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Wednesday, August 17, 2022

August 17, 2022

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को:मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में 19 अगस्त को मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव, पुरी में 18 को मनेगी अष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को:मथुरा, वृंदावन और द्वारिका में 19 अगस्त को मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव, पुरी में 18 को मनेगी अष्टमी

इस साल भी जन्माष्टमी दो दिन है। कुछ पंचांग में 18 को और कुछ में 19 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मनाने की सलाह दी गई है। श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और ये दोनों ही योग आने वाले शुक्रवार को रहेंगे इसलिए मथुरा, वृंदावन और द्वारका में जन्मोत्सव पर्व 19 अगस्त को मनेगा। कृष्ण तीर्थों में 19 को ये पर्व होने से इसी तारीख को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा।

अखिल भारतीय विद्वत परिषद और काशी विद्वत परिषद का कहना है कि 18 तारीख को अष्टमी तिथि सूर्योदय के वक्त नहीं रहेगी बल्कि रात में रहेगी। वहीं, 19 तारीख को अष्टमी तिथि में ही दिन की शुरुआत होगी और रात में भी रहेगी। इसलिए शुक्रवार को ही भगवान का जन्मोत्सव मनाना बेहतर है। श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी भी इसी रात को रहेगा। उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी।

*श्रीकृष्ण तीर्थों में 19 को मनेगी जन्माष्टमी*

श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में 19 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के सेवा अधिकारी पं. अंकित गोस्वामी ने भी श्रीकृष्ण जन्म पर्व के लिए 19 तारीख बताई है। वहीं, गुजरात में द्वारिका के कृष्ण मंदिर के पुजारी पं. प्रणव ठाकर का कहना है कि इस बार श्रीकृष्ण की जन्मतिथि शुक्रवार को पड़ने से इसी दिन जन्मोत्सव पर्व मनाना शुभ रहेगा। लेकिन जगन्नाथ पुरी में मंदिर के पंचांग के हिसाब से 18 तारीख की रात में अष्टमी तिथि मिलने से गुरुवार को कृष्ण जन्म मनेगा।
*क्या लिखा है पुराणों में*

1. विष्णु और ब्रह्म पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु योग माया यानी देवी से कहते हैं कि वर्षा ऋतु में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात को मैं जन्म लूंगा और तुम नवमी को प्रकट होना।

2. ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है कि भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रात में शुभ लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। उस समय अष्टमी तिथि तथा रोहिणी नक्षत्र के संयोग से जयंती नाम का योग बन रहा था। तब वृष लग्न में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।

3. भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान कहते हैं कि जिस समय सिंह राशि पर सूर्य और वृष राशि में चन्द्रमा था, उस भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मेरा जन्म हुआ। 

4. अग्नि पुराण का कहना है कि भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान रोहिणी नक्षत्र के साथ अष्टमी तिथि को ही आधी रात में भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए थे। इसलिये इसी अष्टमी को उनकी जयंती मनायी जाती है। 

5. देवीभागवत पुराण के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और वृष लग्न में रात को भगवती ने देवकी के गर्भ से परम पुरुष के रूप में जन्म लिया था।
6. हरिवंश पुराण में लिखा है कि भगवान कृष्ण के जन्म के समय अभिजित नक्षत्र, जयन्ती योग और विजय मुहूर्त था।
*जन्माष्टमी पर क्या करें*

इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके लिए पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और काले तिल मिलाकर नहा सकते हैं। फिर कृष्ण मंदिर जाकर भगवान को पंचामृत और शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद पीले कपड़े, फिर पीले फूल, इत्र और तुलसी पत्र चढ़ाएं। फिर मोर पंख चढाएं। आखिरी में माखन-मिश्री और मिठाइयों का नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। इस तरह की पूजा घर पर भी की जा सकती है। इस दिन घर पर बाल गोपाल को झूले में झूलाने की भी परंपरा है।

Tuesday, August 16, 2022

August 16, 2022

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

स्वास्तिक पर ऑस्ट्रेलिया में लगा बैन:1920 में हिटलर ने इसे क्यों बनाया अपने झंडे का निशान; क्या हिंदुओं से अलग है नाजियों का स्वास्तिक?

नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया के दो स्टेट साउथ वेल्स और विक्टोरिया में स्वास्तिक पर बैन लगा दिया गया है। यहां स्वास्तिक के निशान को किसी भी तरह से दिखाना क्राइम माना जाएगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और तस्मानिया ने भी स्वास्तिक को बैन करने की बात कही है।


हालांकि, इन दोनों ही राज्यों में हिंदू, जैन और बौद्धों को धार्मिक उपयोग के लिए स्वास्तिक के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।

इसके पहले जुलाई 2020 में फिनलैंड ने अपने एयरफोर्स के प्रतीक चिन्ह से स्वास्तिक हटा दिया था। पिछले साल अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में स्वास्तिक को बैन करने के लिए एक बिल पेश हुआ था। तब हिंदू संगठनों ने इसका कड़ा विरोध जताया था।

हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में स्वास्तिक पर बैन लगाने की होड़ क्यों मची है? हिंदू धर्म के अलावा स्वास्तिक का संबंध किस-किस से है? इसकी शुरुआत कब हुई और इसका मतलब क्या है?
*सबसे पहले स्वास्तिक को बैन करने की वजह जानते हैं...*

न्यू साउथ वेल्स के ज्यूइश बोर्ड ऑफ डेप्यूटीज के CEO डेरेन बार्क का कहना है कि स्वास्तिक नाजियों का प्रतीक है। यह हिंसा को दिखाता है। कट्टरपंथी संगठन भर्ती के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं। हमारे राज्य में काफी समय से इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात चल रही थी। अब अपराधियों को सही सजा मिलेगी।

वहीं हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहते हैं कि बहुत समय तक हिंदू समुदाय अपने शांति के प्रतीक को दिखाने के लिए सहज नहीं था, क्योंकि यह बुराई का प्रतीक बन गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में है स्वास्तिक के नाजी प्रतीक चिन्ह बनने की कहानी

1920 के आसपास की बात है। हिटलर अपनी नाजी सेना को ताकतवर बना रहा था। तभी उसके दिमाग में झंडा बनाने का ख्याल आया। एक ऐसा झंडा जो जर्मन लोगों और उसकी सेनाओं का प्रतिनिधित्व करे। जिसे देखते ही नाजियों में जोश भर जाए। हिटलर की आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में इस बात का जिक्र है।

इसी साल नाजी पार्टी को एक झंडा मिल गया। लाल रंग के इस झंडे के बीच में सफेद रंग का एक सर्किल बना था। इस सर्किल के बीचों-बीच 45 डिग्री झुका एक स्वास्तिक का इस्तेमाल किया गया। इसे हकेनक्रेज कहा गया।
ये तस्वीर सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की है। हिटलर की नाजी सेना हाथ में अपना झंडा लिए मार्च कर रही है। इस झंडे में स्वास्तिक जैसा प्रतीक नजर आ रहा है।

‘मीन काम्फ’ किताब के मुताबिक यह झंडा न सिर्फ आदर्श जर्मन साम्राज्य, बल्कि नाजी लोगों के बेहतर भविष्य का भी प्रतीक था। इस झंडे में इस्तेमाल होने वाला लाल रंग नाजी मूवमेंट और समाजवाद को बताता था। वहीं, सफेद रंग जर्मन राष्ट्रवाद का प्रतीक था। इसके अलावा स्वास्तिक नाजी लोगों के संघर्ष को दिखाता था। यही नहीं यह आर्यन समाज की जीत का भी प्रतीक था।

*स्वास्तिक पर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ*

1933 से लेकर 1945 के बीच जब जर्मनी में हिटलर की नाजी सेना पावर में आई, तब उसके सैनिक हाथों में झंडे लेकर नरसंहार करने लगे। इस दौरान लाखों यहूदियों को बेरहमी से मारा गया। जिसे दुनिया होलोकॉस्ट के नाम से जानती है। इसके बाद से ही इस प्रतीक चिन्ह को यहूदी-विरोधी, नस्लवादी और फासीवादी माना जाता है।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यूरोप और दुनिया के दवाब में इस नाजी झंडा और स्वास्तिक जैसे प्रतीक को जर्मनी में भी बैन कर दिया गया था। इसके अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और लिथुआनिया में भी इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी।
तस्वीर12वीं शताब्दी की है। इसमें सोने के क्रास और स्वास्तिक दिख रहे हैं। जो किसी राजकुमारी के ड्रेस के कॉलर के हैं। यूरोप के कुछ हिस्सों में बुराई को दूर करने के लिए ड्रेस में इसकी कढ़ाई कराई जाती थी। 
स्वास्तिक है क्या, इसका मतलब क्या है
स्वास्तिक शब्द संस्कृत भाषा के शब्द स्वास्तिका से बना है। यह एक क्रॉस की तरह आकृति है। इसकी चारों भुजाएं 90 डिग्री पर मुड़ी होती हैं। ये भुजाएं चारों ओर एक ही तरफ क्लॉकवाइज मुड़ती हैं। हिंदू धर्म में इसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता रहा है। दुनिया के दूसरे देशों में जरूरत के मुताबिक इसके अलग-अलग मायने निकाले जाते हैं।

इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई
स्वास्तिक की शुरुआत कब हुई, इस बात को जानने के लिए जब हमने रिसर्च किया तो दो फैक्ट सामने आए…

पहला: हिस्ट्री एक्स्ट्रा वेबसाइट के मुताबिक सबसे पुराना स्वास्तिक 15 हजार साल पहले पाया गया था।

दूसरा: आर्काइव डॉट ओआरजी के मुताबिक 10 हजार ईसा पूर्व से स्वास्तिक का इस्तेमाल यूरोप के कई हिस्सों में होता आ रहा है।

1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी का दांत मिला था। इस पर एक पक्षी उकेरा गया था, जो एक स्वास्तिक की तरह दिख रहा था। हालांकि यह किसी को नहीं पता है कि पहली बार इसे कैसे और किसने बनाया?

मेसोपोटामिया सभ्यता में भी इस्तेमाल होता था स्वास्तिक
अभी के इराक में मेसोपोटामिया सभ्यता के शुरुआत के सबूत मिलते हैं। यह सभ्यता 3200 से 600 ईसा पूर्व तक थी। यानी आज से 2622 साल पहले। इस समय स्वास्तिक प्राचीन मेसोपोटामिया के सिक्कों पर बनाया जाने वाला पसंदीदा प्रतीक था।

इसके अलावा स्कैंडिनेविया के भगवान थोर के हथोड़े में भी इसका चिन्ह पाया जाता है। यह बाएं हाथ का स्वास्तिक होता था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
19वीं शताब्दी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में तो कई सारे प्रोडक्ट के प्रचार के लिए भी स्वास्तिक का इस्तेमाल किया जाना शुरू हो गया था। 
अब जानते हैं हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में स्वास्तिक का अर्थ… हिंदू: करीब 3500 साल पहले भारत में आर्यन के इतिहास के साथ ही स्वास्तिक की मौजूदगी के सबूत मिलते हैं। आज भी नई गाड़ी खरीदने के वक्त या फिर नए मकान में प्रवेश करने के समय एक प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वास्तिक कहते हैं। सदियों से हिंदू धर्म में इसे तरक्की और शुभ माना जाता है।

जैन: जैन इसे सातवें तीर्थंकर का प्रतीक मानते हैं। जैन धर्म में यह भी माना जाता है कि इसकी चारों भुजाएं भक्त को अगले जन्म की याद दिलाती हैं।

बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म स्वास्तिक को बुद्ध के पैरों या पदचिन्ह के निशान का प्रतीक मानता है। किसी किताब के शुरू और आखिरी पन्ने पर इसे बनाया जाता है। आधुनिक तिब्बती लोग इसे कपड़ों पर भी बनाते हैं।
क्या हिंदुओं और नाजी पार्टी का स्वास्तिक एक है?

हिंदू घरों में इस्तेमाल होने वाला स्वास्तिक बनावट और अर्थ दोनों ही मामले में नाजी के स्वास्तिक यानी ‘हकेनक्रेज’ से अलग है। बनावट की बात करें तो हिंदुओं के घरों में बनाए जाने वाले स्वास्तिक के चारों कोणों में चार डॉट्स होते हैं। ये डॉट्स चार वेदों के प्रतीक हैं। जबकि नाजी झंडे पर बने स्वास्तिक में ये डॉट्स नहीं थे।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक पीला और लाल रंग का इस्तेमाल होता है, जबकि नाजी झंडे में सफेद रंग की गोलाकार पट्टी में काले रंग का स्वास्तिक बना है। नाजी संघर्ष के प्रतीक को तौर पर इसका इस्तेमाल करते थे। जबकि हिंदू धर्म में यह शुभ और तरक्की का प्रतीक है।

Wednesday, August 10, 2022

August 10, 2022

हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान को कलाकार बनाएंगे और सशक्त : दीपक कौशिक

हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान को कलाकार बनाएंगे और सशक्त : दीपक कौशिक
Every house will make the tricolor awareness campaign an artist and empower it: Deepak Kaushik

 शहर के कई सामाजिक संगठन मिलकर चलाएंगे अभियान

जींद : देश के मान सम्मान हमारा तिरंगा आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर हर घर तिरंगा पूरे देश में फहराया जाएगा इसी मुहिम को और सशक्त बनाने के लिए सौल एंड स्पिरिट आर्ट सोसाइटी, संस्कार भारती, इतिहास संकलन समिति, महाराजा अग्रसेन सदाव्रत, गोपाल विद्या मंदिर,शैडो चिल्ड्रन रिसर्च सेंटर, चिंतपूर्णी जागरण मंडल, भगवती एडवर्टाइजमेंट स्टूडियो संयुक्त रूप से बुधवार को ताऊ देवी लाल चौक पर हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान कार्यक्रम करेंगे कार्यक्रम संयोजक दीपक कौशिक ने बताया कि इस अभियान में सेल्फी विद तिरंगा, हस्ताक्षर अभियान, टैटू मेकिंग, हिमाचल के जाने-माने चित्रकार मनोज द्वारा लाइव पेंटिंग, तिरंगा साइकिल यात्रा व शहर के जाने-माने कलाकारों द्वारा देश भक्ति के गीतों की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। इस जागरूकता अभियान के मुख्य अतिथि विधायक प्रतिनिधि राजन चिल्लाना, विशिष्ट अतिथि गोपाल विद्या मंदिर के अध्यक्ष जितेंद्र सैनी व अध्यक्षता करेंगे भाजपा जिलाध्यक्ष राजू मोर। दीपक कौशिक ने बताया कि इस अभियान से कलाकार अपनी कला के माध्यम से हर घर तिरंगा की मुहिम को और मजबूती प्रदान करेंगे।

Tuesday, August 9, 2022

August 09, 2022

हरियाणा में कौन कहां फहराएगा झंडा, यहां देखें लिस्ट

हरियाणा में कौन कहां फहराएगा झंडा, यहां देखें लिस्ट

चंडीगढ़ : स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त को पूर्व वर्षों की भांति हर्षोल्लास, जोश, उत्साह और गौरवपूर्ण ढंग से आयोजित किया जाएगा  प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सुबह 9 बजे के तुरंत बाद ध्वाजारोहण किया जाएगा। हरियाणा में  स्वतंत्रता दिवस पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री, आयुक्त और उपायुक्त झंडा फहराएंगे। इसके लिए लिस्ट जारी हो गई। 
मुख्यमंत्री मनोहर लाल समालखा में झंडा फहराएंगे।

 उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, बहादुरगढ़ और असंध में स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ध्वाजारोहण करेंगे, वहीं मंत्रीगण, नेता प्रतिपक्ष, संसद सदस्य, विधायक व अधिकारी मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा जारी सूची के अनुसार तिरंगा फहराएंगे। पढ़िए पूरी लिस्ट:

Monday, August 8, 2022

August 08, 2022

प्रत्येक विधायक भेजे 25 करोड़ के एस्टीमेट, सड़कों की होगी मरम्मत: डिप्टी सीएम

प्रत्येक विधायक भेजे 25 करोड़ के एस्टीमेट, सड़कों की होगी मरम्मत: डिप्टी सीएम

चंडीगढ़ : उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्र की सडक़ों की मरम्मत का पच्चीस करोड़ रुपए तक का एस्टीमेट बनवाकर भेजें, प्राथमिकता के आधार पर कार्य किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री आज हरियाणा विधानसभा के सत्र के दौरान विधायक श्रीमती गीता भुक्कल द्वारा झज्जर शहर की विभिन्न सडक़ों के निर्माण बारे पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि झज्जर शहर की विभिन्न सडक़ों के निर्माण बारे पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने  बताया कि झज्जर की विभाजित सडक़ से अग्रसेन चौक रामलीला मैदान तक, 1.700 किलोमीटर से 3.065 किलोमीटर के खंड को छोडक़र, सडक़ की स्थिति संतोषजनक है। सीवरेज पाइपलाइन में लीकेज के कारण यह खंड क्षतिग्रस्त हो गया है। करीब 6 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला गया है। डब्ल्यूबीएम पैच वर्क प्रदान कर सडक़ का नियमित रखरखाव किया जा रहा है। सीवरेज लाइन के लीकेज की मरम्मत के बाद बिटुमिनस का काम किया जाएगा। हालांकि वर्तमान में इसके निर्माण की कोई समय-सीमा नहीं दी जा सकती है, फिर भी दिसंबर तक सीवरेज लाइन का कंप्लीट करने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने झज्जर शहर से गुजरने वाले पुराने राष्टï्रीय राजमार्ग-71 तक की सडक़ के निर्माण बारे बताया कि रेवाड़ी चौक को छोडक़र सडक़ की स्थिति संतोषजनक है। यह चौक बरसात के मौसम में निचले इलाके और भारी यातायात के कारण क्षतिग्रस्त हो जाता है। गड्ढïों को भरकर, पैच वर्क कर इस चौक की नियमित मरम्मत की जा रही है। बरसात के बाद बिटुमिनस का कार्य करके मरम्मत की जाएगी। इसी प्रकार, अंबेडकर चौक से राजकीय कन्या उच्च विद्यालय झज्जर तक की सडक़ बारे बताया कि इसकी हालत अच्छी है, इसलिए इसके निर्माण का समय दिए जाने का सवाल ही नहीं उठता।
विधायक श्रीमती भुक्कल द्वारा झज्जर के उक्त कार्यों बारे गलत रिपोर्ट भेजने के आरोप पर डिप्टी सीएम ने कहा कि अगर इस मामले में अधिकारी ने गलत रिपोर्ट भेजी होगी तो अगले 24 घंटों में उसको सस्पेंड किया जाएगा।

Sunday, August 7, 2022

August 07, 2022

रोडवेज ने बसों के किराए में की बढ़ोतरी:भिवानी का बस किराया 52 से बढ़कर 62 रुपए, दादरी के लिए देने होंगे 69 रुपए

रोडवेज ने बसों के किराए में की बढ़ोतरी:भिवानी का बस किराया 52 से बढ़कर 62 रुपए, दादरी के लिए देने होंगे 69 रुपए

रोहतक : बसों के दो मार्ग पर चलने यात्रियों की जेब पर बोझ बढ़ गया है। रोडवेज विभाग ने टोल प्लाजा की फीस का हवाला देकर किराए में बढ़ोत्तरी कर दी है। जिससे काफी संख्यामें यात्रियों को अब पहले से अधिक किराया चुकाना पड़ेगा। इसमें रोहतक से भिवानी जाने के लिए बामला के पास नए टोल प्लाजा पर अब टोल फीस देने की बात कही गई है। जिससे भिवानी जाने वालों के लिए किराए में 10 रुपए की बढ़ोतरी की गई है।
*यात्रियों की जेब पर पड़ा बोझ, अब 8 से 10 रुपए देने होंगे अतिरिक्त*

इसमें पहले यात्रियों को 52 रुपए किराया देना पड़ता था, लेकिन बढ़ोत्तरी के बाद 62 रुपए देने पडेंगे। इसके अलावा रोहतक से दादरी बस सेवा के लिए करडी मोड पर टोल फीस देने का हवाला देकर किराए में 8 रुपए की बढ़ोतरी की है। जिससे रोहतक से दादरी के लिए पहले यात्रियों को 61 रुपए देने पड़ते थे, लेकिन अब 69 रुपए देने होंगे।
रोडवेज में बढ़े हुए किराए की सूची परिचालकों को दे दी है। इन दोनों जगहों के लिए प्रतिदिन सफर करने वाले करीब 900 यात्रियों का आर्थिक बोझ बढ़ गया है। जीएम विकास नरवाल ने बताया कि टोल फीस के कारण ही केवल दो जगहों के किराए में बढ़ोतरी की गई है। बाकी मार्गों के किराए में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यहां पर पहली व्यवस्था के अनुसार ही किराया लिया जा रहा है।

Saturday, August 6, 2022

August 06, 2022

जल्द महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल:अप्रैल-जून तिमाही में HPCL को 10,197 करोड़ का नुकसान, भरपाई के लिए कंपनियां बढ़ा सकती हैं दाम

जल्द महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल:अप्रैल-जून तिमाही में HPCL को 10,197 करोड़ का नुकसान, भरपाई के लिए कंपनियां बढ़ा सकती हैं दाम

नई दिल्ली : आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है। इसकी वजह है देश की सरकारी तेल कंपनियां को हो रहा घाटा। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 10,196.94 करोड़ का नुकसान हुआ है। ये किसी भी तिमाही में कंपनी को हुआ सबसे ज्यादा घाटा है।

पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी को 1,795 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। वहीं जनवरी-मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 1,900.80 करोड़ रुपए पहुंच गया था। इससे पहले इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने भी अप्रैल-जून में 1,992.53 करोड़ रुपए का नेट लॉस दर्ज किया था, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में नेट प्रॉफिट 5,941.37 करोड़ रुपए और जनवरी-मार्च तिमाही में 6,021.9 करोड़ रुपए था।था
*घाटे की भरपाई के लिए बढ़ सकते हैं दाम*

देश की दो दिग्गज सरकारी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ के घाटे से उबरने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं, ताकि इस नुकसान की भरपाई की जा सके।
*महंगा तेल लेकर सस्ता बेचने से हुआ घाटा*

अप्रैल-जून क्वार्टर में भारत में कच्चे तेल का इंपोर्ट औसतन 109 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर था, लेकिन रिटेल पंप की पेट्रोल-डीजल के दाम लगभग 85-86 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से थीं। इससे कंपनियों को नुकसान हुआ। IOCL ने अप्रैल-जून तिमाही के दौरान पेट्रोल और डीजल 10 रुपए और 14 रुपए प्रति लीटर के नुकसान पर बेचा।
*कच्चे तेल का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल*

रूस-यूक्रेन जंग के कारण कच्चे तेल के दामों में भारी अस्थिरता बनी हुई है। कच्चा तेल लंबे समय से 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है। इस कारण भारतीय कंपनियों को भी महंगा कच्चा तेल इंपोर्ट करना पड़ रहा है। हालांकि भारत ने रूस से डिस्काउंट वाला कच्चा तेल भी खरीदा है। कितना खरीदा और किस रेट में खरीदा है इसका जानकारी अभी सामने नहीं आई है।

सरकार ने कहा है कि तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में संशोधन करने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने दरों को फ्रीज करने के कारणों के बारे में जानकारी नहीं दी है।
*कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?*

जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।

इसके बाद से ही ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।
*6 अप्रैल से नहीं बढ़े हैं पेट्रोल-डीजल के दाम*

पेट्रोल-डीजल कीमतों में आखिरी बार 6 अप्रैल को बढ़ोतरी की गई थी। यानी की 4 महीनों से पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं। वहीं मई में सरकार ने आम लोगों को राहत देने के लिए पेट्रोल पर 8 और डीजल पर 6 रुपए एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी। इससे पेट्रोल के दाम 9.5 रुपए और डीजल 7 रुपए सस्ता हो गया था।

Friday, August 5, 2022

August 05, 2022

महेंद्रगढ़ बस स्टैंड पर महिला का पर्स चोरी, पुलिस को शिकायत देने गई तो चौकी पर लटका मिला ताला

महेंद्रगढ़ बस स्टैंड पर महिला का पर्स चोरी, पुलिस को शिकायत देने गई तो चौकी पर लटका मिला ताला

महेंद्रगढ़ : महेंद्रगढ़ बस स्टैंड स्थित पुलिस चौकी पर लटका ताला।पर्स में आवश्यक दस्तावेज के साथ घर की चाबी व नकदी भी थी अपने बीमार बच्चे को रेवाड़ी के अस्पताल में उपचार दिलवाकर अपने गांव कुराहवटा लौटती महिला के महेंद्रगढ़ बस स्टैंड पर पीठू बैग से शातिर महिला चोर उसका पर्स निकाल भाग निकली। सूचना मिलने पर रोडवेज कर्मी व सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने उनको इधर-उधर काफी तलाश किया, परंतु उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया। महिला ने बस स्टैंड स्थित पुलिस चौकी पर अपनी शिकायत देनी चाही तो चौकी पर ताला लटका हुआ था।
गांव कुराहवटा निवासी पीड़ित महिला मंजू ने बताया कि उसका बच्चा बीमार है। शुक्रवार को वह रेवाड़ी के एक निजी अस्पताल में बच्चे को उपचार दिलवाकर वापस आ रही थी। बस महेंद्रगढ़ बस स्टैंड रूकी तो वह बस से उतने लगी। इस दौरान दो अंजान महिलाओं ने उसके पीठू बैग को खोलकर उसका पर्स निकाल लिया।

उसे बैग खोलने पर कुछ महसूस हुआ परंतु भीड़ अधिक होने तथा बारिश के चलते उसने ध्यान नहीं दिया। परंतु इसी समय जब उसने देखा तो पीठू बैग से उसका पर्स गायब था और उसके पीछे वाली महिलाएं वहां नहीं थी। पर्स में महिला यात्री के जरूरी दस्तावेज, बच्चे के उपचार के कागजात, घर की चाबी व कुछ नकदी थी।

*भीड़ व बरसात का फायदा उठाकर शातिर महिलाएं भागने में रही सफल*

महिला के बैग से पर्स गायब होने की जानकारी मिलने पर रोडवेज कर्मचारी व कुछ सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने उन शातिर महिलाओं की तलाश के लिए काफी प्रयास किया परंतु बरसात के चलते वे भागने में सफल रही।
पीड़ित महिला बस स्टैंड स्थित चौकी पर शिकायत करने गई तो चौकी पर ताला लटक रहा था जिस बारे में वहां उपस्थित कर्मचारियों ने भी अनभिज्ञता जाहिर की। अक्सर बीच-बीच में चौकी पर ताला लटकता रहा है और इसी दौरान बस स्टैंड पर चोरी व लड़ाई-झगड़े के मामले भी बढ़ते रहे हैं। बीते दिनों ऐसा देखा गया।

*रक्षा बंधन पर्व पर संभल कर यात्रा करें*

वैसे तो बस स्टैंड पर अक्सर भीड़ रहती है परंतु अब रक्षा बंधन पर्व को लेकर भीड़ बढ़ रही है। जिसमें महिला यात्रियों का आवागमन अधिक है। पुरुषों के साथ आजकल महिलाएं भी यात्रा के दौरान पीठू बैग का ही अधिक इस्तेमाल करती है जिस पर कोई लॉक नहीं होता। बैग को पीठ पर लगाकर महिलाएं निश्चिंत हो जाती है जिसका फायदा क्षेत्र में शामिल महिलाएं व शामिल बच्चों मिलता है।

ये बसों में भीड़ का फायदा उठाकर पीठू बैग को खोलकर नकदी व अन्य सामान पर आसानी से हाथ साफ कर वहां से फरार हो जाते हैं। ऐसे में पीठू बैग का इस्तेमाल करने वाले यात्री संभल कर सावधानी से यात्रा करें। शातिरों की आपके पीठू बैग पर भी नजर हो सकती है।

शहर के बस स्टैंड स्थित चौकी पर बार-बार शिकायत करने पर भी पुलिस विभाग यहां स्थाई कर्मचारी नियुक्ति नहीं किए जा रहे हैं। अस्थाई कर्मचारी कभी नजर आते हैं तो कभी चौकी पर ताला लटका रहता है। यहां अक्सर चोरी व लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं।
वेदप्रकाश, अड्डा इंचार्ज, महेंद्रगढ़।
August 05, 2022

हटकेश्वर धाम पर 7 अगस्त को लगेगा वार्षिक मेला, जमेगा इनामी कुश्ती दंगल

हटकेश्वर धाम पर 7 अगस्त को लगेगा वार्षिक मेला, जमेगा इनामी कुश्ती दंगल

68 तीर्थों की जलधारा के समागम स्थल पर दूर-दूर से स्नान करने पहुंचेंगे श्रद्धालु- 
शनिवार शाम को धार्मिक भजन कीर्तन और लगातार चलेगा भंडारा

जींद /सफीदों : जींद जिले के हाट गांव में महर्षि दधिचि की तपोभूमि में स्थित हटकेश्वर धाम पर सावन के अंतिम रविवार के दिन 7 अगस्त को वार्षिक मेला लगेगा। दूर दराज से आए श्रद्धालु यहां पवित्र सरोवर में स्नान करेंगे। दादा तीर्थ महाराज पर पूजा होगी। शनिवार शाम को भजन-कीर्तन कार्यक्रम धाम परिसर में होगा। इसमें विभिन्न कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। रविवार सुबह इनामी कुश्ती दंगल भी होगा। इसमें नामी पहलवान अपना दमखम दिखाएंगे । 
देशभर के 68 तीर्थों की जलधारा के संगम स्थल हाट गांव के हटकेश्वर धाम पर सावन माह के अंतिम शनिवार और रविवार को प्रसिद्ध मेला लगता है। देश के 68 तीर्थों में से एक प्रमुख तीर्थ यह है। आज भी मेले में पहुंचने वाले अतिथियों का गांव के लोग घी-बूरा, हलवा के भोज से स्वागत करते हैं। महर्षि दधिचि के रूप में दादा तीर्थ का भव्य मंदिर, बड़ा सरोवर, बाग, गौशाला, ऊंचे टीले पर बना दूधाधारी मंदिर विशेष आस्था का केंद्र।
तीन युद्धों की स्थली पानीपत से 40 किलोमीटर दूरी पर सफीदों क्षेत्र के हाट गांव में हटकेश्वर धाम महर्षि दधिचि की तपोस्थली है। कवंदति है कि महाभारत काल में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वस्थामा की मणि भी यहीं निकालकर उन्हें जिंदा छोड़ दिया था। हटकेश्वर धाम सेवक बलवान सिंह बूरा, कमेटी प्रधान बिल्लू बूरा ने बताया कि महर्षि दधिचि ने वज्र के लिए हडि्डयों का दान देने से पहले यहीं पर 68 तीर्थ की जलधारा मंगवाकर उसमें स्नान किया। माना जाता है कि धाम के सरोवर में स्नान करने से 68 तीर्थों से पुण्य प्राप्त होता है।

Wednesday, August 3, 2022

August 03, 2022

उत्तराखंड के मंत्री सतपाल महाराज ने किया दीपक कौशिक को सम्मानित

उत्तराखंड के मंत्री सतपाल महाराज ने किया दीपक कौशिक को सम्मानित

नई दिल्ली : उत्तराखंड सरकार लगाएगी चित्रों की प्रदर्शनी ललित कला अकादमी नई दिल्ली एवं उत्तराखंड राज्य सरकार के संयुक्त तत्वाधान में देवभूमि उत्तराखंड के सतपुली स्थान पर राष्ट्रीय कला कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के 30 चित्रकारों को आमंत्रित किया गया। जिसमें हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, लेह-लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत अनेक राज्यों के कलाकारों ने भाग लिया और कारगिल विजय गौरव गाथा को अपने रंगों के माध्यम से कैनवस पर उकेरा जींद के युवा चित्रकार एवं गोपाल विद्या मंदिर के कला अध्यापक व संस्कार भारती हरियाणा प्रांत के प्रांत चित्रकला प्रमुख दीपक कौशिक ने इस सात दिवसीय चित्रकला कार्यशाला में कारगिल विजय के साक्षी बने पेड़,पहाड़, नदियों व वीर योद्धाओ के चित्र अंकित करके अपनी कलाकृति बनाई । इस कार्यशाला के समापन अवसर पर उत्तराखंड राज्य के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कला का उद्देश्य देश व समाज की चिंता और चिंतन करना है। आज हमारे बीच देशभर के चित्रकारों ने अपनी कलाकृतियों में भारत को विजय दिलाने व अपने प्राणों की आहुति डालने वाले वीर योद्धाओं के चित्र बनाकर उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं। उन्होंने यह भी कहा  कि इन चित्रों की प्रदर्शनी 15 अगस्त को राजभवन में लगेगी जिसका उद्घाटन उत्तराखंड के राज्यपाल करेंगे। चित्रकार दीपक कौशिक ने अपनी अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस सात दिवसीय कार्यशाला में जूनियर व सीनियर कलाकारों को एक साथ जोड़कर ललित कला अकैडमी दिल्लीव उत्तराखंड राज्य सरकार का सराहनीय प्रयास रहा है। इस तरह के आयोजन समय-समय पर होते रहने चाहिएं, ताकि कलाकार अपनी अभिव्यक्ति समाज के सामने प्रस्तुत कर सके। जींद के गौरव को बढ़ाने के लिए गोपाल विद्या मंदिर प्रबंधन समिति, संस्कार भारती जींद इकाई, सौल एंड स्पिरिट आर्ट सोसायटी, इतिहास संकलन समिति, युवा मित्र मंडल व अनेक सामाजिक संगठनों ने दीपक कौशिक को ढेरों शुभकामनाएं व बधाई दी।

Monday, August 1, 2022

August 01, 2022

जींद में शराब ठेके का विरोध:महिलाओं ने सफीदों रोड किया जाम, बोलीं- मार्ग से रोज बेटियां गुजरती हैं, शराबी परेशान करेंगे

जींद में शराब ठेके का विरोध:महिलाओं ने सफीदों रोड किया जाम, बोलीं- मार्ग से रोज बेटियां गुजरती हैं, शराबी परेशान करेंगे

जींद : हरियाणा के जींद में सफीदों रोड पर खोले जा रहे शराब ठेके के विरोध में सोमवार को महिलाएं सड़क पर उतरीं। महिलाओं ने जींद-सफीदों रोड जाम कर दिया। उन्होंने कहा कि सफीदों रोड पर शराब ठेका खोला जा रहा है, जिससे उनकी कॉलोनी का माहौल खराब होगा और हर दिन लड़ाई-झगड़े के आसार बने रहेंगे।

जाम लगने की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शराब ठेका न खोले जाने को लेकर आबकारी विभाग के अधिकारियों से बातचीत कर बंद करवाने का आश्वासन दिया। जिस पर महिलाएं जाम खोलने को राजी हो गई। लगभग पौना घंटा लगे जाम के कारण यात्रियों तथा वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
*पुलिस अधिकारी लोगों से बात करते हुए।*

महिलाओं ने बताया कि सफीदों रोड पर शराब ठेका खोला जाता है तो आसपास की कॉलोनियों का माहौल खराब होगा और बच्चों पर इसका दुष्प्रभाव भी पड़ेगा। इसी रोड पर कन्या महाविद्यालय भी है और रोजाना हजारों छात्राओं का इसी मार्ग से आवागमन होता है। अगर यहां शराब ठेका खुलता है तो हर दिन छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
शराब ठेके के बाहर शराबियों का जमावड़ा लगा रहेगा। जिन्हें रोकने का प्रयास किया जाएगा तो वो झगड़े पर उतारु होंगे। महिलाओं ने मांग की कि शराब ठेका किसी भी सूरत में न खोला जाए। जाम लगने की सूचना मिलने पर जयति-जयति हिंदू महान संगठन के राष्ट्रीय संयोजक अतुल चौहान, आप नेता डॉ. रजनीश जैन भी मौके पर पहुंची और जाम लगाए महिलाओं की मांग का समर्थन किया।
इसके बाद पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और महिलाओं को आश्वासन दिया कि शराब ठेके के बारे में आबकारी विभाग के अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। जिस पर महिलाएं शांत हो गई। लगभग पौना घंटा लगे जाम के कारण यात्रियों और वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
August 01, 2022

345 राशन डिपो पर 64 हजार तिरंगे मिलेंगे:एक तिरंगे की कीमत 20 रुपए, तिरंगे के साथ डंडा चाहिए तो अतिरिक्त पैसे देने होंगे

345 राशन डिपो पर 64 हजार तिरंगे मिलेंगे:एक तिरंगे की कीमत 20 रुपए, तिरंगे के साथ डंडा चाहिए तो अतिरिक्त पैसे देने होंगे

अम्बाला : आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर इस बार 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर पर तिरंगा लहराएगा। एक तरफ जहां बाजारों में तिरंगे झंडे की स्टाल सजने लगी है, वहीं सरकारी दफ्तरों में भी तिरंगा पहुंचने लगा है। इसके लिए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग व अन्य विभागों ने कमर कस ली है। खाद्य आपूर्ति विभाग राशन डिपो की मदद से तिरंगा बेचेगा। जिलेभर के 345 राशन डिपो पर तिरंगा मुहिया कराएगा। विभाग 64 हजार 600 तिरंगे बेचेगा। इसके अलावा धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से भी झंडे बांटे जाएंगे।
राशन डिपो की दुकान पर लोगों को झंडे के लिए 20 रुपए देने होंगे। वहीं अगर किसी को तिरंगे के साथ डंडा खरीदना हो तो इसके लिए लोगों को चार रुपए अतिरिक्त देने होंगे। इसके साथ एक रुपए कमीशन डिपो होल्डर का भी रहेगा। यानी लाेगाें काे झंडा 25 रुपए में पड़ेगा। डीएफएससी अपर तिवारी ने कहा कि इस बार विभाग पहली बार राशन डिपो पर आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव के चलते डिपो पर तिरंगा बैचेगा। एक तिरंगे की कीमत 20 रुपए रखी गई है । वहीं अगर किसी को तिरंगा लगाने के लिए डंडा चाहिए तो इसके लिए लोगों को अतिरिक्त चार्ज देना होगा। 345 डिपो पर 64 हजार 600 तिरंगे बेचेगा।
August 01, 2022

जियो 5G सर्विस रोलआउट को तैयार:5 बैंड में 88,078 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम खरीदा, तेज गति और लो लेटेंसी के साथ 5G सर्विस मिलेगी

जियो 5G सर्विस रोलआउट को तैयार:5 बैंड में 88,078 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम खरीदा, तेज गति और लो लेटेंसी के साथ 5G सर्विस मिलेगी

नई दिल्ली : रिलायंस जियो ने भारत में अलग-अलग फ्रीक्वेंसी बैंड में अपनी 5G नेटवर्क सेवाएं शुरू करने के लिए 5G स्पेक्ट्रम हासिल कर लिया है। टेल्को ने सोमवार को बताया कि उसने दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से आयोजित नीलामी में 700MHz, 800MHz, 1800MHz, 3300MHz और 26GHz बैंड में स्पेक्ट्रम हासिल किया है। रिलायंस इस स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल 20 साल तक कर सकेगा। इसके लिए उसने 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
जियो ने स्पेक्ट्रम मिलने के बाद क्या कहा?

Jio ने लो-बैंड, मिड-बैंड और mmWave स्पेक्ट्रम का एक यूनिक कॉम्बिनेशन हासिल किया है, जो हमारे डीप फाइबर नेटवर्क और स्वदेशी टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म के साथ मिलकर हमें 5G एवरीवेयर और 5G फॉर ऑल (कंज्यूमर और एंटरप्राइजेज) को प्रदान करने में सक्षम करेगा।
अपने बेजोड़ 700 MHz स्पेक्ट्रम फुटप्रिंट के साथ, जियो एकमात्र ऑपरेटर होगा जो तेज गति, लो लेटेंसी और बड़े पैमाने पर कनेक्टिविटी के साथ पूरे भारत में ट्रू 5G सर्विसेज प्रदान करेगा।
इस अधिग्रहण के साथ, Jio का कुल स्पेक्ट्रम फुटप्रिंट बढ़कर 26,772 MHz (अपलिंक + डाउनलिंक) हो गया है, जो भारत में सबसे ज्यादा है।
40 राउंड चली बोली की प्रोसेस
26 जुलाई से शुरू हुई 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार को समाप्त हो गई। 40 राउंड चली बोली में विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों ने बोली लगाई। एयरवेव्स की नीलामी से सरकार को 1,50,173 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। जियो ने कहा कि नेशन वाइड फाइबर प्रजेंस, ऑल-आईपी नेटवर्क, स्वदेशी 5G स्टैक और टेक्नोलॉजी ईकोसिस्टम में स्ट्रॉन्ग ग्लोबल पार्टनरशिप के कारण कम से कम समय में 5G रोलआउट के लिए पूरी तरह से तैयार है।
अक्टूबर से देश में 5G सर्विस
टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'स्पेक्ट्रम एलॉकेशन 10 अगस्त तक होगा और 5G सर्विस अक्टूबर से शुरू होने की उम्मीद है।' वैष्णव ने कहा कि स्पेक्ट्रम की बेहतर उपलब्धता से देश में टेलीकॉम सर्विसेज की क्वालिटी में सुधार होगा।
August 01, 2022

मंकीपॉक्स से केरल में मौत:UAE से आया था मरीज, WHO ने कहा- Gay ही नहीं, जो भी मरीज के संपर्क में आएगा उसे खतरा है

मंकीपॉक्स से केरल में मौत:UAE से आया था मरीज, WHO ने कहा- Gay ही नहीं, जो भी मरीज के संपर्क में आएगा उसे खतरा है

नई दिल्ली : भारत में मंकीपॉक्स के अब तक 5 केस दर्ज हो चुके हैं। कर्नाटक की हेल्थ मिनिस्टर वीना जॉर्ज ने कंफर्म कर दिया है कि केरल में मंकीपॉक्स से एक मौत हो गई है। मृतक की उम्र 22 साल थी, वो UAE से अपने घर लौटा था। UAE से निकलने के एक दिन पहले ही उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।


मंकीपॉक्स को अब तक लोग सीरियस नहीं ले रहे हैं। देश में हुई पहली मौत के बाद इसको लेकर किस तरह सचेत होने की जरूरत है? मंकीपॉक्स से मौत की कितनी संभावना है ये सब जानेंगे डॉ. प्रभाकर तिवारी, इन्फॉर्मेशन एक्सपर्ट्स, CMHO भोपाल और डॉ. आर वी एस भल्ला, डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस अस्पताल से।
सवाल 1– सबसे पहले जो मामला मंकीपॉक्स का UAE से आया था क्या उसी व्यक्ति की मौत हुई थी?
जवाब– नहीं, यह मामला नया है। केरल में पहले पाए गए तीन मामलों से यह अलग है। पहले के उन तीन मामलों में से एक व्यक्ति को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है और दूसरे दो मरीज की स्थिति अभी स्थिर है।

सवाल 2– पिछले दिनों दिल्ली में भी एक मामला सामने आया था? क्या वो व्यक्ति भी विदेश से आया था?
जवाब– दिल्ली का मामला केरल के सभी मामलों से अलग था। दिल्ली में जिस मरीज को मंकीपॉक्स हुआ है, वह कभी विदेश गया ही नहीं था।


सवाल- मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?
जवाब- ये हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
बुखार
शरीर में दर्द
ठंड लगना
थकान और सुस्ती
मांसपेशियों में दर्द
बुखार के समय बहुत ज्यादा खुजली वाले दाने उभर सकते हैं
चेहरे, हाथ और शरीर के बाकी हिस्सों पर चकत्ते और दाने
सोर्स– डॉ. प्रभाकर तिवारी, इन्फॉर्मेशन एक्सपर्ट्स, CMHO भोपाल

सवाल 3 – केरल में मरने वाला मरीज कौन था? उसकी मेडिकल हिस्ट्री क्या थी?
जवाब– मरीज त्रिशूर के पुन्नियूर का रहने वाला था। UAE से लौटने के बाद 22 वर्षीय त्रिशूर निजी अस्पताल में भर्ती था। जहां उसकी मौत भी हुई। वह 22 जुलाई को केरल पहुंचा था और 26 जुलाई को बुखार होने के बाद अस्पताल गया था। बाद में उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया, जहां लाइफ सपोटिंग सिस्टम पर रखा गया था। केरल स्वास्थ्य विभाग ने उसके सैंपल अलाप्पुझा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के केरल ब्रांच को भेजे थे।
मंकीपॉक्स के स्ट्रेन पर नजर डालें

इसके दो स्ट्रेन हैं…

कांगो स्ट्रेन
वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन
कांगो स्ट्रेन पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से ज्यादा घातक है। इस स्ट्रेन में मृत्यु दर 10% है। पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन की मृत्यु दर 1% कम है।

सवाल 4 – क्या मौत की वजह मंकीपॉक्स है?
जवाब– पहले इस बात का पता नहीं चल पाया है कि मौत की वजह क्या है। मौत का सही कारण तलाशने के बाद कंफर्म किया गया कि युवक की मौत का असल कारण मंकीपॉक्स था। मरीज में इंसेफलाइटिस और थकान के लक्षण भी थे।

सवाल 5– मंकीपॉक्स से अब तक कितनी मौतें हो चुकी हैं?
जवाब– दुनिया भर में मई के बाद 78 देशों में मंकीपॉक्स के लगभग 20,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा मौत अफ्रीका में हुई हैं। यहां 75 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील में एक और स्पेन में दो मंकीपॉक्स से मौत हुई है।
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए हेल्थ मिनिस्ट्री की ये हैं 8 गाइडलाइन

सभी हेल्थ सेंटर्स ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखें, जिनके शरीर पर दाने दिखते हैं।
उन पर नजर रखें, जिन्होंने पिछले 21 दिनों में मंकीपॉक्स सस्पेक्टेड देशों की यात्रा की हो।
संदिग्ध केस को हेल्थकेयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाएगा, जब तक मरीज के शरीर में दानों से पपड़ी नहीं उधड़ जाती।
मंकीपॉक्स संदिग्ध मरीजों के फ्लूइड या खून का सैंपल NIV पुणे में टेस्ट के लिए भेजा जाएगा।
अगर कोई पॉजिटिव केस पाया जाता है, तो फौरन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शुरू की जाएगी।
विदेश से आने वाले यात्रियों को ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए, जो स्किन की बीमारी से पीड़ित हों।
यात्रियों को चूहे, गिलहरी, बंदर सहित जिंदा और मरे हुए जंगली जानवरों के संपर्क में भी नहीं आना चाहिए।
अफ्रीकी जंगली जानवरों से बनाए गए प्रोडक्ट्स जैसे- क्रीम, लोशन और पाउडर का इस्तेमाल करने से बचें।
WHO पहले से कहता आ रहा है कि समलैंगिक पुरुषों में मंकीपॉक्स के संक्रमण की ज्यादा संभावना है। या जिस पुरुष का संबंध दूसरे पुरुष से रहता है उन्हें मंकीपॉक्स होने का खतरा ज्यादा है। इस बात को लेकर LGBTQ कम्यूनिटी में हलचल थी, लेकिन अब WHO ने कहा है कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि मंकीपॉक्स का खतरा केवल पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों तक ही सीमित नहीं है। कोई भी व्यक्ति, जो किसी संक्रमित व्यक्ति के कॉन्टैक्ट में है, उसे मंकीपॉक्स होने का खतरा ज्यादा है।

Sunday, July 31, 2022

July 31, 2022

24 अगस्त से चलेगी श्री रामायण भारत गौरव स्पेशल ट्रेन:अयोध्या, जानकी जन्म स्थान, श्री विश्वामित्र के आश्रम से लेकर काशी के प्रसिद्ध मंदिरों का करें भ्रमण, अयोध्या होगा पहला पड़ाव

24 अगस्त से चलेगी ‘श्री रामायण भारत गौरव’ स्पेशल ट्रेन:अयोध्या, जानकी जन्म स्थान, श्री विश्वामित्र के आश्रम से लेकर काशी के प्रसिद्ध मंदिरों का करें भ्रमण, अयोध्या होगा पहला पड़ाव

अंबाला : इस महीने एक धार्मिक यात्रा शुरू हो रही है। ट्रेन से होने वाली इस 20 दिन की यात्रा में कई धार्मिक स्थलों के दर्शन करवाए जाएंगे। लगभग 8000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की जाएगी। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आईआरसीटीसी) 24 अगस्त से ‘श्री रामायण भारत गौरव’ पर्यटक स्पेशल ट्रेन को चला रहा है। आईआरसीटीसी के चंडीगढ़ रीजनल मैनेजर एमपीएस राघव ने बताया कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘भारत गौरव ट्रेन’ श्री रामायण यात्रा के लिए चलाई जाएगी। यह विशेष ट्रेन दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से 24 अगस्त को रवाना होगी।

चंडीगढ़, अम्बाला के लाेग भी इस यात्रा में शामिल हाे सकें, इसके लिए चंडीगढ़ से कनेक्टिविटी की सुविधा दी जाएगी। बुकिंग करने वाले यात्रियों को 23 अगस्त की शाम चंडीगढ़ से एसी बस या ट्रेन में सफदरजंग रेलवे स्टेशन तक ले जाया जाएगा। इसमें चंडीगढ़ से दिल्ली तक का किराया अलग से लिया जाएगा।
यात्रा 20 दिन, किराया 73,500 रुपए, दोनों वैक्सीन लगी होनी जरूरी, किस्तों में भी दे सकते हैं किराया

.ट्रेन का पहला पड़ाव श्रीराम का जन्म स्थान अयोध्या हाेगा। यहां श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री हनुमान मंदिर व नंदीग्राम के दर्शन करवाए जाएंगे। अयोध्या से यह ट्रेन जयनगर होते हुए जनकपुर तक जाएगी, जहां नाइट स्टे होगा। यहां जानकी मंदिर और राम-जनकी विवाह स्थल का दर्शन कराया जाएगा। जनकपुर से सीतामढ़ी ले जाकर जानकी जन्म स्थान के दर्शन कराए जाएंगे।

. सीतामढ़ी से यह ट्रेन बक्सर जाएगी। यहां श्री विश्वामित्र जी का आश्रम व रामरेखा घाट पर गंगा स्नान का कार्यक्रम होगा। ट्रेन का अगला पड़ाव भगवान शिव की नगरी काशी होगा, जहां से पर्यटक एसी बस से काशी के प्रसिद्ध मंदिरों सहित सीता समाहित स्थल, प्रयाग, शृंगवेरपुर, व चित्रकूट की यात्रा करेंगे। इस दौरान काशी प्रयाग व चित्रकूट में रात्रि विश्राम होगा।
चित्रकूट से यह ट्रेन नासिक पहुंचेगी, जहां पंचवटी व त्रयंबकेश्वर मंदिर में दर्शन कराए जाएंगे। ट्रेन नासिक से प्राचीन किष्किंधा नगरी हंपी जाएगी। यहां अंजनी पर्वत स्थित श्री हनुमान जन्म स्थल व अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक व हेरिटेज मंदिरों के दर्शन कराए जाएंगे। हंपी से ट्रेन रामेश्वरम जाएगी। रामेश्वरम में पर्यटकों को प्राचीन शिव मंदिर व धनुषकोड़ी के दर्शन कराए जाएंगे। रामेश्वरम से यह ट्रेन कांचीपुरम पहुंचेगी, जहां शिव कांची, विष्णु कांची और कामाक्षी माता मंदिर का भ्रमण कराया जाएगा। इस ट्रेन का अंतिम पड़ाव तेलंगाना राज्य में स्थित भद्राचलम होगा, जिसे दक्षिण की अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है। यह ट्रेन 20वें दिन दिल्ली वापस पहुंचेगी। इस दौरान ट्रेन द्वारा लगभग 8000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की जाएगी।
ये है ट्रेन की खासियत

.20 दिन की इस यात्रा के लिए 73,500 रुपए प्रति व्यक्ति किराया हाेगा
.100 टिकट एकसाथ बुक कराने पर 10 फीसदी डिस्काउंट दिया जाएगा
.पूरी ट्रेन में एयरकंडीशनर काेच हाेंगे। इसमें आना-जाना खाना रहना शामिल हाेगा
.ट्रेन में खाना भी शाकाहारी पराेसा जाएगा
.हर काेच में सीसीटीवी कैमरा हाेगा
.मनाेरंजन और डेस्टिनेशन संबंधी जानकारी के लिए इंफोटेनमेंट सिस्टम हाेगा
.हर काेच में गार्ड तैनात रहेंगे
.हर काेच में साफ-सफाई दुरुस्त रखने के लिए हाउस कीपिंग के कर्मचारी तैनात हाेंगे
.गवर्नमेंट इम्प्लाॅइज इलिजबिलिटी के तहत यात्रा में एलटीसी का लाभ भी उठा सकते हैं
.यात्री चाहें ताे पेटीएम व रेजरपे जैसी पेमेंट गेटवे टूर राशि का भुगतान आसान किस्तों में भी कर सकते हैं
.यह राशि 3,6,9,12,18, 24 महीनाें में अदा की जा सकती है
.किस्तों मे भुगतान की यह सुविधा डेबिट व क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बुकिंग करने पर उपलब्ध रहेगी
. एक बार खाना बनने के बाद किचन काे सैनिटाइज किया जाएगा
. इस ट्रेन में 18+ एज ग्रुप के वही यात्री सफर कर सकेंगे, जिन्हें काेराेना वैक्सीन की दाेनाें डाेज लगी हाेंगी।

Saturday, July 30, 2022

July 30, 2022

दिल्ली-NCR का झंझट दूर:नारनौल से सीधे अंबाला तक हाईवे आज से शुरू; 2 दिन होगा ट्रायल, 1 से टोल वसूली

दिल्ली-NCR का झंझट दूर:नारनौल से सीधे अंबाला तक हाईवे आज से शुरू; 2 दिन होगा ट्रायल, 1 से टोल वसूली

रेवाड़ी : ट्रांस हरियाणा ग्रीन फील्ड परियोजना भारत माला प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा को एक और 6 लेन हाईवे आज से मिल जाएगा। दो दिन इस हाईवे पर बतौर ट्रायल होगा और फिर 1 अगस्त से हाईवे पर टोल की वसूली भी शुरू हो जाएगी। इस हाईवे के बनने से हरियाणा के 8 जिलों खासकर दक्षिणी हरियाणा के नारनौल-महेन्द्रगढ़ तथा भिवानी की सीधे चंडीगढ़ से कनेक्टिविटी हो जाएगी।

नारनौल बाईपास के मांदी से शुरू होने वाले इस 6 लेन राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 152डी को बनाने की घोषणा 2018 में हुई थी, लेकिन कोविड के चलते काम शुरू होने में देरी हुई। इसके बाद हाईवे का शिलान्यास 14 जुलाई 2020 को हुआ। 227 किलोमीटर लंबे नारनौल बाईपास के मांदी से शुरू होने वाला यह हाइवे सीधे अंबाला के इस्माइलाबाद स्थित गंगहेड़ी तक पहुंचेगा, जहां से चंडीगढ़ की दूरी महज कुछ किलोमीटर की रह जाएगी।
अभी तक नारनौल, महेन्द्रगढ़ और भिवानी जैसे जिले के लोगों की प्रदेश की राजधानी चंडीगढ़ से सीधे कोई कनेक्टिविटी नहीं थी। लंबे समय से इस हाईवे के बनाने की मांग चली आ रही थी। NHAI द्वारा जारी किए गए पत्र में बताया गया कि इस 6 लेन हाइवे का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। 30 और 31 जुलाई तक इस पर बतौर ट्रायल ट्रैफिक शुरू किया जाएगा। इसके बाद 1 अगस्त से हाईवे पर टोल की वसूली की जाएगी। 227 किलोमीटर लंबे इस हाइवे पर करीब 4 टोल बूथ बनाए गए है। पहला टोल बूथ महेन्द्रगढ़ में ही बनाया गया है।
हाइवे के दोनों तरफ ग्रीनरी का विशेष ध्यान रखा गया है।

*राजस्थान से आने वाले वाहनों को बड़ी राहत*

अभी तक महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान की तरफ से आने वाले वाहनों को अगर कुरुक्षेत्र, करनाल, अंबाला, चंडीगढ़, कैथल या फिर रोहतक जाना होता था तो उन्हें दिल्ली-जयपुर हाईवे एनएच-48 पर रेवाड़ी के रास्ते होकर गुजरना होता था। आगे का रास्ता या तो केएमपी या फिर दिल्ली होकर तय करना होता था, लेकिन अब इस हाईवे के बनने से राजस्थान की तरफ से आने वाले वाहन राजस्थान के कोटपूतली एरिया में पड़ने वाले पनियाला मोड से सीधे नारनौल के मांदी बाईपास के रास्ते अंबाला तक इस हाईवे पर सफर कर सकते हैं।
*हरियाणा के 8 जिलों को सीधा लाभ*

नारनौल बाईपास से शुरू होने वाले एनएच 152डी 6 लेन हाईवे का सीधा लाभ हरियाणा के 8 जिलों महेन्द्रगढ़, कुरुक्षेत्र, रोहतक, कैथल, भिवानी, करनाल और चरखी-दादरी व जींद जिले को होगा। अभी तक इन आठ जिलों की भी सीधे कोई कनेक्टिविटी नहीं थी।

*3 घंटे में तय होगा दूरी*

हजारों करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुए इस हाईवे पर नारनौल से अंबाला के इस्माइलाबाद तक की 227 किलोमीटर की दूरी को महज 3 घंटे से भी कम समय में पूरा किया जा सकता है। इस हाईवे पर पर्यावरण का भी खास ख्याल रखा गया है। दोनों तरफ काफी पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जिससे आने वाले समय में पूरा हाईवे हरा-भरा नजर आएगा।

Friday, July 29, 2022

July 29, 2022

बंद होने की जगह बढ़ गए पानीपत टोल के रेट:छोटे वाहनों के लिए टैक्स में 5 और बड़े व्हीकल्स के 15 रुपए की वृद्धि

बंद होने की जगह बढ़ गए पानीपत टोल के रेट:छोटे वाहनों के लिए टैक्स में 5 और बड़े व्हीकल्स के 15 रुपए की वृद्धि

पानीपत : हरियाणा में पानीपत शहर के एंट्री पाइंट पर बने टोल प्लाजा से गुजरने वालों को अब ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। NH-44 पर बने इस टोल पर टैक्स बढ़ा दिया गया है। यहां छोटे वाहनों के लिए टोल दरों में 5 और बड़े वाहनों के लिए टोल दरों में 15 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। मंथली पास बनवाने वालों के लिए टोल दरों में कोई इजाफा नहीं किया गया।
नई दिल्ली-अंबाला नेशनल हाईवे (NH-44) पर पानीपत के दोनों तरफ 60 किलोमीटर के दायरे में 3 टोल प्लाजा हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 22 मार्च 2022 को संसद में कहा था कि अगले तीन महीनों में इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि नेशनल हाईवे पर 60 किलोमीटर के दायरे में एक ही टोल प्लाजा हो। गडकरी के इस बयान को चार महीने हो चुके हैं और पानीपत के लोग एक टोल हटने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन टोल चलाने वाली कंपनी एलएंडटी ने टोल दरें बढ़ाकर उन्हें दोहरा झटका दिया है।

पानीपत टोल प्लाजा से रोजाना लगभग 40 हजार वाहन गुजरते हैं। इनमें सबसे अधिक तादाद कार और गुड्स कैरियर वाहनों की है। पानीपत टोल प्लाजा से औसतन हर घंटे में एक हजार से अधिक कारें और 350 से अधिक बस व अन्य कमर्शियल वाहन क्रॉस होते हैं।
पानीपत जीटी रोड पर बने टोल प्लाजा से गुजरते वाहनों को अब देना पड़ेगा अधिक टैक्स।

*गडकरी ने कही थी 60 किलोमीटर में एक टोल की बात*

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 22 मार्च 2022 को संसद में कहा था कि नेशनल हाईवे पर 60 किलोमीटर के दायरे में एक ही टोल प्लाजा होना चाहिए और वह अगले 3 महीनों में इसे लागू करने की कोशिश करेंगे। गडकरी की ओर से तय की गई 3 महीने की टाइमलाइन 22 जून को पूरी हो गई लेकिन कोई टोल बंद नहीं हुआ।

इस समय पानीपत के चारों तरफ 60 किलोमीटर के दायरे में 5 टोल प्लाजा हैं। पानीपत में बने एलएंडटी कंपनी के टोल से करनाल की तरफ चलें तो 17 किलोमीटर दूर घरौंडा (करनाल) में दूसरा टोल प्लाजा बना है। इसी तरह पानीपत से सोनीपत की तरफ चलें तो मुरथल और डाहर में टोल आते हैं। अब सनौली की तरफ 5वां टोल प्लाजा बनाने का काम चल रहा है।
टोल प्लाजा हटाने के संदर्भ में करनाल के भाजपा सांसद संजय भाटिया ने कहा कि पानीपत शहर में बने एलीवेटिड फ्लाईओवर की वजह से कंपनी ने टोल प्लाजा लगाया हुआ है। संजय भाटिया ने संसद में मुद्दा उठाया था कि पानीपत में फ्लाईओवर का इस्तेमाल नहीं करने वालों को भी टोल देना पड़ रहा है।