संसदीय बोर्ड में शामिल होना राव इन्द्रजीत के लिए दूसरा तगड़ा झटका है।

*1999 में राव को हरा चुकी सुधा यादव*

सुधा यादव मूलरूप से रेवाड़ी जिले के धामलावास गांव की रहने वाली हैं। उनके पति सुखबीर यादव BSF में डिप्टी कमांडेंट थे और कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। कारगिल के बाद 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महेन्द्रगढ़ लोकसभा सीट से सुधा यादव को टिकट दिया। राव इंद्रजीत तब महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे और वह सुधा यादव से चुनाव हार गए। भाजपा ने अगली बार भी सुधा यादव को राव के खिलाफ मैदान में उतारा मगर वह जीत नहीं पाईं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राव इन्द्रजीत भाजपा में शामिल हो गए और तब से वह गुरुग्राम से BJP के सांसद हैं।
*हरियाणा में कई वरिष्ठ नेता, सुधा की एंट्री ने चौंकाया*

हरियाणा में BJP के कई सीनियर नेता हैं लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी जगह संसदीय बोर्ड में सुधा यादव को शामिल कर सबको चौंका दिया। दरअसल सुधा यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करीबी हैं। सुधा यादव इससे पहले भाजपा की राष्ट्रीय सचिव भी रह चुकी हैं। सुधा यादव ओबीसी से आती हैं। भाजपा नेतृत्व ने उनके जरिये पूरे देश के ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश की है। इसके अलावा सुधा यादव कारगिल शहीद की पत्नी भी हैं। ऐसे में सैनिक परिवारों को भी मैसेज देने की कोशिश की गई।

*राव इन्द्रजीत का निशाना सिर्फ प्रदेश के नेताओं पर*

राव इन्द्रजीत दक्षिणी हरियाणा के कद्दावर नेता हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले तक दक्षिण हरियाणा और अहीरवाल बेल्ट में भाजपा बेहद कमजोर थी। राव इन्द्रजीत के BJP में आने के बाद यहां पार्टी की ताकत बढ़ी लेकिन 8 साल बाद भी राव इन्द्रजीत खुद को BJP में सहज नहीं पा रहे। पिछले काफी समय से वह बगावती तेवर दिखा रहे हैं। हालांकि राव इंद्रजीत ने BJP के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा। उनके निशाने पर हमेशा से हरियाणा भाजपा के नेता और राज्य की सरकार ही रही।

भाजपा संसदीय बोर्ड समिति की नई लिस्ट।

Wednesday, August 17, 2022

August 17, 2022

ईरान के तेहरान में छाया करनाल का छोरा:वॉलीबाल में थाईलैंड की टीम को हराया, कल कोरिया के खिलाड़ियों के साथ मुकाबला

ईरान के तेहरान में छाया करनाल का छोरा:वॉलीबाल में थाईलैंड की टीम को हराया, कल कोरिया के खिलाड़ियों के साथ मुकाबला

करनाल : हरियाणा के करनाल जिले के गांव पोपड़ा का छोरा शेखर ईरान में छाया हुआ है। अंडर-18 वॉलीबॉल की भारतीय टीम में कुछ दिन पहले उसका चयन हुआ था और अब भारत की टीम ईरान (तेहरान) में आयोजित एशियन वॉलीबॉल चैम्पियनशिप खेल रही है।
मंगलवार को भारतीय टीम का मैच थाईलैंड के साथ हुआ था, जिसमें टीम ने काफी अंको के मार्जन से थाईलैंड की टीम को मात दी। करनाल के छोरे शेखर ने मैच में खूब दमखम दिखाया। कल यानी मंगलवार को भारतीय टीम का मैच कोरिया के साथ होने जा रहा।

*किसान परिवार से है शेखर*

बता दें कि करनाल के गांव पोपड़ा के रहने वाला शेखर एक साधारण किसान के परिवार से है। उससे पहले परिवार के किसी भी सदस्य का खेलों से कोई नाता नहीं रहा है। अपनी मेहनत और काबिलियत के बलबूते शेखर का चयन भारत की वॉलीबॉल अंडर-18 टीम में हुआ है।
*टीम के अन्य खिलाड़ियों के साथ शेखर।*

*12वीं कक्षा का विद्यार्थी शेखर*

शेखर जब चोरकारसा के स्कूल में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर रहा था तो प्रशिक्षक प्रवीण के नेतृत्व में चांद कौर अकादमी में वॉलीबॉल खेलना शुरू किया। 17 वर्षीय शेखर की फुर्ती और ऊंचे कद के कारण उसकी वॉलीबॉल में पहचान बनी और बेहतरीन प्रदर्शन के चलते भारतीय खेल प्राधिकरण कुरूक्षेत्र में शेखर का चयन हो गया। फिलहाल शेखर 12वीं का विद्यार्थी है और कुरूक्षेत्र में ही पढ़ाई के साथ-साथ वॉलीबॉल का अभ्यास करता है।
*देश के लिए मेडल जीतने का लक्ष्य*

शेखर के मामा अरविंदर मेहला ने बताया कि शेखर का लक्ष्य देश की सीनियर वॉलीबॉल टीम में खेलकर मेडल जीतने का है। वॉलीबॉल में बेहतरीन प्रदर्शन करने के कारण ही उसे भारत की अंडर-18 टीम में शामिल किया गया है। मंगलवार को थाइलैंड की टीम के साथ मुकाबला था, जो उन्होंने जीत लिया। अब कल यानी 18 अगस्त को कोरिया की टीम के साथ भारत की टीम का मुकाबला है। कोच राहुल सांगवान के नेतृत्व में चैम्पियनशिप जीतकर 28-29 अगस्त को वापसी करेंगे।
August 17, 2022

बिग बुल के पोर्टफोलियो में हलचल: झुनझुनवाला का लास्ट इन्वेस्टमेंट सिंगर इंडिया 20% चढ़ा, एपटेक 5% गिरने के बाद फ्लैट बंद हुआ

बिग बुल के पोर्टफोलियो में हलचल: झुनझुनवाला का लास्ट इन्वेस्टमेंट सिंगर इंडिया 20% चढ़ा, एपटेक 5% गिरने के बाद फ्लैट बंद हुआ

मुंबई : शेयर मार्केट के बिग बुल कहे जाने वाले राकेश झुनझुनवाला अब हमारे बीच नहीं रहे। झुनझुनवाला के निधन के बाद उनके स्टॉक्स पर सबकी नजर है। राकेश की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वाली कंपनी एपटेक लिमिटेड और स्टार हेल्थ के शेयरों में शुरुआती ट्रेड में 5% की गिरावट आई। हालांकि बाद में स्टॉक्स में रिकवरी देखने को मिली। वहीं झुनझुनवाला की आखिरी बाइंग सिंगर इंडिया में 20% की तेजी रही।

*23.40% हिस्सेदारी वाला एपटेक गिरकर बंद हुआ*

झुनझुनवाला की 23.40% हिस्सेदारी वाली कंपनी एपटेक का शेयर 0.17% की गिरावट के साथ 232.30 रुपए पर बंद हुआ। स्टार हेल्थ 0.50% की बढ़त के साथ 699.95 रुपए पर बंद हुआ। टाइटन का शेयर भी गिरावट के बाद 0.77% की बढ़त के साथ 2,491 रुपए पर बंद हुआ।

वैल्यू के मामले में यह स्टॉक राकेश की टॉप होल्डिंग में है। जून क्वार्टर के आखिर में उनके पास इसकी 5.10% हिस्सेदारी थी। मल्टी-ब्रांड फुटवीयर मेट्रो ब्रांड्स के भी 3.9 करोड़ से ज्यादा शेयर हैं। हिस्सेदारी के हिसाब से ये 14.40% है। इसकी वैल्यू करीब 3,348.8 करोड़ रुपए है।
सिंगर इंडिया में 20% की बढ़त

राकेश की आखिरी बाइंग सिंगर इंडिया में आज 20% का अपर सर्किट लगा, ये 69.15 पर क्लोज हुआ। झुनझुनवाला की फर्म रेयर एंटरप्राइजेज ने इस कंपनी में बल्क डील के जरिए 10% की हिस्सेदारी खरीदी है। यह शेयर 57.65 रुपए के प्रीवियस क्लोज के मुकाबले 69.15 रुपए पर पहुंच गया है। यह कंपनी सिलाई मशीनों और डोमेस्टिक अप्लायन्सेस की मैन्युफैक्चरिंग करती है।
हाल ही में सिंगर इंडिया ने 96 लाख रुपए का नेट प्रॉफिट दर्ज किया था, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 28 लाख रुपए था। ये 243% की ग्रोथ है। इसी अवधि के दौरान नेट सेल्स भी लगभग 50% बढ़कर 109.53 करोड़ रुपए हो गई थी। कंपनी के शेयर की कीमत पिछले एक साल में 12 अगस्त 2022 तक 4.6% बढ़ी है। जबकि बेंचमार्क BSE सेंसेक्स 8.4% चढ़ा है।

स्टार हेल्थ का शेयर 0.50% बढ़ा
स्टार हेल्थ इंश्योरेंस का 0.50% की बढ़त के साथ 699.95 रुपए पर बंद हुआ। झुनझुनवाला स्टार हेल्थ के प्रमोटर थे। इस कंपनी में राकेश की 14.39% (8.28 करोड़ शेयर) और उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला की 3.10% (1.78 करोड़ शेयर) की हिस्सेदारी जून क्वार्टर में थी।

कुल मिलाकर इस कंपनी में उनकी 17.49% की हिस्सेदारी थी। जिसकी वैल्यू 7,017.5 करोड़ रुपए है। 12 अगस्त को स्टॉक 0.40% बढ़कर 696.10 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 40,104 करोड़ रुपए था।
टाटा मोटर्स में 2.71% की तेजी

राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो का एक और शेयर टाटा मोटर्स आज 2.71% की बढ़त के साथ 490.50 पर बंद हुआ। जून तिमाही में दिवंगत निवेशक के पास 1.5% (36,250,000 शेयर) थे। इसकी वैल्यू करीब 1,731.1 करोड़ रुपए है। शुक्रवार को शेयर 0.18% बढ़कर 477.50 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 1.58 लाख करोड़ रुपए रहा था।

क्रिसिल का शेयर 1.15% बढ़ा
क्रिसिल लिमिटेड का स्टॉक 1.15% की बढ़त के साथ 3,292.00 रुपए पर बंद हुआ। जून तिमाही में उनके पास कंपनी में 5.50% (4,000,000 शेयर) की हिस्सेदारी थी। जिसकी वैल्यू 1,301.9 करोड़ रुपए है। 12 अगस्त को शेयर 1.30% की गिरावट के साथ 3,261.60 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 23,824 करोड़ रुपए रहा था।

फोर्टिस में 4.09% की तेजी
झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में शामिल फोर्टिस हेल्थकेयर का 4.09% की बढ़त के साथ 292.85 रुपए पर बंद हुआ। वहीं मेट्रो ब्रांड्स का शेयर 0.99% की गिरावट के साथ 846.85 रुपए पर बंद हुआ। 12 अगस्त को यह शेयर 5.13% बढ़कर 854.30 रुपए पर बंद हुआ था। फर्म का मार्केट कैप 23,199 करोड़ रुपए रहा था।
*झुनझुनवाला का हार्ट अटैक से हुआ निधन*

इंडिया के वॉरेन बफे के नाम से मशहूर राकेश झुनझुनवाला का रविवार (14 अगस्त) को हार्ट अटैक से 62 साल की उम्र में निधन हो गया था। सेल्फ मेड ट्रेडर राकेश ने कई कई स्थापित व्यवसायों और स्टार्टअप्स में इंवेस्ट किया और कई इंडियन फर्मों के बोर्ड में रहे थे।

राकेश झुनझुनवाला एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे इन्फ्लुएन्शियल मार्केट वॉइसेस में से एक थे। देश में बड़ी संख्या में रिटेल इन्वेस्टर्स झुनझुनवाला को फॉलो करते थे। झुनझुनवाला इंडिया की ग्रोथ स्टोरी के प्रबल सपोर्टर थे।

*पोर्टफोलियो में एक तिहाई से ज्यादा शेयर्स टाइटन के*

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, ज्वैलरी रिटेलर टाइटन कंपनी राकेश और उनकी पत्नी रेखा झुनझुनवाला के लिए सबसे बड़े और सबसे लाभदायक निवेशों में से एक थी। राकेश के पोर्टफोलियो में एक तिहाई से ज्यादा शेयर्स टाइटन के हैं।
मार्केट वेल्यू के आधार पर राकेश की टॉप होल्डिंग्स में स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी, फुटवियर मेकर मेट्रो ब्रांड्स लिमिटेड और ऑटोमेकर टाटा मोटर्स लिमिटेड शामिल हैं। झुनझुनवाला के पास स्टार हेल्थ, आईटी फर्म एपटेक लिमिटेड और वीडियोगेम मेकर नजारा टेक्नोलॉजीज में 10% से ज्यादा की हिस्सेदारी है।

*37 साल में 46 हजार करोड़ का एम्पायर बनाया*
राकेश झुनझुनवाला ने 1985 में 5 हजार रुपए से कारोबार की शुरुआत की थी। अगले 37 साल यानी 2022 तक उनका एम्पायर 5.8 अरब डॉलर (करीब 46.18 हजार करोड़ रुपए) पर पहुंच गया। पिछले हफ्ते ही उन्होंने ‘अकासा’ एयरलाइन के साथ एविएशन सेक्टर में एंट्री ली थी।

झुनझुनवाला एक समय में स्टॉक मार्केट में बियर थे यानी मंदड़िए। उन्होंने 1992 में हर्षद मेहता घोटाले का खुलासा होने पर शॉर्ट सेलिंग से बड़ा मुनाफा कमाया था।
August 17, 2022

एपल में छंटनी’, 100 अनुबंधित कर्मी बाहर, गूगल ने भी कर्मियोंं को दी है चेतावनी

एपल में छंटनी’, 100 अनुबंधित कर्मी बाहर, गूगल ने भी कर्मियोंं को दी है चेतावनी

गूगल की अपने कर्मचारियों को ‘ब्लड इन द स्ट्रीट्स’ की चेतावनी जारी करने के बाद अब एपल ने भी कई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी ने अपनी हायरिंग और स्पेंडिंग में कमी लाने के लिए यह कदम उठाया है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार एपल ने कंपनी से कांट्रेक्ट के आधार पर जुड़े लगभग सौ नियोक्ताओं को, जो कि दुनिया की सबसे बहुमूल्य कंपनी एपल के लिए कर्मचारियों की बहाली का काम करते थे उन्हें हटा दिया है।
जिन कर्मचारियों का कान्ट्रैक्ट रद्द किया गया है उन्हें कपनी की ओर से कहा गया है कि उन्हें दो हफ्ते का भुगतान और मेडिकल सुविधाएं मिलेंगीं। वहीं, इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसे नियोक्ता जो कंपनी के साथ फुल टाइम कर्मचारी के रूप में जुड़े हैं उन्हें रिटेन किया गया है।
एपल ने हटाए गए कर्मियों को कहा है कि यह छंटनी कंपनी की वित्तीय जरूरतों को देखते हुए की गई है। कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव टीम कुक ने पिछले महीने कहा था कि एपल अपने खर्चे सोच-समझकर करेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टीम कुक ने कहा था कि हम मंदी के दौरान निवेश करने में विश्वास करते हैं। कंपनी कर्मियों की नियुक्त जारी जारी रखेगी और अलग जरूरी क्षेत्रों में खर्च करेगी पर ऐसा वह बाजार के हालात को देखते हुए करेगी।
इससे पहले, टेक वर्ल्ड की दिग्गज कंपनी गूगल ने अपने कर्मचारियों को अगर परिणाम नहीं आने पर छंटनी की चेतावनी दी थी।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने इसी महीने कहा है कि वे कंपनी के कंर्मचारियों के वर्क आउटपुट से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा था कि कंपनी की उत्पादकता जितनी होनी चाहिए उससे कम है।

Tuesday, August 16, 2022

August 16, 2022

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

राष्ट्रमंडल खेलों के पदकवीरों का सम्मान:प्रदेश सरकार ने 42 खिलाड़ियों को 25.80 करोड़ रुपए के इनाम से नवाजा

गुरुग्राम : सीएम ने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है।
स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए
राष्ट्रमंडल खेलों के खिलाड़ियों के सम्मान में हरियाणा सरकार द्वारा सोमवार को गुड़गांव में सम्मान समारोह किया गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विजेता व प्रतिभागी 42 खिलाड़ियों को 25 करोड 80 लाख रुपए के नकद इनाम, जॉब आफर लेटर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने सेक्टर-44 स्थित अपैरल हाउस सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान खिलाड़ियों से भी स्वयं के साथ-साथ नई प्रतिभाओं के मार्गदर्शक बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि अब हरियाणा में पदक लाओ-पद पाओ नहीं बल्कि इससे आगे बढ़ते हुए पदक लाओ-पदक बढ़ाओ की सोच पर आगे बढ़ना है। सभी की सहभागिता ही दुनिया में भारत के पदक तालिका में बढ़ोतरी का माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है।
इस बार के राष्ट्रमण्डल खेलों में भाग लेने वाले देश के 215 खिलाड़ियों में से 42 युवा हरियाणा के हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों ने देश के 61 में से 20 पदक जीते हैं। इनमें से 17 पदक व्यक्तिगत स्पर्धा में और 3 पदक टीम इवेंट में हैं।विजेता व प्रतिभागी खिलाड़ियों का सम्मानराष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 1 करोड़ 50 लाख रुपए, रजत पदक विजेता को 75 लाख रुपए और कांस्य पदक विजेता को 50 लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए गए। वहीं चौथे स्थान पर आने वाले को 15 लाख रुपए की राशि दी गई। इसके साथ-साथ राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को साढ़े 7 लाख रुपए की राशि दी गई। बर्मिंघम राष्ट्रमण्डल खेल-2022 में हरियाणा के भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल खिलाड़ियों सहित कुल 29 खिलाड़ियों ने पदक जीते हैं। इन्हें प्रदेश की खेल नीति के अनुसार कुल 25 करोड़ 80 लाख रुपए की नकद ईनाम राशि दी गई। इनका हुआ सम्मानहरियाणा के जिला सोनीपत के सुधीर ने पैरा पॉवर लिफ्टिंग खेल में गोल्ड मैडल जीता है। सुधीर पैरा पॉवर लिफ्टिंग में गोल्ड मैडल जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इसी प्रकार, हरियाणा ने बॉक्सिंग में 2 गोल्ड, 1 सिल्वर व 1 कांस्य पदक, कुश्ती में 6 गोल्ड, 1 सिल्वर तथा 4 कांस्य पदक तथा एथलेटिक्स में 1 कांस्य पदक जीता है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता है। यह टीम लगभग हरियाणा की ही है, क्योंकि इसमें प्रदेश की 9 बेटियां खेल रही हैं। भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन के रूप में सविता पूनिया ने नेतृत्व किया, जोकि सिरसा की रहने वाली है। इस प्रकार हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ियों ने देश के कुल पदकों का 28 प्रतिशत पदक जीतकर देश व प्रदेश का नाम रोशन किया। इसमें हॉकी को भी शामिल कर लिया जाए, तो यह बढ़कर 32.7 प्रतिशत हो जाता है।खेल के लिए 526 करोड़ रुपए का बजटमुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया में खेलों के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में हरियाणा अपना बेस्ट दे रहा है। खेल क्षेत्र में बजट को डबल करते हुए 526 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
August 16, 2022

दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम लबालब:हिमाचल में सरप्लस बिजली उत्पादन, पंजाब-हरियाणा और राजस्थान में नहीं रहेगी पानी की कमी

दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम लबालब:हिमाचल में सरप्लस बिजली उत्पादन, पंजाब-हरियाणा और राजस्थान में नहीं रहेगी पानी की कमी

हिमाचल के साथ-साथ उत्तर भारत के 3 राज्यों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए अच्छी खबर है। इन राज्यों को पानी सप्लाई करने वाले हिमाचल के 2 सबसे बड़े डैम भाखड़ा और पौंग लबालब होने की तरफ है। हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ की लाइफ लाइन कहे जाने वाले यह दोनों डैम भरने से लोगों को सालभर पीने और खेती के लिए पानी की कमी नहीं रहेगी। यही नहीं, इस बार मानसून सीजन में हो रही अच्छी बरसात से हिमाचल के 80% से ज्यादा दूसरे डैम भी लगभग भर चुके हैं।

दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम का फुल भरना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की खेतीबाड़ी के लिए टॉनिक का काम करेगा। इन दोनों डैम का पानी नहरों के जरिये इन राज्यों में खेतों तक पहुंचता है। इस बार मई-जून में पड़ी भयंकर गर्मी में हिमाचल के ऊपरी इलाकों में ग्लेशियर पिघलने की वजह से अच्छा-खासा पानी आने के बावजूद भाखड़ा और पौंग डैम खाली पड़े थे। इससे तीनों राज्यों में किसानों के साथ-साथ सरकारें भी परेशान थीं। अब मानसून ने सारी चिंताएं दूर कर दी हैं।
*भाखड़ा का वाटर लेवल 30 दिन में 82 फीट बढ़ा*

भाखड़ा डैम का वाटर लेवल इस समय 1639.67 फीट है जो एक महीने पहले 1557.64 फीट था। बीते 30 दिन में बांध का वाटर लेवल 82.03 फीट बढ़ा है। वाटर लेवल 1681.76 फीट पहुंच जाने पर भाखड़ा डैम के गेट खोलने पड़ते हैं। यानि अभी भाखड़ा का वाटर लेवल खतरे के निशान से 42.09 फीट नीचे है।

दूसरी ओर पौंग डैम का वाटर लेवल इस समय 1359.09 फीट है। वाटर लेवल 1420.99 फीट पर पहुंच जाने के बाद पौंग डैम के गेट खोलकर पानी रिलीज करना पड़ता है। इस लिहाज से पौंग डैम का वाटर लेवल अभी खतरे के निशान से 61.9 फीट नीचे है।

दोनों डैम 2021 में मानसूनी बरसात के बावजूद खाली रह गए थे। 2020 में भी इनमें पूरा पानी नहीं आया था। इस लिहाज से दो साल बाद दोनों बांधों का फुल होना अच्छे संकेत हैं।
*अगले कुछ दिन में फुल हो जाएंगे डैम*

पिछले साल मानसून में भाखड़ा और पौंग डैम मुश्किल से आधे भर पाए थे। इस बार इनके पूरा भरने की उम्मीद है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदेश में अभी महीनेभर तक अच्छी बारिश के आसार है। अगर ऐसा हुआ तो दोनों डैम भर जाएंगे।

*हिमाचल बेच रहा 232 लाख यूनिट बिजली*

भाखड़ा-पौंग समेत दूसरे सारे डैम भरने की वजह से हिमाचल में बिजली उत्पादन बढ़ गया है। इस समय हिमाचल 232 लाख यूनिट या इससे ज्यादा बिजली पड़ोसी राज्यों को बेच रहा है। घाटे में चल रहे हिमाचल के बिजली बोर्ड के लिए यह राहतभरी खबर है। सारे डैम भरे होने की वजह से आगे भी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन जारी रहने की उम्मीद है।
*ग्लेशियर पिघलने के बावजूद खाली बांध*

पर्यावरण वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल मार्च से ही गर्मी शुरू हो गई थी। अप्रैल-मई में तेज गर्मी की वजह से बर्फ बहुत तेजी से पिघली मगर नदियों में पूरा पानी नहीं आया और डैम खाली रह गए। हिमाचल की राज्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद (HIMCOSTE) की रिपोर्ट के मुताबिक- हिमाचल से निकलने वाली रावी, ब्यास, सतलुज और चिनाब, चारों नदियों के बेसिन पर बर्फ पिघलने की दर इस बार 19 से 25% रही जबकि सामान्यत: यह 4 से 10% ही होती है।

*मानसून ने दी राहत*

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जो ग्लेशियर सामान्यत मई-जून के बाद जुलाई आते-आते पिघलते थे, वह इस बार मई या उससे पहले ही पिघल गए। नतीजा- जून में इन डैम में जो पानी आना चाहिए था, वह नहीं आया। ऐसे में पूरा दारोमदार मानसून पर टिका था। राहत की बात है कि मानसून में अच्छी बरसात से डैम काफी हद तक भर चुके हैं।

कुछ जगह तो डैम इतने भर चुके हैं कि उनके फ्लड गेट से पानी रिलीज करना पड़ रहा है। 5 दिन पहले ही ब्यास नदी पर बने पंडोह डैम से लगभग 30 घंटे तक लगातार पानी छोड़ना पड़ा था।
August 16, 2022

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को किया निलंबित, अंडर-17 महिला वर्ल्ड कप की मेज़बानी छिनी

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल की शासकीय संस्था फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल संघ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 
फ़ीफ़ा ने तीसरे पक्ष के दखल की वजह से भारतीय फ़ुटबॉल महासंघ (एआईएफ़एफ़) पर ये कार्रवाई की है। 
फ़ीफ़ा ने अपने बयान में कहा है कि परिषद ने सर्वसम्मति से भारतीय फ़ुटबॉल संग को निलंबित करने का निर्णय लिया है। यहाँ तीसरे पक्ष का दखल है, जो कि फ़ीफ़ा के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। 
फ़ीफ़ा की ओर से जारी बयान के अनुसार इस निर्णय से भारत से इसी साल आयोजित होने वाले अंडर-17 वीमेन फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी भी छिन गई है। इस टूर्नामेंट का आयोजन 11 से 30 अक्टूबर के बीच भारत के अलग-अलग राज्यों में होना था। 
फ़ीफ़ा ने कहा है कि ये निलंबन तत्काल प्रभाव से लागू है। इसी महीने की शुरुआत में फ़ीफ़ा ने भारतीय फ़ुटबॉल को सस्पेंशन की चेतावनी दी थी। 
फ़ीफ़ा ने एक बयान में कहा है कि ये निलंबन तभी वापस लिया जाएगा जब एआईएफ़एफ़ के अधिकारियों का अपने दैनिक मामलों पर पूरी तरह नियंत्रण होगा। 
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, अभी तक एआईएफ़एफ़ को एक समिति द्वारा चलाया जा रहा है। पूर्व प्रमुख प्रफुल्ल पटेल अपना कार्यकाल ख़त्म होने के बाद भी चुनावों के बिना कार्यालय में बने हुए है।
August 16, 2022

लाल सिंह चड्ढा फ्लॉप होने से आमिर सदमे में:फिल्म ने 4 दिन में 38 करोड़ कमाए; डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी नुकसान, फिल्ममेकर्स से मुआवजा मांगा

लाल सिंह चड्ढा फ्लॉप होने से आमिर सदमे में:फिल्म ने 4 दिन में 38 करोड़ कमाए; डिस्ट्रीब्यूटर्स को भारी नुकसान, फिल्ममेकर्स से मुआवजा मांगा

मुंबई : आमिर खान अपनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा के फ्लॉप होने से सदमे में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिस्ट्रीब्यूटर्स को इस फिल्म के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है और उन्होंने मेकर्स से मुआवजे की मांग की है। आमिर खुद इस फिल्म के को-प्रोड्यूसर हैं। खबर है कि उन्होंने इस फिल्म के फ्लॉप होने की जिम्मेदारी ली है। हालांकि इसे लेकर उन्होंने आधिकारिक बयान नहीं दिया है।


बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के अनुसार आमिर खान और उनकी पूर्व पत्नी किरण राव के दोस्त ने बताया कि आमिर ने लाल सिंह चड्ढा के लिए बहुत मेहनत की थी। आमिर की कोशिश थी कि वह फॉरेस्ट गंप के बेस्ट वर्जन को ऑडियंस के सामने लाएं, लेकिन रिलीज के बाद लोगों के रिएक्शन ने आमिर पर बुरा असर डाला है। इससे वह सदमे में चले गए हैं।
मेकर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स को मुआवजा देने की तैयारी में

लाल सिंह चड्ढा को बिजनेस में हुए नुकसान के बाद फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स ने मुआवजा मांगा है। उनका कहना है कि इस फिल्म से हमें फाइनेंशियली बहुत नुकसान हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मेकर्स डिस्ट्रीब्यूटर्स के नुकसान की भरपाई करने की तैयारी कर रहे हैं।

चार दिन में 38 करोड़ कमाए

लाल सिंह चड्ढा इस साल की मोस्ट अवेटेड फिल्म थी, लेकिन आमिर और करीना के पुराने बयानों के कारण सोशल मीडिया पर इसके बायकॉट का अभियान चला, जिसका असर बॉक्स ऑफिस पर देखने को मिला। 180 करोड़ के बजट में बनी फिल्म फर्स्ट वीकेंड में सिर्फ 38.21 करोड़ रुपए ही कमा पाई है, जबकि आमिर की पिछली फिल्में इससे ज्यादा की कमाई फर्स्ट डे पर ही कर चुकी हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'लाल सिंह चड्‌ढा' ने चौथे दिन यानी फर्स्ट संडे (रविवार) को 10.5 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है। इससे पहले फिल्म ने तीसरे दिन (शनिवार) 8.75 करोड़, दूसरे दिन (शुक्रवार) 7.26 करोड़ और पहले दिन (गुरुवार) 11.7 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था। लॉन्ग वीकेंड अब खत्म हो गया है और आगे कलेक्शन बढ़ने के चांस न के बराबर हैं।
लाल सिंह चड्ढा में खराब पंजाबी बोलने के लिए भी आमिर खान को ट्रोल किया जा रहा है।

सेना का अपमान करने के आरोप में हुई शिकायत दर्ज

लाल सिंह चड्ढा फिल्म को लेकर दिल्ली के वकील विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से आमिर खान, पैरामाउंट पिक्चर्स और अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। वकील का आरोप है कि आमिर ने अपनी फिल्म लाल सिंह चड्ढा से भारतीय सेना का अपमान और हिंदू समाज की भावनाएं आहत की हैं।

वकील ने अपनी शिकायत में कहा है कि फिल्म में आपत्तिजनक सीन हैं। ऐसे में आमिर खान, पैरामाउंट पिक्चर्स और फिल्म डायरेक्टर अद्वैत चंदन के खिलाफ IPC की धारा 153, 153 ए, 298 और 505 के तहत FIR दर्ज किया जाए।
August 16, 2022

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो स्टेट साउथ वेल्स और विक्टोरिया में स्वास्तिक पर बैन लगा दिया गया है। यहां स्वास्तिक के निशान को किसी भी तरह से दिखाना क्राइम माना जाएगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और तस्मानिया ने भी स्वास्तिक को बैन करने की बात कही है।


हालांकि, इन दोनों ही राज्यों में हिंदू, जैन और बौद्धों को धार्मिक उपयोग के लिए स्वास्तिक के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

इसके पहले जुलाई 2020 में फिनलैंड ने अपने एयरफोर्स के प्रतीक चिन्ह से स्वास्तिक हटा दिया था। पिछले साल अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में स्वास्तिक को बैन करने के लिए एक बिल पेश हुआ था। तब हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया था।

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में स्वास्तिक पर बैन लगाने की होड़ क्यों मची है? हिंदू धर्म के अलावा स्वास्तिक का संबंध किस-किस से है? इसकी शुरुआत कब हुई और इसका मतलब क्या है?
*सबसे पहले स्वास्तिक को बैन करने की वजह जानते हैं...*

न्यू साउथ वेल्स के ज्यूइश बोर्ड ऑफ डेप्यूटीज के CEO डेरेन बार्क का कहना है कि स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक है। यह हिंसा को दिखाता है। कट्टरपंथी संगठन भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। हमारे राज्य में काफी समय से इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात चल रही थी। अब अपराधियों को सही सजा मिलेगी।

वहीं हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहते हैं कि बहुत समय तक हिंदू समुदाय अपने शांति के प्रतीक को दिखाने के लिए सहज नहीं था, क्योंकि यह बुराई का प्रतीक बन गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में है स्वास्तिक के नाजी प्रतीक चिन्ह बनने की कहानी

1920 के आसपास की बात है। हिटलर अपनी नाजी सेना को ताकतवर बना रहा था। तभी उसके दिमाग में झंडा बनाने का ख्याल आया। एक ऐसा झंडा जो जर्मन लोगों और उसकी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करे। जिसे देखते ही नाजियों में जोश भर जाए। हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में इस बात का जिक्र है।

इसी साल नाजी पार्टी को एक झंडा मिल गया। लाल रंग के इस झंडे के बीच में सफेद रंग का एक सर्किल बना था। इस सर्किल के बीचों-बीच 45 डिग्री झुका एक स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया। इसे हकेनक्रेज कहा गया।
ये तस्वीर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। हिटलर की नाजी सेना हाथ में अपना झंडा लिए मार्च कर रही है। इस झंडे में स्वास्तिक जैसा प्रतीक नजर आ रहा है।

‘मीन काम्फ’ किताब के मुताबिक यह झंडा न सिर्फ आदर्श जर्मन साम्राज्य, बल्कि नाजी लोगों के बेहतर भविष्य का भी प्रतीक था। इस झंडे में इस्तेमाल होने वाला लाल रंग नाजी मूवमेंट और समाजवाद को बताता था। वहीं, सफेद रंग जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक था। इसके अलावा स्वास्तिक नाजी लोगों के संघर्ष को दिखाता था। यही नहीं यह आर्यन समाज की जीत का भी प्रतीक था।

*स्वास्तिक पर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ*

1933 से लेकर 1945 के बीच जब जर्मनी में हिटलर की नाजी सेना पावर में आई, तब उसके सैनिक हाथों में झंडे लेकर नरसंहार करने लगे। इस दौरान लाखों यहूदियों को बेरहमी से मारा गया। जिसे दुनिया होलोकॉस्ट के नाम से जानती है। इसके बाद से ही इस प्रतीक चिन्ह को यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी माना जाता है।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप और दुनिया के दवाब में इस नाजी झंडा और स्वास्तिक जैसे प्रतीक को जर्मनी में भी बैन कर दिया गया था। इसके अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और लिथुआनिया में भी इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी। 
स्वास्तिक है क्या, इसका मतलब क्या है
स्वास्तिक शब्द संस्कृत भाषा के शब्द स्वास्तिका से बना है। यह एक क्रॉस की तरह आकृति है। इसकी चारों भुजाएं 90 डिग्री पर मुड़ी होती हैं। ये भुजाएं चारों ओर एक ही तरफ क्लॉकवाइज मुड़ती हैं। हिंदू धर्म में इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में जरूरत के मुताबिक इसके अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं।

इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई
स्वास्तिक की शुरुआत कब हुई, इस बात को जानने के लिए जब हमने रिसर्च किया तो दो फैक्ट सामने आए…

पहला: हिस्ट्री एक्स्ट्रा वेबसाइट के मुताबिक सबसे पुराना स्वास्तिक 15 हजार साल पहले पाया गया था।

दूसरा: आर्काइव डॉट ओआरजी के मुताबिक 10 हजार ईसा पूर्व से स्वास्तिक का इस्तेमाल यूरोप के कई हिस्सों में होता आ रहा है।

1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी का दांत मिला था। इस पर एक पक्षी उकेरा गया था, जो एक स्वास्तिक की तरह दिख रहा था। हालांकि यह किसी को नहीं पता है कि पहली बार इसे कैसे और किसने बनाया?

मेसोपोटामिया सभ्यता में भी इस्तेमाल होता था स्वास्तिक
अभी के इराक में मेसोपोटामिया सभ्यता के शुरुआत के सबूत मिलते हैं। यह सभ्यता 3200 से 600 ईसा पूर्व तक थी। यानी आज से 2622 साल पहले। इस समय स्वास्तिक प्राचीन मेसोपोटामिया के सिक्कों पर बनाया जाने वाला पसंदीदा प्रतीक था।

इसके अलावा स्कैंडिनेविया के भगवान थोर के हथोड़े में भी इसका चिन्ह पाया जाता है। यह बाएं हाथ का स्वास्तिक होता था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
अब जानते हैं हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में स्वास्तिक का अर्थ… हिंदू: करीब 3500 साल पहले भारत में आर्यन के इतिहास के साथ ही स्वास्तिक की मौजूदगी के सबूत मिलते हैं। आज भी नई गाड़ी खरीदने के वक्त या फिर नए मकान में प्रवेश करने के समय एक प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वास्तिक कहते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में इसे तरक्की और शुभ माना जाता है।

जैन: जैन इसे सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं। जैन धर्म में यह भी माना जाता है कि इसकी चारों भुजाएं भक्त को अगले जन्म की याद दिलाती हैं।

बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म स्वास्तिक को बुद्ध के पैरों या पदचिन्ह के निशान का प्रतीक मानता है। किसी किताब के शुरू और आखिरी पन्ने पर इसे बनाया जाता है। आधुनिक तिब्बती लोग इसे कपड़ों पर भी बनाते हैं।
क्या हिंदुओं और नाजी पार्टी का स्वास्तिक एक है?

हिंदू घरों में इस्तेमाल होने वाला स्वास्तिक बनावट और अर्थ दोनों ही मामले में नाजी के स्वास्तिक यानी ‘हकेनक्रेज’ से अलग है। बनावट की बात करें तो हिंदुओं के घरों में बनाए जाने वाले स्वास्तिक के चारों कोणों में चार डॉट्स होते हैं। ये डॉट्स चार वेदों के प्रतीक हैं। जबकि नाजी झंडे पर बने स्वास्तिक में ये डॉट्स नहीं थे।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी झंडे में सफेद रंग की गोलाकार पट्टी में काले रंग का स्वास्तिक बना है। नाजी संघर्ष के प्रतीक को तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। जबकि हिंदू धर्म में यह शुभ और तरक्की का प्रतीक है।